गिलोय घनवटी (Giloy ghan vati): अभी जाने अमृत के समान इस औषधि के 21 चमत्कारी फायदें
गिलोय घनवटी का परिचय (Giloy ghan vati introduction: Benefits, Dosage)
गिलोय घनवटी क्या है? (Giloy ghan vati kya hai?)
गिलोय एक लता होती हैं जो किसी पेड़ पर चढ़ने से उसके गुण प्राप्त कर लेती हैं | आयुर्वेद में नीम गिलोय को सबसे प्रभावशाली माना जाता हैं | नीम गिलोय के कई ऐसे चमत्कारिक फायदे होते हैं जो काफी आश्चर्यजनक होते हैं | यह गिलोय किसी भी व्यक्ति के लिए अमृत के समान काम करती हैं इसलिए इसे अमृता या गुडूची कहा जाता हैं |
इसे संशमनी वटी के नाम से भी जाना जाता हैं| गिलोय घन वटी और संशमनी वटी दोनों में ही गिलोय की प्रधानता होती हैं| संशमनी वटी में घटकों की मात्रा थोड़ी अधिक होती हैं| यह आपके पास ना होने या आपके व्यस्त होने के कारण आप इसका सेवन कर पाने में असमर्थ हैं तो आपके लिए गिलोय की घनवटी उत्तम हैं | इसके उपयोग से आपके समय की बचत भी होगी और स्वास्थ्य भी सही रहेगा|
बार बार होने वाला सामान्य बुखार, जुखाम, त्वचा रोग, मधुमेह, सूजन जैसे और भी अनगिनत रोगों में काम में ली जाती हैं | इस लेख में इसके कई और भी फायदे बताये गयें हैं जो आपको स्वस्थ रहने और लम्बी आयु प्रदान करने में सहायता करते हैं | पित्त प्रकृति वाले लोगो, नाजुक लोग, गर्भवती महिला, प्रसूता, बुजुर्गो और बच्चो सभी के लिए यह बहुत लाभदायक होती हैं|
गिलोय घनवटी के घटक (Giloy ghan vati ke ghatak)
इस औषधि का मुख्य घटक गिलोय होता हैं|
गिलोय घनवटी के फायदे (Giloy ghan vati ke fayde)
बुखार में (for Fever)
गिलोय की घनवटी लगभग सभी प्रकार की बुखार को समाप्त करने में सहायता करती हैं| यहाँ तक की पुराने बुखार को भी यह औषधि समाप्त करने की क्षमता रखती हैं| कुछ लोगो की यह शिकायत रहती ही उन्हें बार बार बुखार क्यों आता हैं?? ऐसे में यदि इस वटी का प्रयोग किया जाता हैं तो ज्वर में लाभ मिलता हैं|
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये (in increase immune system)
गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का एक बहुत ही सरल और आसान तरीका हैं| गिलोय के साथ साथ अन्य औषधियों का प्रयोग भी इस वटी के निर्माण में किया गया हैं| इसी करण यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को और भी आसानी से बढ़ा पाने में सक्षम होती हैं|
टी.बी. में (for T.B.)
