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सरसों (Sarson)

सरसों  का परिचय: (Introduction of sarso)

Table of Contents

सरसों क्या है? (What is Sarson)

सरसो का नाम सुनते ही मन में सरसों के साग की याद आ जाती है| सरसों के दाने का उपयोग सब्जी में तड़का लगाने में किया जाता है| क्या आपको पता है की जिसका उपयोग बरसों से सब्जी बनाने में किया जाता आ रहा है उसके कितने ही सारे फायदे है| यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है|

इस सरसों को आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है| जिसका प्रयोग हर प्रकार के दर्द, बालो को झड़ने से रोकने के लिए, बवासीर, त्वचा के समस्त रोग, पथरी, तथा उपदंश, आदि ले इलाज के लिए बहुत ही लाभकारी है|

इस औषधि में बहुत सारे पौषक तत्व पाए जाते है जो  रोगो के लिए एक रामबाण की तरह उपयोग में आते है| यह सांस संबंधित रोग, गुल्म रोग, मधुमेह, मिरगी आदि में लाभकारी है| सिर्फ इसके फायदे यहीं पर ही समाप्त नही होते है| इसके अनगिनत फायदे है| जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाएंगे|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Sarson ki akriti)

पुरे भारत में इसकी खेती की जाती है| सर्सो का उपयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है| सर्सो अधिक सरसों के तैल का उपयोग किया जाता है| इसका पौधा 60 से 80 सेमी ऊँचा, सीधा होता है| इसका तना छोटो छोटी शाखादार होता है| इसके पत्ते पाली के समान, भालाकार, चमकीले, हरे रंग के होते है| इसके फूल पीले रंग के होते है| इसकी फली लम्बी छोटे – छोटे बीजो से युक्त होती है| इसके बीजों के तैल निकलता है| इसकी जड़ पतली कंदीय होती है| इसका फूलकाल व फलकाल सितम्बर से जनवरी तक होता है|  

सरसों के पौषक तत्व (Sarson ke poshak tatva)

  • कैलोरी
  • प्रोटीन
  • कार्बोहाइड्रेट
  • फाइबर
  • कैल्शियम
  • आयरन
  • मैग्नीशियम
  • फास्फोरस
  • पोटैशियम
  • सोडियम
  • जिंक
  • मैंगनीज
  • सेलेनियम
  • विटामिन सी
  • राइबोफ्लेविन
  • थायमिन
  • नियासिन
  • विटामिन-बी 6
  • विटामिन-ए
  • विटामिन-ई
  • विटामिन-के
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सरसों के सामान्य नाम (Common names of Sarson)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Brassica campestris
अंग्रेजी (English)Mustard
हिंदी (Hindi)सरसों , सरिसों , सर्सो
संस्कृत (Sanskrit)सर्षप, कटुस्नेह, तुन्तुभ
अन्य (Other)आवालू  (कन्नड़) शरशब  (गुजराती) सरसों  (तमिल ) पच्चावलु (तेलगु) सरिसा (बंगाली) सरसों (पंजाबी) शिरशी (मराठी)
कुल (Family)Brassicaceae

सरसों   के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Sarson ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha)कफवातशामक (pacifies cough and vata), पित्तवर्धक (increase pitta)
रस (Taste)कटु (pungent), तिक्त (bitter)
गुण (Qualities)तीक्ष्ण (strong), रुक्ष (dry), स्निग्ध (oily)
वीर्य (Potency)उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect)कटु (pungent)
अन्य (Others)वेदनाशामक, कंडूशामक, कृमिशामक
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सरसों के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Sarson ke fayde or upyog)

घाव का शमन करे (Sarson for wound)

  • अगर किसी भी प्रकार की चोट के कारण आपके शरीर के अंग पर घाव हो गया है तो सरसों के पत्तो को पीसकर घाव पर लगाने से घाव का शमन होता है| 

कुष्ठ रोग को दूर करे (Sarson for leprosy)

