आंवला (Amla): आंवले के 33 स्वास्थ्यप्रद घरेलु नुस्खे जो आपको जानना जरूरी है (Benefits, dosages)
आंवला का परिचय (Introduction of Amla)
आंवला क्या है? (Amla kya hai?)
आंवले का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाना जाहिर सी बात हैं| आंवला (Amla) का उपयोग सब्जी बनाने में, अचार में, मुरब्बे में, आंवले का रस, आंवले को सुखाकर चूर्ण बनाने में, धार्मिक कार्यो में, खाने को स्वादिष्ट बनाने आदि में प्राथमिकता के साथ किया जाता हैं|
लेकिन क्या आप जानते हैं आंवला अपने स्वाद के अलावा अपने औषधीय गुणों को लेकर भी बहुत प्रसिद्ध हैं| आयुर्वेद में कई सारी जड़ी बूटियों को बनाने में इसका प्रयोग बिना किसी हिचकिचाहट के किया जाता हैं क्योंकि यह पोषक तत्वों का भंडार होता हैं|
सिर से लेकर पैर तक की कई बिमारियों में इसका प्रयोग किया जाता हैं| यदि आपको युवा बने रहना हैं तो यह आपके लिए एक उत्तम फल हैं| यह फल रसायनों में सबसे उत्तम माना जाता हैं| आइये आज आपको परिचित कराते हैं आंवले से और इसके दिव्य गुणकारी फायदों से|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Amla ki akriti)
इसकी ऊंचाई 18 m तक हो सकती हैं| इसके पत्ते इमली के पेड़ के पत्तों के समान होते हैं| इसकी छाल में चिकनाहट पाई जाती हैं| इसके फल का आकर गोल, पालियों से युक्त होता हैं| फल यदि कच्चे हैं तो उनका रंग हरा और पाक जाने पर उनमे पीलापन दिखाई देने लगता हैं| इसका स्वाद कुछ खट्टा और कसैला होता हैं| इसे खा कर यदि ऊपर से पानी पीया जाता हैं तो स्वाद में कुछ मिठास आ जाती हैं|
आंवला की प्रजातियाँ (Amla ki prajatiya)
- जंगली आंवले
- कृषि योग्य आंवले
आंवले में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Amla ke poshak tatv)
- टैनिन
- गैलिक अम्ल
- इलैजिक अम्ल
- एस्कार्बिक अम्ल
- कैल्शियम
- फास्फोरस
- एलानीन
- वसा
- कार्बोहाइड्रेट
- प्रोटीन
- खनिज पदार्थ
- आयरन
- वाष्पशील तेल
- ल्युपिओल
- विटामिन ए, सी,
- पोटेशियम
- मैग्नेशियम
- फाइबर
आंवला के सामान्य नाम (Amla common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Phyllanthus embica |
अंग्रेजी (English) | Emblic myrobalan tree, Gooseberry |
हिंदी (Hindi) | आंवला, आमला, आंवरा, आम्बला, औरा |
संस्कृत (Sanskrit) | आमलकी, अमृता, व्यस्था, धात्री, तिष्यफला, वृष्या, जातिफलरसा आदि |
अन्य (Other) | आंवला (उर्दू) औलां (उड़िया) अमला (असमिया) आमला (गुजराती ) आमला (बंगाली) आंवले (मराठी) |
कुल (Family) | Euphorbiaceae |
आंवला के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic properties of Amla)
दोष (Dosha) | त्रिदोषहर (pacifies tridosha) |
रस (Taste) | कषाय, कटु, तिक्त, अम्ल, मधुर |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीतल (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (sweet) |
अन्य (Others) | केश्य, दाहप्रशमन, रेचन, दीपन, अनुलोमन |
आंवला के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Amla ke fayde or upyog)
बालों के लिए (Amla for hair)
- असमय आए सफेद बालों को काला करने के लिए आंवला, बहेड़ा और आम की गुठली की गिरी तथा लोह भस्म को रात भर लोहे की कढ़ाई में भिगोकर रखें तथा बालों पर इनका प्रतिदिन लेप करने से श्वेत बाल काले बालों में परिवर्तित हो जाते हैं|
