कलम्बी सेवन के अनगिनत फायदे(Water Spinach: Introduction, benefits, usages)
कलम्बी का परिचय (Introduction of Kalmbi)
कलम्बी क्या है? (What is Kalmbi ?)
यह एक लता के रूप में होती है जो किसी नमी के कारण ही जिन्दा रह पाती है| नमी के सूख जाने पर कलम्बी भी सूख जाती है| तालाबों पर यह आसानी से देखने को मिल जाती है| जब इसके हिस्से का जल समाप्त हो जाता है तो यह जमीन में दब जाती है और जब वापस पानी इस पर पड़ता है तो यह खिल उठती है|
यही लता कई रोगों का उपचार कर के मनुष्य को नया जीवन देती है| आयुर्वेद में भी पिछले कई समय से इसका प्रयोग होता आया है| आज हम चर्चा करेंगे इसी लता या आयुर्वेदिक औषधि से होने वाले फायदों के बारे में|
कलम्बी के पोषक तत्व (Nutrients of Kalmbi)
- कैल्शियम
- विटामिन B,C
- फास्फोरस
- आयरन
- वाष्पशील तेल
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Morphology of Kalmbi)
यह जल की सतह पर तैरती रहती है| इसके पत्तें त्रिभुज के आकार के होते है| इसके फूलों में सफ़ेद, जामुनी और गुलाबी रंग समाहित होता है| इसके फल का आकार अंडे के समान होता है| इस औषधि के पत्तों की सब्जी बना कर उपयोग में ली जाती है| इसके फूल मई से जुलाई के बीच और फल अगस्त से दिसम्बर के मध्य आने लगते है|
कलम्बी के सामान्य नाम (Common Names of Kalmbi)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Ipomoea aquatica Forssk |
अंग्रेजी (English) | Water Spinach, Swamp cabbage |
हिंदी (Hindi) | कलंबी शाक, करमी, नाड़ी का साग, कलमी साग, करेमु, पटुआसाग |
संस्कृत (Sanskrit) | कलम्बी, शतपर्वी, स्थूलफला, महागंध, कटंभरा, विश्वरोचना |
अन्य (Other) | नारकाकल (उर्दू) कलमा साग (उड़िया) नालनीभाजी (गुजराती) कोईलंगु (तमिल) कल्मीशाक (बंगाली) पानीसाग (नेपाली) |
कुल (Family) | Convolvulaceae |
कलम्बी के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Ayurvedic Properties of Kalmbi)
दोष (Dosha) | कफवातकारक (Increase cough and vata), पित्तशामक (pacifies pitta) |
रस (Taste) | मधुर (sweet), कषाय (ast.), लवण (salty) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु |
अन्य (Others) | वामक, विरेचक, मधुमेहनाशक, पूयरोधी |
कलम्बी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Benefits of Kalmbi)
नेत्र सम्बन्धी विकारों में (Kalmbi for eyes)
यदि आप किसी भी तरह के नेत्र रोग से परेशान है तो आप इसके पत्तों का रस निकाल कर उसे आँखों की बाहर की ओर चारों तरफ लगा दें| इससे आपको नेत्र रोगों में आराम मिलता है|
सांस लेने में कठिनाई होने पर (Kalmbi for breathing problem)
सांस लेने में कठिनाई कई बार लोगो को अकारण ही होने लगती है| लेकिन जब इसे अधिक समय तक नजरंदाज कर दिया जाता है तो यह कई रोगों और अचानक होने वाली मृत्यु का कारण भी बन सकती है| ऐसे में इसके पञ्चांग का चूर्ण बना कर सुबह शाम लेना चाहिए|
खांसी को दूर करे कलम्बी (Kalmbi for cough)
इस औषधि के पत्तों का काढ़ा बना कर सेवन करने से खांसी की समस्या खत्म होती है| इसे आप दिन में दो बार या सुबह शाम ले सकते है|
पुरानी कब्ज़ को करे दूर (Kalmbi for constipation)
पुरानी कब्ज़ वाले व्यक्ति यदि इसके पत्तों का रस निकल कर सेवन करते है तो लम्बे समय से होने वाली कब्ज़ की बीमारी भी दूर हो जाती है|
बवासीर में (Kalmbi for piles)
इस औषधि के पत्तों के रस में उचित मात्रा में बादाम को पीस कर दिन में दो बार लेने से इस रोग का शमन होता है|
मूत्राशय की पथरी को समाप्त करे कलम्बी (Kalmbi for urinary bladder)
सुबह शाम इस औषधि के पत्तों से निर्मित काढ़े का सेवन करने से पथरी गल के मूत्र मार्ग के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाती है|
कुपित वात के कारण शरीर में होने वाले कम्पन को दूर करे कलम्बी
इस स्थिति में यदि इस औषधि के पत्तों का रस निकाल कर उसमे बादाम मिला कर सेवन करने से इस समस्या का बहुत जल्द समापन होता है|
त्वचा रोगों को जड़ से करे समाप्त कलम्बी (Kalmbi for skin)
इस औषधि की नए पुष्प की कली को पीसकर लगाने से सभी प्रकार के त्वचा रोग समाप्त होते है|
घेंघा रोग में (Kalmbi for goiter)
घेंघा या गलगंड जैसे रोगों को नजरंदाज नही करना चाहिए| इस रोग का शमन करने के लिए औषधि के पत्तों का रस निकाल उसमे बादाम मिला कर दिन में एक से दो बार लें|
दुर्बलता को समाप्त करे (Kalmbi for weakness)
कोई भी व्यक्ति यदि दुर्बलता को समाप्त करना चाहता है तो उसे कलम्बी के पञ्चांग का सेवन करना चाहिए| इसका सेवन करने से व्यक्ति की दुर्बलता समाप्त होती है और व्यक्ति हष्ट पुष्ट होता है|
अफीम का नशा उतारने में मददगार कलम्बी
इस औषधि के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से अफीम का नशा जल्दी उतरता है और व्यक्ति को राहत मिलती है|
माता में दुग्ध की मात्रा बढ़ाये
यदि नवजात शिशु की माँ उसे पर्याप्त दूध उपलब्ध नही करवा पाती है तो इससे शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है| यदि इस औषधि का सेवन स्तनपान कराने वाली महिला द्वारा किया जाता है तो दुग्ध में वृद्धि होती है और शिशु के स्वस्थ स्वास्थ्य में भी|
आग में जलने पर
चूँकि यह औषधि ठंडी होती है तो ऐसे में यदि आग से जलने वाले स्थान पर इसके पत्तों को रगडा जाता है तो रोगी को आराम मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kalmbi)
- पत्ती
- पंचांग
- कांड
सेवन मात्रा (Dosages of Kalmbi)
- जूस – 5 से 10 ml तक
- क्वाथ – 20 से 30 ml तक