दशमूलारिष्ट के फायदे herbal arcade
औषधी दर्शन

दशमूलारिष्ट: आखिर कैसे काम करती हैं दशमूलारिष्ट पूरे 20 रोगों में, जाने अभी यहाँ

दशमूलारिष्ट का परिचय (Introduction of Dashmularishta: Benefits, Doses)

Table of Contents

दशमूलारिष्ट क्या होता हैं?? (Dashmularishta kya hota hai ??)

यह एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं| यह औषधि अरिष्ट विधि द्वारा बनायीं जाती हैं| इस औषधि में अन्य महत्वपूर्ण तत्वों के साथ साथ 10 महत्वपूर्ण तत्वों की जड़े मिलायी जाती हैं|

यह जड़े हैं – बेल, गंभारी , पाटल , अरनी ,अरलू , सरिवन ,पिठवन, बड़ी कटेरी ,छोटी कटेरी और गोखरू | इसी कारण इस औषधि को दशमूलारिष्ट कहा जाता हैं| इस औषधि में कई महत्वपूर्ण जड़ी बूटिया मिलाये जाने के कारण इसके अनेक फायदे बताये गये हैं|

दशमूलारिष्ट औषधि के सेवन से प्रसव के पश्चात आई बुखार का इलाज किया जा सकता हैं| इस औषधि के माध्यम से पाचन तंत्र मजबूत होता हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती हैं| यह औषधि शारीरिक दर्द से भी छुटकारा दिलाती हैं|

इन सबके अतिरिक्त यह औषधि मानसिक तनाव को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं| यह औषधि लगातार हो रहे पीठ दर्द को राहत देने में भी अति उत्तम औषधि मानी जाती हैं|

दशमूलारिष्ट के घटक द्रव्य | (Dashmularishta ke ghatak dravya)

1) बेल की जड़
2) गंभारी की जड़
3) पाटल की जड़
4) अरनी की जड़
5) अरलू की जड़
6) सरिवन की जड़
7) पिठवन की जड़
8) बड़ी कटेरी की जड़
9) छोटी कटेरी की जड़
10) गोखरू की जड़
11) चित्रक छाल
12) पुष्कर मूल
13) लोध्र
14) गिलोय
15) आवंला
16) जवासा
17) खेर की छाल या कत्था
18) विजयसार
19) गुठली रहित बड़ी हरड
20) कूठ
21) मजीठ
22) देवदारु
23) वायविडंग
24) मुलहठी
25) भारंगी
26) कबीट फल का गूदा
27) बहेड़ा
28) पुनर्नता की जड़
29) चव्य
30) जटामासी
31) फूल प्रियंगु
32) सारिवा
33) काला जीरा
34) निशोथ
35) रेणुका बीज (सम्भालू बीज)
36) रास्ना
37) पिप्पली
38) सुपारी
39) कचूर
40) हल्दी
41) सोया (सूवा)
42) पद्म काष्ट
43) नागकेसर
44) नागरमोथा
45) इंद्र जौ
46) काकडासिंगी
47) विदारीकंद
48) मुनक्का
49) शतावरी
50) असगंध
51) वराहीकंद
52) शहद
53) गुड़
54) धाय के फूल
55) शीतल चीनी
56) सुगंध बाला या खस
57) सफ़ेद चन्दन
58) जायफल
59) लौंग
60) दालचीनी
61) इलायची
62) तेजपात
63) पीपल

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दशमूलारिष्ट बनाने की विधि | (Dashmularishta banane ki vidhi)

इस औषधि को बनाने के लिए हमे दो प्रकार के द्रव्य तैयार करने होंगे| सबसे पहले दशमूल से लेकर विराहीकंद तक की सभी औषधियों का मोटा जोकूट कर लें|

अब इन्हें कूट लिए जाने के बाद काढ़ा बनाने के लिए किसी बड़े बर्तन में पानी के साथ धीमी आंच पर छोड़ दे| काढ़ा तब तक तैयार नही हो जाता जब तक डाले गए पानी की मात्रा का चौथा हिस्सा शेष न रह जाएँ|

अब इसी तरह मुनक्का का मिश्रण तैयार करने के लिए उसे अलग से उबाला जाता हैं जब मुनक्का अच्छी तरह से उबल जाता हैं तो काढ़े के ठन्डे होने के बाद उसमे मुनक्का के मिश्रण को भी डाल दिया जाता हैं |

दोनों काढो को मिलाने के बाद अब इसमें शहद और गुड़ डाल कर मिला ले| अब बाकी बची औषधियों का अच्छे से बारीक मिश्रण कर ले| इनका बारीक मिश्रण कर के काढ़े में डाल दें|