- आंवला, रीठा और शिकाकाई इन तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, लंबे, घने और काले होते हैं|
- बालों की जड़े मजबूत करने के लिए आंवले और आम की गुठली को एक साथ पीसकर सिर पर लगाना चाहिए|
- गुड़हल के फूलों के साथ लोह भस्म और आंवला के चूर्ण को पीसकर इन का पेस्ट बनाकर रोज नहाने से पहले सिर में लगा कर थोड़ी देर रखने से व्यक्ति के बालों में सफेदी नहीं आती|
आंवले का प्रयोग आंखों के लिए (Amla for eyes)
- आमलकी का सेवन करने से आंखों में होने वाली खुजली, आंखों में होने वाला लालपन, कम दिखाई देना, रंगहीन दिखाई देना, मोतियाबिंद आदि जैसे रोगों को समाप्त किया जा सकता है|
- आंवले, रसांजन, शहद और घी से बनाए हुए पेस्ट को आंखों में काजल की तरह लगाने से नेत्र रोगों में लाभ होता है|
- एक से दो बूंद आंवले के रस कि यदि नेत्र में डाली जाती है तो नेत्र रोग और उनसे होने वाले दर्द से बचा जा सकता है|
- आंवले के बीजो को घिस कर उनका उपयोग यदि आंखों में काजल की तरह किया जाता है तो नेत्र रोगों में का शमन होता है|
रक्तपित्त में (Amla for blood bile)
- रक्तपित्त को समाप्त करने के लिए जामुन, आम और आंवले को बारीक पीसकर उनका लेप माथे पर करना चाहिए|
- आंवला के चूर्ण और दही को एक साथ खाने से अथवा इनको मिलाकर खाने से रक्त पित्त में लाभ होता है
- आंवले के रस में हल्दी और शहद मिलाकर दिन में तीन बार अर्थात सुबह शाम दोपहर सेवन करने से रक्त पित्त की समस्या हल होती है|
गला बैठने पर (Amla for throat)
- गला बैठने या गले में खराश होने पर अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार तथा चित्रक इन सभी को समान मात्रा में मिलाकर इनका चूर्ण बनाकर इसे शहद और घी के साथ चाटना चाहिए|
बार-बार आने वाली हिचकी में (Amla for hiccup)
- यदि आपको बार बार हिचकी आती है वह भी बहुत पीड़ा के साथ तो आपको पिपली, आंवला तथा सोंठ का चूर्ण करके एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर थोड़ी थोड़ी देर में सेवन करना चाहिए|
वमन में (Amla for vomit)
- आंवले के रस में शहद और सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पीने से वमन बंद होती है|
एसिडिटी या अम्ल पित्त में (Amla for acidity)
- आंवले के रस तथा शहद दोनों को बराबर मात्रा में लेकर सुबह शाम सेवन करने से एसिडिटी दूर होती है|
संग्रहणी रोग में आंवला
- मेथी दाना तथा आंवालों के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पिलाने से संग्रहणी रोग में लाभ मिलता है|
विरेचन करवाने में आंवला
- आयुर्वेद में किसी भी रोग का उपचार करने से पहले विरेचन अर्थात पेट को साफ कराया जाता है| आंवले के रस में शहद और शक्कर को मिलाकर सेवन करने से विरेचन किया जा सकता है|
कब्ज में (Amla for constipation)
- कब्ज के लिए आंवला एक बहुत ही गुणकारी औषधि होती है|हरड, आंवला और बहेड़ा के चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी के साथ करने से कब्ज की समस्या से आराम मिलता है|
रक्तातिसार में आंवला
- यदि आपको अतिसार के साथ रक्त स्त्राव भी होता है तो ऐसे में आंवले के रस में शहद और घी मिलाकर पिए तथा इसके बाद बकरी के दूध का भी सेवन करें|
रक्त विकार के कारण होने वाले गुल्म में
