kutjarishta benefits
औषधी दर्शन

कुटजारिष्ट: क्या आप भी पेट की समस्याओं से हमेशा रहते हैं परेशान तो आज ही इसे इस्तेमाल करें

कुटजारिष्ट का परिचय (Introduction of Kutajarishta benefit, dosage)

Table of Contents

कुटजारिष्ट क्या होता हैं? (What is Kutajarishta)

कुटजारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं जो कई महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक तत्वों के साथ मिलकर बनायीं जाती हैं| इस औषधि का मुख्य घटक कुटज की छाल होता हैं इसी कारण इस औषधि को कुटजारिष्ट कहा जाता हैं| इस औषधि को प्रयोग करने से यह अपच के कारण पेट में हो रही समस्याओ से राहत दिलाती हैं|

आज कल के दैनिक जीवन में खान पान अच्छा न होने की वजह से पेट दर्द, अतिसार, लीवर में गन्दगी, आंतो में मल का जमा होना यह सब आम बात हो गयी हैं लेकिन कुटजारिष्ट के उपयोग से इन सभी समस्याओ से छुटकारा पाया जा सकता हैं| यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाती हैं| यह औषधि भूख न लगने जैसी समस्याओ पर भी असरदार हैं| यह औषधि सिरप के रूप में उपलब्ध होती हैं| ऐसी ही कई और समस्याओ के लिए यह उत्तम औषधि हैं| इस औषधि का कोई दुष्प्रभाव नही होता हैं|

कुटजारिष्ट के घटक द्रव्य (Contents of Kutajarishta)

  • कुटज की छाल
  • दाख
  • महुआ के फूल
  • गंभारी की छाल
  • जल
  • गुड
  • धातकी के पुष्प
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कुटजारिष्ट बनाने की विधि (How to make Kutajarishta)

इस औषधि को अरिष्ट विधि द्वारा बनाया जाता हैं| सर्वप्रथम कुटज की छाल, दाख, महुआ के फूल तथा गंभारी की छाल को कूट लेना होता हैं| इसे कूट लेने के पश्चात हमें इनका काढ़ा बनाने के लिए किसी बड़े बर्तन में पानी लेना होगा| इस पानी में कूटी हुई औषधीया डाल कर इन्हें मंद आंच पर पकने के लिए छोड़ देते हैं| इसे तब तक मंद आंच पर पकने दीजिये जब तक इसमें डाले गये पानी का चोथाई हिस्सा शेष न रह जाये| चोथाई हिस्सा शेष रह जाने के बाद इसे उतार कर ठंडा कर ले| ठंडा करने के बाद इसे किसी मिट्टी के बर्तन में डाल दे अब उस मिट्टी के बर्तन में गुड और धातकी के पुष्प मिला दे|

जब तक ये अच्छे से घुल न जाये इन्हें हिलाते रहना चाहिए| अच्छी तरह से घुल जाने के पश्चात् इस मिश्रण को अच्छे से बंद करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए| इसे ऐसे ही लगभग 1 महीने तक रखना चाहिए| एक महीने के बाद यह औषधि तैयार हो जाती हैं| अब इसे छान कर इसका सेवन किया जा सकता हैं|

कुटजारिष्ट औषधि के फायदे और उपयोग (Benefits of Kutajarishta)

कुटजारिष्ट अतिसार के इलाज में उपयोगी

अतिसार जिसे डायरिया भी कहा जाता हैं| इस अवस्था में रोगी को बार बार मल त्याग करना पड़ता हैं| इस स्तिथि में मल बहुत पतले होते हैं| इसे आम भाषा में दस्त भी कहा जाता हैं| इन दस्त में जल भाग अधिक होता हैं तथा थोड़े थोड़े समय के अन्तराल पर रोगी को मल त्याग करना पड़ता हैं| अतिसार के कारण रोगी के शरीर में जल की कमी भी हो जाती हैं जिस कारण रोगी थका हुआ और कमजोर महसूस करता हैं| इसके के उपयोग से अतिसार रोग ठीक होता हैं| यह औषधि कमजोरी और थकान की भरपाई भी कर देती हैं|

यह रोग मौसम के बदलाव के कारण या अत्यधिक तला हुआ अथवा भारी भोजन कारण हो सकता हैं| यह दूषित जल और दूषित खान पान का नतीजा भी हो सकता हैं| जब कभी आंतो में कोई गड़बड़ी हो जाती हैं तब भी व्यक्ति इस रोग का शिकार हो सकता हैं| इन सारी समस्याओ को इस औषधि के माध्यम से खत्म किया जा सकता हैं और रोगी को आराम महसूस होता हैं|

