गंधक रसायन: जाने कौनसे 24 रोगों में काम में ली जाती हैं यह चमत्कारी औषधि
गंधक रसायन का परिचय (Gandhak Rasayan ka introduction: benefits, Dosage)
गंधक रसायन क्या हैं ? (Gandhak Rasayan kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं जिसे आयर्वेद में कई रोगों में उपयोग में लिया जाता हैं | यह औषधि मुख्य रूप से त्वचा रोग और रक्त के शुद्धिकरण का कार्य करती हैं | इसके अतिरिक्त यह शरीर में बल की वृद्धि कर के बलवान, निरोग और लम्बी आयु प्रदान करती हैं |
पित्त प्रधान रोगों में यह औषधि बहुत ही कारगर हैं | शरीर में जलन, पेशाब करते समय होने वाली जलन और भी कई रोगों में इसका प्रयोग किया जाये तो यह चमत्कारी फायदे देती हैं |
गंधक रसायन जिन रोगों में उपयोगी होता हैं उन रोगों में मुख्य लक्षण दाह होना चाहिए | कई सारे वात रोगों में भी इसका उपयोग उत्तम होता हैं | इस औषधि का सेवन करने से त्रिदोषो का संतुलन होता हैं |
यह बढे हुए वात, पित्त और कफ को घटाती हैं और घटे हुए वात, पित्त और कफ को बढाती हैं | इसका सेवन करने से शरीर से सारा विष बाहर आ जाता हैं | इन सब के अलावा यह बहुत सारे रोगों का शमन करने के लिए उपयोग में ली जाती हैं जिन्हें विस्तारपूर्वक नीचे बताया गया हैं |
गंधक रसायन के घटक द्रव्य (Gandhak Rasayan ke gatak dravya)
- शुद्ध गंधक
- गाय का दूध
- इलायची
- दालचीनी
- तेजपत्र
- नागकेसर
- गिलोय का स्वरस
- त्रिफला क्वाथ
- भांगरे का रस
- अदरक का रस
गंधक रसायन बनाने की विधि (Gandhak Rasayan banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने हेतु सबसे पहले शुद्ध गंधक को गाय के दूध, इलायची, दालचीनी, तेजपत्र, नागकेसर के क्वाथ, गिलोय के स्वरस, त्रिफला के तीनो फलो का अलग अलग क्वाथ, भांगरे का रस और अदरक के रस इनकी उचित मात्रा में भावनाएं दे | जब यह गोली बनने लायक हो जाये तो गोलियां बना कर सुखा लें |
गंधक रसायन के फायदे (Gandhak Rasayan ke fayde)
त्वचा रोगों में (for skin disease)
त्वचा से जुड़े हर रोग का निदान इस औषधि का सेवन करके किया जा सकता हैं | यह पुराने और नए दोनों प्रकार के त्वचा रोगों को जड़ से खत्म करने का कार्य करती हैं | 18 प्रकार के कुष्ठ रोगों में इस औषधि के सेवन लाभ मिलता हैं |
एक्सिमा, सोरायसिस, कुष्ठ, त्वचा पर लाल और सफ़ेद चकते पड़ने पर, फोड़े, फुन्सिया होने पर, खुजली आदि में यह औषधि बहुत अच्छा प्रभाव दिखाती हैं | त्वचा पर होने वाली बारीक फुंसियों होने पर यदि खुजली चलती हो और खुजलाने पर खून निकलने लगता हो या जलन होने लगती हैं तो इस औषधि का सेवन करना चाहिए |
माथे पर फोड़े होकर उनमे से दुर्गन्धयुक्त गाँठ निकलना, सफ़ेद या पीला पूयस्त्राव के बाद यदि इन फोड़ो में शुष्कता तथा उन पर सफ़ेद त्वचा निकलते रहना, खुजाने पर जलन होना हो तो इस स्थिति में गंधक रसायन का उपयोग बहुत प्रभावशाली होता हैं |
खुजली, कुष्ठ तथा छोटी छोटी पुन्सियों को समाप्त करने के लिए इस रसायन को चीनी और घी में घोलकर लेने से विशेष लाभ होता हैं | पित्त प्रधान कुष्ठ रोगों में इसका उपयोग उत्त्तम होता हैं |
रक्त का शुद्धिकरण करें (for blood purifier)
अशुद्ध रक्त शरीर में अनेक प्रकार के विष का निर्माण करता हैं | रक्त के अशुद्ध होने से अस्थि, मांस, मज्जा, धातुएं भी अशुद्ध होने लगती हैं जिसके चलते अनेक बीमारियाँ जमन ले लेती हैं | रक्त को साफ़ करने के साथ साथ यह रक्त की कमी को भी खत्म कर नया रक्त पैदा करता हैं |
