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बेल (Bel)

बेल का परिचय: (Introduction of Bel)

Table of Contents

बेल क्या है? (Bel kya hai?)

इसको तो सब ही जानते है होंगे हिंदू धर्म में भगवान शिवजी और पार्वती की पूजा के लिए इसका उपयोग किया जाता है| अनेक लोग बेल का शर्बत भी बहुत पसंद करते है| क्या आपको पता है की इसके अलावा भी इसका प्रयोग किया जाता है| गर्मियों के दिनों में इसका सेवन बहुत ही लाभकारी होता है|  इसका उपयोग आयुर्वेद में एक जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है| इसे सेहत बनाने व सुन्दरता को निखारने के लिए भी काम में लिया जाता है|

आयुर्वेद में भिन्न कारणों से इसके भिन्न भिन्न नाम पाए गए है| उदाहरण के लिए बिल्व (जो रोगों का शमन करे), शांडिल्य (जो पीड़ा को दूर करे), श्री फल (सुन्दर फल), मालुर (शरीर की शोभा बढ़ाने वाला) आदि| यह एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसके हर भाग का उपयोग किया जाता है|  इसका रस व्यक्ति को पसंद आने वाला होता है| इसके अलावा भी इसे आयुर्वेद में अनेक बीमारियों के लिए एक रामबाण औषधि माना है| यह बेल कई रोगों की रोकथाम कर सकता है इसलिए इसे कई रोगों को ठीक करने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है|

आप कफ,वात विकार,  बदहजमी, दस्त, मूत्र रोग, पेचिश, डायबिटीज, ल्यूकोरिया में बेल के फायदे ले सकते हैं|  इसके अलावा पेट दर्द, ह्रदय विकार, पीलिया, बुखार, आंखों के रोग आदि में भी बेल के सेवन से लाभ मिलता है| आइए बेल के सभी औषधीय गुणों के बारे आज आपको विस्तार से परिचित करवाते है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Bel ki akriti)

बेल बहुत ही पुराना वृक्ष है| भारतीय ग्रंथों में इसे दिव्य वृक्ष कहा गया है| इस वृक्ष में लगे हुए पुराने पीले पड़े हुए फल, एक साल के बाद वापस हरे हो जाते हैं| इसके पत्तों को तोड़कर रखेंगे तो 6 महीने तक ज्यों के त्यों बने रहते हैं| इस वृक्ष की छाया ठंडक देती है और स्वस्थ बनाती है|

 इसका पेड़ मध्यमाकार, खुशबुदार व सीधा पत्तेदार और कांटों से युक्त होता है| इसके तने की छाल मुलायम, हल्के भूरे रंग से पीले रंग की होती है| नई शाखाएं हरे रंग की और टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं| इसका पत्ता हरे रंग का होता है और पत्तों के आगे का भाग नुकीला और सुगन्धित होता है| इसके फूल हरे और सफेद रंग के होते हैं| इसके फल गोलाकार अंडाकार धूसर रंग तथा पीले रंग के होते है| फल पकने के बाद चिकना व खुशबूदार होता है| फल में जो मज्जा होता है उसका अत्यधिक मीठा रस होता है| इसके बीज सफेद रंग व चिकने होते है| इसका फूलकाल तथा फलकाल जनवरी से जुलाई तक होता है|

बेल के सामान्य नाम Herbal Arcade
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बेल के सामान्य नाम (Bel common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Aegle marmelos
अंग्रेजी (English)Bengal quince
हिंदी (Hindi)बेल, श्रीफल
संस्कृत (Sanskrit)बिल्व, शाण्डिल्य, शैलूष, मालूर, श्रीफल, कण्टकी, सदाफल, महाकपित्थ, ग्रन्थिल, गोहरीतकी, मङ्गल्य,
अन्य (Other)बेल (उत्तराखंड) बेल (उर्दू) बेल  (असमिया) बेल (कोकणी) बेलो  (उड़िया) बेलपत्ते (कन्नड़) बीली (गुजराती) मारेडु  (तेलगु) बिल्वम  (तमिल) बेल  (मराठी) कुवलप–पझम (मलयालम)
कुल (Family)Rutaceae

बेल के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Bel ke ayurvedic gun gun dhrm)

दोष (Dosha) कफवातशामक (pacifies cough and vata)
रस (Taste) कषाय (astringent), तिक्त (bitter)
गुण (Qualities) लघु (light), रुक्ष (dry)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)शोथहर, वेदनास्थापन, दीपन,पाचन, ग्राही
Ayurvedic properties of Bel Herbal Arcade
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बेल के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Bel ke fayde)

