पुनर्नवारिष्ट: ऐसे मिलेगा आपके लीवर को नया जीवन, शुरू करें आज ही इसका सेवन और पायें 13 जबरदस्त फायदें
पुनर्नवारिष्ट का परिचय (introduction of Punarnavarishta: Benefits, Dosage)
क्या हैं पुनर्नवारिष्ट ?? (Punarnavarishta kya hai)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि हैं जिसे अरिष्ट विधि द्वारा बनाया जाता हैं| इस औषधि का मुख्य घटक पुनर्नवा होता हैं| यह औषधि मुख्य रूप से लीवर रोग, ह्रदय रोग, मूत्र विकार में काम आती हैं| यह औषधि एनीमिया की बीमारी को भी जड़ से खत्म कर देती हैं| शरीर में हो रहे किसी भी प्रकार के दर्द में पुनर्नवारिष्ट औषधि अत्यंत लाभदायक होती हैं|
इस औषधि का प्रयोग त्वचा के रोगों को मिटाने और रोकने के लिए भी होता हैं| ह्रदय रोग, भगंदर, बवासीर, मूत्राशय में संक्रमण आदि जैसी समस्याओ को खत्म करने की यह एक प्राकृतिक और प्रसिद्ध औषधि हैं| पुनर्नवारिष्ट औषधि का प्रयोग परंपरागत रूप से भी किया जाता हैं|
पुनर्नवारिष्ट औषधि के घटक द्रव्य (Punarnavarishta ke ghatak)
- सफ़ेद पुनर्नवा
- लाल पुनर्नवा
- बला
- अतिबला
- पाठा
- वासा
- गिलोय
- चित्रक
- अम्बु
- कंटकारी
- पानी
- पुराना गुड़
- शहद
- नागकेसर
- दालचीनी
- इलायची
- काली मिर्च
- तेजपत्ता
पुनर्नवारिष्ट बनाने की विधि (Punarnavarishta banane ki vidhi)
इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले काढ़ा बनाना होगा| सफ़ेद पुनर्नवा, लाल पुनर्नवा, बला, अतिबला, पाठा, गिलोय, चित्रक की जड़, अम्बु और वासा इन सभी औषधियों को अच्छे से कूट लेवें| अब इन सारी औषधियों को उचित मात्रा में पानी के साथ पकाएं| जब काढ़े का एक चौथाई हिस्सा शेष रह जाये तो इसे नीचे उतार कर ठंडा कर लेवें|
अब इस मिश्रण में गुड और शहद डालें| इन्हें डालने के बाद बाकी बची सारी औषधियों को भी इस मिश्रण में डाल कर एक महीने के लिए किसी वायुरोधी पात्र में डाल कर एक महीने के लिए छोड़ दें| यह औषधि लगभग एक महीने में तैयार हो जाती हैं| अब इस तैयार औषधि का सेवन किया जा सकता हैं|
पुनर्नवारिष्ट औषधि के फायदें और उपयोग (Punarnavarishta ke fayade)
लीवर रोग में
इस औषधि का निर्माण मुख्य रूप से लीवर से जुडी समस्याओं के लिए ही किया गया हैं| यह औषधि लीवर से जुड़े हर रोग का समाधान करती हैं| यदि छोटी सी चोट लगने पर भी आपका बहुत खून बह जाता हैं तो यह आपके ख़राब लीवर के कारण हो सकता हैं| लीवर में खून जमाने वाला प्रोटीन बनता हैं| जब लीवर के ख़राब होने के कारण लीवर यह प्रोटीन नही बना पता तो छोटी सी चोट लगने पर भी खून नही रुकता या देर से रुकता हैं|
इस समस्या के अतिरिक्त जब लीवर में वसा की मात्रा ज्यादा हो जाती हैं तो भी यह आपके लीवर के लिए खतरनाक हो सकती है| लीवर की सूजन जिसे हेपेटाइटिस कहा जाता हैं, जैसी जानलेवा बीमारी को भी यह औषधि जड़ से खत्म कर देती हैं| लीवर से जुडी हुई कोई भी समस्या पुनर्नवारिष्ट औषधि के माध्यम से पूरी तरह खत्म हो सकती हैं| यदि अधिक शराब पीने और अधिक धुम्रपान के कारण आपके लीवर में घाव हो चुके हैं तो यह औषधि उन घावो पर भी सकारात्मक रूप से असर करेगी| यदि कुछ शब्दों में कहें तो यह औषधि आपके लीवर के लिए सबसे उपयुक्त औषधि हैं|
