ग्वारपाठा (Aloevera):आयुर्वेद का उपहार है ये औषधि जाने इसके 20 औषधीय प्रयोग (Benefits and usage)
ग्वारपाठा का परिचय:(Introduction of Aloevera)
ग्वारपाठा या घृतकुमारी क्या है? (What is Aloevera? )
आयुर्वेद ने हमे कई ऐसी औषधियां उपहार में दि है जो आसानी से उपलब्ध हो जाती है| इन्ही में से एक है ग्वारपाठा या एलोवेरा या घृतकुमारी (aloevera)| सभी लोग इसके छोटे मोटे फायदें तो जानते होंगे लेकिन आज हम इसके औषधीय फायदों के बारे में बताएँगे जिन्हें शायद कुछ ही लोग जानते हो|
आश्चर्य की बात तो यह है की पूरे संसार में इसकी चार सौ से भी अधिक जातियां पायी जाती है परन्तु हमें लाभ सिर्फ चार जातियों से ही मिल पाता है|लेकिन इनसे जितने भी लाभ मिलते है वे एक शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी होते है| हमें बस उन फायदों या गुणों का पता करना होता है जिन्हें हम अपने जीवन में इस्तेमाल कर के रोगों से मुक्त हो सकते है|
बाज़ार में एलोवेरा से बने हुए कई सौन्दर्य उत्पाद मिलते है| इसके अलावा इसके रस को भी बाज़ारों में सेवन करने के लिए बेचा जाता है| इसी कारण लोग इसे और करीब से जान पाए है|
एलोवेरा मुख्य रूप से त्वचा और कब्ज़ के लिए काम में लिया जाता है| इसे अलग अलग अनुपान के साथ लेकर और भी रोगों का शमन किया जा सकता है| आइये आपको विस्तार से इस दिव्य औषधि के बारे में परिचित कराते है जिन्हें जाने कर आप भी लाभ ले सकते है|
ग्वारपाठे का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Gwarpatha ki akriti)
इस एलोवेरा में किसी प्रकार का तना नही होता है| इसकी पत्तियां जड़ से ही चारों ओर फली हुई रहती है| पत्तियां रसीली होती है| जिनकी लम्बाई लगभग 60 cm तक हो सकती है| पत्तियों के किनारों पर कांटे लगे होते है जो भी कुछ मांसल होते है| इसके बीच में से एक लाल रंग का फूल निकलता है| इसके फूल और फल सितम्बर से मई के बीच लगते है|
पीले फूलों वाले ग्वारपाठे का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान)
यह एक छोटे तने वाला पौधा होता है| मुख्य रूप से इसकी पत्तियों को ही काम में लिया जाता है| इसकी पत्तियां अन्दर से रसीली होती है जो इसके चारों ओर फैली हुई रहती है| इसकी पत्तियों के बीच में ही इसका फूल लगता है जिसका रंग पीला होता है|
ग्वारपाठा के सामान्य नाम (Gwarpatha common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Aloe vera |
अंग्रेजी (English) | Aloe vera, common aloe, common Indian aloe |
हिंदी (Hindi) | घीकुआँर, ग्वारपाठा, घीग्वार |
संस्कृत (Sanskrit) | कुमारी, गृहकन्या, कन्या, घृतकुमारी |
अन्य (Other) | कुंवार (गुजराती) अंगनी (तमिल) घृतकुमारी (बंगाली) कोरफड (मराठी) कोरवा (पंजाबी) |
कुल (Family) | Liliaceae |
ग्वारपाठा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Gwarpatha ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तहर (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | कटु (pungent) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), स्निग्ध (oily), पिच्छिल |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | वेदनास्थापन, व्रणरोपण, शोथहर, रक्तशोधक, मूत्रल |
