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कालमेघ (Kalmegh)

कालमेघ का परिचय: (Introduction of Kalmegh)

Table of Contents

कालमेघ क्या है? (Kalmegh kya hai?)

आयुर्वेद की यह औषधि अधिकतर लोगो की नजर में नही आती है| हमारे आस पास होने के बावजूद हम इसे पहचान नही सकते है| दूसरी जड़ी बूटियों की तरह कालमेघ का भी आयुर्वेद में एक अलग ही महत्व है| इसका सेवन मुख्य रूप से बुखार और लीवर के रोगों में किया जाता है| यह चिरायते की तरह ही होता है| कभी कभी चिरायते के स्थान पर इसका भी प्रयोग किया जाता है|

भारत में यह वन प्रदेशो और दक्षिण में अधिक पाए जाते है| आइये आपको भी आज इस औषधि से परिचित कराते है| इसे जान कर कोई भी इसके गुणों से वंचित नही रहता है| इसके विधिपूर्वक सेवन कुछ छोटी मोटी समस्याओं का इलाज़ आप स्वयं भी कर सकते है| कालमेघ के अलावा इसकी एक और प्रजाति भी होती है|

कालमेघ की प्रजातियाँ (Kalmegh ki prajatiya)

  • कालमेघ
  • तिक्तमेघ

कालमेघ का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Kalmegh ki akriti)

यह एक छोटा पौधा होता है जिसकी लम्बाई लगभग 90 cm तक हो सकती है| यह पौधा नीचे से चिकना और ऊपर से रवों वाला होता है| हरी मिर्ची के पौधे के पत्तों की तरह ही इसके पत्तें भी होते है| इसके फूल पीले अथवा भूरे रंग के होते है जिन पर पर भूरे और बैंगनी रंग के धब्बे होते है| फल ऊपर और नीचे से तीखा होता है| अगस्त से दिसम्बर के मध्य इसके फूल और फल होते है|

तिक्तमेघ का बाह्य स्वरुप

यह कालमेघ से छोटा होता है| इसके पत्तें भी कालमेघ की तरह ही होते है| फूलों का रंग सफ़ेद, बैंगनी या गुलाबी रंग का होता है| फल ऊपर और नीचे से तीखा होता है| हालाँकि यह कालमेघ से कम गुणों वाली होती है लेकिन इसकी अनुपस्थिति में तिक्तमेघ का प्रयोग किया जा सकता है|

कालमेघ के सामान्य नाम Herbal Arcade
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कालमेघ के सामान्य नाम (Kalmegh common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Andrographis paniculata
अंग्रेजी (English)Common andrographis, Green Chiretta, King of bitter
हिंदी (Hindi)कालमेघ, कालनाथ, महातिक्त
संस्कृत (Sanskrit)भूनिम्ब, कालमेघ
अन्य (Other)नेलबेवीनगीडा (कन्नड़) करियातु (गुजराती) नीलावीनू (तेलुगु) कालानाथ (नेपाली) ओलेनकिरायत (मराठी)
कुल (Family)Acanthaceae

कालमेघ के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Kalmegh ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha) कफपित्तहर (pacifies cough and pitta)
रस (Taste) तिक्त (bitter)
गुण (Qualities) लघु (light), रुक्ष (dry)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)दीपन, रेचन, कृमिघ्न, स्वेदजनन, शोथहर
Ayurvedic properties of Kalmegh Herbal Arcade
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कालमेघ के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Kalmegh ke fayde or upyog)

लीवर सम्बंधित रोगों में लाभदायक कालमेघ का सेवन (Kalmegh for liver)

  • लीवर या यकृत हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग या हिस्सा होता है जिसके बिना शरीर में होने वाली कोई भी क्रिया ठीक प्रकार से नही हो पाती| ऐसे में लीवर को स्वस्थ रखना और भी अधिक आवश्यक हो जाता है| फैटी लीवर, लीवर में सूजन, लीवर की वृद्धि होना, ठीक से काम न करना आदि लीवर से जुडी समस्याएँ है| यदि आप इस औषधि के पञ्चांग से बने रस या काढ़े का सेवन करते है तो इससे लीवर से जुडी सभी समस्या का शमन करने में सहायता मिलती है|

बुखार में (Kalmegh for fever)

  • गिलोय, चिरायते, कालमेघ की छाल, शुंठी, शतावरी, कचूर, पिपली आदि द्रव्यों का काढ़ा बना कर पिलाने से बुखार का शमन होता है|
  • बुखार का शमन करने के लिए आप तिक्तमेघ के पञ्चांग के रस या काढ़े का भी उपयोग कर सकते है| इसके सेवन से विषम ज्वर, मलेरिया के दौरान आने वाला ज्वर, कफज ज्वर, जीर्ण ज्वर आदि प्रकार के बुखारों का शामन किया जा सकता है|

पीलिया और पांडू का शमन करे (Kalmegh for jaundice and anemia)