पुनर्नवारिष्ट शारीरिक दर्द से दिलाएं छुटकारा
कई बार कठिन परिश्रम के बाद व्यक्ति का शारीरिक दर्द से सामना करना एक आम बात हो जाती हैं| शारीरिक दर्द के कारण रोजमर्रा के काम करने में भी तकलीफ आती हैं जिसकी वजह से व्यक्ति को मानसिक तनाव घेर लेता हैं| इन सारी समस्याओं को दूर करे के लिए पुनर्नवारिष्ट औषधि एक उत्तम औषधि साबित हुई हैं| इस औषधि का प्रयोग करने से किसी भी प्रकार का शारीरिक दर्द जिससे आप बहुत ज्यादा परेशान हो, से आसानी से छुटाकरा पा सकतें हो|
प्लीहा की वृद्धि कम करें
जब व्यक्ति के शरीर में प्लीहा वृद्धि हो जाती हैं तो उसे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं| कई बार तो व्यक्ति को पता ही नही चल पाता हैं कि उसके शरीर में प्लीहा की वृद्धि हुई हैं| और यदि पता भी चल जाएँ तो उसे सही प्रकार का इलाज़ नही मिल पता हैं| इस औषधि में प्लीहा की वृद्धि को नियंत्रित करने का अचूक उपाय हैं| प्लीहा की वृद्धि होने पर इस औषधि का सेवन उपयुक्त रहता हैं|
प्रमेह रोग में असरदार औषधि
यह रोग एक यौन संचारित जीवाणु का संक्रमण होता हैं| इसका उपचार नही होने पर यह बांझपन का कारण भी बन सकता हैं| इस रोग के लक्षणों में मूत्र त्याग करते समय दर्द का अनुभव हो सकता हैं| इस रोग को समाप्त करने के लिए पुनर्नवारिष्ट औषधि का उपयोग किया जा सकता हैं| यह औषधि इस रोग को खत्म करने में मददगार होती हैं|
पुनर्नवारिष्ट पांडू रोग को जड़ से खत्म करें
शरीर में रक्त की कमी होने के कारण पांडू रोग होता हैं| इस रोग को एनीमिया भी कहा जाता हैं| जब पांडू रोग हमारे शरीर में जड़ जमा के बैठ जाता हैं है तो इस स्थिति में यह औषधि उपयोगी होती हैं| इस औषधि का सेवन पांडू रोग में करने से यह हिमोग्लोबिन का स्तर बढाती हैं और पंडू रोग को जड़ से खत्म कर देती हैं|
गुल्म रोग में सहायक
यह औषधि पेट में नाभि के ऊपर खाली हिस्से में भरी हुई समस्या को खत्म करने में सहायक होती हैं| जब नाभि के ऊपर खाली स्थान में वायु भर जाती हैं तो इसे गुल्म रोग कहते हैं| इस रोग में के कारण नाभि के ऊपर वाले हिस्से में उभर आ जाता हैं जिसके कारण रोगी को पेट दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं| गुल्म रोग को खत्म करने में यह औषधि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं|
संग्रहणी रोग में लाभदायक
यह औषधि संग्रहणी रोग में काफी लाभदायक सिद्ध हुई हैं| इस रोग में बिना किसी दर्द के पानी के समान दस्त आती हैं| यह रोग गंभीर होने पर सांयकाल के भोजन के बाद भी व्यक्ति को मल त्यागने जाना पड़ता हैं| इस रोग से तुरंत छुटकारा पाने के लिए पुनर्नवारिष्ट औषधि का उपयोग करना चाहिए|
पुनर्नवारिष्ट हलीमक की समस्या को हटायें
इस रोग में खाने से अरुचि होने लगती हैं| यह रोग वातपित्त के कोप से उत्पन्न होता हैं| इस स्थिति में त्वचा हरापन, कालापन या धुमिलापन लिए पीली हो जाती हैं तथा अंगो में पीड़ा बनी रहती हैं| इस स्थिति से निकलने के लिए पुनर्नवारिष्ट एक कारगर औषधि हैं| इस औषधि का सेवन करने वाले व्यक्ति में यह रोग धीरे धीरे कम होता जाता हैं|
