वच (Vach)
वच का परिचय: (Introduction of Vach)
वच क्या है? (What is Vach)
क्या आप वच के बारे में जानते है| यह रोगो के लिए रामबाण औषधि है| इसके प्रयोग से कई रोगो को दूर कर सकते है| यह वीर्य के लिए एक रामबाण औषधि है| आयुर्वेद के अनुसार वचा बहुत ही उत्तम गुणवत्ता वाली औषधि है और पेशाब साफ करने, पेचिश की रोकथाम में वचा के प्रयोग से फायदे मिलते हैं|
इसे उग्रगन्धा (तीक्ष्ण गंध युक्त), षड्ग्रन्था (छः गांठो वाली), गोलोमी (गौ के समान रोम युक्त) आदि नामों से भी जाना जाता है| इतना ही नहीं गैस की समस्या, मिर्गी, कफ, पेट के रोगों और गठिया आदि में भी वच से लाभ लिया जा सकता है| आप वच के फायदे बुखार को कम करने, ह्रदय और सांस संबंधी दिक्कतों को दूर करने सहित आवाज को बेहतर बनाने में भी ले सकते हैं|
इसके अलावा भी इस वचा का उपयोग कही रोगो में फायदेमंद है| जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाएंगे| आइए जानते हैं आप वचा का उपयोग करने से और क्या – क्या लाभ मिलता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Vach ki akriti)
इसका उपयोग कही सालो से किया जाता आ रहा है| यह लंबे समय से भारत में भी इसका इस्तेमाल दवाओं के लिए किया जा रहा है| वच की कई प्रजातियां औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं| वच का सुखाए गए जड़ वाला हिस्सा बाजारों में घोड़ा वच के नाम से बिकता है| इसकी इसमें बाल वच या पारसीक वच प्रमुख है| दवाओं के लिए वच की छह प्रजातियों का उपयोग किया जाता है|
- वच – Acorus calamus linn.
- बाल वच – Iris versicoor linn. (Blue flag)
- कापत्रिका वचा – Iris ensata thumb.
- लघुपत्र वचा – Acorus gramineus sol.
- हेमवती वच – Iris germanica linn.
- श्वेत वच – paris polyphylla sm.
वच –
यह पली वाले स्थानों के पास नम भूमि में उगता है| यह एक शाखदार पौधा होता है| इसकी खुशबु तेज होती है| इसके पत्ते चमकीले, चौड़े, हरे रंग के होते है| इसके फूल भूरे रंग के छोटे होते है| इसके फल हरे रंग के पिरामिंड आकार के होते होते है| इसके अंदर 1 या 3 बीज होते है| इसके जड़ का कुछ भाग भूमि पर फैला हुआ होता है| इसकी जड़ ऊँगली के समान, खुरदरी झुरीदार तथा भूरे रंग की होती है|
बाल वच –
इसका तना ऊचा शाखा रहित होता है| इसकी पत्तिय 4 से 9 की संख्या में लम्बी नुकीली होती है| इसका तना छत्रक के भाती स्थिर होता है| इसके बीज से एकल फूल निकले हुए होते है| जिसके बैंगनी रंग सुंदर फूल लगे हुए होते है| इसका फलकाल मई से अगस्त तक होता है|
कापत्रिका वचा-
यह एक शाखिये पौधा होता है| इसका प्रकंद छोटा तथा मोटा होता है| इसकी पत्तिय रेखादार तथा चमकीली, हरे रंग की होती है| इसके फूल सफेद तथा बैंगनी रंग के होते है|
इसकी पपड़ी का प्रयोग खून साफ करने में किया जाता है| इस पपड़ी का काढ़ा बनाकर योनि को धोने से योनि संबंधी समस्याएं दूर होती हैं| इस काढ़ा का सेवन करने से लिवर और त्वचा के रोग भी दूर होते हैं|
वच के सामान्य नाम (Vach common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Acorus calamus |
अंग्रेजी (English) | Sweet flag |
हिंदी (Hindi) | वच, घोरवच, घोड़वच |
संस्कृत (Sanskrit) | वचा, उग्रगन्धा, षड्ग्रन्था, गोलोमी, शतपर्विका, क्षुद्रपत्री, मङ्गल्या, जटिला, उग्राम, लोमशा |
अन्य (Other) | बचा (उर्दू) वज (गुजराती) बजे (कन्नड़) वासा (तेलगु) वशाम्बु (तमिल) वच (बंगाली) बोमो (नेपाली) बरिबोज (पंजाबी) वेखण्ड (मराठी) अकरुन (अरबी) व्वयम्बु (मलयालम) |