  • त्रिफला, कुटकी, वासा, नीम-त्वक और कालमेघ को पानी के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें| इस काढ़े को दिन में एक से दो बार शहद के साथ लेने से पीलिया का शमन तो होता ही है इसके साथ ही खून की कमी भी दूर होती है|
  • इसके अलावा आप तिक्तमेघ के पञ्चांग से बने रस का सेवन भी शहद के साथ कर सकते है| इससे भी खून की कमी दूर होती है|

त्वचा रोगों में (Kalmegh for skin disease)

  • कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति द्वारा यदि इस औषधि का सेवन विधि के अनुसार किया जाता है तो कुष्ठ का शमन करने में सहायता मिलती है|
  • खुजली होने पर रात में भीगे हुए धमासा और कालमेघ का पेस्ट बना कर सुबह सुबह दूध के साथ लेने से खुजली दूर होती है|
  • शरीर में सूजन आ जाने पर आप इस औषधि और सोंठ का पेस्ट बना कर दिन में दो बार पुनर्नवा के काढ़े के साथ ले सकते है|
  • गर्मी या अन्य कारणों से हो रही फुंसियों का शमन करने के लिए नीम-त्वक और इस औषधि के काढ़े को दिन में दो बार लें| इससे कुछ ही दिन में फुंसियों का शमन हो जायेगा|
  • त्वचा पर लाल दाने होने के साथ साथ यदि खुजली भी चलती हो तो इस औषधि का चूर्ण बना कर उसमे ग्लिसरीन मिला लें| इस मिश्रण को शरीर पर मलने से इस समस्या में लाभ मिलेगा|

दुर्बलता को दूर करे (Kalmegh for weakness)

  • जितनी निंदा मोटे लोगो की होती है उतनी ही निंदा पतले लोगो की भी की जाती है| यदि आप भी अपने दुबले पतले शरीर से परेशान है तो इस औषधि के पत्तों का काढ़ा बना कर पीना चाहिए| इससे आप अपने शरीर को हष्ट पुष्ट बना सकते है|

दस्त में (Kalmegh for diarrhea)

  • गिलोय, कुटकी, कालमेघ और पाठा आदि घटक द्रव्यों से बने काढ़े को दिन में दो बार लेने से दस्त का शमन होता है और पाचन तंत्र भी स्वस्थ बनता है|

मूत्र रोगों में (Kalmegh for urinary disease)

  • बड़ी लोणी नामक औषधि के काढ़े के साथ इस औषधि के पञ्चांग के चूर्ण को लेने से मूत्र रोगों का शमन होता है| यदि मूत्रमार्ग में किसी प्रकार का संक्रमण हो गया है तो इसे पञ्चांग के चूर्ण का सेवन करके समाप्त किया जा सकता है|

मधुमेह में लाभदायक (Kalmegh for diabetes)

  • मधुमेह या डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को इससे बने हुए पञ्चांग का सेवन करना चाहिए| यह औषधि स्वाद में कडवी होती है| इसमें शर्करा सम्बन्धी कोई तत्व नही होता है जिससे मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है|

अम्लपित्त में फायदेमंद (Kalmegh for acidity)

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  • त्रिफला, कालमेघ, नीम की छाल आदि घटकों से बनाए गए काढ़े का सेवन अम्लपित्त या एसिडिटी में लाभ करता है|

ह्रदय रोगों से बचाव करे (Kalmegh for heart)

  • इस औषधि का सेवन रक्त के प्रवाह को काफी अच्छी तरह से संचालित करता है| इसके साथ ही यह नसों में रक्त के थक्कों को जमने नही देता| इसके चलते विभिन्न प्रकार के ह्रदय रोगों से बचाव होता है|

आंतों और पेट के कीड़ों को मारे (Kalmegh for stomach bugs)

  • कालमेघ या तिक्तमेघ के पञ्चांग का सेवन पेट और आंतों के कीड़ों का शमन कर पाने में काफी सक्षम होता है|

बच्चो में पाचन की क्रिया को सही करे

  • बालको की पाचन क्रिया अक्सर गड़बड़ा जाती है जिससे उन्हें बार बार दस्त या कब्ज़ की समस्या हो सकती है| ऐसे में इसके पत्तों से निकलने वाले रस को यदि बालको को दिया जाता है तो पाचन सम्बन्धी समस्याओं में लाभ मिलता है|                                                                                                                                                                                      

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kalmegh)

  • पत्ती
  • पञ्चांग

सेवन मात्रा (Dosage of Kalmegh)

  • चूर्ण – चिकित्सक के अनुसार
  • क्वाथ – चिकित्सक के अनुसार

सावधानियाँ (Precautions of Kalmegh)

  • इस औषधि का सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए नही तो इससे भिन्न प्रकार के विकार उत्पन्न हो सकते है|
  • गर्भावस्था में इस औषधि का उपयोग नही करना चाहिए|