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गंभारी (Gambhari)

गंभारी का परिचय: (Introduction of Gambhari)

Table of Contents

गंभारी क्या है? (Gambhari)

प्राचीन समय से चली आ रही आयुर्वेद की चिकत्सा में कई औषधियों को महत्व दिया गया है| उन में से ही एक है गंभारी| सामान्य लोग इसे जानते नही है| इसी कारण वे इसके फायदों से वंचित रह जाते है| आज आपको इस लेख में गंभारी के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी|

इस औषधि का सेवन त्वचा रोगों और रक्त विकारों के लिए काफी उपयोगी होता है| यह औषधि तीनो दोषों का संतुलन करती है| जिससे लगभग सभी प्रकार के रोगों में लाभ मिलता है| वैसे तो भारत में यह सभी जगह पायी जाती है परन्तु पर्वतों पर इसे बहुतयात में देखा जा सकता है|

इसे श्रीपर्णी (सुन्दर पत्तों वाली), मधुपर्णिका (पत्तों में मधु के समान रस होने के कारण), काश्मरी (सुन्दर वृक्ष होने के कारण), पीतरोहिणी (पीत पुष्पों से युक्त) आदि नामों से भी जाना जाता है| आइये आपको भी परिचित कराते है इस दिव्य औषधि के गुणों से| ताकि आप भी इसके फायदों से वंचित न रह कर इसका लाभ उठा सके| इसकी दो प्रजातियाँ पायी जाती है|

गंभारी की प्रजातियाँ (Gambhari ki prajatiya)

  1. गंभारी
  2. पानीय गंभार

गंभारी का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Gambhari ki akriti)

इसका पेड़ काफी लम्बा होता है| इसकी छाल जब नई होती है तो गहरे स्लेटी रंग की दिखाई देती है| इसके पत्तें पीपल की तरह होते है| फूल लाल पीले रंग से युक्त होते है|फल पीले और अंडे के आकार के पाए जाते है| पतझड़ में इसके पत्ते झड़ते है तथा गर्मी में फल और बसंत के आस पास फूल आने लगते है|

Gambhari leaves Herbal Arcade
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पानीय गंभार का बाह्य स्वरुप (paniy Gambhar ki akriti)

इसका पेड़ गंभारी के पेड़ से छोटा होता है जिसकी ऊंचाई लगभग 25 मीटर तक हो सकती है| इसकी छाल चिकनी, लाल, पीले या भरे रंग की हो सकती है| इसके पत्तें मनुष्य के ह्रदय के आकार के होते है| फूलों का रंग कुछ पीला होता है| फल गोल और हरे होते है जिनके अन्दर बीज उपस्थित रहते है|

गंभारी के सामान्य नाम (Gambhari common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Gmelina arborea
अंग्रेजी (English)Malay beech wood , White teak, Coomb teak
हिंदी (Hindi)गम्भारी, खम्भारि, कम्भार, गम्भार, गम्हार, कुम्हार, कासमर
संस्कृत (Sanskrit)गम्भारी, भद्रपर्णी, श्रीपर्णी, मधुपर्णिका, काश्मरी, सर्वतोभद्रा, काश्मर्य, पीतरोहिणी
अन्य (Other)गोमरी (असमिया) सोवॉनी (कोंकणी) शिवानी (कन्नड़) शिवण (गुजराती) गुमड़ी (तमिल)
कुल (Family)Verbenaceae
गंभारी के सामान्य नाम Herbal Arcade
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गंभारी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Gambhari Ayurvedic Properties)

दोष (Dosha) त्रिदोषशामक (pacifies tridosha)
रस (Taste) तिक्त (bitter), कषाय (astringent), मधुर (Sweet)
गुण (Qualities) गुरु (heavy)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)मेध्य, वेदनास्थापन, रक्तपित्तशामक, बल्य

गंभारी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Gambhari benefits and doses)

त्वचा रोगों में तथा सूजन में गंभारी (Gambhari for skin)

  • शीतपित्त या पित्ती उछलने की समस्या में यदि गुलर और इसके फल के काढ़े को पिया जाता है तो लाभ मिलता है|
  • कुष्ठ और विसर्प सम्बन्धी त्वचा रोग में यदि पानीय गम्भारी का सेवन किया जाता है तो जल्द लाभ मिलता है|
  • घाव पर गंभारी के फल को पीसकर लगाना चाहिए| इससे घाव जल्दी भरता है| इसी के साथ यदि आप फोड़े फुंसियों से भी परेशान है तो इसका सेवन आपको आराम दिलाने में सहायता कर सकता है|
  • गंभारी की जड़ से बने काढ़े का सेवन करने से शरीर में आई किसी भी प्रकार की सूजन को दूर किया जा सकता है|

रक्तपित्त का शमन करे (Gambhari for blood bile)

  • रक्तपित्त में इसके फल का सेवन करना आपके लिए काफी हितकर साबित हो सकता है| यह औषधि तीनो प्रकुपित दोषों का शमन करती है इसी कारण यह प्रकुपित पित्त का भी शमन कर रक्तपित्त से आराम दिलाती है|

खून को साफ़ करे गंभारी (Gambhari as blood purifier)

  • खून में गन्दगी या अवांछित पदार्थ की उपस्थिति से मुहांसे, फोड़े, फुंसी, बार बार बुखार आना आदि होते रहते है| यदि आप भी अपने रक्त या खून का शोधन करना चाहते हैं तो इसका सेवन करे| यह रक्त का शोधन करने के लिए एक बेहतरीन उपाय मन जाता है|
  • अधिक या बार बार प्यास लगने पर लाभदायक गंभारी का सेवन
  • शक्कर को इसके रस या काढ़े में डाल कर लेने से बार बार प्यास लगाना बंद होता है|आप इसका सेवन दिन में दो से तीन बार तक कर सकते है|

