लता कस्तूरी (Lata kasturi)
लता कस्तूरी का परिचय: (Introduction of Lata kasturi)
लता कस्तूरी क्या है? (What is Lata kasturi)
यह समस्त भारत में उष्णकटिबंधीय प्रदेशो में पाई जाती है| कई स्थानों पर खेती की जाती है| कई स्थानों पर लता कस्तूरी को वन भिण्डी के नाम से भी जाना जाता है| क्या आपको पता है| इस पौधे को औषधि के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है|
आयुर्वेद के अनुसार यह रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है,जो रोगो को नष्ट करने के लिए बहुत ही काम में आती है| क्या आपको यह भी पता है की इसके पत्ते का उपयोग कामशक्ति को बढ़ाने में किया जाता है| यह गले में जमे कफ को निकालने में बहुत ही उपयोगी है|
यह एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसके फायदे ही फायदे है| यह औषधीय गुणों से भरपुर है| यह अपने गुण से उल्टी, दांत दर्द, सूजन, ह्रदय की कमजोरी, खांसी, सांस संबंधित परेशानी, भोजन की अरुचि, दस्त आदि समस्या को दूर कर सकती है| यही नही यह मूत्र रोग, पथरी तथा सामन्य कमजोरी को दूर करने में भी यह बहुत ही फायदेमंद है| आइये इसके अन्य फायदों के बारे में विस्तार से जानते है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Lata kasturi ki akriti)
इसके पौधे की कई स्थानों पर इसकी खेती की जाती है| इसके पौधे देखने में भिण्डी के समान होते हैं| लता कस्तूरी का पौधा पूर्ण रूप से रोमो से आवृत होता है| इसके पुष्प भिण्डी के फूल के समान, बड़े,पीले रंग के, मध्य में बैंगनी वर्ण के, बिन्दु से होते हैं| इसके फल रोमों से युक्त तथा आगे का भाग पर नुकीले होते हैं| इसके बीज कृष्ण अथवा धूसर भूरे रंग के तथा कस्तूरी गंधी होते हैं| इसके फूलकाल व फलकाल अगस्त से दिसम्बर तक होते है|
लताकस्तूरी की कई प्रजातियां पाई जाती है जो आकार प्रकार में इसके समान दिखाई देती है परन्तु यह गुणों में अल्प होती है| उपरोक्त वर्णित मुख्य लताकस्तूरी के अतिरिक्त निम्नलिखित दो प्रजातियों का प्रयोग भी चिकित्सा में किया जाता है|
- Abelmoschus crinitus Wall. (अरण्य कस्तूरिका )
यह लताकस्तूरी की तरह दिखने वाला 1.5 मीतटर तक ऊँचा रोमश पौधा होता है| इसके पत्ते चौड़े तथा हस्ताकार व लताकस्तूरी के जैसे होते हैं| इसके फूल पीले रंग के तथा फल लताकस्तूरी से छोटे, रोमश तथा कोणीय होते है|
- Abelmoschus manihot (वन्यकरपणिका)
यह सीधा शाखा युक्त रोमश काष्ठीय पौधा होता है| इसके पत्ते पालीयुक्त, हस्ताकार, रोमश, खुरदरे तथा चौड़े होते हैं| इसके फूल पीले के होते हैं| इसके फल कोणीय लताकस्तूरी की तरह दिखने वाले व लताकस्तूरी से अल्प गुण वाले होते हैं| इसका प्रयोग शरीर की सूजन में, घाव आदि त्वचा विकारों की चिकित्सा में किया जाता है|
लता कस्तूरी की प्रजातियाँ (Lata kasturi ki prajatiya)
