ब्राह्मी( मंडूकपर्णी) (Brahmi) (Mandukparni)
ब्राह्मी( मंडूकपर्णी) का परिचय: (Introduction of Mandukparni)
ब्राह्मी( मंडूकपर्णी) क्या है? (Mandukparni kya hai?)
जहां कही भी भूमि पर पानी होता है, यह वही पर उग जाती है या फिर फैल जाती है| इस औषधि के पत्ते मेंढक के समान दिखाई देने के कारण ही इसे ब्राह्मी (मंडूकपर्णी) के नाम से जाना जाता है| इसके अलावा भी इसके कई नाम हैं जो अलग अलग कारणों से जाने जाते है| उदाहरण के लिए माण्डुकी (मंडूक ऋषि के द्वारा प्रचारित होने के कारण), ब्राह्मी (बुद्धिवर्धक होने के कारण), सरस्वती (मेध्य या जलासन्न भूमि में होने के कारण) | क्या आपको पता है मंडूकपर्णी को एक जड़ी बूटी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है| या फिर कहे की यह मस्तिष्क के रोगो के लिए यह एक रामबाण औषधि है|
आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी औषधीयां है जिन में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते है इन मे से मंडूकपर्णी नाम की औषधि है जिसे अनेको रोगो के उपचार में प्रयोग किया जाता है|
यह जडीबुटी स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए, कुष्ठ, पांडु तथा मस्तिष्क के विकारो में लाभकारी होती है| ह्रदय के लिए बलकारी है| यह मामूली जड़ी बूटी नही है| इसके बारे में आप जानोगे तो हेरान ही रहे जाओगे| आइये इसके फायदों के बारे जानकारी देते है की यह किन, किन रोगो के लाभदायक है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Mandukparni ki akriti)
इसकी प्रसरणशील लता अल्प सुगन्धित, दुर्बल तथा कोमल होती है| मण्डूक के समान पत्र वाली तथा मण्डूकवत् इतस्ततः फैलने के कारण इसे मण्डूकपर्णी कहा गया है। यह बूटी सम्पूर्ण भारतवर्ष में जलाशयों के किनारे उत्पन्न होती है| यह विशेष रूप से ब्रह्म प्रभावित क्षेत्र है| ऐसा कहा जाता है कि इस दिव्य बूटी के सेवन से ब्रह्म की साधना में मदद मिलती है| इसी से साधक जन प्राय इस बूटी का सेवन करते रहते हैं|
यह भूमि पर फैलने वाली खुशबुदार लता होती है| इसका पटना लम्बा होता है| इसके पत्ते लम्बे चौड़े तथा अनेक संख्या में निकले हुए होते है| यह सीधे तथा मस्तिष्क की आकृती के समान तथा गोलाकार होते है| यह 7 शिराओं से युक्त हरे रंग तथा खुरदरे होते है| इसके फूल गुलाबी तथा छोटे होते है| इसके फली अधिक लम्बी तथा झुरीदार व सफेद रंग की होती है| इसके बीज चपटे होते है| इसकी जड़ छोटी होती है| इसका फलकाल तथा फूलकाल अप्रैल से जून तक होता है|
ब्राह्मी( मंडूकपर्णी) की प्रजातियाँ (Mandukparni ki prajatiya)
- Centella asiatica
- Baccopa monnieri
ब्राह्मी(मंडूकपर्णी) के सामान्य नाम (Mandukparni common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Centella asiatica |
अंग्रेजी (English) | Indian pennywort |
हिंदी (Hindi) | ब्राह्ममाण्डूकी, मण्डूकपर्णी, |
संस्कृत (Sanskrit) | मण्डूकपर्णी, माण्डूकी, ब्राह्मी, सरस्वती, मडूकी, दिव्या |
अन्य (Other) | ब्राह्मी (उर्दू) लंबक (उड़िया) मानीमुनी (असमिया) उरेज (कन्नड़) खड़ब्राह्मी (गुजराती) मण्डूक ब्राह्मी (तेलगु) बल्लौ (तमिल) थानकुनी (बंगाली) घोडापे (नेपाली ) कारिवणा (मराठी) |
कुल (Family) | Apiaceae |
ब्राह्मी मंडूकपर्णी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Mandukparni ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफ,पित्त शामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (sweet) |
अन्य (Others) | मेध्य, कंडूनाशक, कुष्ठनाशक |