ग्वारपाठा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Gwarpatha ke fayde or upyog)
त्वचा रोगों में लाभदायक ग्वारपाठा का सेवन (Gwarpatha for skin)
- आग में जले हुए पर ग्वारपाठा के पत्तों के रसीले भाग को लगाना चाहिए| इससे जलन और दर्द कम होता है इसके साथ जलने के बाद होने वाले फफोले भी नही होते|
- यदि घाव जल्दी नही भर रहा है तो आप एलोवेरा से मिलने वाले रसीले भाग को घाव पर लगा सकते है| इससे घाव ठीक होने में मदद मिलेगी| घाव पर इसके रस को पका कर या इसके कल्क को लगाना चाहिए| यह भी जल्दी घाव भरने में मदद करता है|
- जब फोड़े बार बार हो रहे है या फूट नह रहे है तो इसमें हल्दी का चूर्ण और सज्जिखार मिलाकर बांधने से फोड़े जल्द ही फूट जाते है| इसके अलावा आप एलोवेरा के गूदे को गर्म करके भी बांध सकते है|
- स्तन में होने वाली गांठो को मिटाने के लिए इसकी जड़ का पेस्ट बनाकर उसमे थोड़ी हल्दी मिलाकर गुनगुना कर के बांध दें| इससे गांठो का शमन होगा|
- सूजन का शमन करने के लिए के लिए भी आप एलोवेरा का प्रयोग कर सकते है|
- एलोवेरा के साथ कत्था मिलाकर नासूर पर लगाने से लाभ मिलता है|
- कीलों पर एलोवेरा की पत्ती को को एक तरफ से छील कर बांधने से लाभ मिलता है|
- एलोवेरा के गूदे को मुहांसे, रुखी त्वचा, झुर्रियों, काले दाग धब्बे, काले घेरे आदि को समाप्त करने के लिए काम में लिया जा सकता है|
- चेहरे पर निखार लाने के लिए आप इसके गूदे के साथ गुलाब जल और चन्दन मिलाकर लगा सकते है|
- फटी एडियों पर इसके गूदे को मलने से लाभ मिलता है|
कब्ज़ में लाभदायक ग्वारपाठा (Gwarpatha for constipation)
- इसके रस को रोज सुबह पीने से कब्ज़ में लाभ मिलता है| इसके सेवन से मल आसानी से बाहर निकाल जाता है जिसके चलते कब्ज़ की समस्या में अतिशय लाभ मिलता है|
मधुमेह में ग्वारपाठा (Gwarpatha for diabetes)
- गिलोय के सत और एलोवेरा की मज्जा का सेवन एक साथ करने से मधुमेह रोग नियंत्रण में रहता है| इसके अलावा आप रोज इससे बने रस का सेवन भी कर सकते है| ये भी मधुमेह रोग में लाभ देता है|
खून की कमी दूर करे (Gwarpatha for anemia)
- किसी लम्बी बीमारी से उठने वाले व्यक्ति में खून की कमी होना एक आम बात है| नियमित रूप से एलोवेरा का सेवन करना शरीर में खून बढाता है| यदि आप भी शरीर में खून की बढ़ाना या खून को साफ़ करना चाहते है तो ग्वारपाठा का सेवन एक अच्छा स्रोत है|
बालों के लिए लाभदायक (Gwarpatha for hairs)
- बालों की जड़ों में एलोवेरा के गूदे को अच्छे से मलकर लगाये| कुछ देर बाद इसे धो लें| ऐसा करने से बाल काले और मुलायम होते है|
आंखो के लिए एलोवेरा (Gwarpatha for eyes)
- आँखों में होने वाली जलन, लालपन आदि को दूर करने के लिए इसके गूदे को काजल की तरह आँखों में लगाना चाहिए| इससे आंखो को ठंडक मिलती है और नेत्र विकारों में लाभ मिलता है|
पेट दर्द में (Gwarpatha for stomach)
- पेट दर्द में एलोवेरा की जड़ को उबाल कर उस पर भूनी हुई हींग छिडककर खाने से लाभ मिलता है|
मूत्र रोगों में (Gwarpatha for urinary disease)
- मूत्र त्याग करते समय यदि जलन और कठिनाई होती हो तो ग्वारपाठे के रस में शक्कर मिश्रित कर के खानी चाहिए| इससे मूत्र रोगों का शमन होता है तथा रोगी को आराम मिलता है|