अब इसे अच्छे से तब तक हिलाना चाहिए जब तक की डाली गयी बूटियां एक न हो जाये| सबसे अंत में इसमें कस्तूरी डालनी चाहिए | इन सब के बाद अब इसे एक सुरक्षित स्थान पर 30 से 40 दिनों के लिए मिट्टी या लकड़ी के किसी बर्तन में रख दे |

30 से 40 दिनों के भीतर दशमूलारिष्ट औषधि तैयार हो जाती हैं| इन सारी प्रक्रियाओ के बाद यह औषधि एक दम तैयार हैं| अब इसका सेवन किया जा सकता हैं|

दशमूलारिष्ट औषधि के उपयोग और फायदे | (Dashmularishta ke fayde)

दशमूलारिष्ट भूख बढाने में सहायक|

प्रसव के बाद नवजात शिशु की माँ को और बच्चे दोनों को ही पोषण की आवश्यकता होती हैं| परन्तु प्रसव के पश्चात आई कमजोरी के कारण शरीर कमजोर होता चला जाता हैं| इस अवस्था में प्रसूता को भूख ना के बराबर लगती हैं जिससे बच्चे को पूरी तरह से पोषण प्राप्त नही हो पाता है|

यह औषधि भूख बढ़ाने में सहायता करती हैं जिससे प्रसूता अधिक मात्रा में खाना खा सकती हैं और बच्चे को पूरी तरह पोषण मिल पता हैं|

इसके अलावा सामान्य व्यक्ति जिसे भूख कम लगती हो या ना के बराबर लगती हो वोह भी इस औषधि के सेवन अपनी भूख बढ़ा सकता है और एक स्वस्थ और पुष्ट शरीर पा सकता हैं|

प्रसव के पश्चात बुखार को कम करने में सहायक औषधि |

यह औषधि प्रसव के पश्चात आई कमजोरी के कारण बुखार को कम करने में बहुत फायदेमंद साबित होती हैं| नव प्रसूता को कमजोरी के कारण बुखार के अलावा भी अन्य रोग घेर लेते हैं| इस औषधि के सेवन से प्रसूता की बुखार खत्म ही नही होती बल्कि प्रसव के कारण आई थकान और कमजोरी की भी यह औषधि भरपाई कर देती हैं|

नवजात शिशु की माँ को हो रहे शारीरिक दर्द की भी यह सर्वोत्तम औषधि मानी गयी हैं| प्रसव के पश्चात होने वाले अतिसार में भी यह औषधि फायदा देती हैं| प्रसव के तुरंत बाद इस औषधि का सेवन करने से प्रसूता की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती हैं|

पाचन शक्ति को बढाने में मददगार औषधि

यह औषधि पाचन तंत्र को संतुलित करने की बहुत ही बढ़िया औषधि हैं| यह बिना कोई दुष्प्रभाव किये पाचन शक्ति को बढाती हैं| पाचन शक्ति के कम होने पर अपच, गैस जैसी समस्याए हो जाती हैं | कई बार अत्यधिक पीड़ा दायक पेट दर्द से भी गुजरना पड़ सकता हैं| इसी कारण पाचन शक्ति कमजोर नही होनी चाहिए|

यह औषधि पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं| यह औषधि शरीर के भीतर जा कर मंद पाचक अग्नि को बढाती हैं जिस कारण भोजन का पाचन आसानी से होने लगता हैं|

भोजन का पाचन आसानी से हो जाने के कारण अपच और गैस तथा पाचन शक्ति के कमजोर होने के कारण हो रही सारी समस्याए हल हो जाती हैं|

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शारीरिक कमजोरी को करें दूर

यह औषधि बहुत सारी बिमारियों की जड़ो को खत्म करती हैं| यह औषधि शारीरिक ताकत को बढाने में बहुत फायदा पहुचाती हैं| इस औषधि का सेवन करने से व्यक्ति के शरीर की दुर्बलता दूर हो जाती हैं और शरीर एक दम स्वस्थ और सुडोल होने लगता है|

अतः किसी भी व्यक्ति को यदि शारीरिक कमजोरी को दूर करना हो तो उसे दशमूलारिष्ट औषधि का उपयोग करना चाहिए|

शारीरिक कमजोरी किसी भी उम्र में हो सकती हैं| शारीरिक कमजोरी के कई कारण हो सकते हैं जैसे किसी दुर्घटना के कारण अत्यधिक रक्त स्त्राव या किसी और कारण से खून का ज्यादा मात्रा में बह जाना| ऐसी परिस्थितियों में मनुष्य शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता हैं| इसलिए कमजोरी की भरपाई करने हेतु यह औषधि एक कारगर औषधि होती हैं|

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में आसन उपाय

यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो और उसे कई रोग बार बार घेर रहे हो तो ऐसी स्तिथि में व्यक्ति को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास में वृद्धि करनी ही चाहिए|

