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शीशम (Sheesham)

शीशम का परिचय: (Introduction of Sheesham)

Table of Contents

शीशम क्या है? (What is Sheesham)

क्या आप परेशान है, मधुमेह रोग, मासिकधर्म के दौरान होने वाली परेशानियों से, पेट दर्द, खुनी दस्त,आँखों के रोग आदि से| इन सभी रोगों से राहत पाने के लिए शीशम का उपयोग किया जा सकता है| क्या आप जानते है जो सीसम घरो में फर्नीचर बनाने के लिए काम में आता है उसका उपयोग कई रोगो में भी किया जाता है|

आपने शीशम को अपने आस – पास कई स्थानों में या बाग –बगीचों में देखा होगा|  इसकी लकड़ी मजबूत होती है| आपके घरो में सीसम की लकड़ी के फर्नीचर तो जरुर ही बने होंगे|  अधिकांश इसकी लकड़ी का उपयोग मजबूत फर्नीचर में किया जाता है| कई व्यक्तियों को यह जानकारी नही होगी की इसका उपयोग रोगो से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है|

आयुर्वेद में शीशम के बहुत सारे फायदे बताये गये है| इसको औषधि के रूप में प्रयोग में लिया जाता है| शीशम के गुणों से आप मूत्र रोग, रक्तप्रदर, उपदंश, चर्म रोग, रक्त विकार तथा सफेद पानी आदि रोगो से छुटकारा पा सकते है| चलिए जानते है कि इसका उपयोग और किन – किन रोगो में किया जाता है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Sheesham ki akriti)

इसके पेड़ का अधिकांश उपयोग फर्नीचर बनने में किया जाता है| पुरे भारत में यह सडको के किनारे, बाग बगीची में पाया जाता है| शीशम की लकड़ी तथा बीजो से तैल प्राप्त किया जाता है, जो की औषधि के रूप में प्रयोग में लिया जाता है| शीशम के पेड़ की निम्न प्रजातीयां पाई जाती है| 

Dalbergia sissoo Roxb. ex DC (शीशम)

यह लगभग 30 मीटर तक ऊँचा, सीधा तथा पत्तो दार पेड़ होता है| इसकी छाल मोटी, भूरे रंग की तथा दरारे युक्त होती है| इसकी नई शाखाये कोमल होती है| इसके पत्ते गोल, लम्बे नोकदार होते है| यह पत्ते 3 से 4 संख्या में लगे होते है| इसके फूल पीले रंग के व छोटे होते है| इसकी फली चौड़ी, लम्बी, पतली भूरे रंग की होती है| इसके बीज छोटे – छोटे चपटे होते है| इसका फूलकाल व फलकाल मार्च से जून तक होता है|

Dalbergia latifolia Roxb.( कृष्णशिंशप )

यह 15 से 20 मीटर तक ऊँचा होता होता है| इसकी शाखाये चिकनी होती है| इसकी पत्तिय लम्बी, गोलाकार, चिकनी तथा चमकदार होती है| इसके फूल गुच्छे में लगे हुए सफेद रंग के होते है| इसकी फलिया आयताकार, भालाकार होते है| इसकी छाल पतली होती है जिसका उपयोग चिकित्सा में किया जाता है|

शीशम  की प्रजातियाँ (Sheesham ki prajatiya)

1. Dalbergia sissoo Roxb. ex DC  

2. Dalbergia latifolia Roxb.

शीशम के सामान्य नाम (Sheesham common names) Herbal Arcade
शीशम के सामान्य नाम (Sheesham common names) Herbal Arcade

शीशम के सामान्य नाम (Sheesham common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Dalbergia sissoo  
अंग्रेजी (English)Rose wood, Black wood
हिंदी (Hindi)शीशम, सीसम, शीसो शीसव
संस्कृत (Sanskrit)श्शांप, पिप्पला, युगपत्तेिका, पिच्छिला, श्यामा, कृष्णसारा  
अन्य (Other)शीशम  (उर्दू) पदीमी  (उड़िया) सिसु  (असमिया) अगरू  (कन्नड़) सीसोम  (गुजराती) सिंसुपा  (तेलगु) गेट्टे  (तमिल) शिसु  (बंगाली) सिस्सो  (नेपाली) नेलकर (पंजाबी) इरुविल (मलयालम) सीसू  (मराठी)
कुल (Family)Fabaceae

