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बांस (Baans)

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बांस (वंश) का परिचय: (Introduction of Baans)

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बांस क्या है? (Baans kya hai?)

यह एक ऐसी लकड़ी होती है जिससे चटाई, टोपियाँ, बर्तन बेल गाड़ी, सजावटी वस्तु, फर्नीचर आदि| इसके अलावा इसका घर भी बनाया जाता है, जहा भूकंप तथा बाढ़ बार बार आने की आशंका रहती है| इसे धार्मिक कार्यो में भी इसका प्रयोग किया जाता है|  क्या आपको पता है की जिसके बारे में आज आप सुन रहे है वह एक बांस की लकड़ी है|  

और आपको शायद ही पता होगा की इसका प्रयोग एक औषधि के रूप में आयुर्वेद में किया जाता है| इसमे कुछ ऐसे विटामिन पाए जाते है जो आपके शरीर को एक स्वस्थ रखते है| जितना इसे धार्मिक कार्यो में प्रयोग किया जाता है उतना ही इसे रोगो के उपचार के लिए किया जाता है| यह कई रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है|

 क्या आपको पता है यह कफ और पित्त कम करने में सहायता करता है| बांस के फायदे के कारण यह कुष्ठ, घाव या अल्सर, सूजन, मूत्र संबंधी बीमारी, प्रमेह या डायबिटीज, अर्श या पाइलस तथा जलन कम करने में मददगार होता है|

इसके अलावा एसिडिक, रूखा, भारी मूत्र मल को निकालने वाला और यह जलन, रक्तपित्त यानि नाक या कान से खून बहने की बीमारी तथा मूत्र संबंधी बीमारियों में भी फायदेमंद होता है| इसके फायदे यही पर ही समाप्त नही होते है इसके और भी फायदे है| आइये आपको इस औषधि के बारे में विस्तार परिचित करवायेंगे|  

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Baans ki akriti)

शायद आपको पता नहीं कि बांस गर्मी के मौसम में फूलता व फलता है| साल ऋतु में बादलों के तेज गर्जना से बांस के पर्वों में दरारे पड़ जाती है मादा बांस पोला या मुलायम होता है तथा नर बांस ठोस होता है| बांस की कई जातियां ऐसी हैं| उनके जीवन में फूल एक ही बार आते है, फिर यह कुछ दिनों के बाद पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं| कुछ जातियों में फूल प्रति  तीन वर्ष में आता हैं तथा बहुत थोड़ी जाति के बांस ऐसे भी हैं जिनमें प्रतिवर्ष आते रहते हैं|

स्त्री जाति के बांस में एक प्रकार का रस जमकर पोले भाग में इकट्टा होता है उसे ही वंशलोचन कहते है| यह भारत के समस्त मैदानों में पाया जाता है| यह लगभग 20 से 30 मीटर ऊचा होता है| इसके पोले तने गांठे दार व जल्दी से बढ़ने वाले होते है| इसका तना मोटा, पोला चिकना जब यह नया रहता है तब यह हरे रंग का और पुराना होने पर पीला हो जाता है|

इसके पत्ते लम्बे, चौड़े तथा गुच्छों में भालाकर और आगे का भाग नुकीला, हरे रंग के व खुरदरे  होता है| 

इसके फूल अनेक शाखाओं पर लगे हुए सफेद रंग के होते है| इसके फल और बीज एक और से गेहरे तथा नुकीले, लम्बे  होते है| यह दिखने में यव जैसे लगते है| इसलिए इन्हे वंशयव भी कहते है| इसका फूलकाल व फलकाल सितम्बर से अप्रैल तक होता है|

 ऊपर जिस वंश के बारे में बताया गया उसके मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त एक और प्रजाति  स्वर्णवंश, पीतवंश या पिली बाँस पाई जाती है जिसका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है|

Bambusa vulgaris schrad (स्वर्णवंश, पीतवंश)

 यह लगभग 19मीटर तक ऊँचा, मध्यमाकार का होता है| इसका तना पोला या मुलायम तथा पीले रंग का होता है| इसकी पत्तियां भाला के आकार की रेखा की हुई तथा आगे की तरफ पर नुकीली होती है| यह प्रकृति से मीठी, थोड़ी कड़वी और ठंडे तासीर की होती है| यह बुखार के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करती है| इसकी नई शाखाएं तथा जड़ मूत्र संबंधी बीमारी में फायदेमंद होती है| 

Baans tree Herbal Arcade

बांस (वंश ) की प्रजातियाँ ( Baans ki prajatiya)

1 Bambusa vulgaris schrad (स्वर्णवंश, पीतवंश)

बांस के पौषक तत्व (Baans ke poshak tatva)

बांस के सामान्य नाम Herbal Arcade

बांस के सामान्य नाम (Baans common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name) Bambusa bambas
अंग्रेजी (English)Thorny bamboo 
हिंदी (Hindi)बाँस, कांटा बांस;
संस्कृत (Sanskrit)कर्मार, तृणध्वज, शतपर्वा, यवफल, वेणु, मस्कर, तेजन, तुंगा, शुभा, तुगा, किलाटी, पुष्पघातक, बृहत्तृण, तृणकेतुक, कण्टालु, महाबल, दृढ़ग्रन्थि, दृढ़पत्र, धनुर्द्रुम, दृढ़काण्ड, कीचक, कुक्षिरन्ध्र, मृत्युबीज,
अन्य (Other)कॉन्टाबांस  (उत्तराखंड) बेयूदोबांसो (उड़िया ) बांस (उर्दू) काटा (असमिया) बिदीरु  (कन्नड़) वाँस (गुजराती) वेदरू (तेलगु) मुंगिल  (तेमिल) बाँश  (बंगाली) मागे (पंजाबी) बांस  (नेपाली) बांबू  (मराठी) इल्ली (मलयालम)
कुल (Family)Poaceae

बांस के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Baans ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha) त्रिदोषहर (pacifies tridosha)
रस (Taste) मधुर (sweet), कषाय (astringent)
गुण (Qualities) रुक्ष (dry), लघु (light), तीक्ष्ण (strong)
वीर्य (Potency) शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect) मधुर (sweet)
अन्य (Others)कुष्ठघ्न, शोथहर, दीपन, पाचन, कृमिघ्न, ग्राही
Ayurvedic properties of Baans Herbal Arcade

बांस के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Baans ke fayde or upyog)

बवासीर में बांस के उपयोग (Baans for piles)

मधुमेह में (Baans for diabetes)

कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए बांस

भूख को बढ़ाने के लिए (Baans for increase hunger)

रोग प्रतिरोग क्षमता बढ़ाने के लिए (Baans for immunity)

सांस संबंधित समस्या में बांस का प्रयोग करे (Baans for breathing problem)

कान दर्द में

माइग्रेन के दर्द में उपयोगी बांस

मुंह छालो में

गले की सूजन में

फेफड़ो की सूजन में बांस (Baans for lungs inflammation)

मासिक विकार में (Baans for menstrual cycle)

सूखी खांसी में

नकसीर में (Baans for blood bile)

त्वचा के रोग में (Baans for skin disease)

पुराने ज्वर में (Baans for chronic fever)

घाव में

मूत्र रोग में (Baans for urinary disease)

दस्त में (Baans for diarrhea)

बांस के उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Baans)

बांस की सेवन मात्रा (Dosages of Baans)

चिकित्सक के अनुसार

बांस से निर्मित औषधियां

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