जब खांसी कई दिनों या हफ्तों तक रहती हैं तो यह टी.बी. का कारण बन सकती हैं| टी.बी. को आयुर्वेद में राजयक्ष्मा कहा जाता हैं| इस रोग में व्यक्ति खांसते खांसते बेहाल हो जाता हैं| खांसते समय खून आना, रात्री में पसीना आना आदि इस रोग के लक्षण होते हैं|
अन्य किसी प्रकार की खांसी में भी इसके उपयोग लाभदायक होते हैं| इस रोग में यदि इस औषधि का उपयोग किया जाता हैं तो काफी लाभदायक परिणाम मिलते हैं|
पांडू रोग के लिए उपयोगी (for Anemia)
इसे एनीमिया या शरीर में रक्त की कमी होना भी कहा जाता हैं| रोग में शरीर में खून की कमी के साथ साथ त्वचा या शरीर का पीला पड़ना आदि जैसे लक्षण सामने आते हैं| इस औषधि में लौह भस्म होती हैं जो खून के स्तर को बढाती हैं और इस रोग को समाप्त करने में सहायता प्रदान करती हैं|
प्रदर की समस्या में
स्त्रियों में प्रदर की समस्या आज कल आम बात हो गयी हैं| इसे ल्यूकोरिया भी कहा जाता हैं| यह गर्भाशय से जुड़े किसी रोग का संकेत भी हो सकता हैं| इसके कारण महिलाओं का स्वास्थ्य कमजोर हो जाता हैं| ऐसे में इस औषधि का उपयोग बहुत उत्तम होता हैं|
वीर्यस्त्राव में
कभी कभी पुरुषो में कई कारणों की वजह से अनियमित वीर्यस्त्राव होता रहता हैं| संशमनी वटी का उपयोग करके इस रोग को भी दूर किया जा सकता हैं|
याददाश्त बढ़ाने में (for increase memory)
यह औषधि मस्तिष्क को बल प्रदान करती हैं जिससे स्मरण शक्ति का स्तर भी बढ़ता हैं| यदि आपकी याददाश्त कमजोर हैं तो आप इस औषधि का सेवन करके इससे छुटकारा पा सकते हैं और अपनी स्मरण शक्ति बढ़ा सकते हैं|
पाचन तंत्र को मजबूती दे (for strong digestion system)
पाचन तंत्र शरीर में बनने वाली ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण साधन होता हैं| यदि किसी कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर होता हैं तो इसका असर मुख्य रूप से शरीर की ऊर्जा पर पड़ता हैं| जिसके कारण कमजोरी, अरुचि, कब्ज़ या दस्त आदि समस्या आती हैं|
ऐसे में इस औषधि का उपयोग करने से पाचन तंत्र को भी मजबूती मिलती हैं और शरीर की निर्बलता भी दूर होती हैं|
गिलोय घनवटी के अन्य फायदे (Giloy ghan vati other benefits)
- मूत्र में पीलापन दूर करें|
- अनिद्रा से छुटकारा|
- हाथ पैरो में खिचावं की समस्या की दूर करने के लिए|
- आखों में से पानी निकलना या सूजन में|
- साँस फूलना|
- सिर दर्द
- टायफायड
- पित्त का शमन करें
- आमविश को समाप्त करें
- सूजन के लिए
- मधुमेह में
- मोटापे को कम करें
- गठिया रोगो में
गिलोय घनवटी की सेवन विधि (Giloy ghan vati ki sevan vidhi)
- दिन में दो से तीन गोलियां पानी या दूध के साथ लेनी चहिये|
गिलोय घनवटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Giloy ghan vati ke sevan ki savdhaniya)
- यदि आप पहले ही किसी रोग से ग्रसित हैं और उसकी चिकत्सा ले रहें हैं तो इसकी जानकरी अपने चिकित्सक को जरुर दें|
- औषधि का सेवन अधिक मात्रा में ना करें|
- अधिक लम्बी अवधि तक इसका सेवन करने से बचे|
- ज्वर अधिक हो और व्यक्ति कमजोर हो तब रोगी को घी, तेल का पाचन नही हो पाता है अत: घी, तेल, मावा और मैदा के पदार्थ, मिठाई और कब्ज करने वाले पदार्थ का सेवन कम करना चा
गिलोय घनवटी की उपलब्धता (Giloy ghan vati ki uplabdhta)
- बैधनाथ संशमनी वटी (BAIDYANATH SANSHMANI VATI)
- धूतपापेश्वर संशमनी वटी (DHOOTPAPESHWAR SANSHMANI VATI)
- ऊंझा संशमनी वटी (UNJHA SANSHMANI VATI)
- आयुर्वेदा 24 संशमनी वटी (AYURVEDA 24 SANSHMANI VATI)
- डाबर संशमनी वटी (DABUR SANSHAMANI VATI)
- दिव्य गिलोय घन वटी (DIVYA GILOY GHANVATI)
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Kis rog mai kitne din tak kitni matra deni hoti ha ye bataye.
Thanks for Writing!!
ye sabhi le sakte hai normally iska intake 2-2 tab twice a day, hota hai..