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औषधी दर्शन

वृद्धिवाधिका वटी: जानिए कैसे इस औषधि के सेवन से शरीर के अंगो में होने वाली अनावश्यक वृद्धि को रोका जाये?

वृद्धिवाधिका वटी का परिचय (Introduction of VRIDHIVADHIKA VATI: Benefits, Dosage)

Table of Contents

वृद्धिवाधिका वटी क्या हैं?? (Vridhivadhika vati kya hai?)

इस वटी का प्रमुख कार्य इसके नाम से ही जुडा हुआ हैं| वृद्धिवाधिका वटी अनावश्यक कोशिकाओं और उतकों की वृद्धि को रोकती हैं| अनावश्यक वृद्धि में बाधा डालने के कारण ही इसे वृद्धिबाधिका औषधि कहा जाता हैं| यह वटी अण्डकोशों में किसी भी प्रकार के विकार को खत्म करने में काम में ली जाती हैं|

अण्डकोशों में वायु भरना, दर्द होना, रक्त भरना या जल भरने जैसी समस्याओं का रामबाण इलाज़ हैं| अण्डकोशों में जल भरने की समस्या का पता चलते ही यदि इस वटी का सेवन किया जाता हैं तो यह रोग जड़ से खत्म हो जाता हैं|

अधिक जल भर जाने के बाद यह औषधि अधिक लाभ नही दे पाती हैं| थायराइड, ट्यूमर और हाथी पांव जैसी दुर्लभ समस्या में भी इस वटी का नियमित सेवन करने से लाभ होता हैं| इस वटी का सेवन करने से शरीर में मिनरल्स की कमी दूर होती हैं| इन सबके अलावा भी यह वटी पाचन तंत्र को मजबूत बनाती हैं तथा कफ और वात का भी संतुलन करती हैं|

वृद्धिवाधिका वटी के घटक द्रव्य (Vridhivadhika vati ke ghatak)

  1. शुद्ध पारा
  2. शुद्ध गंधक
  3. लौह भस्म
  4. ताम्र भस्म
  5. कास्य भस्म
  6. बंग भस्म
  7. शुद्ध हरताल
  8. शुद्ध तूतिया
  9. शंख भस्म
  10. कौड़ी भस्म
  11. सौंठ
  12. मिर्च
  13. पीपल
  14. हरड
  15. बहेड़ा
  16. आंवला
  17. चव्य
  18. वायविडंग
  19. विधारमूल
  20. कचूर
  21. पीपलामूल
  22. पाठा
  23. हपुषा
  24. बच
  25. इलायची के बीज
  26. देवदारु
  27. सेंधा नमक
  28. काला नमक
  29. बिडलवण
  30. समुद्र लवण
  31. सांभर लवण
  32. हरड का क्वाथ
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वृद्धिवाधिका वटी को बनाने की विधि (Vridhivadhika vati banane ki vidhi)

इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले पारे और गंधक की कज्जली बनायें| साड़ी औषधियों को अच्छे साफ़ कर के कूट लें| कज्जली में साड़ी औषधियों का चूर्ण मिला लें| अब इसे हरड के क्वाथ में घोंटकर गोलियां बना लें और इन्हें सुखा लें| यह तैयार औषधि वृद्धिवाधिका वटी हैं| अब इस वटी का सेवन किया जा सकता हैं|

वृद्धिवाधिका वटी के उपयोग और फायदें (Vridhivadhika vati ke fayde)

वृद्धिवाधिका वटी के फायदे herbal arcade
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अण्डकोशों के विकार को समाप्त करें

अण्डकोशों में शुक्राणुओं का निमार्ण होता हैं| जब किसी कारण अण्डकोशों में वायु भर जाती हो या दर्द होना, रक्त भरना, जल भरना जैसी सारी समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए वृद्धिवाधिका वटी का प्रयोग करना चाहिए| अण्डकोशों में पानी भरने की समस्या का जल्द ही पता चलने पर इस वटी का सेवन बहुत ही उपयुक्त रहता हैं| अधिक जल भर जाने या बाद में इस स्थिति का पता चलने पर यह वटी इस रोग में कुछ विशेष लाभ नही दे पाती हैं|

हर्निया (आंत्रवृद्धि) में लाभदायक

हर्निया रोग में आमतौर पर पेट या आंत शामिल होती हैं|इस स्थिति में अंडकोश या पेट में दर्द होता हैं| इस रोग में असामान्य छेद से किसी उतक या अंग का उभार होने लगता हैं तथा उस जगह सूजन या दर्द हो सकता हैं| इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए वृद्धिवाधिका वटी का प्रयोग उत्तम रहता हैं| इस रोग से ग्रसित व्यक्ति द्वारा इस वटी का नियमित रूप से सेवन करने पर जल्द ही इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता हैं|

