अरलु :Arlu(Introduction, Benefits, Usages)
अरलु का परिचय: (Introduction of Arlu)
अरलु क्या है? (What is Arlu?)
यह एक वृक्ष है जिसे आयुर्वेद में रोगों का शमन करने के लिए काम में लिया जाता है| भारत में अरलु का पेड़ आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार जैसे राज्यों में बहुलता के साथ पाया जाता है| इस औषधि की दो प्रजातियाँ होती है तथा दोनों को ही रोगों के उपचार में पर्योग किया जाता है|
अरलु कफ और पित्त को शांत करने वाला होता है| इसी कारण यह कफऔर पित्त से जुड़े सारे रोगों को तो नष्ट करता ही है इसके अलावा भी यह वात रोगों का भी शमन करता है|
साधारण सा दिखने वाला यह वृक्ष अपने अन्दर कई अच्छे औषधीय गुण समाहित करे होता है| यदि आप भी इसके गुणों और प्रभावों से अनजान है और उन्हें जानना चाहते है तो इस लेख को विस्तार से पढ़ें| आइये आपको परिचित कराते है इस दिव्य औषधि से|
अरलु की प्रजातियाँ (Species of Arlu)
- अरलु
- महारलु
अरलु का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Morphology of Arlu)
एक वृक्ष जो लगभग 20 मीटर से भी ऊँचा होता है उसमे एक गंध आती है| इसका तना सीधा होता है तथा उसकी छाल कुछ भूरे या मिट्टी के रंग की होती है| यह कुछ कठोर होती है| इसके पत्तों की लम्बाई अधिक होती है| इसके फूल छोटे और पीले रंग के होते है| फलों का रंग आम के रंग जैसा दिखाई पड़ता है| इसके फूल जनवरी से मार्च के बीच तथा फल लगभग अप्रैल से मई के बीच होता है|
महारलु का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Morphology of Maharlu)
इसका वृक्ष अरलु के वृक्ष से अधिक ऊँचा होता है| इसका काण्ड चिकना होता है जिस पर दरारें पड़ी होती है| अधिकतर इसकी छाल को ही उपचारों के काम में लिया जाता है| इसके फूल अरलु के फूलों के समान होते है|
अरलु के सामान्य नाम (Common Names of Arlu)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Ailanthus excelsa |
अंग्रेजी (English) | Tree of heaven, Copal tree, Varnish tree |
हिंदी (Hindi) | अडू, महारुख, मारुख, घोड़ानीम, घोड़ाकरंज |
संस्कृत (Sanskrit) | अरलु, कट्वंग, दिर्घवृन्त, पूतिवृक्ष |
अन्य (Other) | गोरीमक्काबा (उड़िया) बेन्डे (कन्नड़) अरतुसे (गुजराती) अरुआ (पंजाबी) अरुआ (राजस्थान) |
कुल (Family) | Simaroubaceae |


अरलु के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic Properties of Arlu)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | कषाय (astringent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | संग्राही, दीपन, पाचन |

अरलु के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Benefits and Usages of Arlu )
वात के कारण होने वाले कान दर्द में ( Arlu for Ear pain)
- यदि वात के कारण किसी व्यक्ति के कान में दर्द हो रहा है तो ऐसे में अरलु औषधि के पत्रों पर तेल लगा दें| अब उन पर सैंधा नमक लगा कर उनका रस निकाल ले| इस रस को कान में डालने से वात के कारण होने वाले कान दर्द का शमन होता है|
- इसके अलावा यदि इस औषधि की छाल को पीस कर उचित तेल में पका कर छाने हुए तेल को कान में डाला जाता है तो इससे भी कान दर्द का समापन होता है|
जोड़ो के दर्द में (Arlu for joint pain)
- प्रभावित स्थान पर यदि इस औषधि की पीसी हुई पत्तियों को लगाया या बांधा जाता है तो जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है|
- इसके साथ ही इसके काण्ड की छाल का सेवन मधु के साथ करना चाहिए| इससे गठिया और आमवात जैसे रोगों के लक्षणों में कमी होती है|
छालें होने की स्थिति में (Arlu for ulcers)
- इस औषधि के त्वक-क्वाथ का सेवन करने से तथा उसका कुल्ला करने से मुंह में होने वाले छालों में आराम मिलता है|