शीशम के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Sheesham ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha)त्रिदोषशामक (pacifies tridosha)
रस (Taste)तिक्त (bitter), कषाय (astringent), कटु (pungent)
गुण (Qualities)लघु (light), रुक्ष (dry)
वीर्य (Potency)उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)शोथहर, रक्तशोधक, कृमि नाशक, वेदनाहर
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शीशम के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Sheesham ke fayde or upyog)

शरीर की जलन से राहत पाने के लिए शीशम (Sheesham for body heat)

  • कई पुरुष या महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत रहती है| ऐसे में सीसम के तेल से लाभ मिलता है| शरीर के जिस अंग में जलन हो, वहां शीशम का तेल लगाएं| शरीर की जलन ठीक हो जाती है|
  • आप शीशम के फायदे से पेट की जलन का इलाज कर सकते हैं| सीसम के पत्ते का रस लें, इसे पिएं| इससे पेट की जलन ठीक होती है|

पीलिया में (Sheesham for jaundice)

  • अगर आप पीलिया से ग्रस्त है तो इसके इलाज के लिए सीसम के पत्तो के रस का सेवन सुबह शाम करना चाहिए|

आँखों को बीमारी में शीशम (Sheesham for eyes)

  • आंखों की बीमारी जैसे आंखों में जलन में इसका इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है| सीसम के पत्ते के रस में मधु मिला लें| इसे 1 से 2 बूंदें आंखों में डालने से जलन से आराम मिलता है|

मूत्र रोग से राहत पाए (Sheesham for urinary problems)

  • मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक, रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में सीसम के सेवन से फायदा होता है| इसके लिए शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाएं| इसे दिन में तीन बार पिए| इससे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि समस्याओं में लाभ होता है|

बुखार से राहत पाए शीशम (Sheesham for fever)

  • अगर आपको मौसम बदलने के कारण या किसी अन्य बीमारी की वजह से बुखार आता है तो इस औषधि का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद होता है| इसके लिए शीशम का सार,पानी और दूध लें| इनको मिलाकर दूध में पकाएं| जब दूध थोड़ा रह जाए तो दिन में तीन बार पिने से बुखार ठीक होता है|

उल्टी में (Sheesham for vomit)

  • जब उल्टी आती है तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता है और मन बेचैन रहता है| ऐसे में आपके लिए सीसम के तेल का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है| इसके साथ ही कफ़ की समस्या, सर्दी, तनाव, त्वचा रोग या मुहांसों में भी सीसम का तेल काफी फायदेमंद होता है|

ह्रदय रोगो से राहत पाए (Sheesham for heart)

  • शीशम के पत्ते के फायदे सबसे ज्यादा असरदार है ह्रदय रोग के लिए| अगर आपका कॉलेस्ट्रोल बढ़ गया है और आप हृदय रोग से पीड़ित हैं तो शीशम के पत्ते का तेल आपके लिए रामबाण इलाज साबित हो सकता है| सीसम के पत्तो के तेल का सेवन करनें से आपका रक्त प्रवाह भी सही रहता है|

घावो से राहत पाए (Sheesham for wound)

  •  यदि किसी चोट के कारण आपके शरीर पर कही घाव हो गया है तो सीसम के फायदे से घाव को भी ठीक किया जा सकता है| शीशम का तेल लेकर घाव पर लगाएं| इससे घाव ठीक हो जाता है|

गोनोरिया को दूर करे

  • शीशम के सेवन से गोनोरिया रोग का इलाज किया जाता है| सीसम के पत्ते व  मिश्री को मिलाकर पीस लें| इसे सुबह और शाम सेवन करें| इससे गोनोरिया रोग ठीक हो जाता है|

उपदंश में शीशम

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  • आप इस रोग के उपचार के लिए शीशम का सेवन करेंगे तो बहुत लाभ मिलता है| सीसम के पत्ते के काढ़े का सेवन करें| इससे उपदंश में लाभ होता है|

एनीमिया को दूर करे (Sheesham for anemia)

  • एनीमिया में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है| आप सीसम के औषधीय गुण से एनीमिया में लाभ ले सकते हैं| एनीमिया को ठीक करने के लिए शीशम के पत्ते का रस लें| इसे सुबह और शाम लेने से एनीमिया में भी लाभ होता है|