दस्त में उपयोगी बेल (Bel for diarrhea)

  • यदि आपके कुछ उल्टा सीधा भोजन करने की वजह से आपको दस्त की समस्या हो गई है तो  बेल के कच्चे फल को आग में सेक कर  इसके मिश्री मिलाकर  दिन में 3 बार खाने से पुराने या नये अतिसार में लाभ मिलता है|
  • गर्भवती स्त्री को दस्त होने पर बेल गिरी के पाउडर को चावल के पानी  के साथ पीस लें| इसमें थोड़ी मिश्री मिला लें| इसे दिन में 2-3 बार देने से लाभ होता है|
  • बेलगिरी और आम की गुठली की मींगी को बराबर मात्रा में पीस लें| इसे तक चावल के मांड के साथ या ठंडे पानी  के साथ सुबह और शाम सेवन करें| दस्त में यह प्रयोग बहुत ही प्रभावशाली है|
  • बेल की गिरी के कोमल फल के गुदे को गुड़ के साथ सेवन करने से खूनी दस्त, कब्ज वात गुल्म में लाभ मिलता है|
  • बेलगिरी, कत्था, आम की गुठली की मींगी, ईसबगोल की भूसी, और बादाम की मींगी बराबर मात्रा में लें और इसे शक्कर या मिश्री के साथ  मिलाकर सेवन करें| इससे दस्त की गंभीर समस्या में लाभ होता है|

पेचिश की समस्या से छुटकारा पाने के लिए

  • यदि आप पेचिश की समस्या से परेशान है तो कच्चे बेल के गुदे को गुड़, तिली  के तैल, पिपली तथा सोंठ को बराबर भाग में मिलाकर सुबह शाम को सेवन करने से पेचिश की समस्या में लाभ मिलता है|
  • बेलगिरी और तिल को बराबर भाग में लेकर पेस्ट बना ले और इसे दही की मलाई या घी के साथ सेवन करने से पेचिश में लाभ मिलता है|
  • बेल के रस में शहद मिलाकर  हर तीन घंटे में सेवन करने से पेचिस से छुटकारा मिलता है|

कब्ज में बेल (Bel for constipation)

  • यदि आपका पेट साफ सही तरह से नही होने के कारण आप कब्ज की समस्या रहती है और भूख नही लगती और और पाचन शक्ति कमजोर है तो आपको बेल का उपयोग करना चहिए| इसके लिए बेलगिरी के चूर्ण छोटी पिप्पली, वंशलोचन व मिश्री और अदरक का रस मिलाकर इन सबको पकाए और गाढ़ा हो जाने पर इसे चाटने से कब्ज की समस्या में राहत मिलती है और पाचन शक्ति भी मजबूत होती है|
  • इसके अलावा बेलगिरी चूर्ण और अदरक को पीस लें| इसमें थोड़ी शक्कर और इलाइची मिलाकर चूर्ण कर ले और इसे  सुबह शाम भोजन के बाद आधा चम्मच गुनगुने पानी से लें| इससे पाचन ठीक होता है और भूख बढ़ती है|

कमजोरी दूर करने में (Bel for weakness)

  • केवल बेलगिरी के चूर्ण को मिश्री के दूध के साथ सेवन करने से खून की कमी, शारीरिक कमजोरी तथा वीर्य की कमजोरी दूर होती है|
  • बिल्व के पत्ते के रस में  जीरक चूर्ण, मिश्री तथा  दूध मिला लें| इसे पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है| अगर आपको जल्दी थकने के कारण कमजोरी हो जाती है तो इसका उपयोग आपके बहुत ही फायदेमंद साबित होगा|

मधुमेह में उपयोगी बेल (Bel for Diabetes)

  • अक्सर खान पान की वजह से डायबिटीज की समस्या हो सकती है इस समस्या को दूर करने के लिए बेल के पत्ते, हल्दी, गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला लें| इन्हे  लेकर कूटें| इन्हें  जल में रात को कांच या मिट्टी के बर्तन में भिगो दें| सुबह खूब मसलकर  छान लें और इसे सुबह और शाम दो तीन महीने  तक सेवन करें| इससे मधुमेह में लाभ होता है|

खून साफ करने के लिए बेल (Bel for blood )

  •   आपका खून साफ़ नही होने के कारण त्वचा संबंधित कोई समस्या हो जाती है इसके लिए बेल के रस में कुछ मात्रा गुनगुने पानी की मिला लें| इसमें थोड़ी सी मात्रा में शहद मिलाकर इस नियमित सेवन से खून साफ हो जाता है|