यह औषधि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए बहुत ही सरल और अचूक उपाय हैं| इस औषधि का सेवन करने से यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती हैं जिससे मनुष्य रोगों से दूर रहता हैं और एक स्वस्थ जीवन जीता हैं|

पीठ दर्द में कमी लाये |

यह औषधि पीठ दर्द कम करने में सहायक होती हैं| एक नव प्रसूता को थकान और कमजोरी के साथ साथ कमर दर्द और पीठ में दर्द और अकडन भी आ जाती हैं| यदि किसी व्यक्ति को चोट के कारण पीठ दर्द होता हैं तो यह औषधि इन दोनों स्तिथियों में असरदार साबित होती हैं| इस औषधि का सेवन करने से पीठ दर्द में आराम मिलता हैं|

दशमूलारिष्ट मानसिक तनाव को कम करे |

आज कल की ज़िन्दगी में व्यक्ति को हर छोटी छोटी चीजों की टेंशन होती रहती हैं जिसके कारण अक्सर लोग चिडचिडापन महसूस करते हैं| यह औषधि स्त्री और पुरुष दोनों पर समान रूप से कार्य करती है| इस औषधि का सेवन करने से यह मानसिक तनाव को कम करती हैं और व्यक्ति को तनावरहित महसूस होता हैं|

त्वचा में सुधार करें |

यह औषधि बहुत सारे अच्छे गुणों से मिलकर बनी हैं जिसमे कई घटक द्रव्य डाले गए हैं| यह औषधि त्वचा को चमकदार बनाती हैं| इस औषधि के माध्यम से त्वचा पर काले दाग और धब्बे साफ़ हो जाते हैं और त्वचा में निखार आता हैं| इसका उपयोग करने से मुहांसे और काले घेरे भी साफ़ हो जाते हैं|

दशमूलारिष्ट संतान प्राप्ति में मददगार |

यह औषधि संतान प्राप्ति में मददगार होती हैं| यह औषधि गर्भाशय के विकार को सही करती हैं| इस औषधि के माध्यम से बार बार हो रहा गर्भपात बंद हो जाता हैं| यह औषधि स्त्रियों के साथ साथ पुरुषो पर भी समान रूप से कार्य करती हैं|

इस औषधि के माध्यम पुरुषो में शुक्राणुओं की कमी दूर होती हैं तथा धातु रोग को रोकने में भी यह औषधि फायदा करती हैं| इस प्रकार इस औषधि के सेवन से पुरुष और स्त्री दोनों ही संतान से वंचित नही रहेंगे|

एनीमिया रोग में असरदार |

यह औषधि एनीमिया रोग अर्थात रक्त की अल्पता को दूर करती हैं और हिमोग्लोबिन के स्तर को बढाती हैं| व्यक्ति में रक्त की कमी किसी भी कारण आ सकती हैं|

यदि रोगी किसी बीमारी से ग्रस्त हो या किसी कारण अत्यधिक रक्त स्त्राव होने से भी रक्त में कमी आ सकती हैं| इस औषधि का सेवन नव प्रसूता को मुख्य रूप से करना चाहिए क्योंकि प्रसव के दौरान खून का खूब स्त्राव हो जाता हैं|

श्वसन सम्बन्धी रोग में सहायक औषधि

यह औषधि श्वसन सम्बंधित समस्याओ में सहायक होती हैं| अस्थमा जैसे रोग को रोकने में भी यह औषधि सहायक होती हैं| यह औषधि खांसी को दूर करने में भी सहायक सिद्ध हुई हैं| जब खांसते समय व्यक्ति का हाल बेहाल हो जाता हैं उसे फेफड़ो में अत्यधिक दर्द होता हैं इस स्तिथि में भी दशमूलारिष्ट औषधि बहुत ही लाभदायक औषधि होती हैं|

दशमूलारिष्ट पीलिया रोग को खत्म करे |

हमारे शरीर लाल रक्त कोशिकाओ के टूटने पर एक पदार्थ उत्पन्न होता हैं जो किसी कारण बाहर नही जा पाता| इस पदार्थ की जब अधिकता हो जाती हैं तो शरीर में पीलिया के लक्षण दिखने लगते हैं| इसे कामला रोग भी कहा जाता हैं| इस रोग में रोगी को बुखार आती हैं , भूख नही लगती हैं , पेशाब और नाखूनों का रंग पिला हो जाता हैं|

ऐसी स्तिथि में रोगी को दशमूलारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| इसके सेवन से पीलिया या कामला रोग का नाश रने में मदद मिलती हैं|

