लवंगादि वटी: जाने अभी क्यों हैं ये इतनी कारगर औषधि कफ जैसे रोगों के लिए
लवंगादि वटी का परिचय (Introduction of Lavangadi vati: Benefits, doses)
लवंगादि वटी क्या हैं ? (Lavangadi vati kya hai?)
कफ का शमन करने वाली यह एक आयुर्वेदिक औषधि हैं | इसका मुख्य घटक लौंग होता हैं जो कि तासीर में गर्म होता हैं | इसी कारण लम्बे समय से छाती में जमा हुआ कफ भी इसका सेवन करने पर बाहर निकलने लगता हैं | सूखी तथा गीली दोनों प्रकार की खांसी को लवंगादि वटी के सेवन से समाप्त की जा सकती हैं |
यह श्वास की नली में जमे हुए कफ और श्वास रोगों में भी लाभदायक होती हैं | खांसी, जुखाम और कफ को समाप्त करने की एक उत्तम औषधि हैं | इस औषधि की एक या दो गोली चूसने पर ही व्यक्ति को आराम मिलना शुरू हो जाता हैं |
लवंगादि वटी के घटक द्रव्य (Lavangadi vati ke ghatak)
- लौंग
- बहेड़े का छिलका
- पीपल
- सकरतिगार
- काकड़ासिंगी
- अनार का सूखा छिलका
- दालचीनी
- खैरसार या कत्था
- सत-मुलेठी
- मुनक्का
- आक के फूल
- नौसादर
- कपूर
- सुहागे की खील
लवंगादि वटी बनाने की विधि (Lavangadi vati banane ki vidhi)
औषधि के निर्माण हेतु मुनक्का और आक के फूल को कूटकर इनका उचित जल में क्वाथ बना लें | जब चौथाई जल शेष रह जाये तब इसमें मुलेठी, नौसादर, कपूर और सुहागे की खील मिला दें | अब बाकी बची औषधियों को कूट और छान कर मिला दें | अब इनकी गोलियां बना लें तथा इन्हें सुखा दें | इसके बाद इस औषधि का उपयोग किया जा सकता हैं |
लवंगादि वटी के फायदे (Lavangadi vati ke fayde)
खांसी में (in cough)
बार बार होने वाली खांसी, गले की खराबी के कारण होने वाली खांसी हो या लम्बे समय से चल रही खांसी सब को यह औषधि दूर करने में उत्तम होती हैं | कई बार खांसी होने पर व्यक्ति का हाल बेहाल हो जाता हैं जिससे उसके श्वसन तंत्र पर प्रभाव पड़ता हैं |
कफ वाली खांसी हो या सूखी खांसी दोनों को ही इस औषधि के द्वारा समाप्त किया जा सकता हैं | इस औषधि का सेवन करने पर यह कफ का समापन करती हैं और खांसी से छुटकारा दिलाती हैं | खांसी के साथ साथ यह जुखाम में भी लाभ करती हैं |
छाती से जुडी समस्या में
कफ का जमाव होना एक बहुत सामान्य बात हैं परन्तु जब यह कफ छाती में जड़ जमा लेता हैं तो इससे छाती में दर्द, सांस में कठिनाई जैसी और भी दुर्लभ समस्याएँ सामने आती हैं | इस औषधि में लौंग के साथ साथ और भी कई ऐसी औषधियां होती हैं जो इसकी तासीर को और अधिक गर्म कर देती हैं | और कफ से पीड़ित कोई भी व्यक्ति यदि इसका सेवन करता हैं तो कफ पतला हो कर धीरे धीरे बाहर निकलने लगता हैं |
श्वास रोगों में (in breathing problems)
कफ की मात्रा अधिक होने पर जब यह श्वसन तंत्र की नलियों में जम जाता हैं तो सांस लेने में तक में कठिनाई आ सकती हैं | कफ के कारण होने वाले सांस रोगों को लवंगादी वटी की सहायता से समाप्त किया जा सकता हैं | श्वसन के संक्रमण में भी यह उपयुक्त होती हैं |
मुंह के छालो में
इस वटी की एक से दो गोली का सेवन करने पर ही मुंह के छालो में आराम मिलने लगता हैं |
लवंगादी वटी के अन्य फायदे (Lavangadi vati ke any fayde)
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये
- पित्त बढ़ाये
- गले की खराश को समाप्त करें
- सिर दर्द में
लवंगादि वटी के सेवन का प्रकार और मात्रा (Lavangadi vati ka sevan)
- 1-1 गोली दिन में 5 से 6 बार मुंह में रख कर चूसे |
लवंगादि वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Lavangadi vati ke sevan ki savdhaniya)
- पित्त प्रधान व्यक्तियों को इस औषधि का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए |
- गर्भवती महिला को इसका सेवन नही करना चाहिए और यदि सेवन की जरुरत हो तो उससे पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लें |
- इसका सेवन अधिक मात्रा में ना करें |
- यदि आप पहले ही किसी रोग की चिकित्सा लें रहें हैं तो इसके सेवन से पहले चिकित्सक को जरुर बताएं |
लवंगादि वटी की उपलब्धता (Lavangadi vati ki uplabdhta)
- बैधनाथ लवंगादि वटी (BAIDYANATH LAVANGADI VATI)
- दिव्य लवंगादि वटी (DIVYA LAVANGADI VATI)
- डाबर लवंगादि वटी (DABUR LAVANGADI VATI)
- झंडू लवंगादि वटी (ZANDU LAVANGADI VATI)
- ऊंझा लवंगादि वटी (UNJHA LAVANGADI VATI)
- दीप आयुर्वेदा लवंगादि वटी (DEEP AYURVEDA LAVANGADI VATI)
- डी.ए.वी. लवंगादी वटी (D.A.V. LAVANGADI VATI)
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