ब्राह्मी वटी: अब होगा आपका दिमाग पहले से तेज, बस करें इसका सेवन
ब्राह्मी वटी का परिचय (Introduction of Brahmi vati: Benefits, doses)
क्या होती हैं ब्राह्मी वटी ?? (What is Brahmi vati?)
ब्राह्मी एक गुणकारी पौधा होता हैं जिसके साथ कई और गुण वाली औषधियों को मिला कर ब्राह्मी वटी का निर्माण किया जाता हैं| ब्राह्मी का उपयोग बहुत पुराने समय से कई रोगों को मिटाने के लिए किया जाता हैं| यह वटी मस्तिष्क के लिए बहुत ही कारगर औषधि हैं इस कारण इसे मस्तिष्क का टॉनिक भी कहा जाता हैं|
इस वटी का सेवन करने से दिमाग तेज होता हैं और तंत्रिका तंत्र मजबूत होता हैं| याददाश्त को बढाने के लिए भी यह वटी उत्तम होती हैं| पुरानी बुखार, बुखार के बाद आने वाली कमजोरी, मोतीझरा (टायफाइड) में होने वाली बैचेनी, अतिसार, पेट में होने वाला दर्द को खत्म करने के लिए इस वटी का सेवन फायदेमंद होता हैं|
मंद मंद ज्वर को भी इस वटी का सेवन करके समाप्त किया जा सकता हैं| सन्निपात की स्थिति में इस वटी का सेवन करने से ह्रदय और मस्तिष्क की रक्षा होती हैं| इसके अलावा भी यह ह्रदय को प्रबलता देती हैं| हिस्टीरिया और मिर्गी जैसे रोगों में भी इस वटी का सेवन उत्तम रहता हैं| दुर्गन्धयुक्त पसीने से मुक्ति दिलाने में यह वटी मददगार होती हैं|
ब्राह्मी वटी के उपयोग में आने वाले घटक द्रव्य (Contents of Brahmi vati)
- ब्राह्मी
- रससिंदूर
- अभ्रक भस्म
- बंग भस्म
- शुद्ध शिलाजीत
- काली मिर्च
- पीपल
- वायविडंग
ब्राह्मी वटी बनाने की विधि (How to make Brahmi vati)
ऊपर दी गयी सारी औषधियों को साफ़ करके इनका चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को ब्राह्मी के क्वाथ में 3 दिन खरल करके इसकी गोलियां बना लें| इसके बाद इन्हें सुखा दें और सेवन के लिए तैयार कर लें|
ब्राह्मी वटी के फायदें (Benefits of Brahmi vati)
तंत्रिका तंत्र को मजबूती दें
यह शरीर का वह हिस्सा होता हैं जिससे शारीरिक प्रतिक्रियाएँ नियंत्रित होती हैं| इस कारण इसका मजबूत रहना बहुत ही आवश्यक हैं| तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क उपस्थित होता हैं| इसलिए ब्राह्मी वटी मस्तिष्क की मजबूती में भी सहायक होती हैं|
इस तंत्र के सुचारू रूप से क्रिया ना करने पर मस्तिष्क से जुडी कई बीमारियाँ हो सकती हैं| मस्तिष्क के सही रूप से काम न करने करने पर डिप्रेशन, तनाव, अनिद्रा, गलत विचार या पागलपन जैसी कई समस्याएँ हो सकती है|
इसका उपयोग मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र और उसमे उपस्थित मस्तिष्क की मजबूती के लिए ही किया जाता हैं|
याददाश्त बढाने का लिए
यह मस्तिष्क को मजबूती देने के साथ साथ याददाश्त को बढ़ने में भी सहायक होती हैं| बढती उम्र के साथ या अधिक अध्ययन के कारण स्मरण शक्ति का नाश होने लगता हैं| इस स्थिति में ब्राह्मी वटी का उपयोग बेहतर होता हैं| इस वटी को इसी कारण मस्तिष्क का टॉनिक भी कहा जाता हैं| यह वटी बुद्धि को भी बढाती हैं|
जीर्ण ज्वर को खत्म करें
ज्वर कोई रोग नही होता हैं बल्कि किसी रोग के होने वाले लक्षण होते हैं| कई बार कुछ ही औषधियों का सेवन करने से बुखार ठीक हो जाता हैं अर्थात व्यक्ति संक्रमण से मुक्त हो जाता हैं लेकिन कई बार ज्वर ठीक नही होता| जब ज्वर को अधिक समय हो जाये तो यह जीर्ण हो जाता हैं|