ब्राह्मी( मंडूकपर्णी ) के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Mandukparni ke fayde or upyog)
याददाश्त के लिए ब्राह्मी मंडूकपर्णी के प्रयोग (Mandukparni for increase memory)
- यदि आपकी याददाश्त कमजोर है तो शुष्क मण्डूकपर्णी, बादाम गिरी तथा चौथाई भाग काली मिर्च को पानी से घोटकर वटी बनाएं| एक एक वटी का सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त की शक्ति बढ़ती है|
- मण्डूकपर्णी का ताजा रस लेकर, उसमें समभाग घी मिलाकर घी को पकाकर, इस घी को सेवन करने से स्मरणशक्ति बढ़ती है| इसके पंचाग चूर्ण को दूध में मिलाकर सेवन करने से स्मरणशक्ति तेज होती है|
मिर्गी रोग में (Mandukparni for epilepsy)
- यदि कोई भी व्यक्ति इस रोग से बहुत ही परेशान है तो मण्डूकपर्णी रस को समभाग धतूरे के पत्ते के रस में अथवा तृणराजवल्ली रस में मिलाकर सेवन करने से मिर्गी रोग में लाभ होता है|
अनिद्रा में (Mandukparni for insomnia)
- किसी बीमारी या किसी अन्य कारण से आपको नींद नही आती है तो मण्डूकपर्णी के चूर्ण को गाय के कच्चे दूध में मिलाकर छानकर एक सप्ताह तक पिने से अनिद्रा के नाश होता है|
अवसाद में मंडूकपर्णी (Mandukparni for depression)
- यदि आप किसी टेंशन या किसी चिंता तथा नकारात्मक विचार मन में आते है, और आपका व्यवहार चिडचिडा हो रहा है तो आप समझ लीजिये की आप डीप्रेशन या अवसाद के शिकार होते जा रहे है, इससे छुटकारा पाने के लिए मण्डूकपर्णी तथा जटामांसी के चूर्ण के दूध में मिलाकर पीना चाहिए|
- यदि दिन भर के काम या किसी अन्य कारण से मानसिक थकान या तनाव से ग्रस्त है तो मण्डूकपर्णी का उपयोग कीजिये इसे आपको बहुत जल्दी से लाभ मिलेगा|
रक्तचाप में (Mandukparni for blood pressure)
- एक चम्मच मण्डूकपर्णी के पत्ते के रस को गाय के दूध के साथ सेवन करने से सामान्य रक्तचाप में लाभ मिलता है| यदि आपको भी रक्तचाप की समस्या है तो इसका प्रयोग कर सकते है|
बुखार में (Mandukparni for fever)
- यदि आपको मौसम बदलने के कारण बार – बार बुखार की समस्या हो जाती है तो मण्डूकपर्णी के रस में मुलेठी का चूर्ण मिलाकर पिने से जीर्ण ज्वर या अन्य बुखार में फायदा मिलता है|
त्वचा के विकारो में मंडूकपर्णी (Mandukparni for skin)
- मण्डूकपर्णी के पत्ते के रस का लेप त्वचा के विकारो पर लेप करने से खुजली, जलन, घाव का शमन होता है|
मसूरिका में मंडूकपर्णी
- यदि आपको मसूरिका है तो मण्डूकपर्णी के रस में मधु मिलाकर पिने से मसूरिका में लाभ मिलता है|
आँखों में घाव में (Mandukparni for eyes)
- यदि आपके आँखों में छोटे – छोटे घाव हो गये हो और आपको जलन हो रही है तो मण्डूकपर्णी के पत्तो के रस आँख में एक – दो बूंद डालने से जलन व घाव का शमन होता है|
जोड़ो के दर्द में (Mandukparni for joints pain)
- बढती उम्र के साथ व्यक्ति यों के जोड़ो का दर्द बढ़ता ही जा रहा है या आप भी जोड़े के दर्द से परेशान है तो मण्डूकपर्णी पेस्ट बनाकर जोड़ो पर लेप करने से दर्द का शमन होता है|
बालो के लिए (Mandukparni for hair)
- यदि आपके बाल सफेद हो रहे या झड़ रहे है तो मण्डूकपर्णी के पंचाग के रस को कुछ दिनों तक पिने बालों की समस्या से छुटकारा मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Mandukparni)
- पत्ती
- पंचांग
सेवन मात्रा (Dosages of Mandukparni)
- जूस -10 से 20 मिली
- चूर्ण -2 से 5 ग्राम
ब्राह्मी( मंडूकपर्णी ) से निर्मित औषधियां (दवाइयां)
- ब्राह्मीपानक
- ब्राह्मीतेल
- सारस्वतारिष्ट
- सारस्वत घृत
- ब्राह्मी वटी
- ब्राह्मी चूर्ण