अमीबी पेचिस को ठीक करने में

यह एक प्रकार का अमीबा होता हैं जो दूषित भोजन और दूषित जल में उपस्थित रहता हैं| जब दूषित चीजों को खाया या पिया जाता हैं तो यह अमीबा हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता हैं| इस स्तिथि में दस्त या खूनी दस्त, पेट में दर्द, पेट में ऐंठन,बुखार आदि चीज़े इस स्थिति में हो सकती हैं| यह आंतो को भी प्रभावित करता हैं|

यह मुख्य रूप से बड़ी आंत को प्रभावित करके उसमे घाव कर देता हैं जिसके कारण व्यक्ति को दस्त लगती हैं और दस्त में खून निकलता हैं| इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए कुटजारिष्ट सर्वोत्तम उपाय हैं| इसके उपयोग करने से यह हमारे शरीर के भीतर जा कर आंतो को साफ़ करता हैं तथा आंतो में जमे हुए दूषित मल को बाहर निकल देता हैं|

कुटजारिष्ट के फायदे herbal arcade
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पेट के संक्रमण को ख़तम करे

यह औषधि कई चीजों में फायदा करने के साथ साथ पेट में हो रही समस्याओ में आराम पहुचाती हैं| यह एक आम समस्या हैं जो बच्चो और व्यस्क व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करती हैं| पेट के संक्रमण में व्यक्ति का जी मचलता हैं| इसके कारण उल्टी भी हो सकती हैं| इ

स समस्या में पेट फूल जाता हैं| यह संक्रमण बेक्टेरिया के कारण होता हैं| यह बेक्टेरिया मनुष्य के पेट में विषाक्त पदार्थो का निर्माण करता हैं| जिसके कारण पेट में संक्रमण हो जाता हैं| कुटजारिष्ट के उपयोग करने से यह पेट में उपस्थित बेक्टेरिया को खत्म करती हैं और पेट को ठंडक पहुचाती हैं| इसी कारण कुटजारिष्ट को पेट के लिए एक बेहतर औषधि माना गया हैं|

कुटजारिष्ट पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सक्षम

यह औषधि अतिसार, अमीबी पेचिस और पेट में संक्रमण को मिटने के साथ साथ आंतो की सफाई भी करती हैं| इसलिए यह हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में भी सहायक होती हैं| जब पाचन तंत्र सही तरीके से कम करेगा तो भोजन अच्छी तरह से पचेगा

और यदि भोजन अच्छी तरह से पचेगा तो इससे शरीर में रस बनेगा जिससे हमारे शरीर में किसी प्रकार की कमजोरी भी नही होगी| पाचन तंत्र के सही प्रकार से काम करने में भोजन पचाने में कोई समस्या नही आएगी और सामन्यत लोगो में होने वाली गैस की परेशानी भी खत्म हो जाएगी|

कुटजारिष्ट मंद जठराग्नि को बढ़ने में सहायक

जठराग्नि को पाचक अग्नि भी कहा जाता हैं| यह अग्नि हमारे शरीर में उपस्थित भोजन को अपनी गर्मी से जल्दी पचाने में सहायता करती हैं

परन्तु इस अग्नि के मंद पड़ जाने पर भोजन का पाचन सही तरीके से नही हो पता हैं जिस कारण खाना बिना पचे ही मल के रूप में बाहर आ जाता हैं|

कुटजारिष्ट के उपयोग से यह हमारे शरीर में जाकर मंद जठराग्नि को बढ़ा देती हैं जिसकी मदद से भोजन आसानी से पच जाता हैं|

इस समस्या में भूख कम लगना या ना के बराबर लग्न जैसी समस्या भी आ सकती हैं लेकिन इस समस्या का समाधान भी कुटजारिष्ट द्वारा हो सकता हैं

कफ की समस्या का समाधान

स्वस्थ मनुष्य के शरीर में कफ बनना एक प्राकृतिक क्रिया हैं| लेकिन कफ का निर्माण जब ज्यादा मात्रा में होने लगता हैं तोह इसका सीधा असर हमारे नाक, गले, और फेफड़ो पर पड़ता हैं|

जिसके कारण हमे सांस लेने में भी तकलीफ आती हैं| कफ की वृद्धि कभी कभी साँसों में बदबू का कारण भी बन जाती हैं|

कुटजारिष्ट के उपयोग से यह कफ की मात्रा को संतुलित करती हैं| और कफ के कारण हो रही सारी समस्याओ से निजात दिलवा देती हैं| कफ के कारण हो रहीं खांसी या काफी पुरानी खांसी को दूर करने में भी कुटजारिष्ट मददगार साबित हुई हैं|

