वायविडंग (Vaividang)
वायविडंग का परिचय: (Introduction of Vaividang)
वायविडंग क्या है? (What is Vaividang?)
वायविडंग के बारे में कुछ लोग जानते होंगे| यह एक बहुत ही गुणकारी औषधि है जो को रोगो का नाश करने के लिए प्रयोग में किया जाता है| क्या आपको पता ही की इस औषधि का उपयोग पेट के समस्त रोगो को नष्ट करने के लिए जाता है| यह पेट के कीड़ों के लिए एक उत्तम औषधि है|
यह भारत में मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेशो में पाया जाता है| आयुर्वेद में प्राचीनकाल से ही बहुत सारी औषधियों का उपयोग किया आता आ रहा है| यह औषधीया प्रकृति का वरदान होती है| जिसके पास बहुत सारे औषधीय गुण होते है| इन में से ही वायविडंग एक औषधि है जो रोगो के लिए फायदेमंद है|
यह औषधि त्वचा के रोग, पथरी, खांसी, सिर दर्द, कुष्ठ रोग तथा कब्ज,जुखाम आदि से निजात दिलाने का कार्य करती है| इतने ही नही इसके फायदे अनगिनत ही जिनके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाएंगे| आइये जानते है की इसका उपयोग किन – किन बीमारी में किया जाता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Vaividang ki akriti)
इसका पेड़ बढ़ा शाखदार होता है| इसका तना साधारण, मुसलाकार, चमकीला तथा अंदर से खुरदरा होता है| इसकी शाखाये समीपवर्ती पेड़ो का सहारा लेकर उनपर लिपटती हुई आगे बढती है| इसके पत्ते चौड़े, भालाकार तथा चमकीले होते है| इसके फूल सफेद रंग के होते है| इसके फल गोलाकार चिकने मांसल हल्के लाल रंग के होते है| इसके बीज एकल गोलाकार, सफेद रंग के होते है| इसके फूलकाल तथा फलकाल जनवरी से जून तक आते है|
वायविडंग के सामान्य नाम (Vaividang common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Embelia ribes |
अंग्रेजी (English) | Embelia |
हिंदी (Hindi) | बायविडङ्ग, बाबिरंग, भासि |
संस्कृत (Sanskrit) | जन्तुनाशन, कृमिरिपु, कृमिहर, कृमिहृत्, कीटशत्रु, कीटारि, कृमिघाती, कृमिजित्, वेल्ल, अमोघा, तण्डुल |
अन्य (Other) | विडंगो (उड़िया) वायूबालिंगा (कन्नड़) करकन्नाई (गुजराती) वायुवलंगम (तमिल) बिरंग (बंगाली) वायविडंग (नेपाली) बेबरुंग (पंजाबी) बायविरंग (मराठी) विलाल (मलयालम) |
कुल (Family) | Myrsinaceae |
वायविडंग के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Vaividang ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | तीक्ष्ण (strong), रुक्ष (dry), लघु (light) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | कृमिघ्न, जंतुघ्न, शिरोविरेचन, बल्य, अनुलोमन |
वायविडंग के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Vaividang ke fayde or upyog)
पेट के कीड़ो से राहत पाने के लिए (Vaividang for stomach bugs)
- अशुद्ध भोजन करने से वजह या की किसी बीमारी की वजह से अक्सर पेट में कीड़े हो जाते है| यदि आप भी अपने पेट के कीड़ो के कारण होने वाले दर्द से बहुत ही परेशान हो रहे हो तो वायविडंग चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से अथवा विडङ्ग, पिप्पलीमूल, सहिजन, मरिच तथा छाछ में पकाकर तथा सज्जीक्षार मिश्रित यवागू का सेवन करने से पेट के कीड़ो का शमन होता है|
त्वचा के रोगो में (Vaividang for skin disease)
- क्या आपको त्वचा से संबंधित कोई रोग है जैसे दाद, खुजली, फोड़े फुंसी, आदि से आप परेशान है तो वायविडंग का प्रयोग करके इन समस्या से छुटकारा पा सकते है| स्वर्णक्षीरी, विङ्गग, हिंगुल, गन्धक, चक्रमर्द बीज, कूठ तथा सिन्दूर, इन सब द्रव्यों को समान मात्रा में लेकर धतूर के रस में और बाद में निम्ब के पत्तो के रस तथा अन्त में ताम्बूल के पत्तो के रस में पीसकर लेप करने से पामा, खुजली, चेचक में लाभ होता है|
सिर के रोगो में उपयोगी
