पाठा : Velvet Leaf(Introduction, Benefits and usages)
पाठा का परिचय (Introductuion of Velvet Leaf)
पाठा क्या है? (What is Velvet Leaf?)
सड़कों के किनारे, झाड़ियों के आस पास आसानी से उगने वाला पौधा है पाठा | इसे उगाने की जरुरत नहीं पड़ती| यह अपने आप ही उग जाता है| अधिकतर लोग इसे सिर्फ पहचानते है इसे जानते नहीं है| जो लोग इसके बारे में जानते है वे जरुर इसका सेवन करते है| इसमें इतने सारे औषधीय गुण पाए जाते है जिनके बारे में आप जान कर चौंक जायेंगे| भारत में यह लगभग 2000 मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है| आयुर्वेद के ग्रंथो में इसके बारे में काफी विस्तार से वर्णन मिलता है| आइये आज आपको भी इस औषधि के उन सभी फायदों से परिचित कराते जिन्हें जान कर आप भी इनके लाभ ले सकेंगे|
मुख्य रूप से इसकी दो प्रजातियाँ पायी जाती है-
- Stephania glabra
- Cyclea peltata
पाठा का बाह्य स्वरुप (Morphology of Velvet Leaf)
यह एक लता होती है जो पेड़ों के सहारे ऊपर चढ़ जाती है या जमीन पर फ़ैल जाती है| इसका तना पतला होता है| पत्तों का आकार कुछ गिलोय के पत्तों के सामान होता है| पत्तों को मसलने पर कुछ चिकनाहट महसूस होती है| इसके फूल हरे पीले रंग के तथा एकलिंगी होते है| इसके फल मटर के समान होते है| जब यह कच्ची अवस्था में होते है तो लाल नारंगी तथा पाक जाने के बाद कुछ पीले हरे रंग के दिखाई पड़ते है| इस प्रकार फलों को देखकर ही हम उनकी अवस्था के बारे में पता लगा सकते है| बीज अर्धगोलाकार होते है| इसकी जड़ का रंग हल्का भूरा होता है जो काफी अन्दर तक फैली हुई रहती है| इसके फूल जून से नवम्बर तथा फल अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य होता है|
पाठा के सामान्य नाम (Common names of Velvet Leaf)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Cissampelos pareira |
अंग्रेजी (English) | Velvet leaf, Ice vine, False pareira brava |
हिंदी (Hindi) | पाठा, पाठ, पाढ, पाठी, पाढ़ी, पुरइन पाढ़ी, अकनड़ी |
संस्कृत (Sanskrit) | पीलुफला, अम्बष्ठकी, पाठा, विद्धकर्णी, स्थापनी, श्रेयसी, पापचेली, प्राचीना, अश्मसुता, रसा, पापचेलिका, तिक्तपुष्पा, शिशिरा, वृकी, वृत्तपर्णी, वाटिका, सुस्थिरा, प्रतापिनी, मालती, त्रिशिरा, वीरा |
अन्य (Other) | कनबिन्ध (उड़िया) पडवलि (कन्नड़) वेणीवेल (गुजराती) विशबोदि (तेलुगु) आकनादि (बंगाली) |
कुल (Family) | Menispermaceae |
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पाठा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic properties of Velvet Leaf)
दोष (Dosha) | वात, कफ को संतुलित (Balances vata and kapha) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), |
गुण (Qualities) | लघु (light), तीक्ष्ण |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) |
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पाठा के फायदे (Benefits of Velvet Leaf)
सुखप्रसव हेतु लाभदायक पाठा
- प्रसव के दौरान यदि औषधि की जड़ से बने हुए पेस्ट का लेप योनि में किया जाता है तो इससे प्रसव में आसानी रहती है|
- इसके अलावा औषधि के पत्तों को पीस कर दूध के साथ लेने से भी प्रसव आराम से हो पाता है|
प्रसूता के दूध में वृद्धि करे
- पाठा, सोंठ आदि जैसी क्षीरशोधक औषधियों से बने काढ़े का लगभग 30 ml तक की मात्रा में सेवन करने से पुरानी हो चुकी स्तन्य सम्बन्धी समस्या को भी दूर किया जा सकता है|
दस्त पर रोक लगाये (Velvet Leaf for diarrhea)
- घी से निर्मित पाठा की सब्जी में यदि दही और अनार के रस को डाल कर पिया जाता है तो इससे दस्त का शमन किया जा सकता है|
- भैंस के दूध से बनी हुई छाछ में यदि औषधि के पत्तों से बने हुए पेस्ट को डाल कर पिया जाता है तो इससे भी दस्त में लाभ मिलता है|
- दारुहल्दी, पाठा, अंकोल, मुलेठी आदि के पेस्ट से बनी हुई गोलियों का सेवन करने से आप सभी प्रकार के अतिसार से छुटकारा पा सकते है|
- पाठा, अतीस, कुटज, नागरमोथ, कुटकी, धातकी के फूल, बिल्व के चूर्ण आदि को मिलाकर चावल के धोवन के साथ लेने से सभी प्रकार के दस्त बंद होते है|
मासिकधर्म सम्बन्धी विकारों में (Velvet Leaf for menstrual problems)
