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अंगूरासव: अंगूर के गुणों से भरपूर इस औषधि के 10 ऐसे फायदे जिनसे थे आज तक आप अनजान

Angoorasava benefits herbal arcade

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अंगूरासव का परिचय (Introduction of Angoorasava: benefits, dosage)

Table of Contents

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अंगूरासव क्या होता हैं?? (Angoorasava kya hota hain?)

अंगूरासव एक आयुर्वेदिक औषधि हैं| यह औषधि आसव विधि द्वारा बनायीं जाती हैं| इस औषधि का मुख्य घटक अंगूर होता हैं| इसी कारण इस औषधि को अंगूरासव कहा जाता हैं| इस औषधि का सेवन करने से सामान्य दुर्बलता नही रहती हैं|
जब किसी व्यक्ति को भूख कम लगे या भूख ना के बराबर लगें उसे इस औषधि का सेवन करना चाहिए| इस औषधि को उचित मात्रा में लेने पर कोई दुष्प्रभाव नही होता हैं| यह औषधि मुख्य रूप से कफ रोग, फेफड़ो का क्षयरोग और टी. बी. जैसे रोगों में सहायता करती हैं | यह औषधि पुराने श्वसन रोग को भी ख़तम करती हैं|

अंगूरासव औषधि के घटक द्रव्य (Angoorasava ke ghatak dravay)

अगूरासव के फायदे herbal arcade

अंगूरासव बनाने की विधि (Angoorasava banane ki vidhi)

यह औषधि आसव विधि द्वारा बनायीं जाती हैं| इस औषधि को बनाने के लिए सर्वप्रथम शुष्क द्रव्यों का यवकूट कर लिया जाता हैं| अब मीठे अंगूरों का रस और शक्कर को मिलाया जाता हैं| इन दोनों के अच्छे से घुल जाने के बाद शुष्क द्रव्यों को इस मिश्रण में डाल दिया जाता हैं| अब इसे 15 से 30 दिन तक किसी सुरक्षित पात्र में सही स्थान पर रख दे| 15 से 30 दिनों के मध्य अंगूरासव औषधि बनकर तैयार हो जाती हैं| अब इस औषधि का सेवन किया जा सकता हैं|

अंगूरासव औषधि के उपयोग और फायदे (Angoorasava ke fayde)

अंगूरासव के फायदे herbal arcade

अस्थमा रोग में बेहतर उपाय (asthma rog me)

यह औषधि पुराने श्वसन रोग को खत्म करने में सहायता करती हैं| अस्थमा रोग को दमा रोग भी कहा जाता हैं| अस्थमा के कारण श्वसन रोग में सूजन आ जाती हैं| इस रोग से खांसी, घरघराहट और सांस लेने में समस्या जैसी तकलीफे आती हैं|
यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता हैं यहाँ तक कि यह एक नवजात शिशु को भी हो सकता हैं| बदलता मौसम और उडती हुई धूल मिट्टी अस्थमा जैसे रोगियों के लिए एक एलर्जी के रूप में साबित होती हैं| दमा रोग को खतम करने के लिए अंगूरासव एक कारगर औषधि मानी गयी हैं| अतः दमा जैसी बीमारी को में अंगूरासव औषधि का प्रयोग करना चाहिए|

क्षय रोग (टी. बी.) में सहायक (T.B. rog me)

यह एक संक्रामक बीमारी होती हैं जो बेक्टेरिया के कारण होती हैं| इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ो पर पड़ता हैं| इस रोग में खांसी या खांसी के साथ खून आना, अकारण वजन कम होना, रात को पसीना आना आदि समस्याए आ सकती हैं|
अंगूरासव औषधि के सेवन से यह होने वाली टी. बी. की बीमारी को रोकने में मददगार हैं | इस औषधि के आयुर्वेदिक होने के कारण यह किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नही दिखाती हैं|
यह औषधि पुरानी से पुरानी खांसी में भी लाभ देती हैं| यह औषधि सूखी खांसी और बलगम वाली खांसी का एक सरल और साधारण उपाय हैं|

गले में हुए संक्रमण को ठीक कर जल्द राहत दें (in throat infection)

यह औषधि किसी भी कारण हुए गले के संक्रमण को खत्म करने में बहुत मददगार साबित हुई हैं| गले में इन्फेक्शन एक आम समस्या हैं जो दूषित खान पान और दूषित वातावरण में सांस लेने के कारण हो जाता हैं| इस समस्या में कई बार व्यक्ति को सांस लेने में भी तकलीफ आ सकती हैं| इस औषधि में कई ऐसे तत्व होते हैं जो बेक्टेरिया और वायरस को मार देते हैं और गले के संक्रमण से आराम दिलाते हैं| इसलिए गले में हो रहे संक्रमण को मिटाने के लिए अंगूरासव औषधि का उपयोग करना चाहिए|