  • यह रोग एक ऐसा रोग है जिसकी वजह से ना तो चेन से जी सकते है नहीं  जी मर सकते है| इस रोग के कारण अधिकतम लोग परेशान रहते है| इस रोग से राहत पाने के लिए सरसों का उपयोग बहुत ही उतम माना गया है| इसके तैल के प्रयोग से कुष्ठ में राहत पा सकते है|

बालो के लिए (Sarson for hairs)

  • यह बालों की जड़ों को पोषण देकर खून का संचार बढ़ाता है जिससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है| इसमें ओलिक एसिड और लीनोलिक एसिड पाया जाता है जो बालों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए अच्छे होते हैं|
  • इसके अलावा  बालों में सरसों के तेल का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है| सर्सो के तेल में विटामिन, प्रोटीन और फैटीसेड की मात्रा पाई जाती है।
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भूख बढ़ाने के लिए (Sarson for increase hunger)

  • भूख नहीं लगने पर भी सर्सो का तेल आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है| अगर भूख न लगे,तो खाना बनाने में सरसों के तेल का उपयोग करना लाभकारी  होता है| शरीर में पाचन तंत्र को दुरूस्त करने में भी लाभदायक होता है|

कैंसर के लक्षणों को रोकने के लिए (Sarson for cancer)

  • सरसों के दानों में ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड कोलन पाया जाता है| यह कैंसर को पनपने से रोकने का काम करता है|

अस्थमा के लिए (Sarson for asthma)

  • अस्थमा से पीड़ि‍त लोगों के लिए सरसों का तेल खासतौर पर फायदेमंद होता है| सर्सो में पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो अस्थमा के मरीजों के मरीजो के लिए खासतौर पर फायदेमंद होता है|

आधासीसी में सरसों

  • टेंशन या तनाव के कारण आपको आधासीसी की समस्या है तो इसे राहत दिलाने में सर्सो का उपयोग किया जाता है| क्योकि इसमे कुछ ऐसे पौषक तत्व पाए जाते है जो  माइग्रेन के दर्द को बहुत हद तक कम करते है|

वजन कम करने के लिए सरसों

  • आप बढ़ते वजन से बहुत ही परेशान है तो सरसों का उपयोग कर सकते हो क्योकि सर्सो के तेल में मौजूद विटामिन जैसे थियामाइन, फोलेट व नियासिन शरीर के मेटाबाल्जिम को बढ़ाते हैं जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है|

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए (Sarson for immunity)

  • सरसों का तेल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है| शरीर की अंदर की कमजोरी दूर करने के लिए सर्सो के तेल का नियमित सेवन करें| इससे मालिश करना भी फायदेमंद होता है|

कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण करने के लिए सरसों

  • यदि आप बढ़ते कोलेस्ट्रोल से परेशान हो तो  कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण करने के लिए सर्सो के उपयोग बहुत ही उत्तम माना गया है|  इसके उपयोग से ह्रदय भी स्वस्थ रहता है|

कान के रोगो में (Sarson for ear disease)

  • अगर आपको कान से संबंधित कोई  भी रोग है तो इसे राहत पाने के लिए सर्सो के तैल हो हल्का गर्म करके एक या दो बूंद कान में डालने से कान के रोग से राहत मिलती है|

रतौंधी में

  • विटामिन- ए की कमी से रात को नहीं दिखाई देना या फिर नजर का कमजोर होना यानी रतौधीं की समस्या हो सकती है| सरसों का उपयोग करने पर इस समस्या को दूर किया जा सकता है| इसमे विटामिन भरपूर मारा में पाया जाता है जो इस रोग से बचाता है|

कीड़े मकोड़े के जहर में

  • पीली सरसों के साथ पुराना गुड़ मिलाकर धूपन करने से सभी प्रकार के विषो का प्रभाव कम होता है|

रक्तचाप में (Sarson for blood pressure)

  • रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिए भी सरसों का उपयोग किया जा सकता है| सरसों के बीजो में  मेथनॉल अर्क पाया जाता है| इसलिए बीज का सेवन किया जाता है| इसके उयोग से रक्तचाप को नियंत्रित रखा जा सकता है|

मिरगी रोग से राहत पाए (Sarson for epilepsy)

