Shikakai
शिकाकाई का परिचय: (Introduction of Shikakai)
शिकाकाई क्या है? (What is Shikakai?)
यह एक ऐसी औषधि है जिसका आमतौर पर शिकाकाई जैसे जड़ी बूटी का उपयोग बाल और त्वचा के इस्तेमाल के लिए सबसे अच्छा माना जाता है| क्योंकि दादी – नानी के जमाने से बालों को रेशम जैसा काला घना बनाने के लिए शिकाकाई का इस्तेमाल किया जाता रहा है|
वैसे तो शिकाकाई बाजार में कई रुपों में पाया जाता है, जैसे- शिकाकाई साबुन, आयल, शैम्पू, पाउडर| यहां तक कि शिकाकाई का प्रयोग कपड़े धोने के लिए भी किया जाता है| शिकाकाई एक ऐसी जड़ी – बूटी है जिसका उपयोग केवल बालो या त्वचा के लिए ही नही किया जाता है यह ह्रदय की बीमारी को नष्ट करने के लिए और भूख बढ़ाने में भी सहायता करता है|
इसके अलावा यह साथ शिकाकाई का फल कुष्ठ रोग, पेट संबंधित समसमस्या,किडनी की बीमारी खुनी बवासीर और खुजली के लिए भी फायदेमंद होता है| आइये जानते है की और किन – किन बीमारी में इसका प्रयोग किया जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Shikakai ki akriti)
यह जल्दी से बढने वाला पौधा होता है| यह छोटे – छोटे कांटो से भरा हुआ होता है| इसकी शाखाये भूरे रंग की होती है| इसके पत्ते बबूल या इमली के पत्तो के समान हरे रंग होते है| इसके फूल गोलाकार पीले रंग के होते है| इसकी फली मांसल, पट्टी के आकार की, सीधी, लम्बी तथा चौड़ी होती है| कच्ची अवस्था में यह हरी तथा सूखे अवस्था में झुर्रीदार होती है| बीज संख्या में 6-10 होते हैं|
शिकाकाई के पौषक तत्व (Shikakai ke poshak tatva)
- विटामिन A, C, K, D

शिकाकाई के सामान्य नाम (Shikakai common names)
Botanical name (Botanical Name | Acacia rugata |
English (English) | Soap pod |
Hindi (Hindi) | रीठा, शिकाकाई, कोचि |
Sanskrit (Sanskrit) | सप्तला, केश्या, चर्मकषा |
Other (Others) | विमला (उड़िया) शिकाकाई (उर्दू) शीकायी (कोंकणी) शीघ्रे (कन्नड़) रीठा (रीठा) चिकेइक्केई (तमिल) सिकाया (तेलगु) बनरीठा (बंगाली) सिकाकाई (नेपाली) शिकेकाई (मराठी) शिकाई (मलयालम) |
Total (Family) | Mimosa |
शिकाकाई के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Shikakai Ayurvedic properties)
Shortcoming (Dosha) | वातवर्धक (Increase vata) |
Juice (Taste) | bitter |
Property (Qualities) | Small (light) |
Semen (Potency) | cold |
Vipak(Post Digestion Effect) | pungent |
Other (Others) | केश्य, व्रणरोपण, त्वग्दोषहर |

शिकाकाई के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Shikakai its benefits and uses)
बालों को बेहतर बनाये (Shikakai for hairs)
- अगर आपके बाल रूखे हैं और अक्सर उलझ जाते हैं, तो सप्तला या शिकाकाई आपके बालो की केयर रूटीन का हिस्सा होना चाहिए| शिकाकाई बालों को मुलायम बनाता है जिसके कारण बाल आसानी से सुलझ जाते हैं| यही नहीं, सुलझे कोमल बाल कम टूटते हैं, जिससे आपको बालों के टूटने की शिकायत भी नहीं होगी|
- शिकाकाई अपने गुण के कारण बालों की चमक को बढ़ाने में सहायक होता है| इसके प्रयोग से बालों से गन्दगी और पसीने को दूर करने में सहयोग मिलता है जिससे बालों की चमक बढ़ती है|
- बालो को साफ़ और मजबूत बनाने के लिए सप्तला एक अचूक साधन है| सप्तला बालों और सिर की अच्छी प्रकार से सफाई कर उनको जड़ों से मजबूती प्रदान करता है क्योकि इसमें शोधन का गुण पाया जाता है|
घाव को भरे (Shikakai for wound)
- सप्तला के रोपण गुण के कारण यह घाव को जल्दी भरने में सहायता करता है| घाव के स्थान पर यदि किसी प्रकार का सूजन या जलन हो तो यह अपने शीत गुण के कारण उस स्थान पर ठंडक प्रदान कर उसे ठीक करने में भी यह सहायता करता है|
पीलिया से राहत पाने के लिए ( Shikakai for jaundice)
- पीलिया होने पर उल्टी और बुखार होना आम बात होती है| सप्तला का सेवन करने से पीलिया और बुखार में आराम होता है| सप्तला फलियों का काढ़ा बनाकर, काढ़ा का सेवन कराने से उल्टी होना कम होता है साथ ही बुखार और पीलिया यानि कामला में लाभ मिलता है|
खांसी से राहत पाने के लिए ( Shikakai for cough)
- अक्सर मौसम के बदलने के कारण कफ और खांसी होना आम बात होता है| सप्तला के फायदे लेकर खाँसी से राहत पा सकते हैं| सप्तला की फलियों का पेस्ट बनाकर पेस्ट का सेवन करने से सांस तथा खांसी में लाभ होता है|
In dry cough
- सूखी खाँसी होने पर खाँस- खाँसकर हालत खराब होती है| तो सप्तला की फलियों का सेवन करने से सूखी खाँसी से जल्दी आराम मिलता है, जल्दी से इस खांसी का शमन हो जाता है|

पेट फूलने की समस्या में
- अक्सर ठीक समय पर भोजन नही करने से या मसालेदार खाने की वजह से पेट फूल जाता है| इससे निजात पाने के लिए सप्तला के पत्तों को पीसकर गुनगुना करके पेट में लगाने से पेट की गैस निकल जाता है और आराम मिलती है|
तिल्ली के विकार ( Shikakai for spleen disease)
- तिल्ली के विकार के कारण लीवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है| ये बीमारी बहुत ही दुर्लभ है| इस बीमारी में शिकाकाई के पत्ते बहुत फायदेमंद होते हैं| सप्तला के कोमल पत्तों का काढ़ा बनाकर पिने से तिल्ली के विकार में लाभ होता है|
त्वचा के विकार को दूर करे (Shikakai for skin disease)
- सप्तला जितना बालो के लिए लाभकारी है उतना ही यह त्वचा संबंधित रोग में भी लाभ कारी है| शिकाकाई के फल को पीसकर त्वचा पर लगाने से आराम मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Shikakai)
- pods
- leaf
सेवन मात्रा (Dosages of Shikakai)
- क्वाथ –10 से 30 मिली