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शंखपुष्पी (Shankhpushpi)

शंखपुष्पी का परिचय: (Introduction of Shankhpushpi)

Table of Contents

शंखपुष्पी क्या है? (What is Shankhpushpi)

यह एक ऐसी जड़ी बूटी है जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह के बीमारियों के लिए औषधि के  रूप में काम करती है| कहने का मतलब ये है कि शंखपुष्पी की खास बात ये है कि यह मानसिक रोगों के लिए बहुत ही लाभादायक होती है| यह कुष्ठ, कीड़े और विष का असर कम करने में भी मदद करती है| क्या आप सांस संबंधित बीमारी से परेशान है| यह सांस संबंधित बीमारी के लिए कोई रामबाण औषधि से कम नही है|

इसके फूलों के शंख की तरह सफ़ेद दिखने के कारण ही इसे शंखपुष्पी कहा जाता है| शंखपुष्पी हमारे आसपास पाई जाने वाली औषधि है| जिसके बारे में कुछ लोग ही जानते होंगे| इसका उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में किया जाता आ रहा है| शंखपुष्पी के फूलो का उपयोग एक जडीबुटी के रूप में लिया जाता है| शंखपुष्पी सिर्फ यादाश्त बढ़ाने में ही मदद नहीं करती बल्कि कामशक्ति संबंधी समस्याओं में भी लाभकारी होती है| 

यह औषधि रोगो के उपचार के लिए बहुत ही फायदेमंद है| इसमे बहुत सारे गुण पाए जाते है| जिसकी वजह से कब्ज की समस्या, मिर्गी रोग, बालो की समस्या, उल्टी, दांतों के रोग आदि के उपचार के लिए किया जाता है| इसके फायदे यही पर ही समाप्त नही होते है| इसके फायदे और भी है जिसके बारे में आज आप परिचित करवायंगे|  

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Shankhpushpi ki akriti)

बरसात के दिनों में शंखपुष्पी के पौधे छोटे – छोटे पुरे भारत में पथरिले स्थानों पर पाए जाते है| यह बहुत से स्थानों में बारे महीने पाए जाते है|  फूल के रोंगों के आधार पर यह दो प्रकार की पाई जाती है, सफेद और नीली|

Convolvulus pluricaulis choisy – सफेद  शंखपुष्पी

शंखपुष्पी का पौधा जमीन पर फैलने वाला मुलायम तथा रोम वाला होता है| इसकी शाखाएं लम्बी तथा फैली हुई होती हैं| इसका तना मुलायम होता है| इसके पत्ते चौड़े, लम्बे रखाकर होते है| इसके फूल हल्के सफेद या गुलाबी रंग के, बाहर से रोमयुक्त तथा कुप्पी के आकार के होते हैं|  इसके फल अंडाकार और गोलाकार तथा बीज युक्त होते है| इसका फूलकाल व फलकाल सितम्बर से मार्च तक होता है| यह मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रजाति का प्रयोग भी चिकित्सा में किया जाता है|

Convolvulus arvensis  Linn. (हिरणखुरी)

पूरे भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 300 मीटर की ऊँचाई तक तथा बेकार पड़ी हुई भूमि और सड़कों के किनारों, झाड़ियों में इसकी बेलें चढ़ी हुई पाई जाती हैं| इसकी लम्बी लतायें होती हैं| इसके पत्ते चिकने, रेखाकार, नोंकदार, तीर के समान होते हैं| इसके फूल सफेद रंग के या गुलाबी रंग की आभा से युक्त सफेद रंग के होते हैं| इसके फल चिकने होते है| इसके बीज गहरे लाल रंग व भूरे रंग के होते है| इसके जड़ के सेवन से पेट से खराब पदार्थ मल के द्वारा बाहर निकलने में मदद मिलती है| शंखपुष्पी में इसकी मिलावट की जाती है| इसका प्रयोग सांप के विष का असर कम करने तथा सांस संबंधी बीमारी के चिकित्सा में किया जाता है।

शंखपुष्पी के सामान्य नाम Herbal Arcade
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शंखपुष्पी के सामान्य नाम (Shankhpushpi common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Convolvulus microphyllus
अंग्रेजी (English)Bindweed
हिंदी (Hindi)शङ्खपुष्पी
संस्कृत (Sanskrit)शङ्खपुष्पी, विष्णुगन्धी, क्षीरपुष्पी, मांगल्यकुसुमा, मेध्या, सुपुष्पी, कम्बुमालिनी, सूक्ष्मपत्रा, सितपुष्पी, श्वेतकुसुमा, शङ्खाह्वा;
अन्य (Other)विष्णुक्रान्ती (कन्नड़) शंखवल्ली (मराठी) विष्णुकरन्दी (तमिल) विष्णुक्रान्ता  (तेलगु) शंखावली  (गुजराती) शंखुपुष्पम  (मलयालम)
कुल (Family)Convolvulaceae 