  • अगर कोई व्यक्ति मिर्गी रोग से पीड़ित है है उस व्यक्ति को सरसों के साथ कुछ औषधियो का उपयोग करना चहिए| इसके लिए सफेद सरसों, पिप्पली, मरिच, सोंठ, बहेडा, आंवला, हर्रे, हिंग, कुटकी, वचा, करंज के बीज इन सब को बकरे के मूत्र में पीसकर वटी बना ले| इसको छाया में सुखाकर फिर, घिसकर आँखों में काजल की तरह लगाने ने मिरगी रोग पागलपन, दिमाग के समस्त रोग तथा आँखों के रोगो में लाभ होता है|

दांतों के रोग मे (Sarson for teeth)

  • यदि आपके दांतों में से खून निकल रहा है तथा खुजली चल रही है तो राहत पाने के लिए सरसों के चूर्ण बनाकर दांतों पर रगड़ने से आपको दांतों के रोग में लाभ होता है|

मधुमेह  में (Sarson for diabetes)

  • खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने और अनियंत्रित होने से मधुमेह की समस्या हो सकती है| मधुमेह की समस्या से बचने के लिए सरसों मददगार हो सकता है| इसके लिए सरसों के बीजो का उपयोग किया जाता है|

सर्दी जुकाम में सरसों

  • मौसम के कारण  सर्दी जुकाम हो गया है तो सरसों को पीसकर सिर पर लेप करने से जुकाम का शमन होता है|

सूजन में (Sarson for swelling)

  • यदि आप सूजन से पीड़ित है तो सरसों के बीजो को पीसकर लेप करने से सूजन का शमन होता है|

हैजा में सरसों

  • उल्टी दस्त के कारण आपको हैजा की समस्या हो गई है तो सरसों के साथ गुड़ मिलाकर पानी से साथ सेवन करने से हैजा में लाभ होता है|

पेट के कीड़ो में (Sarson for stomach bugs)

  • यदि आपके पेट के कीड़ो के कारण आपका पेट दर्द कर रहा  और इसका शमन करना चाहते है तो कोशातकी, करंज, अतसी तथा सरसों के तैल को मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़ो का शमन होता है|

हाथीपाव में सरसों

  • हाथी पांव यानि फाइलेरिया इससे पीड़ित लोगों के लिए सरसों का उपयोग उतम माना जाता है| इसे तैल को सीमित मात्रा में पिने से हाथीपाव में लाभ होता है|
  • इसके अलावा सरसो के पत्तो को पीसकर लगाने से हाथीपांव में लाभ होता है|

जोड़ो के दर्द (Sarson for joints pain)

  • बढती उम्र के साथ जोड़ो का दर्द तो एक आम बात हो गई है| इसे राहत पाने के लिए सरसों, नीम, अर्क, हिंस्रा तथा तिलक्षार को समान मात्रा में मिलाकर, इसे पीसकर जोड़ो पर लेप करने से जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है| 

तिल्ली की वृद्धि में (Sarson for spleen enlargement)

  • तिल्ली की वृद्धि के कारण लीवर की भी समस्या हो जाती है  इसे कम करने के लिए एक सप्ताह तक पीली सरसों की कंजी से पीसकर पेस्ट बना ले, इस पेस्ट को सेंधा नमक के साथ मिलाकर पिने से तिल्ली की वृद्धि कम होती है| इसके साथ ही तिल्ली के रोगों का भी शमन होता है|

पेट के रोगो से राहत पाए (Sarson for stomach)

  • यदि आप पेट के रोगो से घबरा रहे है तो जल्दी से राहत पाने के लिए सरसों में सुराबीज तथा मुली मिलाकर पीसकर पेट पर मोटा लेप करने से पेट के रोगो में जल्दी से राहत मिलती है | 

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Sarson)

  • बीज
  • पत्ते
  • तैल

सेवन मात्रा (Dosages of Sarson)

  • चूर्ण – 1 से 2 ग्राम या चिकित्सक के अनुसार

सरसों से निर्मित औषधियां

  • सर्षपादि तेल

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