अतिविषा (Ativisha) के सेवन से होने वाले 17 फायदे आपको हैरान कर देंगे (17 Benefits of Ativisha)
अतिविषा का परिचय (Introduction of Ativisha)
अतिविषा क्या है? (What is Ativisha?)
इस दिव्य गुणों से भरे पौधे को अतीस के नाम से भी जाना जाता है| वत्सनाभ कुल का होने के बावजूद यह पौधा अर्थात अतिविषा विषैला नहीं होता है| इसी कारण इसे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक बिना डरे दिया जा सकता है| प्राचीन काल में कई वैद्य इस पौधे का उपयोग भिन्न भिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए किया करते थे| आधुनिक काल में सामान्य व्यक्ति इसके बारे में नहीं जानते है|
इसका कंद सफ़ेद होने के कारण इसे सफ़ेद कंदा या श्वेत कंदा भी कहा जाता है| इसके अलावा जल्दी टूट जाने के कारण इसे भंगुरा, ऊँचे पहाड़ी प्रदेशो में होने के कारण काश्मीरा, बाल रोगों के लिए विशेष होने के कारण शिशुभैषज्या आदि नामों से भी पुकारा जाता है| तो चलिए आपको परिचित कराते हैं अतीस या अतिविषा से| इस पौधे के अलग-अलग भाग अलग-अलग प्रकार की बीमारियों को समाप्त करने के लिए काम में लिए जाते हैं|वह कौन सी बीमारियां हैं जिसमें इस पौधे का प्रयोग किया जाता है?तो आइये जानते हैं इसके बारे में|
यह पौधा हिमालय प्रदेश के उत्तर और पश्चिमी भाग में पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है|
अतिविषा (अतीस) में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients of Ativisha)
एटीडीन
- हेट्रोफिल्लीसीन
- आइसोऐसीटिन
- डाईहाइड्रोएटीसीन
- स्टार्च
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Morphology of Ativisha)
अतिविषा (अतीस) के पौधे की ऊंचाई लगभग 30 से 60 सेंटीमीटर होती है| इसकी पत्तियां विभिन्न आकार की होती है तथा 5 से 10 सेंटीमीटर लंबी हो सकती है| इसके फूल नीले, हरे तथा बैंगनी रंग के होते हैं जो देखने में एक टोपी की तरह लगते हैं|यह स्वाद में अत्यधिक कड़वा होता है और अंदर से सफेद दिखाई पड़ता हैं| इसके फल सितंबर से अक्टूबर तक लगते है |
अतिविषा (अतीस) के सामान्य नाम (Ativisha common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Aconitum heterophyllum |
अंग्रेजी (English) | Indian Aconite |
हिंदी (Hindi) | अतीस |
संस्कृत (Sanskrit) | अतिविषा, कश्मीरा, श्वेत कंदा |
अन्य (Other) | अतीस (उर्दू), (उत्तराखंड), (अरबी) अतिविषा (कन्नड़) विषा (नेपाली) बोंगा (पंजाबी) अताइच (बंगाली) |
कुल (Family) | Ranuculaceae |
अतिविषा (अतीस) के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Ayurvedic properties of Ativisha)
दोष (Dosha) | त्रिदोषहर (pacifies tridosha) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), कटु (pungent) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | दीपन, पाचन, ग्राही, कृमिघ्न, आमपाचन |
अतिविषा (अतीस) के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Benefits and uses of Ativisha )
पाचन शक्ति बढ़ाएं (Ativisha for digestion)
- सोंठ और पीपल की दो गुनी मात्रा में अतीस की जड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है|
खांसी में (Ativisha for cough)
- अतीस की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर चटाने से खांसी में आराम मिलता है|
- अतीस, नागर मोथा, सोंठ, कर्कटश्रृंगी और यवक्षार के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी समाप्त होती है|
उल्टी होने पर (Ativisha for vomit)
- उल्टी या वमन को रोकने के लिए नागकेसर और अतीस के चूर्ण को उचित मात्रा में लेना चाहिए|
अतिसार और रक्तपित्त में (Ativisha for diarrhea and blood bile)
- समान मात्रा में अतिविषा के चूर्ण और इंद्र जौ की छाल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से अतिसार और रक्तपित्त की समस्या का शमन होता है|