स्तनों की सूजन कम करने के लिए

  • महिलाएं स्तनों की सूजन में भी शीशम के फायदे ले सकती हैं| सीसम के पत्तों को गर्म कर स्तनों पर बांधें, इससे स्तनों की सूजन कम होती है|
  • इसके अलावा शीशम के पत्तो का काढ़ा बनाकर धोने से स्तनों की सूजन मिटती है|

सुजाक में

  • शीशम के औषधीय गुण से सुजाक का उपचार भी किया जा सकता है| सुजाक रोग के इलाज के लिए सीसम के पत्ते के रस को दिन में तीन बार पिएं, इससे सुजाक की बीमारी में लाभ होता है|

मधुमेह में (Sheesham for diabetes)

  • यह एक ऐसी बीमारी है जिससे अपना जीवन ठीक तरह से जीने में समस्या आती है| भोजन की गडबडी के कारण या किसी अन्य वजह से आप इस रोग से ग्रस्त हो गये हो तो राहत पाने के लिए शीशम के पत्तो के रस का सेवन कर सकते है|

साइटिका में राहत पाए

  • शीशम की छाल का मोटा चूरा बनाकर पानी में उबालें| जब पानी का आठवां भाग बचे तब ठंडा होने पर कपड़े में छान लें| इसको फिर चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा करें| इस गाढ़े पदार्थ को घी और दूध में पकाएं| इसे दिन में तीन बार लगातार 21 दिन तक लेने से साइटिका रोग का इलाज होता है|

हैजा की समस्या से राहत पाए

  • हैजा के इलाज में शीशम का औषधीय गुण फायदेमंद होता है| शीशम के पत्ते में पिप्पली,मरिच तथा इलायची मिलाकर इसे पीसकर गोली बना लें| दो – दो  गोली सुबह और शाम लेने से हैजा का इलाज होता है|

दस्त को रोके (Sheesham for diarrhea)

  • आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का सेवन कर सकते हैं| शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें| तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं| अब काढ़ा में मात्रानुसार घी और दूध मिला लें| इसे मथकर गुदा के माध्यम से लेने पर दस्त पर रोक लगती है|

मासिकधर्म में (Sheesham for menstrual problem)

  • यदि मासिकधर्म के समय दर्द अधिक हो रहा है या कोई अन्य बीमारी है तो शीशम के काढ़े को दिन में दो  बार लेने से मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में कमी आती है|
  • शीशम के पत्ते  और मिश्री को मिलाकर घोट पीसकर सुबह के समय सेवन करें| कुछ ही दिनों के सेवन से मासिक धर्म में होने वाला अनियमित रक्तस्राव सामान्य हो जाता है|

टी.बी. की बीमारी में

  • शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें| तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं| अब काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें| इसे मथकर सेवन करने से टीबी रोग ठीक होता है| इससे व्यक्ति स्वस्थ होता है|

सफेद पानी से राहत पाए

  • सफेद पानी महिलाओ की योनि से निकलने वाला चिपचिपा गाढ़ा पदार्थ है| इसके उपचार के लिए शीशम के फायदे मिलते है| शीशम के पत्ते व मिश्री को मिलाकर घोट- पीसकर सुबह सेवन करें| इससे सफेद पानी की समस्या ठीक होती है|

रक्त विकार  को ठीक करे

  • रक्तविकार में शीशम से लाभ मिलता है| रक्तविकार के इलाज के लिए शीशम के सूखे चूर्ण का शरबत बनाकर सेवन करने से रक्तविकार  ठीक होता है|

कुष्ठ रोग में शीशम (Sheesham for leprosy)

  • यदि आप कुष्ठ रोग से परेशान है तो शीशम के सार को पानी में उबाल ले और आधा शेष रहने पर उतार ले| फिर इस काढ़े को लेकर इसमे मधु मिलाकर सुबह – शाम को पिने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है|
  • अगर आपको किसी भी प्रकार का चर्म रोग है तो शीशम का तैल चर्म रोग पर लगाने से खुजली, शरीर की जलन, पुराने घाव आदि का शमन होता है|
  • गर्मी या किसी अन्य कारण से आपके शरीर पर फोड़े फुंसी हो रहे है तो शीशम के पत्तो का काढ़ा बनाकर पिने से फोड़े फुंसी मिटते है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Sheesham)

  • जड़
  • पत्ती
  • छाल
  • काष्ट

सेवन मात्रा (Dosages of Sheesham)

  • चूर्ण – 3 से 6 ग्राम
  • क्वाथ -50 100 मिली