कुटजारिष्ट अन्य समस्याओ में मददगार

1) यह औषधि बवासीर से छुटकारा दिलाने में भी सहायक सिद्ध हुई हैं| व्यक्ति के शरीर में जब मल नियंत्रण वाहिकाए जब सूज जाती हैं तो बवासीर होता हैं| इस स्तिथि में व्यक्ति को मल त्यागने में परेशानी आती हैं| कुटजारिष्ट औषधि मल नियन्त्रण वाहिकाओ की सूजन ख़त्म करती हैं तथा बवासीर से छुटकारा दिलाती हैं|


2) इस औषधि के उपयोग करने वाले व्यक्तियों की रोग प्रति रोधक क्षमता में वृद्धि होती हैं| जिस कारण वह कम से कम संक्रमण में आते हैं और सभी बीमारियों से दूर रहते हैं|
3) इस औषधि का कार्य पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ साथ ह्रदय को मजबूती देने में भी सहायक होती हैं| ह्रदय के मजबूत होने से हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों से यह औषधि हमारा बचाव करती हैं|


4) श्वशनक ज्वर में भी यह औषधि फायदेमंद होती हैं| इस प्रकार के ज्वर में तेज बुखार आता हैं सीने में दर्द होता हैं, बलगम वाली खांसी, सांस लेने में दिक्कत, थकान, कमजोरी, मलिन जीभ और माथे पर पसीना आता हैं और व्यक्ति पसीने के कारण भीगा हुआ रहता हैं| इन सारी समस्याओ को दूर करने के लिए कुटजारिष्ट एक उत्तम औषधि हैं| इसे डब्बा रोग भी कहा जाता हैं|


5) संग्रहणी रोग में भी यह औषधि असरदार साबित हुई हैं| इस समस्या में सुबह बिना दर्द के पानी के समान दस्त आता हैं| जैसे जैसे रोग बढता जाता हैं वैसे वैसे सायंकाल के भोजन के तुरंत बाद भी दस्त आता हैं किन्तु रोगी को कोई कष्ट महसूस नही होता हैं| यह औषधि इस तरह की समस्या में भी असरदार होती हैं| यह रोग को जड़ से खत्म कर देती हैं| इस औषधि को लेने के बाद इस रोग से रोगी को राहत मिलती हैं|

कुटजारिष्ट औषधि की सेवन विधि (Doses of Kutajarishta)

         आयु             मात्रा
5 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चो के लिए5 मी. ली. दिन में दो बार
व्यस्क व्यक्तियों के लिए10 से 20 मी. ली.
दिन में कितनी बार सेवन करेदिन में दो बार
सेवन करने का सही समयसुबह और शाम खाने के बाद
किसके साथ लेसमान मात्रा में ताज़ा पानी के साथ
सेवन की अवधिचिकित्सक की सलाहनुसार

कुटजारिष्ट औषधि का सेवन करते वक़्त रखी जाने वाली सावधानिया | (Precautions of Kutajarishta)

  1. इसका सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर लेवे|
  2. चिकित्सक से सलाह लेते वक़्त उन्हें अपनी वर्तमान स्तिथि (गर्भावस्था या कोई अन्य बीमारी) के बारे में जरुर बताये|
  3. चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही इस औषधि का सेवन किया जाना चाहिए|
  4. यदि आपको इसमें उपस्थित तत्वों से एलर्जी हो तोह इसका सेवन न करे|

कुटजारिष्ट की उपलब्धता | (Availability of Kutajarishta)

  1. बैधनाथ कुटजारिष्ट (Baidyanath kutjarishta)
  2. सांडू कुटजारिष्ट (Sandu kutjarishta)
  3. दिव्य कुटजारिष्ट (Divya pharmacy kutjarishit)
  4. मुलतानी कुटजारिष्ट (Multani kutjarishta)
  5. धूतपापेश्वर कुटजारिष्ट (Dhootpapeshwar kutjarishta)
  6. डाबर कुटजारिष्ट (Dabur kutjarishta)
  7. बेसिक आयुर्वेदा कुटजारिष्ट (Basic Ayurveda kutjarishta)
  8. अग्निवेश कुटजारिष्ट (Agnivesh kutjarishta)
  9. संजीविका कुटजारिष्ट (sanjiveeka kutjarishta)
  10. केरला आयुर्वेदा कुटजारिष्ट(kerala Ayurveda)
  11. कोट्टकल कुटजारिष्ट (Kottakkal kutjarishta)

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Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. I will respond to each valuable comment)

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