कुल (Family) | Araceae |
वच के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Vach ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक, पित्तवर्धक (pacifies cough and vata) (Increase pitta) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | वेदनास्थापक, शोथहर, मेध्य |
वच के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Vach ke fayde or upyog)
याददाश्त बढ़ाने के लिए (Vach for memory)
- वचा व्यक्ति की स्मरण शक्ति बढ़ाने में बेहद मददगार है| वचा के तने के चूर्ण को घी, दूध या पानी के साथ सेवन करें| इससे स्मरणशक्ति में सुधार होता है| दिन में दो बार सेवन करने से फायदा मिलता है| बेहतर परिणाम के लिए एक साल तक या कम से कम एक महीना तक इसका सेवन करना चाहिए|
खांसी में उपयोगी वच (Vach for cough)
- सर्दी जुखाम के कारण यदि किसी बच्चे को खांसी की समस्या रहती है तो वचा को पानी में घिसकर दिन में तीन बार पिलाने से भी बच्चों की खांसी में लाभ होता है|
- इसके अलावा वचा को पानी में उबाल लें| जब पानी चौथाई रह जाए तो इसका तीन भाग बना लें| दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से सूखी खांसी में आराम मिलता है|
अस्थमा में (Vach for asthma)
- यदि किसी को भी अस्थमा यानि दमा की समस्या है तो दमा के रोगी को पहले वचा की खुराक देनी चाहिए| इसके बाद हर तीन घंटे बाद सेवन करना चाहिए| इससे दमा में लाभ होता है|
सिर दर्द में (Vach for headache)
- पुराने समय से वचा और पानी से तैयार पेस्ट का उपयोग सिर दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है| इसके लिए वचा के चूर्ण और पानी से बना पेस्ट सिर के ऊपर लगाएं| ऐसा करने से सिर दर्द ठीक हो जाता है| इसके अलावा सिर में भारीपन भी दूर हो जाता है| यह जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी बेहद उपयोगी है|
मुहांसों को दूर करने के लिए वच का प्रयोग
- मुंहासा कई लोगों को परेशान करता है| तरह – तरह के क्रीम लगाने या कई अन्य कारणों से लोगों में मुंहासे की समस्या में वृद्धि देखी जा रही है| इस मुंहासे से छुटकारा पाने के लिए लोग तरह – तरह के तरीके इस्तेमाल करते हैं इसके लिए आप वचा की भी मदद ले सकते हैं वच धनिया और लोध्र की छाल का पेस्ट बनाकर इसे चेहरे पर मुंहासे की जगह पर लगाने से मुंहासे ठीक होता है|
बुखार में (Vach for fever)
- यदि आपको मौसम बदलने के कारण बार – बार बुखार की समस्या हो जाती है| तो इस समस्या को दूर करने से लिए वचा और चिरायता का काढ़ा बनाकर सेवन करने से बुखार का शमन होता है|
भूख बढ़ाने के लिए
- बहुत से लोगो में भूख की कमी होती है जिसके कारण शरीर का विकास नहीं हो पाता है| शरीर का विकास नहीं होने के कई तरह की स्वास्थ्य समस्या हो सकती है| भूख बढ़ाने के लिए वचा एक बेहतरीन माना जाता है| इसका उपयोग करने के लिए कुछ जड़ीबूटियों के साथ इस जड़ीबूटी को मिलाकर चूर्ण तैयार कर ले| सुबह और शाम भोजन के बाद सेवन कर सकते है| यह पेट के अपच व पेट के दर्द को दूर करने में मदद करता हैं|
मानसिक समस्या को दूर करने के लिए वच
- किसी को कम या किसी को अधिक मानसिक समस्या रहती है| मानसिक समस्या के लिए बहुत से लोग कही उपचार करते है| ऐसे ही वचा शक्तिशाली जड़ीबूटी है जो मानसिक स्वास्थ्य की समस्या को ठीक करने में सहायक होता है|
- यदि किसी व्याक्ति का तंत्रिका तन्त्र कमजोर है तो इसे मजबूत करने के लिए वचा का प्रयोग किया जाता है| यह बहुत ही फायदेमंद है|