अशुद्ध रक्त के कारण धातुएं धीरे धीरे कमजोर होने लगती हैं | इसके सेवन से रक्त जनित विकारो का शमन होता हैं |
पाचन में (for increase digestion strength)
चूँकि यह औषधि पित्त दोष को संतुलित करती हैं तो पाचन से जुडी हुई हर एक समस्या का समाधान करने की भी क्षमता रखती हैं | मंद पाचक अग्नि को तीव्र करना, अतिसार, ग्रहणी, शूल सहित ग्रहणी जैसी पाचन से जुडी हर एक समस्या का समाधान कर पाने में बहुत प्रभावशाली होता हैं |
जलन या दाह में (for decrease body heat)
मूत्र में जलन, हाथ पैरो में जलन या दाह, पेट में जलन या गर्मी, शरीर में, मस्तिष्क में, कंठ और जीभ पर दाह, शौच करते समय जलन, शरीर से गर्म वायु निकलना, ठंडा खाने या ठन्डे पानी से नहाने या सिर पर ठन्डे पानी की पट्टी रखने की तीव्र इच्छा होती हैं |
यह स्थिति शरीर में संक्रमण बढ़ जाने के कारण होती हैं | यदि इस परिस्थिति में गंधक रसायन का उपयोग किया जाये तो इससे काफी राहत मिलाती हैं |
ज्वर में (for fever)
नए और पुराने दोनों तरह के ज्वरो को इस औषधि का सेवन करके समाप्त किया जा सकता हैं | गंधक रसायन में एंटी बेक्टेरियल गुण होते हैं जो बेक्टेरिया के द्वारा होने वाले संक्रमण को खत्म कर के जीर्ण ज्वर तक को खत्म कर देते हैं |
अन्डकोशो की वृद्धि को कम करे
यह औषधि पुरुषो में होने वाली अंडकोश को वृद्धि को नियंत्रित कर पाने में सहायता करती हैं | इसके अलवा गंधक रसायन पुरुषो में वीर्य की वृद्धि भी करता हैं जिससे संतान प्राप्ति होती हैं |
गंधक रसायन के अन्य फायदे (Gandhak Rasayan ke any fayde)
- राजयक्ष्मा (टी.बी.) में
- बालो को पोषण दें
- वातरक्त में
- आमवात में
- प्रमेह में
- श्वास रोग में
- अर्श में
- सूजन को कम करें
- संक्रमण की समाप्ति
- सुजाक रोग में
- मुखपाक या मुंह के छालो में
- पेट दर्द में
- आंतो को बल दें
- मसुडो की सूजन, दर्द और रक्तस्त्राव में
- मूत्र सम्बन्धी समस्या में
- व्रण रोग में
- एसिडिटी में
- कफ रोगों में
गंधक रसायन की सेवन विधि (Gandhak Rasayan ki sevan vidhi)
- 1 से 2 गोली का सेवन दिन में दो बार भोजन के बाद करें |
- इस औषधि की मात्रा धीरे धीरे रोग के अनुसार बढ़ाये ना कि शुरुआत में |
गंधक रसायन का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Gandhak Rasayan ke sevan ki savdhaniya)
- इसका सेवन किसी भी व्यक्ति को बिना किसी चिकित्सक की सलाह के नही लेना करना चहिये |
- इसका सेवन रोग की जीर्णता पर निर्भर करता हैं |
- कुष्ठ रोग में इसका सेवन दारुहल्दी, हल्दी, काले खैर की छाल, मंजिष्ठा, आंवला, गिलोय, गोखरू, नीम की निम्बोली के क्वाथ के साथ करें | इसके बाद एक महीने के लिए इसे छोड़ दे| पुनः इसका सेवन शुरू करने | ऐसा 3 साल तक करने से कुष्ठ रोगों का शमन होता हैं |
- गर्भवती महिलाएं इस औषधि के सेवन से परहेज करें |
गंधक रसायन की उपलब्धता (Gandhak Rasayan ki uplabdhta)
- बैधनाथ गंधक रसायन (BAIDYANATH Gandhak Rasayan)
- डाबर गंधक रसायन (Dabur Gandhak Rasayan)
- धूतपापेश्वर गंधक रसायन (Dhootpapeshwar Gandhak Rasayan)
- दिव्य फार्मेसी गंधक रसायन (Divya pharmacy Gandhak Rasayan)
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