Rohida
रोहिडा का परिचय: (Introduction of Rohida)
रोहिडा क्या है? (What is Rohida)
विश्व में सभी देशो के अलग – अलग प्रतीक है इसी प्रकार भारत के एक राज्य राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिडा है| राज्य पुष्प होने के साथ – साथ ही इसका उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेद द्वारा रोगो के उपचार में होता आ रहा है|
क्या आपको पता है की इस रोहिडा का उपयोग लीवर से संबंधित रोगो से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है| यह लीवर के रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है| ऐसा कहा जाता है की यह लीवर के लिए प्रकृति का वरदान है| जो लीवर रोगो के लिए प्रयोग किया जाता है|
आपने आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी औषधियों नाम सुना होगा पर कभी इस औषधि के बारे में सुना है की यह लीवर के लिए बहुत ही महत्चपूर्ण औषधि है| लीवर के अलावा भी इसके बहुत ही फायदे है| यह उपदंश, पेट के रोग, कान के रोग, आँखों के रोगो में इसका प्रयोग किया जाता है| इसे रोहितक (रक्त पुष्प वाला), दाड़िमपुष्पक (अनार की तरह पुष्प), प्लीहाशत्रु (प्लीहावृद्धि को कम करने वाला ), दाड़िमच्छद; (अनार की तरह पतली लम्बी पत्तियां) आदि नामों से भी जाना जाता है|
इसके अलावा भी इसके औषधीय फायदों से कब्ज, घाव, एनीमिया, मूत्र विकार, पीलिया तथा बवासीर, पेट के कीड़ो में, सफेद प्रदर आदि से छुटकारा पाने के लिए रोहिडा का प्रयोग किया जाता है| इसके फायदे यही पर ही समाप्त नही होते इसके फायदे और भी है जिसके बारे में आप आपको विस्तार से परिचित करवायंगे| आइये जानते है की इस रोहिडा का प्रयोग किन – किन बीमारी में लिया जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Rohida ki akriti)
यह भारत के शुष्क प्रदेशो में पाया जाता है| ह्रदय रोग व आँखों के रोग में इसका प्रयोग किया जाता है| इसके फूल अनार के फूल जैसे होते है, इसलिए इसे दाडीम पुष्प भी कहते है| इसके फूल की छाल लाल होती है इसलिए इसे लाल फूल भी कहते है|
इसका पेड़ सीधा 3 से 4 मीटर ऊँचा तथा मध्यम आकार का होता है| इसके तने की छाल मोटी, कुछ मुड़ी हुई, बाहर से खुरदरी तथा धूसर रंग की होती है| इसके पत्ते सरल विपरीत दिशा में फैले हुए तथा चौड़े, आयताकार, भालाकर, अनार के पत्तो जैसे चमकीले होते है| इसके फूल नारंगी रंग के होते है| इसकी फलिया लम्बी, चौड़ी, पतली, मुड़ी हुई होती है| इसके बीज चौड़े होते है| इसका फूलकाल व फलकाल जनवरी से जून तक होता है|

रोहिडा के सामान्य नाम (Rohida common names)
Botanical name (Botanical Name | Tecomella undulata |
English (English) | Rohida tree |
Hindi (Hindi) | रोहेडा, रोहिड़ा, अरूआर; |
Sanskrit (Sanskrit) | रोहितक, रक्तघ्न, रोहित, दाड़िमपुष्पक, प्लीहाशत्रु, दाड़िमच्छद; |
Other (Others) | रोहड़ो (गुजराती) रोहितक (नेपाली) रोहिरा (पंजाबी) रोहिड़ा (मराठी) |
Total (Family) | Bignoniaceae |
रोहिडा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Rohida Ayurvedic properties)
Shortcoming (Dosha) | pacifies cough and pitta |
Juice (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter), कषाय (ast.) |