भगंदर रोग को नष्ट करें
भगंदर बहुत पीड़ादायक रोग होता हैं| इस रोग में मरीज के गुदा के अन्दर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता हैं| इसके फूटने पर रक्त बहने लगता हैं| ऐसी स्तिथि में पुनर्नवारिष्ट औषधि के उपयोग से यह रोगी को राहत देती हैं|
ह्रदय रोग को समाप्त करें
यह औषधि ह्रदय रोगों को समाप्त कर के ह्रदय को मजबूती देता हैं| उच्च रक्त चाप, निम्न रक्तचाप, ह्रदय की कमजोरी, धडकनों का अनियमित रूप से धड़कना, ह्रदय की नसों में रूकावट जैसी अनेकों का समस्याओं का पुनर्नवारिष्ट एक उपयुक्त समाधान हैं|
अर्श रोग का समाधान
यह अत्यंत पीड़ादायक रोग होता हैं|इस रोग में गुदा के अन्दर और बाहर तथा मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती हैं| इस कारण गुदा के अन्दर और बाहर किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं| यह तकलीफ कब्ज़ के कारण हो सकती हैं| पुनर्नवारिष्ट औषधि का सेवन कर के इस रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता हैं|
पुनर्नवारिष्ट मूत्र मार्ग में संक्रमण को हटायें
यह औषधि किसी कारण हुए मूत्र मार्ग के संक्रमण को हटाने में लाभदायक साबित हुई हैं| यह औषधि शरीर के भीतर जा कर विषाक्त पदार्थो को खत्म कर के मूत्र मार्ग के संक्रमण को खत्म करती हैं|
त्वचा रोगों में लाभदायक
यह औषधि त्वचा को रोगों से बचाती हैं| किसी भी प्रकार के त्वचा रोग को और त्वचा के इन्फेक्शन को यह औषधि समाप्त कर देती हैं| इसके उपयोग से त्वचा में चमक भी आती हैं|
पुनर्नवारिष्ट औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Punarnavarishta ki sevan vidhi)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार ले | दिन में दो बार सुबह शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ ले | गुनगुने जल के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
पुनर्नवारिष्ट औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Punarnavarishta lete samay savdhaniya)
- इस औषधि को नमी से दूर रखें|
- औषधि का सेवन अधिक मात्रा में ना करें, नही तो कोई दुष्प्रभाव हो सकता हैं|
- औषधि का सेवन करने से पहले किसी चिकित्सक से सलाह जरुर लेवें|
- पुनर्नवारिष्ट औषधि का सेवन जल के साथ ही बराबर मात्रा में करें|
- गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इस औषधि का सेवन नही करना चाहिएं|
- अतिसार से पीड़ित व्यक्ति इसका सेवन ना करें|
पुनर्नवारिष्ट औषधि की उपलब्धता (Punarnavarishta ki uplabdhta)
- बैधनाथ पुनर्नवारिष्ट (BAIDYANATH PUNARNAVARISHTA)
- दिव्य पुनर्नवारिष्ट (DIVYA PHARMACY PUNARNAVARISHTA)
- डाबर पुनर्नवारिष्ट (DABUR PUNARNAVARISHTA)
- बेसिक आयुर्वेदा पुनर्नवारिष्ट (BASIC AYURVEDA PUNARNAVARISHTA)
- गुआफा पुनर्नवारिष्ट (GUAPHA PUNARNAVARISHTA)
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Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. I will respond to each valuable comment)