- गुल्म रोग कई सारे विकार के कारण होता है|रक्त विकार के कारण होने वाले गुल्म रोग में आंवले के रस में काली मिर्ची डालकर पीना चाहिए|
पाचक अग्नि को बढ़ाएं आंवला
- यदि आपको कब्ज़ है तो हो सकता है कि आपके पाचक अग्नि मंद हो और इस कारण आप का भोजन सही से नहीं पच पाता| पाचक अग्नि को बढ़ाने के लिए आंवला को पकाएं तथा उनमें उचित मात्रा में काली मिर्च, सोंठ, सेंधा नमक, भुना हुआ जीरा तथा हींग मिलाकर छाया में सुखा दे| इस आंवले का सेवन करने से पाचक अग्नि बढ़ेगी तथा भोजन का पाचन सही प्रकार से होगा|
बवासीर में (Amla for piles)
- यदि बवासीर में अधिक रक्त स्त्राव होता हो तो आंवले के चूर्ण के साथ दही की मलाई का सेवन सुबह शाम और दोपहर को करना चाहिए|
कामला या पीलिया में (Amla for jaundice)
- कामला रोग को समाप्त करने के लिए आंवले की चटनी में शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए|
एनीमिया या पांडुरोग में (Amla for anemia)
- आंवले में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, सी और आयरन होते हैं जो व्यक्ति के शरीर में गिरे हुए हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाते हैं तथा खून की कमी को पूरा करते हैं| यदि लोह भस्म के साथ आंवले का सेवन किया जाता है तो यह और भी प्रभावशाली होगा|
मूत्र त्याग में कठिनाई होने पर
- आंवले के पेड़ की ताजी छाल के रस में हल्दी और शहद मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से इसमें लाभ होता है|
- सूखे आंवले को पीसकर मूत्राशय के आसपास लेप करने से मूत्रकृच्छ से राहत मिलती है|
- आंवले के रस में इलायची का चूर्ण डालकर पीने से मूत्र की समस्या समाप्त होती हैं|
प्रमेह रोग में आंवला
- त्रिफला, नागर मोथा, दारू हल्दी और देवदारू का क्वाथ बनाकर सुबह शाम रोगी को पिलाने से प्रमेह रोग का नाश होता|
वीर्य दोष में
- यदि आप स्वप्नदोष, शुक्रमेह जैसे रोगों से पीड़ित है तो सूखे आंवलो की गुठली निकाल कर उन्हें धूप में सुखा देने के बाद उनका चूर्ण बना लें| चूर्ण को मिश्री और ताजे पानी के साथ सेवन करने से वीर्य दोष में लाभ मिलता है|
रक्त प्रदर में
- आंवले के रस के साथ जीरे के चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम लेने से रक्त प्रदर की समस्या में लाभ मिलता है|
श्वेत प्रदर में आंवला
- महिलाएं श्वेत प्रदर से अक्सर परेशान रहती हैं| आंवलो के बीजों को जल के साथ पीसकर उसमे शहद तथा पीसी हुई मिश्री मिलाकर सेवन करने से यह समस्या समाप्त हो जाती हैं|
वजन घटाएं (Amla for weight loss)
- आंवले के रस का सेवन रोज सुबह करने से वजन घटता है तथा इससे चर्बी भी कम होती हैं|
अनिद्रा की समस्या में (Amla for insomnia)
- यदि आप भी अनिद्रा की समस्या से परेशान है तो आंवले के रस का सेवन आपके लिए बहुत उपयोगी होगा|
सुजाक रोग में
- सुजाक रोग को समाप्त करने के लिए आमलकी चूर्ण को जल में मिलाकर पीने तथा इसी जल से प्रभावित स्थान को धोने से सूजन और जलन भी शांत होती है तथा इस रोग से आराम मिलता है|
गठिया रोग के लिए आंवला (Amla for gout)
- आंवले में काफी मात्रा में कैल्शियम भी पाया जाता है जिसके कारण यह हड्डियों के लिए भी एक रामबाण इलाज होता है|
- आंवला, हल्दी और मोथा का क्वाथ बनाकर इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम और दोपहर सेवन करने से गठिया में लाभ होता है|