त्वचा रोग में लाभदायक (for skin disease)

दाद, खाज, खुजली या त्वचा पर किसी भी प्रकार का संक्रमण होने पर इस वटी का सेवन मुख्य रूप से किया जाता हैं| इस वटी में कई ऐसे तत्व मिले होते हैं जो त्वचा से जुड़े हुए कई रोगों से लड़ने और उन्हें जड़ से खत्म करने में हमारी सहायता करते हैं| अनावश्यक उतको को हटाने के लिए भी यह वटी कारगर होती हैं|

ट्यूमर में लाभदायक

इस रोग में व्यक्ति के शरीर में असामान्य ऊतक का विकास हो जाता हैं जो समय के साथ अनियंत्रित और प्रगतिशील होता चला जाता हैं| ट्यूमर में शरीर के किसी भी हिस्से में असामान्य गांठ बन जाती हैं| यह रोग शरीर के कई हिस्सों में हो सकता हैं| इस वटी का प्रयोग सभी प्रकार के ट्यूमर में किया जा सकता हैं| ट्यूमर के लिए यह वटी बहुत ही लाभदायक साबित होती हैं|

थायराइड की वृद्धि को नियंत्रित करें

थायराइड गर्दन के निचले हिस्से के बीच में तितली के आकार की एक छोटी सी ग्रंथि होती है जो शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रित करती है। हम जो भी खाते हैं, यह ग्रंथि उस भोजन को उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके साथ ही यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।

जब इस ग्रंथि में वृद्धि हो जाती हैं तो गले में दर्द, सूजन और भारीपन जैसी समस्या आती हैं| बिना किसी कारण वजन अचानक से बढ़ जाता हैं| इस रोग से मुक्ति पाने के लिए वृद्धिवाधिका वटी का सेवन उपयुक्त रहता हैं| यह वटी बिना किसी दुष्प्रभाव के इस समस्या को जल्द ही समाप्त कर देती हैं|

हाथीपांव से छुटकारा दिलाएं

इस रोग में रोगी का पाँव फूल कर हाथी के पाँव के समान हो जाता हैं| जरुरी नही की पाँव ही फूले शरीर के अन्य अंग जैसे हाथ, स्तन और अंडकोश भी इस स्थिति में आ सकते हैं| इस रोग का निवारण करने के लिए वृद्धिवाधिका वटी का प्रयोग करना चाहिए| यह वटी किसी भी प्रकार की अनावश्यक वृद्धि को रोकने में सहायक होती हैं|

शरीर में मिनरल्स की पूर्ति करें (for increase minerals)

वृद्धिवाधिका वटी में भरपूर मात्रा में मिनरल्स होते हैं| इस वटी का निर्माण कई ऐसे तत्वों से मिलकर होता हैं जिससे हमारे शरीर में मिनरल्स की पूर्ति आसानी से हो सकती हैं| मिनरल्स की पूर्ति हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करती हैं|

गठिया रोग को जड़ से खत्म करें (for gout)

वृद्धिवाधिका वटी में कई ऐसे गुण होते हैं जो गठिया जैसे रोग को खत्म करने में सहायता करते हैं| इस रोग में जोड़ो में तेज दर्द होता हैं, सूजन आ जाती हैं और रोगी इस समस्या से परेशान रहता हैं| इस परेशानी को दूर करने के लिए वृद्धिवाधिका वटी का उपयोग करना चाहिए| यह वटी इस रोग को जड़ से खत्म करने में फायदेमंद होती हैं|

ह्रदय रोगों में लाभदायक (for heart disease)

यह वटी ह्रदय रोग जैसे धडकनों की अनियमितता जैसे कई रोगों का नियंत्रण कर सकती हैं और व्यक्ति को एक स्वस्थ ह्रदय प्रदान कर सकती हैं| इसके अलावा भी यह वटी केलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित करती हैं जिससे हमे एक मजबूत और स्वस्थ ह्रदय मिलता हैं|

वृद्धिवाधिका वटी के फायदे herbal arcade
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मधुमेह रोग में फायदेमंद

मधुमेह रोग होने पर व्यक्ति को बार बार प्यास लगना, बार बार पेशाब आना, भूख, थकान और धुंधला दिखाई देना शामिल होता हैं| वृद्धिवाधिका वटी का प्रयोग करने से इस रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता हैं|