- यदि आप सिर के रोगो से परेशान है तो वायविडंग का प्रयोग आपके लिए बहुत ही लाभकारी होती है| विडंग तण्डुल और काले तिल के चूर्ण को नाक के रास्ते से लेने से छींक द्वारा दोषों का निवारण होकर आधासीसी आदि शिरोरोग का शमन होता है|
खांसी को दूर करे (Vaividang for cough)
- क्या आप खांसी से परेशान है? यदि इसे छुटकारा पाना चाहते है तो इन औषधियों का प्रयोग कर सकते है| विडंग, सेंधानमक, कूठ, सोंठ, मरिच, पीपर, घी में भुनी हींग तथा शुद्ध मन शिला चूर्ण में मधु एवं घी मिलाकर सेवन करने से खांसी, दमा तथा हिचकी आदि रोगो का शमन होता है|
पीलिया को दूर करे वायविडंग का उपयोग करके (Vaividang for jaundice)
- अगर आप पीलिया से पीड़ित है तो इसे निजात पाने के लिए वायविडंग का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद होता है| विडंग और पिप्पली दोनों को समभाग लेकर पानी में घिसकर नाक के रास्ते से लेने से तथा अंजन की तरह प्रयोग करने से पीलिया में लाभ होता है|
कुष्ठ रोग में (Vaividang for leprosy)
- इस रोग से परेशान होने वालो को अब घबराने की बात नही क्योकि वायविडंग का का प्रयोग इस रोग के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा| इससे छुटकारा पाने के लिए बराबर मात्रा में कनेर की जड़ तथा विडडग बीज को गाय के मूत्र के साथ पीस कर कुष्ठ प्रभावित अंग पर लेप करने तथा नहाने, धोने एवं मालिश आदि करने से कुष्ठ में लाभ होता है|
पेट फूलने की बीमारी में
- यदि आपके पेट में पानी भरने के कारण या कुछ अन्य पदार्थ खाने की वजह से आपके पेट में पानी भर गया है तो वायविडंग का फायदा ले सकते है| इसके बीज का चूर्ण बनाकर सेवन करने से पेट के फूलने की बीमारी में राहत पा सकते है|
सांफ के विष को कम करने के लिए
- यदि आपको किसी सांप ने अचानक काट लिया है तो उसके विष को कम करने के लिए विडंगमूल को तण्डुलोदक में घिसकर पीना चाहिए|
पथरी में उपयोगी (Vaividang for calculus)
- अगर आपको पेट या कीडनी की पथरी की समस्या है तो इस समस्या को दूर करने के लिए वायविडंग के बीज का प्रयोग कर सकते है|
कब्ज से छुटकारा पाने के लिए (Vaividang for constipation)
- कब्ज की समस्या के कारण आपको भोजन करने से इच्छा नही होती है या कोई अन्य तकलीफ हो रही है तो इसे दूर करने के लिए वायविडंग का प्रयोग कर सकते है|
उल्टी में उपयोगी (Vaividang for vomit)
- खान – पान की गडबडी के कारण या अन्य बीमारी के कारण आप उल्टी से परेशान है तो वायविडंग का प्रयोग कर सकते है| इसके लिए वायविडंग का फल के चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से उल्टी में राहत मिलती है|
प्रमेह रोग से छुटकारा पाने के लिए
- यदि कोई भी व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है तो वायविडंग का प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है| इसके साथ इसके चूर्ण का सेवन करने से जोड़ो का दर्द, मधुमेह, जुखाम, मस्तिष्क के रोग, अजीर्ण, मुह के लकवे में आदि से राहत मिलती है|
वायविडंग के अन्य फायदे (other benefits of Vaividang)
- इसके फलों का प्रयोग अरुचि, गुल्म रोग, मेद रोग, खांसी, सांस संबंधित रोग, जुखाम में किया जाता है|
- इसका फल इसके फल का गूदा विरेचक होता है|
- फल का रस मूत्रल तथा मृदु विरेचक होता है|
- इसके बीज ज्वर तथा कफ नाशक होते है|
- इसके पत्ते घाव को रोपण का कार्य करते है|
- इसके जड़ की छाल दर्द नाशक होती है|
- इसकी जड़ का उपयोग दस्त को नाश करने के लिए किया जाता है| इसमे रोपण क्रिया भी पाई जाती है|
- इसका फल अतिसार, प्रवाहिका, रक्तस्राव, कीड़ी नाशक , स्तम्भक तथा वात नाशक होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Vaividang)
- बीज
सेवन मात्रा (Dosages of Vaividang)
- अरिष्ट – 15 से 20 ग्राम
- बीज का चूर्ण -172 ग्राम
- बीज का क्वाथ -10 या 15 मिली
वायविडंग से निर्मित औषधियां
- विडंगादि चूर्ण
- विडंग तेल, लौह
- विडंगारिष्ट