दमा या अस्थमा में लाभदायक अरलु (Arlu for asthma)
- दमा रोगियों को यदि इस पेड़ की छाल का चूर्ण बना कर उसमे उचित मात्रा में अदरक का रस और मधु मिश्रित कर के दिया जाता है तो इसे रोग का शमन होने लगता है|
खांसी का समापन करे अरलु का प्रयोग (Arlu for cough)
- खांसी और जुखाम से छुटकारा पाने के लिए इस औषधि का काढ़ा बनाते वक्त इससे बाहर निकलने वाली भाप को लेना चाहिए| इससे खांसी और जुखाम दोनों ही ठीक हो जाते है|
बार बार अधिक प्यास लगने पर (Arlu for excessive thirst)
- यदि आप भी बार बार लगने वाली प्यास से परेशान है तो इसकी छाल का सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है| इसकी छाल को आप चूर्ण बना कर या काढ़ा बना कर प्रयोग में ला सकते है|
दस्त की समस्या में (Arlu for diarrhea)
- दस्त की समस्या को खत्म करने के लिए इस औषधि की त्वक और सोंठ को पीसकर उसका सेवन जल के साथ करना चाहिए| इसका सेवन करने से दस्त में आपको बहुत जल्द लाभ मिलेगा|
- इसके अतिरिक्त दूध के साथ इसके चूर्ण का सेवन भी किया जा सकता है इससे भी दस्त या अतिसार में लाभ मिलता है|
भूख बढ़ाये (Arlu for increase hunger)
- यदि आपको बहुत कम भूख लगती है या न के बराबर भूख लगती है तो ऐसी स्थिति में इसकी छाल के काढ़े या चूर्ण का सेवन करना चाहिए| इसका सेवन दिन में दो से तीन बार तक करना चाहिए| इसके बाद आपकी भूख में भी बढ़ोतरी हो जाएगी तथा आप एक दम हष्ट पुष्ट रहेंगे|
कब्ज़ दूर करे (Arlu for constipation)
- कब्ज़ से पीड़ित व्यक्ति की पाचक अग्नि मंद होती है| असल में मंद पाचक अग्नि के कारण ही कब्ज़ भी होती है| ऐसे में इस औषधि की छाल को रात भर पानी में भिगो देने के बाद प्रातः काल इस पानी को छान कर पी लें| इससे पाचक अग्नि तेज होती है और कब्ज़ की समस्या दूर होती हैं|
बवासीर में लाभदायक अरलु (Arlu for piles)
- आज कल कई लोग इस बीमारी का शिकार बनते जा रहे है| इस रोग का मुख्य कारण कब्ज़ होता है| इस समस्या से निपटने के लिए इस औषधि की छाल, चित्रक की जड़, इन्द्र्यव, करंज की छाल और सैंधा नमक को बराबर मात्रा में लेकर इन्हें अच्छी तरह कूट कर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को छाछ के साथ लेने से बवासीर का शमन होता है|
प्रसव के बाद आने वाली परेशानियों में(Arlu for Post Delivery problems)
- यदि स्त्री प्रसव के बाद बहुत कमजोर हो गयी है तो उसे अरलु की छाल के रस के साथ शहद का सेवन करना चाहिए| इससे कमजोरी तो खत्म होती ही है इसके साथ ही दर्द भी समाप्त होता है|
घाव जल्दी भरने के लिए उपयोगी अरलु (Arlu for wound)
- इस औषधि की छाल का काढ़ा बना कर उससे घाव साफ करने से घाव जल्दी भरता है और संक्रमण से भी सुरक्षा मिलती है|
बुखार में (Arlu for fever)
- इस औषधि की छाल से निर्मित क्वाथ में मधु मिला कर दिन में एक से दो बार लेना चाहिए| इसके सेवन से बुखार में बहुत जल्द लाभ मिलेगा|
- इसके चूर्ण में मधु मिलाकर इसे दिन में दो बार लेना चाहिए| यह भी बुखार का समापन करने के लिए एक बहुत अच्छा उपाय है|
महारलु के औषधीय फायदे और उपयोग (Benefits of Maharlu)
मिर्गी रोग में (Arlu for epilepsy)
- इस रोग से पीड़ित लोगो को महारलु की जड़ की छाल का सेवन करना चाहिए| इससे मिर्गी या अपस्मार रोग को समाप्त करने में सहायता मिलेगी|
स्तन केंसर में (Arlu for breast cancer)
- महिलाओं में होने वाले स्तन केंसर में इस औषधि का प्रयोग बहुत फायदेमंद होता है| इसके सेवन से कई अच्छे परिणाम भी सामने आये है| इसी कारण यदि आप स्तन केंसर से पीड़ित है तो इसका सेवन जरुर करे|
प्रदर की समस्या समाप्त करे
- इस औषधि का सेवन करने से श्वेत प्रदर और रक्त प्रदर दोनों का समाधान होता है| आप इसकी जड़ का चूर्ण या छाल के काढ़े का सेवन कर सकते है|
पेट के कीड़ों का शमन करे महारलु (Arlu for stomach bugs)
- पेट के कीड़ों को मारने के लिए इस वृक्ष की छाल का काढ़ा बना कर पीना चाहिए| इससे कुछ ही समय में असर दिखने लगता है और पेट के कीड़ों का शमन होता है|
ह्रदय रोग में लाभ दे (Arlu for heart disease)
- ह्रदय से जुड़े रोगों के लिए इस औषधि के जड़ की छाल का सेवन काढ़े के रूप में करना चाहिए| इसके सेवन से ह्रदय रोग दूर होते है और ह्रदय को बल भी मिलता है| इसके साथ ही सांस से जुडी समस्याओं का भी समाधान किया जा सकता है|
रक्तातिसार की समाप्ति करे महारलु (Arlu for blood diarrhea)
- यदि दस्त के साथ खून निकलने की समस्या से आप भी परेशान है तो आपको इसकी जड़ से निर्मित काढ़े का सेवन करने से लाभ पहुच सकता है|
मोच ठीक करे
- मोच या घाव वाले स्थान पर इसकी पत्तियों को पीस कर लगाने से आराम मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Arlu)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- पंचांग
सेवन मात्रा (Dosages of Arlu)
- जूस – 10-20 ml
- चूर्ण – 1-3 gram