कंकायन गुटिका (गुल्म): (Kankayan gutika)
कंकायन गुटिका (गुल्म) का परिचय (Introduction of Kankayan gutika)
कंकायन गुटिका क्या है? (Kankayan gutika kya hai?)
गुल्म रोग को समाप्त करने वाली यह एक कारगर आयुर्वेदिक औषधि हैं| कंकायन गुटिका का सेवन करने से सभी प्रकार के गुल्म रोगों का नाश होता हैं| इसके साथ ही यह अर्श रोग में भी लाभ करती हैं| आयुर्वेद में 5 प्रकार के गुल्म रोग बताये गए हैं उन सभी को इस औषधि का सेवन करके समाप्त किया जा सकता हैं|
गुल्म रोग कई जगह हो सकता हैं जैसे बायीं कोख, दाई कोख, ह्रदय, नाभि के ऊपर, मूत्राशय आदि| आज इस लेख में गुल्म रोग और इसे ठीक करने के उपाय और औषधि के बारे में विस्तार से बताया गया हैं|
कंकायन गुटिका के घटक द्रव्य (Kankayan gutika ke gatak dravya)
- कचूर
- पोहकरमूल
- दंती
- चीता अरहर की जड़
- अदरक
- बच
- निशोथ
- हींग
- जवाखार
- अम्लवेत
- अजवायन
- जीरा
- कालीमिर्च
- धनियाँ
- कलौंजी
- अजमोद
- बिजौरा निम्बू का रस
कंकायन गुटिका बनाने की विधि (Kankayan gutika banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने के लिए सारी औषधियों को अच्छे से साफ़ कर के इन सबका चूर्ण बना लें| अब इस चूर्ण को बिजौरा निम्बू के रस में घोंटकर गोलियां बना लें|
कंकायन गुटिका के फायदे (Kankayan gutika ke fayde)
गुल्म रोग में (In Gum disease)
इस रोग में भिन्न स्थानों पर वायु भर जाने के कारण उस स्थान पर उभार आ जाता हैं| इससे दर्द जैसी और भी तकलीफे आती हैं|
इस का सेवन करने से सभी प्रकार के गुल्म रोग का सदैव के लिए नाश हो जाता हैं| यह रोग शरीर के अलग अलग भागो में होता हैं क्योंकि इस रोग के भी 5 प्रकार हैं-
वातज गुल्म
गुल्म रोग यदि वात के कारण हुआ हैं तो यह आपके वस्ति प्रदेश, ह्रदय और पार्श्व जैसे स्थानों पर हो सकता हैं|
वातज गुल्म के कारण
- रुखा- सूखा भोजन करना
- अधिक काम करना
- प्राकृतिक वेगो को रोकना
- शोक
- चोट आदि|
वातज गुल्म के लक्षण
- कम मात्रा में खाना खाना
- गला और मुख सूखा रहना
- त्वचा का लाल या काला पड़ना
- शीत ज्वर होना
- ह्रदय में दर्द
- पसलियों में दर्द
- सिर और कंधो के आसपास पीड़ा होना आदि|
पित्तज गुल्म
पित्त दूषित होने के कारण होने वाले गुल्म रोग को पित्तज गुल्म कहा जाता हैं|
पित्तज गुल्म के कारण
- अधिक कडवे, खट्टे, अधिक रुखा भोजन करना
- अधिक गुस्सा करना
- शराब पीना
- अधिक धूप में रहना
- पाचक अग्नि मंद होना
- रक्त में आम दोष मिलने के कारण
पित्तज गुल्म के लक्षण
- बुखार
- अधिक प्यास लगना
- पेट में दर्द
- पसीना अधिक आना
- जलन
- पीड़ा होना आदि|
कफज गुल्म में
कफ के कुपित होने के कारण होने वाले गुल्म को कफज गुल्म कहा जाता हैं|
कफज गुल्म के कारण
- ठन्डे पदार्थो का सेवन
- अधिक भारी भोजन करना
- अधिक तेल युक्त भोजन
- परिश्रम ना करना
- दिन में सोना आदि|
कफज गुल्म के लक्षण
- खांसी
- जी मिचलाना
- शरीर ठंडा पड़ना
- गुल्म का उभरा होना
- शीत ज्वर आदि|
सन्निपात गुल्म
त्रिदोषो के बिगड़ने पर उत्पन्न गुल्म को सन्निपात गुल्म कहा जाता हैं|
सन्निपात गुल्म के लक्षण
- बहुत तेज दर्द होना
- जलन होना
- गर्मी लगना आदि|
रक्त विकार के कारण होने वाला गुल्म
रक्त गुल्म के लक्षण
- नवप्रसूता द्वारा प्रतिकूल भोजन का सेवन करना
- मासिक धर्म के दौरान अहितकर भोजन का सेवन
- गर्भ स्त्राव होने के बाद आदि
कंकायन गुटिका के अन्य फायदे (Other benefits of Kankayan gutika)
- अर्श रोग में
- ह्रदय रोग में
कंकायन गुटिका की सेवन विधि (Kankayan gutika ki sevan vidhi)
- 1 से 2 गोली का सेवन, वातज गुल्म में अम्लरस के साथ
- पित्तज गुल्म में गाय के दूध के साथ
- कफज गुल्म में गोमूत्र के साथ
- सन्निपात में त्रिफलाक्वाथ के साथ
- रक्तज गुल्म में ऊँटनी के दूध के साथ लें|
कंकायन गुटिका का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Kankayan gutika ke sevan ki savdhaniya)
- इस औषधि का सेवन बिना किसी चिकित्सक की सलाह के नही करना चाहिए |
- गर्भवती महिला को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए |
- जीर्ण रोगी इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक को रोग की जीर्णता के बारे में पूरी जानकारी दें |
- औषधि का सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए |
कंकायन गुटिका की उपलब्धता (Kankayan gutika ki uplabdhta)
- डाबर कंकायण गुटिका (Dabur Kankayan gutika)
- दीप आयुर्वेदा कंकायण गुटिका (Deep Ayurveda Kankayan gutika)
- बैधनाथ कंकायण गुटिका (Baidynath Kankayan gutika)
- कलेडा कंकायण गुटिका (Kaleda Kankayan gutika)
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