इस स्थिति से नकलने के लिए इसका उपयोग बहुत ही उपयुक्त रहता हैं| मंद मंद आने वाले ज्वर से भी इस वटी का उपयोग करके छुटकारा पाया जा सकता हैं| मंद ज्वर के कारण आने वाले दुर्गन्धयुक्त पसीने और दुर्गन्धयुक्त सांस से छुटकारा पाने के लिए भी इस वटी का प्रयोग किया जाता हैं|
ज्वर के बाद आने वाली कमजोरी को मिटायें
लम्बे समय तक ज्वर के शरीर में रहने के बाद शरीर बहुत कमजोर हो जाता हैं| इस कमजोरी की पूर्ति करने के लिए ब्राह्मी वटी एक उत्तम उपाय हैं| यह बिना किसी नुक्सान के शरीर की कमजोरी को मिटा कर शारीरिक रूप से मजबूत बनाती हैं|
टायफाइड (typhoid) रोग में
यह रोग विषाक्त पदार्थो या द्रव्यों के माध्यम से होता हैं| इस रोग को मोतीझरा रोग भी कहा जाता हैं| मोतीझरा के दौरान होने वाली बैचेनी, प्रलाप, अतिसार, पेट दर्द होने वाली इन समस्याओं में यह विशेष रूप से लाभ करती हैं|
सन्निपात रोग में लाभदायक
यह एक अस्थायी विकार होता हैं| इसे मूर्छा या बेसुधी भी कह सकते हैं| यह जीवन पर गंभीर संकट लाने वाली स्थिति है जिससे मानसिक स्थिरता और चेतना पर बहुत तेज उतारचढ़ाव आ जाता है. इससे पीड़ित मरीज़ को अपने आसपास का कोई ख्याल नहीं रह जाता, वह सुधबुध खो बैठता है और उसकी सोच भ्रमित हो जाती है| इस स्थिति में रोगी को ब्राह्मी वटी का सेवन कराने पर उसके मस्तिष्क और ह्रदय को प्रबलता मिलती हैं| जिससे रोगी की मानसिक स्थिति धीरे धीरे नियंत्रित हो जाती हैं|
मिर्गी रोग में लाभदायक
यह बीमारी तंत्रिका तंत्र से जुडी हुई हैं| इसमें व्यक्ति को अनियमित रूप से दौरे पड़ते हैं| चूँकि यह वटी मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र में फायदेमंद होती हैं इसी कारण इस रोग में भी इसका सेवन उचित मन जाता हैं|
ह्रदय को प्रबलता दें
यह ह्रदय के मरीजो के लिए भी बहुत उपयोगी होती हैं| इस वटी का सेवन करने से कमजोर ह्रदय मजबूत होता हैं और व्यक्ति को ह्रदय से जुडी समस्याओं में आराम मिलता हैं| एक स्वस्थ ह्रदय जब मनुष्य के पास होगा तो उसकी जीवन अवधि में भी वृद्धि होगी|
ब्राह्मी वटी के उपयोग से होने वाले अन्य फायदें (Other benefits of Brahmi vati)
- अनिद्रा को समाप्त करे
- तनाव से मुक्ति दिलाने में सहायक
- मूत्र में अधिक पीलापन हो और और पसीने की दुर्गंध आती हो तो इस वटी को शिलाजीत और पुनर्नवा के क्वाथ के साथ देने से लाभ मिलता हैं|
ब्राह्मी वटी के सेवन का प्रकार और मात्रा (Doses of Brahmi vati)
- 1 से 2 गोली का सेवन दिन में दो बार खाना खाने के बाद करना चाहिए|
- इसका सेवन दूध के साथ किया जा सकता हैं|
ब्राह्मी वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Precautions of Brahmi vati)
- यदि आप पहले से ही किसी रोग से पीड़ित हैं और उसकी चिकित्सा ले रहे हैं तो इस वटी का सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरुर लें|
- वैसे तो इसके दुष्प्रभाव नही होते हैं परन्तु कभी कभी इसके सेवन के दौरान भूख में कमी, सिर दर्द, बैचेनी महसूस हो सकती है|
ब्राह्मी वटी की उपलब्धता (Availability of Brahmi vati)
- बैधनाथ ब्राह्मी वटी (BAIDAYANATH BRAHMI VATI )
- डाबर ब्राह्मी वटी (DABUR BRAHMI VATI )
- ऊंझा ब्राह्मी वटी (UNJHA BRAHMI VATI )
- आयुर्वेदा 24 ब्राह्मी वटी (AYURVEDA 24 BRAHMI VATI )
- झंडू ब्राह्मी वटी (ZANDU BRAHMI VATI )
- धूतपापेशवर ब्राह्मी वटी ( DHOOTPAPESHWAR BRAHMI VATI )
- आत्रेय ब्राह्मी वटी (ATREY BRAHMI VATI )
Read more Articles
Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. We will respond to each valuable comment)