मुलेठी (Mulethi)
मुलेठी का परिचय: (Introduction of Mulethi)
मुलेठी क्या है? (What is Mulethi)
इसका उपयोग पुरे भारत में प्राचीन काल से ही किया जाता आ रहा है| यह औषधीय गुणों का खजाना है| मुलेठी के उपयोग से आप अपने लीवर की बीमारी, ह्रदय के रोग, मुंह के छाले, गले की खराश , पाचन, त्वचा के रोग आदि को सही उपचार से ठीक कर सकते है| इसे मीठी लकड़ी भी कहा जाता है|
यह कोई मामूली औषधि नहीं बल्कि यह एक रामबाण औषधि है जो समस्त रोगो का नाश करती है| यह मुलेठी एक लकड़ी जैसी दिखने वाली जड़ी बूटी है| भारतीय आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है| मीठी लकड़ी शरीर को कई तरीके से लाभ पहुंचाती है| यह बालों और त्वचा के लिए भी लाभदायक होती है| इसे यष्टीमधु (मधुर कांड और मूल वाला), क्लीतिका (बाहर से खरीद कर आने वाला), मधुक (मीठा) आदि नामों से भी जाना जाता है|
इसके तने में कई औषधीय गुण होते हैं| इसका स्वाद मीठा होता है| यह दांतों, मसूड़ों और गले के लिए बहुत फायदेमंद है| इसी वजह से आज के समय में कई टूथपेस्ट में मीठी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है| इसके फायदे यही पर ही समाप्त नही होते है| इसके बहुत सारे फायदे है जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाएंगे| आइये जानते है की इसका का उपयोग किन – किन बीमारी में किया जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Mulethi ki akriti)
इसका पौधा सीधा, कठोर लगभग एक मीटर तक ऊँचा होता है| यह अनेक सालो तक चलने वाला पौधा होता है| मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा होता है| आमतौर पर इसी पौधे के तने को छाल सहित सुखाकर उसका उपयोग किया जाता है| इसके पत्ते गहरे हरे रंग के अंडाकार और एकांतर होते है| इसके फूल बैंगनी रंग के तथा लम्बे होते है| इसकी फली लम्बी मोटी व फूली हुए तथा भूरे रंग की होती है| इस फली के बीज चौड़े, चिकने, गोलाकार व भूरे रंग के होते है| इसकी जड़ बेलनाकार, चिकनी व नारंगी व भूरे रंग की होती है| इसकी जड़ का अन्त वाला भाग हल्के पीले रंग का होता है| इसकी जड़ तथा तने को सुखाकर बाजार में मुलेठी के नाम से बेचा जाता है| इसकी छाल निकलने पर हल्के पीले रंग की तथा रेशेदार हो जाती है| इसका फूलकाल तथा फलकाल अगस्त से फरवरी तक होता है|
मुलेठी के पौषक तत्व (Mulethi ke poshak tatva)
- विटामिन बी
- विटामिन ई
- फास्फोरस
- कैल्शियम
- कोलीन
- आयरन
- मैग्निशियम
- पोटेशियम
- सिलिकॉन
- जिंक
मुलेठी के सामान्य नाम (Mulethi common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Geycrrhiza glabra |
अंग्रेजी (English) | Liquorice root |
हिंदी (Hindi) | मुलहठी, मलेटी, मुलेठी, मीठी लकड़ी, जेठीमधु |
संस्कृत (Sanskrit) | यष्टीमधु, यष्टीमधुक, मधुयष्टि, जलयष्टि, क्लीतिका, मधुक, स्थल्यष्टी |
अन्य (Other) | मुलेठी (उर्दू)जेष्टमधु (कन्नड़)जेठीमध (गुजराती)जेष्टिमधु (मराठी)अतिमधुरम (तमिल)यष्टिमधुकम (तेलगु)जेठी मधु (नेपाली)मुलेठी (पंजाबी)यष्टिमधु (बंगाली)मलहठी (मलयालम) |
कुल (Family) | Fabaceae |
मुलेठी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Mulethi ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | वातपित्त शामक (pacifies vata and pitta) |
रस (Taste) | मधुर (Sweet) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), स्निग्ध (oily) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (Sweet) |
अन्य (Others) | दाहशामक, केश्य, शोथहर |
मुलेठी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Mulethi ke fayde or upyog)
खांसी में (Mulethi for cough)
- यदि आपको सर्दी जुखाम के कारण आपक अक्सर खांसी की समस्या रहती है तो इसे छुटकारा पाने के लिए| मीठी लकड़ी के टुकडे को मुंह में रखकर चूसने से खांसी में लाभ होता है| और इसके अलावा स्वर भांग में भी लाभ होता है|
- अगर आप सुखी खांसी से परेशान है तो एक चम्मच मीठी लकड़ी को शहद के साथ मिलाकर दिन में दो तीन बार चाटकर खाएं| इसी तरह मुलहठी का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम को सेवन करने से सांस नली साफ हो जाती है|