शंखपुष्पी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Shankhpushpi ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha)वातपित्तशामक (pacifies vata and pitta)
रस (Taste)तिक्त (bitter)
गुण (Qualities)स्निग्ध (oily), पिच्छिल
वीर्य (Potency) शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect) मधुर (sweet)
अन्य (Others)केश्वर्धन, मेध्य, निद्राजनन
Ayurvedic properties of Shankhpushpi Herbal Arcade
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शंखपुष्पी  के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Shankhpushpi ke fayde or upyog)

याददाश्त बढाने के लिए (Shankhpushpi for increase memory)

  • यदि आपकी याददाश्त कमजोर है, और बार बार सब भूल जाते है तो यादाश्त बढ़ाने के लिए शङ्खपुष्पी रस अथवा शङ्खपुष्पी चूर्ण में मधु, घी एवं शक्कर मिलाकर 6 महीने तक सुबह सेवन करने से याददाश्त बढती है | और इसके अलावा उम्र बढ़ने पर झुर्रियों की समस्या, यादाश्त कमजोर होने और कमजोर महसूस होने की समस्या में लाभ मिलता है|
  • शंखपुष्पी चूर्ण में, शहद मिलाकर सेवन करें तथा बाद में दूध पीयें| इसके सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है|

मिरगी के रोग को दूर करे (Shankhpushpi for epilepsy)

  • मिर्गी के मरीज को अगर बार, बार दौरा पड़ता है तो शङ्खपुष्पी का सेवन इस तरह कराने से लाभ मिलता है| शङ्खपुष्पी रस या शङ्खपुष्पी सिरप में कूठ का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ सेवन करते रहने से पागलपन व मिरगी में लाभ होता है|

सिर दर्द को दूर करे (Shankhpushpi for headache)

  • आज कल तनाव या टेंशन के कारण सिर दर्द तो होना एक आम बात हो गई है| सिर दर्द से आराम पाने के लिए एक रामबाण औषधि है| इससे राहत पाने के लिए शङ्खपुष्पी, खुरासानी और अजवायन चूर्ण को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पिने से सिर दर्द से आराम होता है|

उल्टी से राहत पाए (Shankhpushpi for vomit)

  • उल्टी से अगर हाल बेहाल है तो शंखपुष्पी को इस तरह से लेने पर आराम मिलता है| शंखपुष्पी पंचाग  के दो चम्मच रस में एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मधु के साथ बार,बार पिने से उल्टी होना कम हो जाता है|

खूनी उल्टी से राहत पाए

  • अगर उल्टी के साथ खून निकल रहा है तो तुरन्त राहत पाने के लिए शङ्खपुष्पी का रस या शङ्खपुष्पी सिरप पियें| इसके सेवन से आराम मिलता है|

पागलपन में शंखपुष्पी

  • यदि आपको बार – बार पागलपन का दौरा पड़ता है तो इस अवस्था में शंखपुष्पी के पंचाग का रस पिलाने से मन शांत होता है|
  • छाया में सुखाई हुई शंखपुष्पी तथा शक्कर दोनों को पीसकर छान लें| उसके बाद उस मिश्रण को बोतलों में भरकर रख लें| इस चूर्ण को  दूध के साथ लेने से मस्तिष्क बेहतर तरीके से काम करता है|
  • शंखपुष्पी, वच और ब्राह्मी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण कर लें| इस चूर्ण को दिन में तीन बार पिने से मिरगी, हिस्टीरिया और उन्माद रोग में लाभ होता है|

लू लगने पर शंखपुष्पी

  • अगर लू लगने से बुखार हुआ है और इस अवस्था में रोगी को यदि अनिद्रा की समस्या हो रही है तो उस समय नींद लाने के लिए शंखपुष्पी चूर्ण को दूध एवं मधु के साथ पिने से बहुत लाभ होता है|

रक्तस्त्राव को बंद करे शंखपुष्पी

  • अगर कहीं चोट लगने से खून निकल रहा है, तो शंखपुष्पी के रस को मधु के साथ देने से खून का बहना तुरन्त बन्द हो जाता है|

