सर्पगंधा घन वटी (Sarpgandha ghan vati)
सर्पगंधा घन वटी का परिचय (Introduction of Sarpgandha ghan vati)
सर्पगंधा घन वटी क्या हैं? (Sarpgandha ghan vati kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि हैं जो मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार के विकारो का शमन करती हैं| ऐसा माना जाता हैं की सर्पगंधा पौधा घर में लगाने से सांप नही आते तथा ऐसा भी माना जाता हैं कि इसका प्रयोग सांप काटने पर भी किया जाता हैं| सर्पगंधा घन वटी औषधि का प्रयोग तंत्रिका तंत्र की समस्या में करने पर मस्तिष्क को आराम मिलता हैं|
इसके अतिरिक्त अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, पागलपन, हिस्टीरिया या अपतंत्रक, मिर्गी या अपस्मार आदि जैसे और भी कई रोगों में इसका सफल उपयोग किया जाता हैं|
कई चिकित्सक भी सर्पिना टेबलेट के नाम से इन्ही गोलियों का उपयोग करते हैं| इस औषधि में स्वेदन अर्थात पसीना लाने वाला गुण उपस्थित होता हैं| यह औषधि तासीर में गर्म होती हैं इसलिए पित्त प्रधान लोगो को इसका सेवन नही करना चाहिए या किसी सौम्य औषधि के साथ ही इसका सेवन करना चाहिए|
सर्पगंधा घन वटी के घटक द्रव्य (Sarpgandha ghan vati ke gatak)
- सर्पगंधा
- खुरासानी
- अजवायन की पट्टी या बीज
- जटामांसी
- भांग का चूर्ण
- पीपलामूल का चूर्ण
सर्पगंधा घन वटी बनाने की विधि (Sarpgandha ghan vati banane ki vidhi)
जटामांसी तक सारी औषधियों को अच्छे से कूट कर उनका चूर्ण बना लें| इसके बाद इन्हें उचित मात्रा में पानी के साथ मंद आंच पर पकाएं| जब डाले गए जल का आँठवा हिस्सा शेष रह जाये तो इसे ठंडा होने दें| ठंडा होने पर इसे दो बार छानकर फिर से उस फोक में उतना ही जल डाल कर पका कर दो बार छानकर दोनों बार छाने जल को मंद आंच पर पकाएं| जब यह गाढ़ा हो जाये तो इसे धूप में सुखा दें|
जब यह गोली बनाने लायक हो जाये तो उसमे भांग मिला कर गोलियां बना कर सुखा ले|
सर्पगंधा घन वटी के फायदे (Sarpgandha ghan vati ke fayde)
उन्माद में
यह मस्तिष्क से जुड़ा हुआ ही एक रोग हैं | इसका मुख्य कारण मस्तिष्क में होने वाली विकृति हैं | इसके अलावा मानसिक चिंता, दुख, शोक, भय, किसी काम में दिन रात लगे रहना, गाँजा, भांग, शराब का अधिक सेवन करना, अति स्त्री प्रसंग और माथे में चोट लगना आदि इसके कारण हो सकते हैं |
कभी कभी शरीर में पित्त की अचानक वृद्धि हो जाने पर शरीर में गर्मी अधिक हो जाती हैं इससे यह गर्मी मस्तिष्क की और जा कर वहां की नसों को कमजोर बना देती हैं | इस रोग में रोगी का व्यवहार कभी बहुत अच्छा तो दूसरे ही पल ख़राब हो जाता हैं|
ऐसी अवस्था में यदि इस औषधि का प्रयोग किया जाता हैं तो परिणाम लाभदायक होते हैं|
अनिद्रा में (For insomnia)
किसी भी प्रकार के मानसिक विकार में नींद ना आना या निद्रा में कमी हो जाना एक मुख्य लक्षण होता हैं| कभी कभी अधिक तनाव के कारण भी अनिद्रा की समस्या आती हैं| इस औषधि का उपयोग करने से मस्तिष्क को आराम मिलता हैं और नींद भी अच्छी आती हैं|
उच्च रक्तचाप में (For high blood pressure)