सांस की नली के विकार
- मुलेठी का काढ़ा बनाकर पिने से सांस की नली के विकारो का शमन होता है| और मुलेठी को चूसने से हिचकी की समस्या दूर होती है|
गले के रोग में मुलेठी
- कभी कभी गले की बीमारी की वजह से गला बैठ जाता है और ऐसी हालत में आवाज भारी हो जाती है या आवाज नहीं निकलती है| मुलेठी को मुंह में लेकर चूसते रहने से गला बैठने की समस्या में आराम मिलता है| मुलेठी चूसने से गले के कई अन्य रोगों में भी जल्दी फायदा मिलता है|
कान दर्द में (Mulethi for ear)
- यदि आपका कान दर्द हो रहा है तो मीठी लकड़ी और द्राक्षा से पकाए हुए दूध को कान में डालने से पित्त के कारण होने वाले कान के रोग में लाभ होता है| मुलहठी के औषधीय गुण कान के बीमारियों में बहुत फायदेमंद होते हैं|
मुंह के छालों में (Mulethi for mouth ulcers)
- अगर आपके कुछ मसाले दार खाने की वजह से आपके मुंह में छाले हो गये है और आप मुँह के छालों से परेशान हैं तो मीठी लकड़ी के औषधीय गुणों का फायदा क्यों नहीं उठाते हैं| मुलेठी के कुछ टुकड़े लें और उसमें शहद मिलाकर चूसें| इससे छाले जल्दी ठीक होते हैं|
नाक के रोग में (Mulethi for nose)
- अगर आप नाक के रोग से परेशान है तो मीठी लकड़ीऔर शुण्ठी में छह छोटी इलायची और मिश्री मिलाकर इसका काढ़ा बनाएं| इस काढ़े की एक या दो बूँद नाक में डालने से नाक के रोग ठीक होते हैं|
बालो के झड़ने की समस्या और सफेद बाल की समस्या में (Mulethi for hair problems)
- यदि आपके बाल किसी भी बीमारी की वजह से जड़ रहे है या सफेद हो रहे है तो आपको मीठी लकड़ी का उपयोग करना चहिए इसके लिए मुलेठी का घोल, आंवला का रस और तिल के तेल को मिलाकर पकाकर, इसे नियमित रूप से इस तेल की एक दो बूँद नाक में डालने से असमय बाल सफ़ेद नहीं होते और बालों का झड़ना भी कम होता है|
- मीठी लकड़ी का काढ़ा बनाकर बाल की धोने से बाल बढ़ते है|
- मुलेठी और तिली को भैसके दूध में पीसकर बालो में लेप करने से बाल झड़ना बंद हो जाते है|
पाचन में (Mulethi for digestion)
- यदि आपका पाचन कमजोर है तो आपको मीठी लकड़ी का उपयोग करना चहिए| इसके लिए मुलेठी के चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर पिने से पाचन तन्त्र मजबूत होता है|
लीवर में (Mulethi for liver)
- यदि आपको लीवर संबंधित कोई भी समस्या है तो इस मीठी लकड़ी का उपयोग कर सकते है| इसके लिए मीठी लकड़ी की चाय बनाकर पिने से लीवर के विकारो का शमन होता है|
वजन कम करने के लिए (Mulethi for weight loss)
- इसका सेवन करने से भूख पर नियंत्रण होने के साथ ही ब्लड शुगर लेवल भी नियंत्रण में होता है| वजन कम करना चाहते हैं, तो आप आप मुलेठी की चाय पिएं| इसे आपको कुछ ही दिनों में फर्क दिखने लगेगा|
जोड़ो के दर्द में (Mulethi for joints pain)
- अगर आप बढती उम्र के कारण आप भी जोड़ो के दर्द से परेशान है तो इससे छुटकारा पाने के लिए मीठी लकड़ी के चूर्ण को दूध में मिलाकर पिने से जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है|
त्वचा की रंगत के लिए मुलेठी
- मुलेठी को पानी के साथ पीसकर शरीर पर लेप करने से त्वचा की रंगत निखरती है
आधासीसी में
- आधासीसी के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको मुलेठी का उपयोग करना चाहिये| मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में शहद मिलाकर इसे एक दो बूंद नाक में डालें| इससे आधासीसी के दर्द से आराम मिलता है|
आँखों के रोग में (Mulethi for eyes)
- यदि आपके आँखों में जलन या आंखों से जुड़ा कोई रोग होने पर भी मीठी लकड़ी का इस्तेमाल करने से फायदा पहुँचता है| इसके लिए मुलहठी के काढ़ा से आंखों को धोएं| इसके अलावा मुलहठी चूर्ण या मुलहठी पाउडर में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाएं | इस चूर्ण को सुबह शाम खाने से आंखों की जलन कम होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है|
- यदि आपकी बार – बार आंख आती है और लाल हो जाती है तो मीठी लकड़ी को पानी में पीसकर, उसमें रूई का फाहा भिगोकर आंखों पर बाँधने से आंखों की लालिमा कम होती है|