- कुटज की छाल, पाठा और त्रिकटु से बने हुए काढ़े को उचित मात्रा में यदि लिया जाता है तो इससे मासिक धर्म से जुड़े हुए कई प्रकार के विकारों का शमन किया जा सकता है|
त्वचा से जुड़े रोगों के लिए (Velvet Leaf for skin disease)
- कई बार घाव हो जाने पर उन्हें ढकना मुश्किल हो जाता है| यदि कोई कपडा या किसी अन्य वस्तु से ढका जाता है तो इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है| ऐसे में यदि इस औषधि के पत्तों से घाव को ढका जाता है तो इससे घाव में संक्रमण भी नहीं होता तथा घाव को ढका भी जा सकता है|
- दाद की समस्या होने पर यदि औषधि की जड़ के चूर्ण में शहद मिला कर लेप किया जाता है तो इससे दाद से छुटकारा मिलता है|
- इस औषधि की जड़ के चूर्ण को चावल के धोवन में मिलाकर यदि लेप किया जाता है तो इससे कुष्ठ रोग को दूर किया जा सकता है|
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जुखाम को दूर करें (Velvet Leaf for cold)
- जुखाम होने पर यदि पाठादि तेल की एक से दो बूंद नाक में डाली जाती हैं तो इससे जुखाम में आराम मिलता है|
प्लीहा विकार को दूर करें (Velvet Leaf for spleen disease)
- चावल के धोवन में औषधि की जड़ के पेस्ट को घोल कर पीने से प्लीहा से जुडी हुई बिमारियों को दूर किया जा सकता है|
लीवर के लिए (Velvet Leaf for liver)
- इस औषधि का सेवन लीवर के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है| यह लीवर की क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है| यदि हमारा लीवर या यकृत सुचारू रूप से कार्य करेगा तो अधिकतर पाचन सम्बन्धी या अन्य बिमारियों का खतरा अपने आप कम होने लगेगा|
बवासीर के लिए (Velvet Leaf for piles)
- बेल फल का गूदा, पाठा को नमक मिली हुई छाछ के साथ लेने से बवासीर में लाभ मिलता है| यदि आप भी बवासीर की समस्या से परेशान है तो इस उपाय को अपना सकते है|
- इसके अलावा आप छाछ में अनार का रस, अजवायन, जीरा, गुड़, सोंठ और पाठा का चूर्ण मिलाकर लेने से भी बवासीर में फायदा मिलता है|
हड्डियों के लिए पाठा (Velvet Leaf for bones)
- हड्डी टूटने पर यदि इस औषधि के पत्तों का लेप किया जाता है तो इससे हड्डी सही रूप से वापस जुड़ जाती है|
सूजन का शमन करें (Velvet Leaf for swelling)
- पंचकोल और पाठा की पेया बनाकर उसे घी या तेल में सेक कर खाने से सूजन को दूर किया जा सकता है|
- सूजन वाले स्थान पर पाठा आदि द्रव्यों से बने पेस्ट से लेप करके भी सूजन से राहत पायी जा सकती है|
माइग्रेन के दर्द में
- यह एक सिर के एक हिस्से को प्रभावित करते हुए होने वाला एक बहुत तेज दर्द होता है| इस औषधि का चूर्ण बनाकर उसे नस्य विधि से लेने पर इस दर्द में आराम मिल सकता है|
मुख से जुड़े रोगों में (Velvet Leaf for mouth problems)
- पाठा, तेजोवती, रसांजन और यवक्षार से बने हुए चूर्ण में मधु मिलाकर गोली बना लें| इन गोलियों को दिन में दो बार मुख में रख कर चूसने से मुख के रोगों को दूर किया जा सकता है|
प्रमेह रोग में
- अमृता और चित्रक से बने हुए काढ़े में पाठा, कुटज, हींग, कुटकी आदि का चूर्ण बना कर सेवन करने से प्रमेह में लाभ मिलता है|
- पाठा, हल्दी, अगरु आदि द्रव्यों से बने काढ़े का सेवन करने से भी प्रमेह रोग में आराम मिलता है|
बुखार को दूर भगाए (Velvet Leaf for fever)
- सुगंधबाला, पाठा और खस के काढ़े का सेवन करने से बुखार में लाभ मिलता है|
- दूध में औषधि की जड़ को पकाकर तीन दिन तक दूध का सेवन करने से ठण्ड लगकर आने वाले बुखार में आराम पाया जा सकता है|
मधुमेह के लिए (Velvet Leaf for diabetes)
- इस औषधि में मधुमेह को हरने वाले गुण पाए जाते है| मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति मधुमेह से आराम पाने के लिए इस औषधि का प्रयोग कर सकते है|
ह्रदय रोगों से बचाव करें (Velvet Leaf for heart disease)
- पाठा में कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के गुण पाए जाते है| इसी कारण यह हमारे ह्रदय को विभिन्न बिमारियों से बचा पाने का कार्य कर सकता है|
पाठा के उपयोगी अंग (Important parts of Velvet Leaf)
- जड़
- पत्ते
- पंचांग
पाठा की सेवन विधि (Dosages of Velvet Leaf)
- चूर्ण – 3 ग्राम तक
- क्वाथ – 20 ml तक