दिव्य अर्शकल्प वटी: फायदे (Divya Arshkalp vati: benefits)
दिव्य अर्शकल्प वटी का परिचय (Introduction of Divya Arshkalp vati)
दिव्य अर्शकल्प वटी क्या हैं? (Divya Arshkalp vati kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि हैं| इसके नाम से ही इसके गुणों को ज्ञात किया जा सकता हैं| दिव्य अर्शकल्प वटी मुख्य रूप से अर्श अर्थात बवासीर या पाईल्स को जड़ से खत्म करने में काम में ली जाती हैं| इसके साथ ही यह भगंदर रोग को समाप्त करने की भी क्षमता रखती हैं|
बवासीर को दूर करने के साथ ही यह औषधि पाचन से जुड़े विकार, सूजन और पीलिया जैसे रोगों का भी नाश करती हैं| इसके सेवन से पहले जान लेते हैं कि अर्श या बवासीर होता क्या है?
क्या हैं बवासीर? (What is Piles?)
इस रोग में रोगी के गुदा के आस पास सूजन आ जाती हैं| रोगी के मलाशय के बाहरी या आंतरिक हिस्से में मस्से बन जाते हैं| जिससे बहुत अधिक पीड़ा किसी भी व्यक्ति को हो सकती हैं|
बवासीर दो प्रकार की होती हैं-
बादी बवासीर- इस बवासीर में रोगी के गुदा द्वार पर मस्से बन जाते हैं जो काफी पीड़ादायक होते हैं|
खुनी बवासीर- इसके अन्दर मस्सो से खून गिरने लगता हैं जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती हैं और पीड़ा भी बढ़ जाती हैं|
बवासीर होने के कारण (Causes of Piles)
- मोटापा
- गर्भावस्था के दौरान
- कब्ज़ के कारण
- लम्बे समय तक एक ही जगह पर खड़े या बैठे रहना
- वंशानुगतता के कारण|
पथ्य और अपथ्य बवासीर में (Bavasir me pathy or apthy)
बवासीर में पथ्य | बवासीर में अपथ्य |
गेहूं, जौ, शाली चावल, मसूर की दाल, मुंग की दाल, अरहर, सहजन, टिंडा, जायफल, परवल, लहसून, लौकी, तुरई, करेला, कद्दू, बथुआ, अमरुद, आंवला, पपीता, मूली के पत्ते, मेथी, फायबर युक्त भोजन, खीर, गाजर, काला नमक, मट्ठा, जीरा, हल्दी, सौंफ, शहद, नीम्बू आदि| | नया धान, मैदा, उड़द, काबुली, मटर, सोयाबीन, छोले, आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बेंगन, अरबी, भिन्डी, जामुन, केला, आम, मिर्च, तेल, गुड़, समोसा, पकोड़ी, पराठा, चाट, पापड़, मालपुआ, मांसाहार, घी, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ आदि| |
दिव्य अर्शकल्प वटी के फायदे (Divya Arshkalp vati ke fayde)
- बवासीर (piles)
- भगंदर में
- बदहजमी
- पाचन तंत्र के विकार
- कब्ज़ में
- जलन में
- पेट दर्द में
- मांसपेशियों को मजबूती दें
- रक्त की शुद्धी करें
- पीलिया में
- सूजन में
दिव्य अर्शकल्प वटी के घटक द्रव्य (Divya Arshkalp vati ke ghatak dravya)
- शुद्ध रसोंत
- हरीतकी
- निम्बोली
- बकायन
- मकोय
- घृतकुमारी
- नाग दौना
- रीठा
- देसी कपूर
- खून खराबा
दिव्य अर्शकल्प वटी की सेवन विधि (Divya Arshkalp vati ki sevan vidhi)
- 1 से 2 गोलियों का सेवन भोजन करने से पहले पानी या मट्ठे के साथ करें|
दिव्य अर्शकल्प वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Divya Arshkalp vati ke sevan ki savdhaniya)
- गर्भवती महिला को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए|
- किसी भी व्यक्ति को इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए|
- यदि आप पहले ही किसी रोग से ग्रसित हैं तो इसकी जानकारी अपने चिकित्सक को दे कर ही इसका सेवन शुरू करें|
- बच्चो की पहुँच से इसे दूर रखे|
- इसकी तासीर गर्म होती हैं इसलिए पित्त प्रधान व्यक्ति इसका सेवन कम मात्रा या चिकित्सक के अनुसार बताई गयी मात्रा में ही करें|