उच्चरक्तचाप को नियंत्रण करे (Shankhpushpi for high blood pressure)

  • आजकल तनाव भरी जिंदगी में ब्लड प्रेशर हाई होना आम बात हो गया है| हाई ब्लडप्रेशर को निंयत्रण में करने के लिए ताजी शंखपुष्पी के रस को सुबह,दोपहर तथा शाम, कुछ दिनों तक सेवन करने से उच्चरक्त चाप में लाभ होता है|

कमजोरी दूर करे (Shankhpushpi for weakness)

  • शंखपुष्पी का सेवन दुर्बलता को दूर करने में सहायक होता है, क्योंकि इसमें आयुर्वेद के अनुसार बल्य का गुण पाया जाता है जो कि शरीर की अंदरूनी कमजोरी को दूर करने में मदद करता है|

छोटे बच्चो के दांतों की समस्या में उपयोगी शंखपुष्पी

  •  शिशुओं के लिए पहली बार दांत निकलना बहुत बड़ी समस्या होती है, क्योंकि इस दौरान उन्हें तरह-तरह के सेहत संबंधित समस्याएं होती हैं| बच्चो के दांत निकलते समय जिन समस्या का सामना करना पड़ता है उस समय  उस समय शंखपुष्पी की जड़, जवासे की जड़ तथा दुद्धी की जड़ को शुभ नक्षत्र में बच्चे के हाथ पर बांधने से दांत निकलने के समय के समस्याओं से राहत मिलती है|

मूत्र रोग को दूर करे (Shankhpushpi for urinary disease)

  • यदि आपको पेशाब करते समय जलन या दर्द होना या रूक-रूक कर पेशाब होने जैसी समस्याएं होती है| ऐसे रोगों से राहत पाने के लिए शंखपुष्पी के काढ़े में दूध मिलाकर पिने से इस समस्या में फायदा मिलता है|

मधुमेह को नियंत्रण करे (Shankhpushpi for diabetes)

  • डायबिटीज को नियंत्रण में करने के लिए शंखपुष्पी के  चूर्ण को सुबह, शाम गाय के मक्खन के साथ या पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है| 

खांसी की समस्या को दूर करे (Shankhpushpi for cough)

  • यदि आप सर्दी खांसी से परेशान है, तो राहत पाने के लिए शंखपुष्पी का प्रयोग करना चहिए| इसके लिए शंखपुष्पी के पत्तो को जलाकर उसका धुम्रपान करने से सांस लेने की तकलीफ आसान हो जाती है, खांसी की समस्या भी दूर हो जाती है|

नींद नही आने की समस्या में (Shankhpushpi for insomnia)

  • शंखपुष्पी का प्रयोग अनिद्रा को दूर करने में किया जाता है| जब मानसिक तनाव अधिक होने पर नींद आने में समस्या होती है तो शंखपुष्पी का मेध्या गुण होने के कारण ये मानसिक तनाव को कम कर प्राकृतिक नींद लाने में मदद करती है|

बालो को मजबूत बनाने के लिए (Shankhpushpi for hairs)

  • अगर आप बालो के झड़ने या रुसी बालो से परेशान है तो इस समस्या से राहत पाने के लिए  शंखपुष्पी की जड़ को पीसकर उसके रस की कुछ बूंदें नाक में डालने से समय से पहले बाल सफेद नहीं होते| इसके रस को शहद में मिलाकर पीने से बालों का झड़ना रुक जाता है और बाल घने, मजबूत और चमकदार हो जाते हैं| शंखपुष्पी, भृंगराज और आंवला से निर्मित तेल बालों में लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं|

बवासीर में राहत पाए (Shankhpushpi for piles)

  • अगर मसालेदार खाने से कब्ज होने की समस्या के कारण आपको यदि बवासीर की समस्या हो गई है तो शंखपुष्पी अत्यंत लाभकारी औषधि साबित होती है| इसके सेवन से आंतों के अंदर रुका हुआ मल  बाहर निकलता है और कब्ज एवं बवासीर दूर होता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Shankhpushpi)

  • पंचाग

सेवन मात्रा (Dosages of Shankhpushpi)

  • चूर्ण -3 से 6 ग्राम  

शंखपुष्पी से निर्मित औषधियां (Shankhpushpi se nirmit aushadhiyan)

  • शंखपुष्पी पानक
  • मेध्य कषाय

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