कैंसर में (Bel for cancer)

  • यदि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत है तो बेल के रस का नियमित रूप से सेवन करने से इस को रोका जा सकता है| यदि आप भी इस कैंसर से पीड़ित है तो बेल के रस के सेवन जरुर कीजिये|

लीवर के लिए (Bel for liver)

  • यदि आपको लीवर संबंधित कोई भी समस्या है तो  बेल के फल के रस को कुछ दिनों तक सेवन करने से आपको लीवर संबंधित समस्या में राहत मिलती है|

बहरेपन में बेल

  • बेल के कोमल पत्तों को गाय के मूत्र में पीस लें| इसमें  तिल का तेल, तथा बकरी का दूध मिलाकर धीमी आग में पकाएं| इसे रोज कानों में डालने से बहरापन, कानों में आवाज आना, कानों की खुश्की, और खुजली आदि समस्याओं से छुटकारा मिल्त्ता है|

ह्रदय के दर्द में (Bel for heart pain)

  • अगर आप सीने या ह्रदय के दर्द बहुत ही परेशान है तो आप बेल का उपयोग कीजिये यह आपके लिए बहुत ही लाभकारी है| इसके लिए बेल के पत्ते के रस में गाय का घी मिलाकर पिने से इस परेशानी में आराम मिलता है|

टी.बी. रोग में बेल (Bel for T.B.)

  • बेल की जड़, अड़ूसा के पत्ते तथा नागफनी और थूहर के पके सूखे हुए फल  लें| इसके साथ ही सोंठ, काली मिर्च व पिप्पली  लें| इन्हें कूट लें, इस मिश्रण को लेकर आधा लीटर पानी  में पकाए|  जब पानी आधा रह जाए तो सुबह और शाम शहद के साथ सेवन कराने से टीबी रोग में लाभ होता है|

बुखार में (Bel for fever)

  • यदि आपको सर्दी या किसी अन्य बीमारी से बुखार आता है तो बेल, अरणी, गंभारी, श्योनाक, तथा पाटला,इन सब की जड़ की छाल और गिलोय, आंवला, तथा धनियाँ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका काढ़ा बना ले और इस काढ़े को सुबह शाम को पिने से बुखार में राहत मिलती है|  

एनीमिया में बेल (Bel for anemia)

  • बेल के पत्ते के रस में आधा ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिला लें| सुबह शाम सेवन कराने से पीलिया और एनीमिया रोग में लाभ होता है| यदि आप भी इन रोगो से पीड़ित है तो इसका प्रयोग कर सकते है|

रतौंधी में

  •  ताजे बेल के पत्तों को नग काली मिर्च के साथ पीस लें| इसे पानी में छान लें| इसमें मिश्री या शक्कर मिलाकर सुबह-शाम पिएं| रात में बेल के पत्ते को जल में भिगो दें| इस जल से सुबह आंखों को धोएं| इससे आपको इस रोग में लाभ मिलता है|

पेट दर्द में (Bel for stomach pain)

  • बेल के पत्ते तथा काली मिर्च पीसकर उसमे मिश्री मिलाकर जूस पिने से पेट दर्द से छुटकारा मिलता है अगर आप भी इस दर्द से जूझ रहे है तो इसका उपयोग कर सकते है|

मूत्र रोग में (Bel for urinary problems)

  • यदि आपको पेशाब करते समय दर्द या पेशाब रुक रुक आता है या कोइ अन्य परेशानी है तो बेल के ताजे फल के गुदे को पीसकर दूध के साथ छानकर चीनी मिलाकर पिने से मूत्र रोग में लाभ मिलता है|

हैजा में

  • आम की मींगी और बेलगिरी को  लेकर कूट लें| इसे पानी में पकाएं| पानी थोडा रहने पर शहद और मिश्री मिलाकर तक आवश्यकतानुसार पिलाएं| इससे उल्टी और दस्त में लाभ होता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of)

  • जड़
  • पत्ती
  • पक्का फल
  • पक्के फल की भीती

सेवन मात्रा (Dosages of)

  • पत्ते का जूस -10 से 20 मिली
  • चूर्ण -3 से 4 ग्राम
  • क्वाथ -50 से 100 मिली

बिल्व से निर्मित औषधियां

  • बिल्वपंचक
  • बिल्वादि चूर्ण
  • बिल्वादि घृत
  • बिल्वतेल
  • बिल्वमूलादि गुडिका