- मुलहठी और आंवले को पीसकर पानी में मिलाकर या उसके काढ़े से नहाने से या आंखों को धोने से पित्त कम होता है और आंखों के सफ़ेद धब्बों में भी मीठी लकड़ी से लाभ होता है|
ह्दय के रोग में (Mulethi for heart disease)
- मूलेठी और कुटकी के चूर्ण मिलाएं| इस मिश्रण को मिश्री मिले हुए पानी के साथ रोजाना पियें| इसके सेवन से दिल से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है| पित्त दोष से होने वाले ह्रदय रोगों के लिए गंभारी, मुलेठी, शहद, शक्कर और कूट को मिलकार चूर्ण बना लें और इस चूर्ण से उल्टी करवाएं| जिससे आपको ह्रदय रोग में लाभ होता है|
पेट दर्द में मुलेठी
- गलत खानपान या खायी हुई चीज ठीक से ना पचने के कारण पेट में ऐंठन और दर्द होने लगता है| इससे आराम पाने के लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें| इससे पेट और आंतों की ऐंठन एवं दर्द से राहत मिलती है|
पेट के अल्सर में
- पेट का अल्सर एक गंभीर समस्या है और इसका इलाज कराना बहुत ज़रुरी है| आप भी पेट के अल्सर को ठीक कर सकते हैं| इसके लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर को एक कप दूध के साथ दिन में तीन बार सेवन करें| पेट में अल्सर होने पर मिर्च मसालों और तीखी चीजों से परहेज करें|
अधिक प्यास में
- यदि आपको बार – बार प्यास लगती है तो मुलेठी का काढ़ा बनाकर पिने से अधिक प्यास का शमन होता है|
खुनी उल्टी में
- अगर उल्टी करते समय उसमें खून निकल रहा है तो मुलेठी का सेवन करें| मुलेठी और लाल चन्दन के चूर्ण दोनों को दूध में पीसकर, इसमें दूध मिलाएं| इसकी थोड़ी थोड़ी मात्रा पीने से उल्टी में खून आना बंद होने लगता है|
खून की कमी को दूर करने के लिए (Mulethi for anemia)
- अगर शरीर में खून की कमी होने पर मुलेठी का सेवन करना बहुत फायदेमंद रहता है| इसके लिए एक चम्मच मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर खाएं या मुलेठी काढ़े में शहद मिलाकर पियें| इससे खून की कमी में लाभ होता है|
मूत्र रोग में (Mulethi for urinary disease)
- अगर आपको पेशाब करते समय जलन हो रही है तो एक चम्मच मुलेठी चूर्ण को एक कप दूध के साथ सेवन करें| इससे पेशाब में होने वाली जलन कम हो जाती है|
माताओं के स्तन के दूध की वृद्धि में मुलेठी
- प्रसव के बाद बच्चों के लिए मां का दूध सबसे ज्यादा फायदेमंद रहता है| कुछ महिलाओं में स्तनपान के दौरान दूध कम बनता है| ऐसी महिलाओं को मुलेठी का सेवन करना चाहिए। मुलेठी स्तनों में दूध बढ़ाने में मदद करती है| इसके लिए मुलेठी और दूध में मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह और शाम को सेवन करने से स्थनों के दूध की वृद्धि होती है|
मासिकधर्म में
- अगर मासिकधर्म के दोरान बहुत ज्यादा खून निकल रहा है तो ऐसे में मीठी लकड़ी के सेवन से खून को कम किया जा सकता है| इसके लिए मीठी लकड़ी के चूर्ण में मिश्री मिलाकर चावल के पानी के साथ पीसकर पियें|इससे मासिकधर्म में लाभ होता है|
घाव और दर्द से छुटकारा पाने के लिए मुलेठी
- किसी चीज से चोट लग जाने पर या अल्सर के दर्द से जल्दी राहत पाने के लिए मुलेठी का सेवन करना चाहिए| मुलेठी चूर्ण को घी में मिलाकर थोडा गर्म करके घाव या अल्सर वाली जगह पर लगाने से दर्द से जल्दी आराम मिलता है| इसी तरह फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं|
मिरगी में
- मुलेठी के एक चम्मच महीन चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिरगी में लाभ होता है| इसके अलावा मुलेठी को पेठे के रस में महीन पीसकर तीन दिन तक खाने से मिरगी में आराम मिलता है|
कमजोरी दूर करने के लिए मुलेठी
- अगर आप बहुत ही कमजोरी महसूस कर रहे हैं तो मीठी लकड़ी का सेवन करें| एक चम्मच मीठी लकड़ी चूर्ण में आधा चम्मच शहद और एक चम्मच घी मिलाकर एक कप दूध के साथ सुबह शाम रोजाना कुछ हफ़्तों तक सेवन करें| इसका सेवन करने से शरीर में बल बढ़ता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Mulethi)
- जड़
- पत्ती
सेवन मात्रा (Dosages of Mulethi)
- चूर्ण – 3 से 5 ग्राम
मुलेठी से निर्मित औषधियां
- यष्टयादि चूर्ण
- यष्टयादि क्वाथ
- यष्टीमध्वाद्य तेल