- बेल की गिरी, मोच रस, धाय के फूल, आम की गुठली की मींगी, लोध्र, अतीस, तथा शहद का उचित मात्रा में सेवन करने से अतिसार या दस्त बंद हो जाते हैं|
संग्रहणी में अतिविषा
- अतीस और शुंठी का काढ़ा बनाकर इसमें थोड़ा अनार का रस तथा लवण मिलाकर सुबह दोपहर और शाम सेवन करने से संग्रहणी रोग में लाभ मिलता है|
- अतीस, नागर मोथा तथा सोंठ के क्वाथ का सेवन करने से ग्रहणी रोग में लाभ होता है|
खूनी बवासीर में (Ativisha for piles)
- यदि अतीस में राल और कपूर मिलाकर इसका धुआं दिया जाता है तो खूनी बवासीर में लाभ होता है|
रक्त प्रदर में अतिविषा
- रक्त प्रदर की समस्या को समाप्त करने के लिए इंद्र जो, अतीस, कटुत्रिक, बिल्व, नागर मोथा तथा धाय के फूल के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाना चाहिए|
त्वचा रोगों में (Ativisha for skin disease)
- त्वचा पर होने वाले फोड़े फुंसी को समाप्त करने के लिए अतीस के चूर्ण को खाकर ऊपर से चिरायता का अर्क पीना चाहिए इससे बचा रोग त्वचा रोगों का शमन होता है|
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए (Ativisha for immunity)
- नागर मोथा, अतीस, काकड़ा सिंगी और करंज के बीज को भूनकर इन सब को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को इंद्रयव की छाल के क्वाथ में खरल करके गोलियां बना लें| इन गोलियों का सुबह-शाम सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है|
बुखार के बाद आने वाली कमजोरी में (Ativisha for weakness of fever)
- अतीस के चूर्ण तथा लोह भस्म को शुंठी के चूर्ण के साथ देने से बुखार के बाद आने वाली कमजोरी समाप्त होती है तथा व्यक्ति हष्ट पुष्ट होता है|
बुखार आने पर अतीस का प्रयोग (Ativisha for fever)
- अतीस के चूर्ण का उचित मात्रा में सेवन करने पर ज्वर के कारण आने वाले ताप में कमी होती हैं तथा जलन का भी शमन होता है|
- इस के चूर्ण के साथ यदि हरा कसीस भस्म मिलाकर दी जाती है तो बुखार जल्द ही समाप्त हो जाती है|
- अतीस के चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ पीने से बुखार उतर जाता है|
बालकों में होने वाले पेट दर्द, बुखार और अतिसार में अतिविषा
- यदि अतीस के कंद के चूर्ण को शहद के साथ आयु के अनुसार दिया जाता है तो पेट दर्द, बुखार और अतिसार में लाभ होता है
- अतीस के चूर्ण को सुबह शाम और दोपहर बालकों को देने से दस्त पर रोक लगती है|
सांस से संबंधित बीमारियों में (Ativisha for breathing problems)
- अतीस के कई फायदों के साथ इसका उपयोग यदि सांस से जुड़ी हुई बीमारियों में भी किया जाता है तो इन बीमारियों का जल्दी शमन हो जाता है|
पित्त रोगों के लिए उपयोगी अतीस (Ativisha for pitta disease)
- यदि आप भी आपके असंतुलित पित्त से होने वाले रोगो से परेशान हैं तो अतीस का सेवन आपके लिए बहुत लाभदायक होगा क्योंकि यह पित्त को संतुलित करती है|
कृमि को समाप्त करें (Ativisha for stomach bugs)
- दूषित खान पान के कारण होने वाले पेट में कीड़ों को समाप्त करने के लिए अतीस का प्रयोग बहुत फायदेमंद होता है|
सूजन मिटाने में (Ativisha for swelling)
- सामान्यतः सूजन अपने आप ही उतर जाती है परंतु कई बार सूजन अधिक दिनों तक रहती है| ऐसी स्थिति में अतीस का प्रयोग करके सूजन को समाप्त किया जा सकता है|
सिर दर्द में (Ativisha for headache)
- तनाव, सिर में चोट लगने के कारण होने वाला सिर दर्द, तथा सभी सामान्य प्रकार के सिर दर्द में अतीस का प्रयोग फायदेमंद साबित होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Ativisha)
- जड़
- कंद
सेवन मात्रा (Dosages of Ativisha)
- चूर्ण – 2 से 3 ग्राम तक
- वटी – 1 से 2 गोली
- क्वाथ – 10 से 15 ml
अतिविषा से निर्मित औषधियां(Medicines Manufactured with Ativisha)
- अतिविषादि चूर्ण
- बालचतुभद्रा