सामान्य दुर्बलता को खत्म कर शरीर को पुष्ट बनाये

यह औषधि शारीरिक दुर्बलता को खत्म करने में फायदेमंद होती हैं| इस औषधि में कई ऐसे गुण होते हैं जो शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकाल देते हैं| जिसके कारण व्यक्ति के शरीर में आई साधारण दुर्बलता को भी खत्म होती हैं| इस दुर्बलता के खत्म होने से हमारा शरीर सुद्रढ़ और पुष्ट होने लगता हैं| शरीर के बलवान और दृढ रहने से कोई भी बीमारी हमे नही घेर सकती हैं इसी कारण शारीरिक दुर्बलता को मिटाने हेतु अंगूरासव औषधि का प्रयोग किया जाता हैं|

भूख ना लगने जैसी समस्याओ में असरदार

असमय खाना पीना और गलत तरीके के खान पीन तथा मनुष्य के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के परिश्रम के बाद भी कभी कभी व्यक्ति को भूख न के बराबर या कम भूख लगती हैं| भूख कम लगने के कारण हमारा शरीर दिन दिन कमजोर होता जा रहा हैं और दिमाग भी कम खाना खाने के कारण कमजोर होता जा रहा हैं|
ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अंगूरासव औषधि का प्रयोग करना चाहिए| इस औषधि का सेवन करने से समय पर सही भूख लगती हैं जिसके कारण व्यक्ति सही मात्रा में भोजन करता हैं| और व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहता हैं|

वीर्य को बढाने में सहायक

यह औषधि पुरुषो के वीर्य को बढाने में बहुत असरदार साबित हुई हैं| यह औषधि तंत्रिकाओ और मांसपेशियो की क्षति को खत्म करती हैं और वीर्य की मात्रा को बढाती हैं|

जीवन शक्ति को बढ़ाये

आज कल के दूषित वातावरण और दूषित खान पान के कारण मनुष्य का जीवन की आयु धीरे धीरे कम होती जा रही हैं| दूषित खान पान और वातावरण हमे कई रोगों से घेर लेता हैं|
हर मनुष्य चाहता हैं कि वह लम्बी आयु पायें| अंगूरासव औषधि मनुष्य के जीवन काल और जीवन शक्ति दोनों को ही बढ़ाने में बहुत अधिक सहायता करती हैं| अतः ऐसी समस्यों से झूझ रहे हर व्यक्ति को अंगूरासव औषधि का प्रयोग करना चाहिए|

पित्त को बढाने में मददगार

व्यक्ति के शरीर में पित्त की कमी होने पर शरीर के तापमान में कमी आ जाती हैं| चहरे की चमक खत्म होने लगती हैं और ठण्ड लगने लगती हैं| इस औषधि का सेवन करने से यह पित्त को बढाती हैं अर्थात शरीर में पित्त का संतुलन करती हैं| पित्त प्रधान वाले व्यक्तियों को इस औषधि का सेवन नही करना चाहिए|

ह्रदय को मजबूत बनाये

कमजोर ह्रदय वाले लोग जल्द ही किसी भी चीज़ की अचानक आवाज़ से डर जाते हैं| जिस कारण ह्रदय जोर जोर से या अनियमित रूप से धडकना शुरू कर देता हैं| यह समस्या हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नही होती हैं| ऐसी स्थिति में ह्रदय को मजबूत बनाने के लिए अंगूरासव औषधि का प्रयोग करना चाहिए| यह औषधि ह्रदय को मजबूत करती हैं जिससे हार्ट अटैक जैसी समस्याओ की कोई आशंका नही रहती हैं और मनुष्य अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सकता हैं|

रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करें

यह औषधि मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में मदद करती हैं| यह शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालती हैं और मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती हैं| रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के बाद रोगी किसी भी रोग से आसानी से लड़ सकता हैं और अपने जीवन की आयु को अंगूरासव औषधि के माध्यम से बढ़ा सकता हैं|

अंगूरासव औषधि की सेवन विधि और मात्रा (Angoorasava ki sevan vidhi)

         आयु         मात्रा
बच्चो के लिए2.5 से 10 मिलीलीटर
व्यस्क व्यक्तियों के लिए10 से 30 मिलीलीटर
सेवन का सही समयभोजन के बाद
दिन में कितनी बार लेसुबह और शाम
किसके साथ लेगुनगुने जल के साथ
सेवन की अवधिचिकित्सक की सलाहनुसार

अंगूरासव औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Angoorasava ke sevan ki savdhaniyan)

अंगूरासव औषधि की उपलब्धता (Angoorasava ki uplabdhta)

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