कांचनार गुग्गुल का परिचय I(ntroduction of Kanchnar guggul: Benefits, dosage)
यह गुग्गुल आयुर्वेदिक औषधि होती हैं | इसका मुख्य प्रयोग कंठमाला रोग में किया जाता हैं | अर्बुद, गुल्म, कुष्ठ, भगंदर, केंसर जैसे रोगों में भी इस औषधि का प्रयोग लाभदायक होता हैं | वात और कफ कुपित होने के कारण उत्पन्न गांठो को इस औषधि की सहायता से समाप्त किया जा सकता हैं |यह औषधि टेबलेट अर्थात गोलियों के रूप में होती हैं | इन सब के अतिरिक्त भी इसके और कई फायदे हैं | इसका प्रमुख घटक कांचनार की छाल होने के कारण इसे कांचनार गुग्गुल कहा जाता हैं |
कांचनार गुग्गुल के घटक द्रव्य (Kanchnar guggul ke ghatak)
- कंचनार की छाल
- शुद्ध गुग्गुल
- त्रिफला
- त्रिकटु
- वरना की छाल
- इलायची
- दालचीनी
- तेजपात
कांचनार गुग्गुल बनाने की विधि (Kanchnar guggul banane ki vidhi)
कंचनार की छाल को उचित मात्रा में जल के साथ मिला कर इसका काढ़ा बना लें | चौथाई भाग शेष रहने पर इसमें शुद्ध गुग्गुल डाल कर इसमें धीमी आंच पर वापस से पकाएं | गाढ़ा होंने पर त्रिफला, त्रिकटु, वरना की छाल, इलायची, दालचीनी, तेजपात के चूर्ण को मिला कर गोलिया बना लें | अब इन्हें सुखा कर इनका उपयोग किया जा सकता हैं |
कांचनार गुग्गुल के फायदे (Kanchnar guggul ke fayde)
कंठमाला रोग में (in throat disease)
आयुर्वेद में गण्डमाला और अपची के नाम से भी इस रोग को जाना जाता हैं | इन्हें कंठमाला के भेद या अवस्था कहा जा सकता हैं | इस रोग में गले में उपस्थित ग्रंथिया बढ़ कर माला के समान हो जाती हैं इसलिए इसे कंठमाला कहा गया हैं |
गुग्गुल, गंधक और रसौत तीनो को बराबर मात्रा में लेकर जल में पीस कर गण्डमाला पर लेप करने से बहुत लाभ होता हैं | (आयुर्वेद सारसंग्रह)
गांठे उत्पन्न होने के साथ साथ इस रोग में जलन भी होती हैं | गांठो का आकार बढ़ जाने के बाद फूटकर उनसे मवाद भी निकलता हैं |
इस रोग के शुरुआत में ही यदि रोगी को कंचनार गुग्गुल का सेवन कराया जाये तो इससे लाभ मिलता हैं | थायराइड ग्रंथि द्वारा उत्पन्न हार्मोन का असंतुलन होने पर भी यह औषधि लाभ पहुँचाने में सहायक होती हैं |
थायराइड में
कंचनार गुग्गुल थायरायइड ग्रंथि से स्त्रावित होने वाले हार्मोन को नियंत्रित करती हैं और हायपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म जैसी समस्याओं से निकलने में सहायता करती हैं|
अर्बुद (गांठ) में
वात और कफ के कुपित होने से होने वाली गांठो में यह औषधि फायदेमंद होती हैं | गले और नाक के भीतर बढ़ने वाली गांठो में भी यह औषधि काम में ली जाती हैं | कंचनार गुग्गुल के औषधीय गुण गांठो में लाभ पहुंचाते हैं |
गुल्म रोग में (in gum disease)
पेट में वायु का गोला बनने को गुल्म रोग कहते हैं | नाभि के ऊपर स्थित गोले में जब कभी यह वायु का गोला आ कर रुक जाता तो इसे गुल्म रोग कहा जाता हैं | यह रोग वात, पित्त और कफ के कुपित होने के कारण होता है | यह शरीर के और भी हिस्सों पर हो सकता हैं | इस अवस्था में कंचनार गुग्गुल का उपयोग करने करने पर सहायता मिलती हैं |
कुष्ठ रोग में (for leprosy)
यह एक प्रकार का त्वचा रोग होता हैं जो व्यक्ति की आँखों, त्वचा मुख्य रूप से प्रभाव डालता हैं | कंचनार गुग्गुल का प्रयोग करने से इस रोग में लाभ मिलता हैं |
भगंदर रोग में (for fissure)
इस रोग में व्यक्ति के मलद्वार पर फोड़ा बन जाता हैं | इस रोग में गुदा द्वार की नली में घाव हो जाते हैं | घाव होने के बाद इससे मवाद और दूषित खून निकलता हैं जो बहुत पीड़ादायक होता हैं | कंचनार गुग्गुल का प्रयोग करने से भगंदर रोग में लाभ मिलता हैं |
कांचनार गुग्गुल की सेवन विधि (Kanchnar guggul ki sevan vidhi)
- 2 से 4 गोली का सेवन सुबह शाम करना चाहिए |
- इसका सेवन कांचनार की छाल, वरना की छाल, गोरखमुंडी और का क्वाथ बनाकर करना उचित रहता हैं |
- विशेष लाभ न होने पर इसके साथ स्वर्ण भस्म, अष्टमांश रत्ती, और प्रवाल पंचामृत के साथ मिलकर देनी चाहिए |
कांचनार गुग्गुल का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Kanchnar guggul ke sevan ki savdhaniya)
- कंचनार गुग्गुल का सेवन करने पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लें |
- इसे सीधी धुप और रोशनी से दूर रखे |
- इसका प्रयोग भोजन के बाद ही करना चाहिए |
कांचनार गुग्गुल की उपलब्धता (Kanchnar guggul ki uplabdhta)
- दिव्य कांचनार गुग्गुल (DIVYA PHARMACY KANCHNAR GUGGUL)
- डाबर कांचनार गुग्गुल (DABUR KANCHNAR GUGGUL)
- बैधनाथ कांचनार गुग्गुल (BAIDYANATH KANCHNAR GUGGUL)
- धूतपापेशवर कांचनार गुग्गुल (DHOOTPAPESHWAR KANCHNAR GUGGUL)
- झंडू कांचनार गुग्गुल (ZANDU KANCHNAR GUGGUL)
- दीप आयुर्वेदा कांचनार गुग्गुल (DEEP AYURVEDA KANCHNAR GUGGUL)
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