- मिर्गी में वच के सेवन से मिर्गी के लक्षणों को कम करने में मदद है, क्योंकि इसमें मेध्य का गुण पाया जाता है जो मष्तिस्क को शांत रखने में मदद करता है| इसके लिए वचा के चूर्ण को मधु या घी के साथ तीन दिन तक सेवन करने मिरगी में लाभ होता है|
घाव में (Vach for wound)
- यदि आपको चोट लगने के कारण घाव हो गया है तो वचा का कुछ इस तरह से प्रयोग कर सकते है| इसके लिए कसीस, संधानक, सुराबीज, वचा, हल्दी इन समको मिलाकर चूर्ण बना ले| फिर इसको घाव पर लगाने से कुछ ही दिनों में घाव का रोपण होता है|
बच्चो के दस्त में उपयोगी वच
- यदि किसी बच्चे को दस्त की समस्या हो गई है तो वच की राख को पानी में मिलाकर पिलाने से बच्चो के दस्त में लाभ लाभ मिलता है|
बवासीर में (Vach for piles)
- बवासीर से राहत पाने के लिए वच, भांग और अजवायन को बराबर- बराबर मात्रा में लेकर जलाएं| इन्हें जलाने से उठने वाली धूनी से बवासीर के घाव को सेकें| इससे बवासीर के दर्द से राहत मिलती है|
जुखाम में राहत पाने के लिए (Vach for cold)
- यदि किसी व्यक्ति को बार – बार जुखाम की शिकायत रहती है तो वचा के चूर्ण को कपड़े में रखकर सूंघने से जुखाम में लाभ होता है|
घेंघा रोग में (Vach for goiter)
- घेंघा रोग के उपचार में वच लाभदायक है| इसके चूर्ण और पिप्पली के चूर्ण को शहद के साथ, या नीम के तेल के साथ सूंघे| इससे यह रोग दूर होता है|
हैजा में वच
- यदि किसी व्यक्ति को हैजा की बीमारी है तो उसमे भी वच का उपयोग कर सकते है| इसके उपयोग से हैजा की बीमारी को कुछ हद तक कम कर सकते हो|
कफ में
- कफ की समस्या के कारण यदि गले में दर्द हो रहा हो तो वच के चूर्ण को हल्के गर्म दूध में डालकर पिलाएं| इसका सेवन करने से अन्दर जमा हुआ कफ ढीला पड़कर बाहर निकल जाता है| इससे गले का दर्द जल्द ही दूर हो जाता है|
पेट के कीड़ो को मारने के लिए वच
- यदि किसी के पेट में कीड़े हो गये हो और वह बहुत ही परेशान है तो वच का प्रयोग कीजिये क्योकि वच में कीड़े मारने का गुण होता है| वच के चूर्ण को भुनी हुई हींग के साथ मिला लें| इसे खिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं|
कुष्ठ रोग में (Vach for leprosy)
- वच चर्म रोगों की कारगर औषधि है| इलायची, कूठ, विडंग, शतावर, चित्रक, वच, दन्ती और रसौत को पीस लें| इसका लेप करने से कुष्ठ और अन्य चर्म रोग भी दूर हो जाते हैं|
सुख प्रसव में
- वच प्रसव को सामान्य तरह से कराने में सहायता करता है| वच को पानी में घिसें| इसमें अंरडी का तेल मिलाकर गर्भवती महिला के नाभि पर लेप करें| इससे बच्चे को जन्म लेने में आसानी हो जाती है|
जमाल गोटा के विष से बचने के लिए वच
- वच के भस्म को पानी में घोलकर पिलाएं| इससे जमाल गोटे के विष का असर खत्म हो जाता है| विष के दुष्प्रभाव से होने वाली परेशानियां धीरे धीरे दूर हो जाती हैं|
खून की उल्टी में
- पेचिश और खून की उल्टी से परेशान रोगियों को वच, धनिया और जीरा का काढ़ा पिलाने से लाभ होता है| इसके लिए इन तीनों पदार्थों को समान मात्रा में लेकर पानी में उबालें| पानी रहने पर छानकर सुबह – शाम पिने से खून की उल्टी का शमन होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Vach)
- जड़
सेवन मात्रा (Dosages of Vach)
इसका औषधीय प्रयोग चिकित्सक के अनुसार ही प्रयोग करे|
सावधानी (Precautions)
- गर्म प्रकृति वालो को इसका अधिक उपयोग नही करना चहिए| इसके अधिक प्रयोग से सिर दर्द की समस्या हो सकती है|
वच से बनने वाली औषधियां
- सारस्वत चूर्ण
- मेध्य रसायन