- सूखे आंवले और गुड़ को उबालकर इसे पीने से गठिया रोग में राहत मिलती हैं इसका सेवन करते समय नमक से परहेज करना चाहिए|
कुष्ठ रोग में (Amla for leprosy)
- आमला में इतने गुणकारी गुण पाए जाते हैं कि यह कुष्ठ रोग का समापन करने में भी सक्षम होता है| आंवले तथा नीम के पत्तों के चूर्ण को नियमित रूप से सुबह-सुबह शहद के साथ चाटने से भयंकर से भयंकर कुष्ठ रोग में भी शीघ्र लाभ होता है|
- रोज आमला तथा खदिर के क्वाथ का सेवन बाकूची चूर्ण के साथ करने से सफेद दाग का समापन होता है|
- नीम के पत्ते तथा आंवले को घी के साथ लेने से फोड़े, फुंसी, खुजली, दाद, खाज आदि का शमन होता है|
- दिन में दो से तीन बार आंवले के रस में घी मिलाकर पीने से विसर्प रोग में लाभ होता हैं|
बुखार में (Amla for fever)
- आंवले में अलग-अलग तत्वों के साथ बुखार के विषाणु से लड़ने की भी क्षमता पाई जाती हैं|यदि आंवले के रस का सेवन बुखार में किया जाता है तो लाभ मिलता है तथा कमजोरी की भी भरपाई होती है|
घाव में (Amla for wound)
- आंवलों के पत्तों के रस को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है|
बिच्छू के विष को समाप्त करें आंवला
- प्याज के रस से आमलकी अर्थात आंवले की छाल का चूर्ण बनाकर प्रभावित स्थान पर लेप करने से दर्द में राहत मिलती है तथा विष का शमन होता है|
स्फूर्ति के लिए आंवला
- कई सारे व्यक्तियों को मौसम बदलने के अनुसार या अपना मन बना लेने के अनुसार आलस्य आने लगता है|आंवले का सेवन करने से व्यक्ति पूरे दिन तरोताजा महसूस करता है तथा उसमें स्फूर्ति बनी रहती है जिससे आलस्य समाप्त होता है|
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए (Amla for immunity)
- आंवले में विटामिन ए, सी, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, खनिज तत्व होते है जो रोगों से लड़ने में बहुत अच्छी सहायता प्रदान करते हैं|इसी कारण आंवले का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा मिलता है तथा रोगों का शमन होता है|
आंवला मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगी (Amla for diabetes)
- शायद कई लोग नहीं जानते होंगे कि आंवला मधुमेह में कितना उपयोगी होता है|आंवले में पाए जाने वाले पोषक तत्व रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करते हैं जिससे डायबिटीज या मधुमेह रोग भी नियंत्रण में आ जाता है|
हृदय के लिए आंवला (Amla for heart)
- आंवला हृदय की धड़कनों की गति को नियंत्रित करता है|उच्च रक्तचाप या हाई बी.पी. वालों के लिए आंवला एक उत्तम औषधि होती है|
युवा बनाए रखने में मदद करें आंवला
- आंवले का सेवन करने से चेहरे पर आने वाली झुर्रियां, आंखों के नीचे पडने वाले दाग, धब्बे, झाइयां, फुंसियां, कील, मुंहासे आदि समाप्त होते हैं| इस प्रकार है यह व्यक्ति को युवा बनाए रखने में मदद करता है|
मासिक धर्म की पीड़ा में
- मासिक धर्म के दौरान होने वाली पीड़ा में यदि आंवले का सेवन किया जाता है तो उस दर्द से राहत पाई जा सकती है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Amla)
- बीज
- फल
सेवन मात्रा (Dosages of Amla)
- चूर्ण – 3 से 6 ग्राम के मध्य
- क्वाथ –
- जूस- 10 से 20 ml
आंवला से निर्मित औषधियां
- चव्यनप्राश
- आमलकी रसायन
- धात्री लौह
- आंवला चूर्ण
- त्रिफला चूर्ण आदि|
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