नसों का दर्द कम करे

यह औषधि नसों का दर्द कम करने में सहायक होती हैं| इस औषधि के गुणकारी घटक शरीर में प्रवेश कर के नसों के दर्द को खत्म करती हैं| इस कारण व्यक्ति को जल्द ही आराम मिल जाता हैं|

संग्रहणी रोग में लाभदायक |

इस रोग की स्तिथि में व्यक्ति को बिना दर्द के पतले मल त्यागने पड़ते हैं| जैसे जैसे यह रोग बढता जाता हैं वैसे वैसे रोगी को सायंकाल के भोजन के तुरंत बाद भी यह समस्या आने लगती हैं| इस समस्या का समाधान दशमूलारिष्ट औषधि के माध्यम से किया जा सकता हैं|

अश्मरी रोग को मिटाने में असरदार औषधि

पथरी को अश्मरी रोग कहा जाता हैं| कई बार पथरी का ओपरेशन भी कराना पड़ता हैं परन्तु दशमूलारिष्ट के उपयोग से पथरी छोटे छोटे टुकडो में टूट जाती हैं| इसके पश्चात यह यूरिन के माध्यम से बाहर आ जाती हैं | पथरी के साथ साथ याक मूत्र रोगों का भी नाश कर सकती हैं|

दशमूलारिष्ट गुल्म रोग में कमी करे

मनुष्य के शरीर में नाभि के ऊपर के गोल स्थान होता हैं| जहा वायु जमा हो हो कर पेट में गांठ की तरह उभार बना देती हैं| यह समस्या वात, पित्त और कफ त्रिदोष के कारण उत्पन्न होता हैं| इस समस्या से निकलने के लिए दशमूलारिष्ट सर्वोत्तम औषधि मानी जाती हैं| इसके सेवन से त्रिदोष खत्म हो जाता हैं|

भगंदर रोग को नष्ट करे

भगंदर बहुत पीड़ादायक रोग होता हैं| इस रोग में मरीज के गुदा के अन्दर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता हैं| इसके फूटने पर रक्त बहने लगता हैं| ऐसी स्तिथि में दशमूलारिष्ट औषधि के उपयोग से यह रोगी को राहत देती हैं|

क्षय रोग (टी.बी.) को खत्म करे

यह औषधि टी.बी. जैसी खतरनाक बिमारियों पर भी असरदार होती हैं| इस औषधि का सेवन करने से यह शरीर में हो रहे असंतुलन को खत्म करती हैं और विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालती हैं| जिससे क्षय रोग का भी नाश हो जाता हैं|

कुष्ठ रोग को दूर करने में सहायक |

कुष्ठ रोग एक संक्रमित रोग होता हैं| इसका असर मुख्य रूप से व्यक्ति की त्वचा और आँखों तथा श्वसन तंत्र पर पड़ता हैं| यह रोग जीवाणु के कारण होता है| दशमूलारिष्ट औषधि का सेवन करने से यह कुष्ठ रोग को धीरे धीरे खत्म करने में सहायता देती हैं|

व्यक्ति को युवा बनाये रखे औषधि

इस औषधि में बहुत सारे घटक मिले होते हैं जो व्यक्ति को युवा बनाये रखने में सहायक होते हैं| यह औषधि व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से फुर्तीला बनाये रखती हैं| इस औषधि के माध्यम से व्यक्ति उम्र से कई अधिक युवा लगने लगता हैं|

दशमूलारिष्ट औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Doses of Dashmularishta)

        आयु    मात्रा
    बच्चो के लिए5 से 10 मिलीलीटर
   व्यस्क व्यक्तियों के लिए10 से 25 मिलीलीटर
दिन में कितनी बार लेदिन में दो बार सुबह शाम
सेवन का उचित समयखाना खाने के बाद
किसके साथ लेगुनगुने जल के साथ
सेवन की अवधिचिकित्सक की सलाहनुसार

औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियां (precautions of Dashmularishta)

  1. यदि प्रसूता पित्त प्रधान प्रकृति की हो तो उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए|
  2. इस औषधि को नमी से दूर रखे|
  3. इस औषधि का सेवन जल के साथ ही करे|
  4. गर्भवती महिला को इसका सेवन नही करना चाहिए|
  5. औषधि का सेवन अत्यधिक मात्रा में ना करे|

दशमूलारिष्ट औषधि की उपलब्धता (Availability of Dashmularishta)

1) बैधनाथ दशमूलारिष्ट (BAIDYANATH DASHMULARISHTA)
2) डाबर दशमूलारिष्ट (DABUR DASHMULARISHTA)
3) धूतपापेश्वर दशमूलारिष्ट (DHOOTPAPESHWAR DASHMULARISHTA)
4) दिव्य दशमूलारिष्ट (DIVYA PHARMACY DASHMULARISHTA)

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Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. I will respond to each valuable comment)

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