दमा रोग में लाभदायक (for asthma)

वृद्धिवाधिका वटी श्वसन से जुड़े रोग दमा रोग को जड़ से खत्म करने में सहायता करती हैं| इस रोग को अस्थमा रोग भी कहा जाता हैं| जब सांस की नालियों में जलन, सिकुडन या सूजन की स्थिति होती हैं और उनमे ज्यादा कफ बनता हैं जिससे सांस लेने में समस्या आने लगती हैं| इस वटी के प्रयोग से इस समस्या से सदैव के लिए छुटकारा पाया जा सकता हैं|

कुष्ठ रोग में लाभदायक (for leprosy)

यह रोग एक संक्रामक रोग हैं| इस रोग को सामने आने में कई भी लग जाते हैं| यह रोग त्वचा, आँखों और श्वसन तंत्र पर प्रभाव डालता हैं| यह एक दुर्लभ रोग हैं| इस रोग को मिटाने के लिए वृद्धिवाधिका वटी का उचित मात्रा में नियमित सेवन करना चाहिए| यह वटी इस रोग को धीरे धीरे जड़ से खत्म कर देती हैं|

लीवर की वृद्धि को नियंत्रित करें (for liver)

वृद्धिवाधिका वटी किसी कारण हो रही लीवर अर्थात जिगर की वृद्धि को कम करने में सहायक हैं| लीवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता हैं यदि यह अंग सही प्रकार से कार्य करना बंद कर देगा तो शरीर में कई और तरह की बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं| इस समस्या को जड़ से खत्म वृद्धिवाधिका वटी के माध्यम से किया जा सकता हैं|

मूत्र पथ का संक्रमण दूर करें (for urinary tract infection)

यह वटी मूत्र पथ में हो रहे संक्रमण को दूर करने में सहायक हैं| इसके आलावा मूत्र कम आना जैसी परेशानी से भी व्यक्ति इसका सेवन कर के निजात पा सकता हैं|

उदर रोग में (for stomach disease)

पेट में हो रहे किसी भी प्रकार के दर्द को इस वटी के द्वारा दूर किया जा सकता हैं| यदि कोई व्यक्ति पेट में हो रही ऐंठन से परेशान हैं तो उसे भी इस वटी का सेवन करना चाहिए| इसके अतिरिक्त यह वटी पेट के कीड़ो को मारने में भी असरदार होती हैं| वृद्धिवाधिका वटी का सेवन पेट की कई समस्याओं को दूर करने में सहायक होता हैं|

अत्यधिक लार बहना

कुछ लोगो के मुह से सोते समय लार निकलती हैं| अत्यधिक मात्रा में लार निकलना एक परेशानी बन जाती हैं| इस परेशानी को समाप्त करने के लिए वृद्धिवाधिका वटी का उपयोग करना चाहिए| यह वटी इस समस्या को जड़ से खत्म कर देती हैं|

वृद्धिवाधिका वटी की सेवन विधि (Vridhivadhika vati ki sevan vidhi)

  • 1-1 गोली का सेवन सुबह शाम खाना खाने के बाद करना चाहिए|-
  • वृद्धिवाधिका वटी का सेवन जल के साथ किया जा सकता हैं|
  • इस वटी का सेवन बड़ी हरड के क्वाथ के साथ भी किया जा सकता हैं|

वृद्धिवाधिका वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियां (Vridhivadhika vati ke sevan ki savdhaniya)

  1. इस वटी का सेवन करने के बाद तुरंत दूध, चाय या कॉफी गरम गरम ना लें| दूध आदि लेना हो तो कम से कम एक घंटे बाद लें|
  2. उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति इसका सेवन ना करें|
  3. पेट में छाले होने पर इस वटी का प्रयोग नही करना चाहिए|
  4. गर्भवती महिला और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इस वटी का सेवन नही करना चाहिए|
  5. यदि चिकित्सक द्वारा आपको कम नमक खाने की सलाह दी गयी हो तो इस वटी का सेवन ना करें|
  6. यदि घाव जल्दी ठीक ना हो तो इस वटी का सेवन ना करें|
  7. शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ रहा हो या रक्त बहने का विकार हो तो इस वटी का सेवन ना करें
  8. किसी भी तरह की एलर्जी यदि आपको इस वटी के सेवन से हो तो इस स्थिति में इसका सेवन ना करें|
  9. इस वटी को उचित मात्रा में चिकित्सक की सलाहनुसार ही लें|

वृद्धिवाधिका वटी की उपलब्धता (Vridhivadhika vati ki uplabdhta)

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