उपदंश के घावों में ग्वारपाठा
- उपदंश के घावों पर एलोवेरा की रसीली पत्तियों से निकलने वाला गूदा लगाने से घाव का समापन होता है तथा उपदंश रोग में लाभ मिलता है|
गठिया का शमन करे (Gwarpatha for gout)
- गठिया रोग में यदि इसकी मज्जा का सेवन रोज किया जाता है तो लाभ मिलता है| इससे जोड़ो के दर्द में भी आराम मिलता है|
ज्वर को दूर कर शरीर के ताप को सामान्य बनाये (Gwarpatha for fever)
- एलोवेरा की मूल से बने हुए काढ़े को सुबह, दोपहर और शाम को पिलाने से ज्वर उतरता है और शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है|
खांसी में (Gwarpatha for cough)
- एलोवेरा की मज्जा और सैंधे नमक से बनी हुई भस्म को मुनक्का के साथ दिन में दो बार लेने से पुरानी खांसी भी मिटती है|
मासिक धर्म सम्बन्धी विकारों में (Gwarpatha for menstrual problem)
- पलाश के क्षार को एलोवेरा की मज्जा पर छिड़क कर सुबह शाम सेवन करने से मासिक धर्म की समस्याओं का समाधान होता है|
- मासिक धर्म से चार दिन पहले से मासिक धर्म के समाप्त होने तक यदि कुमारिका नामक वटी का सेवन किया जाता है तो लाभ मिलता है| इसके अलावा आप रजःप्रवर्तनी वटी का सेवन भी कर सकते है|
कान दर्द और कान के कीड़ें को समाप्त करे ग्वारपाठा
- एलोवेरा के स्वरस को गुनगुना कर के उस कान में डाले जिस में दर्द नही हो रहा है| ऐसा करने से जल्द ही कान की पीड़ा का शमन होगा| कीड़ो को मारने के लिए इसके गूदे को जल के साथ मिलाकर कुछ बूंदे डाल दें|
बवासीर में लाभकारी एलोवेरा का सेवन (Gwarpatha for piles)
- गेरू और एलोवेरा को अच्छे से पीस कर इसकी गोली बना लें| इसे रुई में फैलाकर बांधने से दोनों प्रकार के बवासीर में लाभ पहुँचता है|
प्लीहा की वृद्धि को रोके ग्वारपाठा का सेवन (Gwarpatha for spleen)
- हल्दी और एलोवेरा के रसको मिलाकर खाने से प्लीहा में हो रही वृद्धि का शमन किया जा सकता है| इसके साथ ही इस उपाय को घेंघा रोग में भी काम में लिया जा सकता है|
यकृत के लिए ग्वारपाठा (Gwarpatha for liver)
- यकृत या लीवर के कमजोर हो जाने पर एलोवेरा के रस को शहद के साथ मिला कर उचित बर्तन में बंद कर के सात दिनों तक सूर्य की धूप में रख दें| इसके बाद इसका सेवन दिन में दो बार करने से लीवर को मजबूती मिलती है| इसका सेवन ज्यादा कर लेने पर दस्त भी लग सकते है इसलिए अधिक मात्रा में इसका सेवन न करें|
सिरदर्द में (Gwarpatha for headache)
- दारुहल्दी के चूर्ण और एलोवेरा की मज्जा को मिलाकर गुनगुना कर के लेप करने से सिर दर्द में लाभ मिलता है|
गुल्म का शमन करे ग्वारपाठा
- घी और एलोवेरा के गूदे को निकाल कर उसमे हरड के चूर्ण और सैंधे नमक को मिलाकर अच्छे से घोट लें| इस द्रव को दिन में दो बार लेने से गुल्म का शामन होता है|
पीलिया में (Gwarpatha for jaundice)
- पीलिया का शमन करने के लिए इसके रस को नाक में डालना चाहिए| आप इसकी एक से दो बूंद का इस्तेमाल कर सकते है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Gwarpatha)
- जड़
- पत्ती
- फूल
सेवन मात्रा (Dosage of )
- जूस -10-20 ml
- चूर्ण – 3 ग्राम तक
- क्वाथ -10-15 ml
ग्वारपाठा से निर्मित औषधियां
- कुमार्यासव
- कुमारीका वटी
- रजःप्रवर्तनी वटी
- कुमारीपाक