पञ्चामृत लौह गुग्गुल: अब पायें छुटकारा हर तरह के वात रोगों से
पञ्चामृत लौह गुग्गुल का परिचय (Panchamrit lauh guggul ka introduction: benefit)
पञ्चामृत लौह गुग्गुल क्या होता हैं? (Panchamrit lauh guggul kya hai?)
यह दर्द का निवारण करने वाली एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं| पञ्चामृत लौह गुग्गुल का सेवन करने से किसी भी प्रकार के घुटनों के दर्द, कमर दर्द, नसों के दर्द जैसे और भी शरीर के कई दर्द को समाप्त करती हैं|
सामान्य जोड़ो के दर्द को दूर करने के अलावा भी यह साइटिका, गठिया, गृध्रसी, अपबाहुक आदि रोगों में होने वाले दर्द को मुख्य रूप से समाप्त करती हैं| इसके अलावा यह दुर्बलता, सभी प्रकार के वात विकार, तंत्रिका तंत्र के विकार आदि में भी लाभदायक होती हैं|
पञ्चामृत लौह गुग्गुल के घटक (Panchamrit lauh guggul ke gatak)
- शुद्ध पारा
- शुद्ध गंधक
- रोप्य भस्म
- अभ्रक भस्म
- स्वर्णमाक्षिक भस्म
- लौह भस्म
- शुद्ध गुग्गुल
- कडुवा तेल
पञ्चामृत लौह गुग्गुल बनाने की विधि (Panchamrit lauh guggul banane ki vidhi)
औषधि का निर्माण करने हेतु सबसे पहले पारे और गंधक की कज्जली कर लें| दूसरी तरफ गुग्गुल को लोहे की खरल में मसली से थोड़े कडुवे तेल के छींटे दे कर कूटे| जब गुग्गुल नरम हो जाये तब इसमें कज्जली और अन्य भस्मे मिला कर 6 घंटे तक मर्दन करें| इसके बाद गोलिया बना कर सुखा दें तथा इसके बाद उपयोग में ले लें|
पञ्चामृत लौह गुग्गुल के फायदे (Panchamrit lauh guggul ke fayde)
गृध्रसी में (for sciatica)
आयुर्वेद में इस रोग को वात के अंतर्गत रखा गया हैं | इसके कारण शरीर में कमजोरी, प्रभावित अंग में दर्द, बैठने या खड़े होने में समस्या आती हैं | जब रीढ़ की हड्डी को चोट या झटको से बचाने वाली दो गद्देदार डिस्क ख़राब होती हैं या उनमे किसी प्रकार की क्षति होती हैं तो इस समस्या का सामना करना पड़ता हैं | ऐसे में यदि इस औषधि का सेवन किया जाता हैं तो यह सभी प्रकार के दर्द से राहत दिलाती हैं|
अपबाहुक में
इस रोग में वात विकार के कारण कंधे और उसकी आस पास की नसे तन जाती हैं| चूँकि यह औषधि वात विकार को खत्म करके दर्द का निवारण करती हैं इसी कारण इसका प्रयोग इस रोग में भी किया जाता हैं|
मस्तिष्क की कमजोरी में (for strong brain)
मस्तिष्क शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैं इसलिए यदि किसी भी प्रकार का विकार शरीर में आता हैं तो उसका असर मस्तिष्क पर तो होता ही हैं| जैसे मस्तिष्क कमजोर होने से सिर दर्द होना, अनिद्रा, पाचक अग्नि पर प्रभाव पड़ना, तनाव आदि लक्षण होते हैं|
इन सबसे छुटकारा पाने और मस्तिष्क को मजबूत बनाने के लिए यह एक उत्तम औषधि हैं|
वात रोग में (for vat dosh)
शरीर में होने वाला किसी भी प्रकार का दर्द वात विकार के कारण होता हैं| यह औषधि वात विकार को खत्म करके गठिया, कमर दर्द, घुटनों का दर्द, पुराना दर्द पेट दर्द, साइटिका में होने वाला दर्द जैसे और भी कई प्रकार के दर्द को खत्म करके आराम पहुंचाती हैं|
पञ्चामृत लोह गुग्गुल के अन्य फायदे (Panchamrit lauh guggul ke any fayde)
- स्नायु दुर्बलता में
- पांडू रोग में
- पाचन तंत्र को मजबूती दें
- नसों में दर्द होने पर
- स्पोंड़ीलाईटिस
- पीलिया में
- शरीर की जकड़न आदि में|
पञ्चामृत लौह गुग्गुल की सेवन विधि (Panchamrit lauh guggul ki sevan vidhi)
- 1 से 2 गोली का सेवन सुबह शाम दूध, चोपचीनी, असगंध, एरंडमूल, उशबा, सोंठ और कडवे सुरंजान के क्वाथ के साथ करें|
पञ्चामृत लोह गुग्गुल का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Panchamrit lauh guggul ke sevan ki savdhaniyan)
- गर्भवती महिला को इस औषधि का सेवन नही करना चाहिए|
- किसी भी व्यक्ति को इस औषधि का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह अनिवार्य रूप से लेनी चाहिए |
- खट्टे पदार्थो का सेवन जितना हो सके कम करें |
- बच्चो को इसका सेवन ना करायें |
- चिकित्सक को रोग की जीर्णता के बारे में पूरी जानकारी देनी चहिये |
पञ्चामृत लौह गुग्गुल की उपलब्धता (Panchamrit lauh guggul ki uplabdhta)
- धूपापेशवर पञ्चामृत लौह गुग्गुल (dhootpapeshwar Panchamrit lauh guggul)
- बेसिक आयुर्वेदा पञ्चामृत लोहगुग्गुल (basic ayurveda Panchamrit lauh guggul)
- दिव्य फार्मेसी पञ्चामृत लोह गुग्गुल (divya pharmacy Panchamrit lauh guggul)
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