अग्नितुण्डी वटी (Agnitundi vati)
अग्नितुण्डी वटी का परिचय (Introduction of Agnitundi vati)
अग्नितुण्डी वटी क्या है? (Agnitundi vati kya hai?)
यह पाचन से जुडी छोटी से लेकर बड़ी हर एक समस्या को समाप्त करने में कारगर औषधि हैं| अग्नितुण्डी वटी के औषधीय गुण पाचक अग्नि को तीव्र कर कब्ज़, गैस बनना, मंद पाचक अग्नि, आफरा, शूल, अजीर्ण आदि समस्याओं का समाधान करते हैं|
इसके अतिरिक्त पागल कुत्ते के काटने पर उत्पन्न होने वाला विष, ह्रदयरोग, स्वप्नदोष, वातरोग, आमवात, पेट में कीड़े, मस्तिष्क को मजबूत बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता हैं| यहाँ तक की पक्षाघात की जीर्णावस्था में भी इसका उपयोग किया जाता हैं|
अग्नितुण्डी वटी के घटक द्रव्य (Agnitundi vati ke gatak dravya)
- शुद्ध पारा
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध बच्छ्नाभ
- हरड
- बहेड़ा
- आंवला
- सज्जीखार
- जवाखार
- चीतामूल
- सैंधा नमक
- जीरा
- अजमोद
- समुद्र नमक
- वायविडंग
- काला नमक
- सोंठ
- काली मिर्च
- पीपल
- शुद्ध कुचला
- निम्बू का रस
अग्नितुण्डी वटी बनाने की विधि (Agnitundi vati banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने के लिए सारी औषधियों को अच्छे से मिला लें| इसके बाद निम्बू के रस में खरल कर के उचित मात्रा में गोलियां बना कर सुखा लें|
अग्नितुण्डी वटी के फायदे (Agnitundi vati ke fayde)
पाचन तंत्र के विकार में (For digestion disorder)
पाचक अग्नि मंद हो जाने के कारण मन्दाग्नि, आफरा, पेट में दर्द, अजीर्ण, कब्ज़, गैस की समस्या जैसी और भी कई समस्याओं में यदि इस औषधि का सेवन किया जाता हैं तो इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता हैं| यह औषधि मुख्य रूप से पाचन तंत्र पर कार्य करती हैं|
इसी के विपरीत यदि कोई व्यक्ति अतिसार, संग्रहणी जैसे रोगों से परेशान हो तो वह भी इसका सेवन कर सकता हैं|
स्वप्नदोष में
इसे नाईट फॉल की समस्या भी कहा जाता हैं| इसमें पुरुषों को सोते सोते अचानक ही वीर्यपात की समस्या होने लगती हैं| यह एक गंभीर समस्या होती हैं | इस समस्या को खत्म करने के लिए अग्नितुण्डी वटी उत्तम औषधि होती हैं|
आमवात में
जब व्यक्ति की पाचक अग्नि मंद हो जाती हैं तो भोजन का पाचन सही तरह से नही हो पाता हैं | यह अपक्व भोजन शरीर में पड़ा सड़ने लगता हैं जिसे आम या एक प्रकार का विष कहा जाता हैं | यह आम जब शरीर की वायु और रक्त में मिल जाता है तो शरीर के जोड़ो में जलन, सूजन, दर्द जैसी स्थिति पैदा करता हैं |
इसी के कारण जोड़ो में दर्द बना रहता हैं | इस औषधि का सेवन करने से यह पाचक अग्नि को तीव्र करती हैं जिससे शरीर में भोजन का पाचन सही तरह से होता हैं और आम का निर्माण नही होता हैं |
अग्नितुण्डी वटी के अन्य फायदे (Other benefits of Agnitundi vati)
- दुर्बलता में
- ह्रदयरोग में
- वातरोग में
- परिणामशूल में
- पक्षाघात में
- मस्तिष्क को मजबूत बनाये
- कृमियों का नाश करें
- पागल कुत्ते के विष की समाप्ति
- भूख बढ़ाये
- कमजोरी मिटायें
अग्नितुण्डी वटी की सेवन विधि (Agnitundi vati ki sevan vidhi)
- 1 से 2 गोली का सेवन दिन में 2 बार जल के साथ करें|
अग्नितुण्डी वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Agnitundi vati ke sevan ki savdhaniya)
- गर्भवती महिला को इसके सेवन से बचना चाहिए|
- बच्चो की पहुँच से इसे दूर रखना चाहिए|
- उच्चरक्तचाप वाले रोगी को इसका सेवन नही करना चाहिए|
अग्नितुण्डी वटी की उपलब्धता (Agnitundi vati ki uplabdhta)
- बैधनाथ अग्नितुण्डी वटी (Baidyanath Agnitundi vati)
- धूतपापेश्वर अग्नितुंडी वटी (Dhootpapeshwar Agnitundi vati)
- दीप आयुर्वेदा अग्नितुंडी वटी (Deep Ayurveda Agnitundi vati)
- डाबर अग्नितुंडी वटी (Dabur Agnitundi vati)
- उंझा अग्नितुंडी वटी (Unjha Agnitundi vati)
- बेसिक आयुर्वेदा अग्नितुंडी वटी (Basic Ayurveda Agnitundi vati)
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