वातगजाकुंश रस: (फायदे, सेवन Vatgajankush ras: Benefits)
वातगजाकुंश रस का परिचय (Vatgajankush ras ka parichay)
वातगजाकुंश रस क्या हैं? (Vatgajankush ras kya hai?)
वात विकारो को जड़ से खत्म करने वाली यह एक सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि हैं | वातगजाकुंश रस वात विकारो का शमन करने के साथ ही जिन पुरुषो की चर्बी बढ़ रही हैं या जो मोटापे के शिकार हैं के लिए भी बहुत उपयोगी और कारगर साबित हुई हैं |
गृध्रसी, पक्षागात, हनुस्तम्भ, मन्यास्तम्भ जैसी दुर्लभ बिमारियों को यह औषधि बहुत जल्द ही समाप्त कर पाने की क्षमता रखती हैं | गृध्रसी में इसका सेवन करने से यह लगभग 7 दिनों में समाप्त हो जाता हैं | शरीर की जकड़न, दर्द, नसों में होने वाला तनाव, मांसपेशियों आदि के दर्द में भी यह बहुत लाभकारी हैं |
वातगजाकुंश रस के घटक द्रव्य (Vatgajankush ras ke ghatak dravya)
- रससिंदूर
- लौहभस्म
- सुवर्ण माक्षिक भस्म
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध हरताल
- बच्छनाभ शुद्ध
- बड़ी हरड
- काकडासिंगी
- सोंठ
- काली मिर्च
- पीपल
- अरणी की छाल
- सुहागे का फूला
- गोरखमुंडी के पत्तो का रस
- निर्गुन्डी के पत्तो का रस
वातगजाकुंश रस बनाने की विधि (Vatgajankush ras banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने के लिए गोरखमुंडी के पत्तो के रस निर्गुन्डी के पत्तो के रस को छोड़कर बाकी बची सारी औषधियों का चूर्ण बना लें | अन इन औषधियों में गोरखमुंडी और निर्गुन्डी के पत्तो के रस की 3-3 भावनाएं दे कर गोलियां बना लें और सुखा कर रख लें |
वातगजाकुंश रस के फायदे (Vatgajankush ras ke fayde)
गृध्रसी या साइटिका में (for sciatica)
आयुर्वेद में इस रोग को वात के अंतर्गत रखा गया हैं | जब रीढ़ की हड्डी को चोट या झटको से बचाने वाली दो गद्देदार डिस्क ख़राब होती हैं या उनमे किसी प्रकार की क्षति होती हैं तो इस समस्या का सामना करना पड़ता हैं | इसके कारण शरीर में कमजोरी, प्रभावित अंग में दर्द, बैठने या खड़े होने में समस्या आती हैं | यह औषधि इस रोग को लगभग 7 दिनों के भीतर समाप्त करने की क्षमता रखती हैं |
पक्षाघात में (for paralysis)
इस रोग में व्यक्ति के शरीर का कोई अंग, हिस्सा या शरीर का आधा हिस्सा या पूरा शरीर सुन्न पड़ जाता हैं | इसे लकवा भी कहा जाता हैं | वातगजाकुंश रस का प्रयोग करके लकवे की धीरे धीरे समाप्ति की जा सकती हैं |
सर्वाइकल स्पोंड़ीलाइटीस या मन्यास्तम्भ
यह रोग मुख्य रूप से गर्दन के दर्द से जुड़ा हुआ हैं | जब किसी कारण गर्दन का अधिक उपयोग होता हो या किसी कारण जब गर्दन में चोट लग गयी हो तो यह दर्द हो सकता हैं | अक्सर गर्दन मंक दर्द एक आम बात हैं लेकिन जब यह दर्द बना रहता हैं या बार होने लगता हैं तो ऐसे में मन्यास्तम्भ की स्थिति बन सकती हैं |
यह परिस्थिति आने पर गर्दन और आस पास की नसों में जकड़न, हाथ पैरो में सूजन और कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन आदि लक्षण देखने को मिलते हैं| इस रोग में यदि वातगजाकुंश रस का प्रयोग किया जाये तो बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं |
हनुस्तंभ में (for lock jaw)
इस रोग में व्यक्ति अपने जबड़े को हिला पाने में पूर्ण रूप से असमर्थ हो जाता हैं | इसके कारण व्यक्ति अपने जबड़ो को खोल नही पाता हैं | यह किसी दवा के दुष्प्रभाव या कई और कारणों से भी हो सकता हैं | इसके अलावा निगलने में कठिनाई आना, सिर दर्द, बुखार, कान के आस पास दर्द होना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं |
इस समस्या से निजात पाने के लिए इस रस का उपयोग उचित रहता हैं |
अपबाहुक में
एक प्रकार का वात रोग जिसमे कंधे के आस पास वायु प्रविष्ट होने से आस पास की नसें तन जाती हैं | इससे व्यक्ति को कठिन दर्द का सामना करना पड़ता हैं | इस रस का उपयोग करने से इस रोग में आराम मिलता हैं |
चर्बी घटाने में (for decrease fat)
यह औषधि मुख्य रूप से पुरुषो की चर्बी घटाने में भी उपयोग में ली जाती हैं | इस औषधि का सेवन करने से चर्बी का नियंत्रण होता हैं और मोटापे की शिकायत की समाप्ति होती हैं |
वातगजाकुंश रस के अन्य फायदे (Other benefits of Vatgajankush ras)
- नसों को शांत करने में
- सूजन में
- गठिया बाय में
- संधिवात में
- शरीर की अकडन समाप्त करें
- कफ रोगों में
- पित्त बढ़ाये
वातगजाकुंश रस की सेवन विधि Vatgajankush ras ki sevan vidhi
- 1 से 2 गोली का सेवन सुबह शाम मंजिष्ट के क्वाथ में पीपल चूर्ण मिला कर या रास्नादी क्वाथ या दशमूल के क्वाथ के साथ दें |
वातगजाकुंश रस का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Vatgajankush ras ke sevan ki savdhaniya)
- किसी भी व्यक्ति को इस औषधि का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह अनिवार्य रूप से लेनी चाहिए |
- इसके सेवन काल में कब्ज़ की शिकायत ना रखें |
- ठण्ड से बचे |
- खट्टे पदार्थो का सेवन जितना हो सके कम करें |
- बच्चो को इसका सेवन ना करायें |
- चिकित्सक को रोग की जीर्णता के बारे में पूरी जानकारी देनी चहिये |
वातगजाकुंश रस की उपलब्धता (Vatgajankush ras ki uplabdhta)
- बैधनाथ वातगजाकुंश रस (Baidyanath Vatgajankush ras)
- डाबर वातगजाकुंश रस (Dabur Vatgajankush ras)
- ऊंझा वातगजाकुंश रस (Unjha Vatgajankush ras)
- दीप आयुर्वेदा वातगजाकुंश रस (Deep ayurveda Vatgajankush ras)
- गुआफा वातगजाकुंश रस (Guapha Vatgajankush ras)
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