1. Abelmoschus crinitus Wall.
2. Abelmoschus manihot
लता कस्तूरी के पौषक तत्व (Lata kasturi ke poshak tatva)
- कैल्शियम
- सेलेनियम
- प्रोटीन
- आयरन
- जिन्क
लता कस्तूरी के सामान्य नाम (Lata kasturi common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Abelmoschus manihot |
अंग्रेजी (English) | Musk-mallow |
हिंदी (Hindi) | लताकस्तूरी, कस्तूरीदाना, मुष्कदाना |
संस्कृत (Sanskrit) | लताकस्तूरी; |
अन्य (Other) | मुष्कादानह (उर्दू) कडुकस्तूरी (कन्नड़) मूशकदाना (गुजराती) कस्तूरीबेन्दा (तेलगु) कटटू कस्तूरी (तमिल) मूषकदाना (बंगाली) कस्तुरी (नेपाली) धोनार कस्तूरी (पंजाबी) कस्तूरीभेन्डे (मराठी) मुष्कदाणा (मलयालम) |
कुल (Family) | Malvaceae |
लता कस्तूरी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Lata kasturi ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), मधुर (sweet), कटु (pungent) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | मुखदुर्गन्धनाशक, रेचन, दीपन, ग्राही, मूत्रल |
लता कस्तूरी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Lata kasturi ke fayde or upyog)
मुखदुर्गन्ध को समाप्त करे
- इस औषधि का सेवन आप उस समय कर सकते है जब आपके मुंह से बदबू आने लगती हो| यह मुख से आने वाली दुर्गन्ध को समाप्त करती है तथा ताज़गी का अहसास कराती है|
गर्भाशय रोग के रोग में उपयोगी कस्तुरी
- जिन स्त्रियों का गर्भाशय अपने मूल स्थान से हट जाता है उसे पुनः उस स्था पर लाने के लिए आपको कस्तूरीदाना और केशर की एक सामान मात्रा को लेकर पानी में पिस कर छोटी छोटी गोलियां बना लें| अब इन गोलियों को मासिक धर्म के शुरू होने से पहले योनी मुख में रखें, तीन दिन तक ऐसा करने से इसमें काफी लाभ होता है|
दांत के रोग में उपयोगी
- यदि आपको दाँत दर्द की समस्या है तो आप कस्तूरी को कुठ के साथ मिलाकर दांतों पर मलें| ऐसा करने से आपको शीघ्र ही दांत दर्द में आराम मिलता है|
तंत्रिका तन्त्र के विकार में (Lata kasturi for nervous system)
- यदि कोई व्यक्ति तंत्रिका तन्त्र के विकारों से परेशान है तो कस्तूरीदाना के बीजो का काढ़ा बनाकर या पेस्ट बनाकर सेवन करने से तंत्रिका की कमजोरी, मिरगी तथा अन्य तंत्रिका के विकारो में लाभ होता है|
बुखार में (Lata kasturi for fever)
- आजकल मौसम बदलने के कारण बुखार की समस्या एक आम परेशानी हो गई है| यदि आप भी इस परेशानी से पीड़ित है तो कस्तूरीदाना के ताजे पत्तो का रस निकालकर पिने से बुखार का शमन होता है|
घाव को दूर करने के लिए (Lata kasturi for wound)
- यदि आपको चोट लग गई है और घाव हो गया है तो कस्तूरीदाना के तने की छाल पीसकर प्रभावित स्थान पर लगाने से घाव का रोपण होता है, और यह त्वचा की सूजन को भी कम करता है|
खुजली में उपयोगी
- लता कस्तूरी के बीजो को दूध के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली का शमन होता है|
खांसी में उपयोगी लता कस्तूरी (Lata kasturi for cough)
- लता कस्तूरी के पंचाग को पीसकर छाती पर लेप करने से खांसी में लाभ होता है| इसके अलावा लता कस्तूरी के पत्तो के रस में मधु मिलाकर पिने से खांसी का शमन होता है|
धातु रोग में उपयोगी लता कस्तूरी
- अक्सर पुरुष इस रोग से परेशान रहते है|यदि आप भी इस रोग से परेशान है तो लता कस्तूरी के बीज के चूर्ण का सेवन करने से धातु रोग में लाभ ले सकते है|
सांस संबंधित रोग में उपयोग करे
- यदि आप सांस संबंधित रोगो से परेशान है तो लता कस्तूरी के बीजो का पेस्ट बनाकर पिने से सांस के रोगो में लाभ होता है|
आँखों के विकार में
- आँखों के विकार जैसे – आँखों का जलना, आँखों में पानी बहना, आँखों के घाव आदि विकारो को नाश करने से लिए लता कस्तूरी का उपयोग किया जाता है| इसके लिए लता कस्तूरी के बीजो पीसकर आँखों पर लगाने से आँखों के विकारो का शमन होता है|
योनि संबंधित रोगो में उपयोगी
- अगर आप योनि के किसी भी रोग से परेशान है तो लता कस्तूरी के पत्ते, जड़ को पीसकर योनि पर लगाने से योनि के रोगो में लाभ होता है|
भोजन के प्रति अरुचि में उपयोगी लता कस्तूरी
- लता कस्तूरी के फल का हिम बनाकर गरारा करने से मुख की शुद्धि होती है और भोजन के प्रति अरुचि नष्ट होती है तथा मुख सुगन्धित होता है|
प्रमेह रोग में
- पुरुष और महिलाए अक्सर इस रोग से परेशान रहते है| यदि कोई इस रोग से पीडीत है तो इससे छुटकारा पाने से लिए लता कस्तूरी का उपयोग कर सकते है| इसके लिए कस्तूरीदाना जड़ तथा पत्ते का काढ़ा बनाकर पिने से प्रमेह में लाभ होता है|
गले के विकार में उपयोग करे लता कस्तूरी
- अगर आप गले के किसी भी विकार से परेशान है तो लता कस्तूरी के बीजो को चूसने से गले के विकारो का शमन होता है|
मूत्र से संबंधित रोग में लता कस्तूरी का उपयोग (Lata kasturi for urinary disease)
- यदि आपको रुक – रुक के पेशाब आता है, या फिर पेशाब करते समय जलन या दर्द, पेशाब में कमी आदि समस्या से छुटकारा पाने के लिए कस्तूरीदाना का उपयोग किया जाता है| इसके लिए कस्तूरीदाना की जड़ तथा पत्तो के रस को निकालकर पिने से मूत्र के रोगो का शमन होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Lata kasturi)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- छाल
- पंचांग
सेवन मात्रा (Dosages of Lata kasturi)
- पत्ते का रस – 5 से 10 मिली या चिकित्सक के अनुसार