अधिक गर्मी या जलन होने पर (Gambhari for excessive body heat)

  • गर्मी या जलन होने पर इसके फल के साथ चन्दन और मुलेठी मिला कर देने से गर्मी और जलन का शमन होता है| इसके साथ ही इससे बुखार में भी लाभ मिलता है|

मूत्र रोगों में लाभदायक (Gambhari for urinary disease)

  • यदि मूत्र त्याग के समय आपको दर्द, कठिनाई, जलन या कोई अटकाव महसूस होता है तो इसके पत्तों से बने रस का सेवन करने से ये सभी प्रकार की कठिनाईयां दूर होती है|
Ayurvedic properties of Gambhari Herbal Arcade
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दुर्बलता को मिटायें (Gambhari for weakness)

  • दूध के साथ दिन में दो बार इसके फल के चूर्ण को मिलाकर लेने से दुर्बलता का शमन होता है और व्यक्ति हष्ट पुष्ट होता है| इस प्रयोग से पुरुषों के वीर्य विकारों में भी लाभ मिल सकता है|

दस्त में गंभारी का सेवन (Gambhari for diarrhea)

  • इसके फल के रस का सेवन दस्त पर रोक लगा पाने में सहायक होता है| खूनी दस्त की समस्या होने पर भी आप इसके रस का सेवन कर सकते है|

स्तनों के विकार में लाभकारी

  • गंभारी के काढ़े और पेस्ट से सिद्ध तेल को स्तनों पर लगाने से स्तनों के विकारों में लाभ मिलता है| इसके अलावा यदि आप इसके काढ़े का सेवन करते है तो इसे दूध में बढ़ोतरी होगी|

ह्रदय के लिए फायदेमंद (Gambhari for heart)

  • गम्भारी का सेवन ह्रदय को बल प्रदान करता है जिससे कोई भी ह्रदय रोग आसानी से ह्रदय को अपनी चपेट में नही ले सकता है| एक प्रकार से इसका सेवन आपके ह्रदय की रोगों से रक्षा करता है|

बुखार में (Gambhari for fever)

  • गम्भारी के रस या काढ़े का उचित मात्रा में सेवन आपको लगभग सभी प्रकार की बुखार से मुक्ति दिलाता है| इसके साथ ही यह बुखार के कारण होने वाली जलन और गर्मी में भी लाभ करता है| काढ़े का सेवन आप बुखार के कारण आने वाली दुर्बलता को दूर करने के लिए भी कर सकते है|

प्रसूता के लिए गंभारी का सेवन

  • प्रसूता स्त्री के लिए इस औषधि का सेवन काफी लाभदायक होता है| इससे बने हुए काढ़े को दिन में दो बार स्त्री को देने से प्रसूता स्त्री के सूतिका रोगों का समापन होता हो| इसके साथ ही गर्भाशय की सूजन का भी शमन होता है|

शिशु की रक्षा के लिए गंभारी

  • गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जितनी सुरक्षा रखे उतनी कम होती है| ऐसे में यदि आप इसके फल और मुलेठी का सेवन मिश्री के साथ करते है तो शिशु को किसी प्रकार का नुकसान नही होता तथा उसकी रक्षा होती है|

आमवात और गठिया का शमन करे (Gambhari for gout)

  • इसके फल और मुलेठी के काढ़े का सेवन सुबह दोपहर और शाम को करने से लाभ मिलता है| प्रभावित जोड़ो पर इसकी जड़ का लेप बनाकर लगाने से भी आमवात और गठिया में लाभ मिलता है|

बालों के लिए लाभदायक (Gambhari for hairs)

  • बालों को मजबूत, काला, घना बनाने के लिए इस औषधि का सेवन काफी मदद करता है| आप भी इसका सेवन अपने बालों की लम्बी उम्र और ख़ूबसूरती के लिए कर सकते है| इसके साथ ही यह असमय आने वाले सफ़ेद बालो को भी रोकता है|

पेट दर्द में गंभारी (Gambhari for stomach)

  • पेट दर्द होने पर इसकी जड़ को पीसकर चूर्ण बना कर लेने से पेट दर्द का शमन होता है| इसको पीने से कब्ज़ की समस्या का भी समाधान होता है|

कीड़ों का शमन करे (Gambhari for bugs)

  • पेट या आंत में कीड़ें होने पर व्यक्ति दुबला होने लगता है| फिर चाहे वह कितना भी खा ले पुष्ट होता ही नही है| ऐसे में शायद पेट या आंतों में कीड़ों की शिकायत हो सकती है| इसकी जड़ के काढ़े को दिन में एक से दो बार पीने से कीड़ों का समापन हो जाता है|

फेफड़ों को मजबूती दे (Gambhari for lungs)

  • फेफड़ों से जुड़े विकारों को दूर करने और उन्हें मजबूत बनाने के लिए इससे बने काढ़े का सेवन बहुत उचित होता है|

सुजाक में

  • इस औषधि के पत्तों से बने रस में मिश्री और गोमूत्र मिला लें| अब इसका सेवन दिन में एक से दो बार करने से इस रोग का शमन होगा| इसके साथ ही मूत्र से जुडी समस्या का भी समाधान होगा|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Gambhari)

  • जड़
  • पत्ती
  • बीज
  • फूल
  • तेल

सेवन मात्रा (Dosage of Gambhari)

  • क्वाथ – 10 से 50 ml के मध्य

गंभारी से निर्मित औषधियां

  • श्रीपर्णयादि क्वाथ
  • श्रीपर्णीतेल

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