Property (Qualities) | Laghu (light), Ruksha (dry) |
Semen (Potency) | cold |
Vipak(Post Digestion Effect) | pungent |
Other (Others) | चक्षुष्य, व्रणरोपण, दीपन, अनुलोमन |

रोहिडा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Rohida its benefits and uses)
तिल्ली की वृद्धि में उपयोगी रोहिडा (Rohida for spleen)
- यदि कोई भी व्यक्ति तिल्ली वृद्धि के कारण परेशान है तो रोहिडा की पतली लता की शाखाओ की छोटी – छोटी टुकडियो का काढ़ा बनाकर तथा गाय के मूत्र में डालकर मसलकर कपड़े से छानकर पिने से समस्त तिल्ली के विकारो का शमन होता है| इसके साथ पेट के रोग, पेट के कीड़े, पीलिया, गुल्म रोग, प्रमेह, बवासीर, आदि रोगो में लाभ होता है| इसके काढ़े को कुछ दिनों तक प्रतिदिन पीना चहिए|
In inflammation (Rohida for swelling)
- यदि आपके शरीर पर किसी अंग पर चोट लगने के कारण सूजन आ गई है तो रोहिडा छाल का प्रयोग करके सूजन का शमन कर सकते है|
In case of water retention in the stomach रोहिडा
- यदि आपके किसी बीमारी या किसी अन्य कारण से पेट में आपकी भर गया है तो आपको रोहिडा का उपयोग करना चहिए|
कफ जन्य प्रमेह में
- यदि कफ की समस्या है तो बराबर मात्रा में कम्पील्लक, सप्तपर्ण , शाल, विभीतक, रोहिडा, कुटज तथा कपित्थ के फूलो के चूर्ण को मधु में मिलाकर सेवन करने से कफ तथा पितज प्रमेह में लाभ होता है|
in anorexia रोहिडा
- अगर किसी को लम्बी बीमारी के चलते भोजन करने के इच्छा नही हो रही है तो वह रोहिडा का उपयोग कर सकते है| यह भोजन की रूचि को बढ़ाने से लिए एक महत्वपूर्ण औषधि है|
In Diarrhea (Rohida for diarrhea)
- यदि आपके खान पान की गडबडी के कारण आपको दस्त की समस्या हो गई है तो इसे राहत पाने के लिए रोहिडा के फूल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से दस्त में लाभ होता है|
in the white water
- अक्सर महिलाए योनि से निकलने वाले बदबूदार पानी के कारण बहुत ही परेशान रहती है| यदि आप भी इस समस्या से परेशान है तो रोहिडा की जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से सफेद पानी में लाभ होता है|
In syphilis रोहिडा
- यह एक योनि संक्रमित रोग है जिससे कई व्यक्ति परेशान रहता इसे छुटकारा पाने के लिए रोहिडा की छोटी – छोटी टहनियों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से उपदंश में लाभ होता है|
कुष्ठ रोग से छुटकारा पाने के लिए (Rohida for leprosy)
- यदि आप कुष्ठ रोग से ग्रस्त है तो इसे छुट पाने के लिए रोहिडा का काढ़ा बनाकर नहाने से कुष्ठ रोग का शमन होता है|
रोहिडा के अन्य फायदे (Other benefits of Rohida)
- रोहिडा के बीज का उपयोग आँखों के रोग, घाव, रक्त विकार, कान के विकार में किया जाता है|
- इसके तने की छाल का उपयोग पेट के कीड़ो, उपदंश, लीवर, त्वचा के रोग, पांडू रोग, पीलिया मूत्र के रोग, बवासीर आदि में किया जाता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Rohida)
- Root
- शाखा
- root bark
- Flower
सेवन मात्रा (Dosages of Rohida)
- क्वाथ – 10 से 15 मिली या चिकित्सक के अनुसार ही इसका औषधि उपयोग करे|
रोहिडा medicines made from
- Rohitkarishta
- रोहितक चूर्ण
- रोहितक घृत
- रोहितकलौह