कई लोगो को उच्च रक्तचाप या हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत होती हैं जो कि अब एक आम बात हो गयी हैं| दिन में कई बार रक्त चाप ऊपर नीचे होता रहता हैं परन्तु जब इसका अन्तराल बढ़ जाये अर्थात यह अधिक समय तक होने लगे तो उच्चरक्तचाप की समस्या आती हैं| यह समस्या ह्रदय के लिए ही नही बल्कि मस्तिष्क के लिए भी घातक साबित होती हैं|
इस औषधि का उपयोग उच्चरक्तचाप में किया जाता हैं| यह औषधि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में बहुत अधिक लाभदायक होती हैं|
अपतंत्रक या हिस्टीरिया
हिस्टीरिया रोग को आयुर्वेद में गर्भाशायोंन्माद कहा जाता हैं | आयुर्वेद के अनुसार यह रोग नव युवतियों में संभोग की इच्छा तृप्ति ना होने पर सामान्य या अधिकतर होता हैं | जो युवतियां अधिक चंचल, ज्यादा गुस्से वाली तथा कम सहन शक्ति वाली होती हैं उन पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता हैं |
इसके अतिरिक्त अधिक चिंता करना, मानसिक चोट, प्रसव रोग, मासिक धर्म की गड़बड़ी भी इस रोग के कारण हो सकते हैं| इस रोग से इस औषधि का उपयोग करने से इस रोग में लाभ मिलता हैं|
अपस्मार या मिर्गी में (For Epilepsy)
यह तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हुआ रोग होता हैं जिसमे व्यक्ति अपने आप के शरीर से नियंत्रण खो बैठता हैं| इसे आयुर्वेद में अपस्मार भी कहा जाता हैं| इस रोग का शमन करने के लिए यह औषधि उत्तम होती हैं क्योंकि यह सभी मानसिक या तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोगों का नाश करती हैं|
सर्पगंधा घन वटी के अन्य फायदे (Other benefits of Sarpgandha ghan vati)
- धमनियों को सख्त होने से बचाएं
- उदर रोगों में
- मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में
- काली खांसी में
- कीट के काटने पर
- वात और कफ को घटाये
- पित्त को बढ़ाये
- वृक्क विकार में
- मूत्र और मलावरोध में
- रक्त के दबाव में कमी करे
सर्पगंधा घन वटी की सेवन विधि (Sarpgandha ghan vati ki sevan vidhi)
- 1 से 2 गोली का सेवन रात में सोते समय जल के साथ करना चाहिए|
- पित्त प्रधान लोगो को जल के स्थान पर दूध का उपयोग करना चाहिए|
सर्पगंधा घन वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Sarpgandha ghan vati ke sevan ki savdhaniya)
- इस औषधि का सेवन बिना किसी चिकित्सक की सलाह के नही करना चाहिए |
- गर्भवती महिला को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए |
- जीर्ण रोगी इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक को रोग की जीर्णता के बारे में पूरी जानकारी दें |
- औषधि का सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए |
- पित्त प्रधान लोगो को पित्त शामक औषधि के साथ इसका प्रयोग करना चाहिए|
- इसमें भांग मिली होती हैं जो कि एक नशीला पदार्थ होता हैं इसी कारण इस औषधि का सेवन अधिक समय तक ना करें|
सर्पगंधा घन वटी की उपलब्धता (Sarpgandha ghan vati ki uplabdhta)
- बैधनाथ सर्पगंधा घन वटी (Baidyanath Sarpgandha ghan vati)
- ऊंझा सर्पगंधा घन वटी (Unjha Sarpgandha ghan vati)
- डाबर सर्पगंधा घन वटी (Dabur Sarpgandha ghan vati)
- झंडू सर्पगंधा घन वटी (Zandu Sarpgandha ghan vati)
Read more Articles