विडंगारिष्ट: ऐसे पायें पेट के कीड़ों और जांघो के पुराने दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा, करें इसका उपयोग
विडंगारिष्ट का परिचय (Introduction of Vidangarishta: Benefits, dosage)
क्या हैं विडंगारिष्ट?? (Vidangarishta kya hai?)
विडंगारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि होती हैं जो पूरी तरह प्राकृतिक विधि से बनायीं जाती हैं| इस औषधि का मुख्य घटक विडंग होता हैं इसी कारण इस औषधि को विडंगारिष्ट कहा जाता हैं| यह औषधि मुख्य रूप से पेट और आंतो के कीड़ो को खत्म करने का काम करती हैं वो भी बिना किसी दुष्प्रभाव के|
पैरों और जांघो के दर्द के लिए यह औषधि एक सर्वश्रेष्ठ औषधि हैं| इन सब के अतिरिक्त अपच, गैस, मल मूत्र त्याग कने में समस्या, बवासीर, पेट दर्द, पथरी जैसी कई और रोगों का भी नाश अर्ने में सहायता करती हैं| इस औषधि में उपस्थित गुण व्यक्ति को फुर्तीला बनाते हैं और शारीरिक कमजोरी को भी यह औषधि जल्द ही समाप्त कर देती हैं|
विडंगारिष्ट औषधि के घटक द्रव्य (Vidangarishta ke ghatak)
- विडंग
- पिप्पली मूल
- रसना
- कुटज छाल
- कुटज फल
- पाठा
- एलबालुका
- आंवला
- पानी
- शहद
- धातकी
- त्वाक
- छोटी इलायची
- तेजपत्ता
- प्रियंगु
- कंचनार
- लोध्र
- सौंठ
- काली मिर्च
- पिप्पली
विडंगारिष्ट औषधि बनाने की विधि (Vidangarishta banane ki vidhi)
विडंगारिष्ट औषधि को अरिष्ट विधि द्वारा बनाया जाता हैं| इस औषधि को बनाने के लिए विडंग, पिप्पली मूल, रसना, कुटज छाल, कुटज फल, पाठा, एलबालुका और आंवला इन सभी औषधियों का काढ़ा बनाना होगा| काढ़ा बनाने से पहले इन सभी औषधियों को कूट लिया जाता हैं| उचित जल में, कूटी हुई औषधियों को डाल कर काढ़ा बनाया जाता हैं|
जल के चौथाई हिस्से के शेष रह जाने के बाद इसे उतार कर ठंडा कर लिया जाता हैं| अब इसमें शहद, धातकी, त्वाक, छोटी इलायची, तेजपत्ता, प्रियंगु, कंचनार, लोध्र, सौंठ, काली मिर्च, और पिप्पली को डाला जाता हैं| अब इस मिश्रण को वायु रोधी पात्र में रख कर किसी सुरक्षित स्थान पर एक महीने के लिए रख दिया जाता हैं| एक महीने के बाद यह औषधि तैयार हो जाती हैं| अब इस औषधि का सेवन किया जा सकता हैं|
विडंगारिष्ट औषधि के फायदे और उपयोग (Vidangarishta ke fayde)
पेट और आँतों के कीड़ो को करें साफ़
यह औषधि मुख्य रूप से आंतो और पेट के कीड़ो को मारने के लिए उपयोग में ली जाती हैं| कीड़े मनुष्य के शरीर में कहीं भी रह सकते हैं परन्तु ये पेट और आँतों में ज्यादा रहते हैं| इन कीड़ो द्वारा मनुष्य का भोजन ग्रहण कर लिया जाता हैं जिस कारण व्यक्ति दिन दिन कमजोर होता जाता हैं| कमजोरी के कारण मानसिक तनाव, चिडचिडा रहना एक आम बात हैं|
कई बार व्यक्ति को पता ही नही चलता हैं की उसका सारा पोषण कृमि लें रहे हैं| ऐसी स्थितियों में इस औषधि का उपयोग करने से पेट और आंतो के कीड़ो का सफाया हो जाता हैं| इस औषधि के गुण पेट और आंतो में जा कर कीड़ो को खत्म करते हैं और व्यक्ति द्वारा खाया हुए भोजन का पोषण व्यक्ति को ही प्राप्त होता हैं|
पैरों और जांघो के दर्द को करें खत्म
बढती उम्र हो या जवान व्यक्ति या फिर बच्चे हर कोई आज कल के जीवन में अकारण या किसी न किसी कारण से पैरों और जांघो के दर्द से जुडा हुआ हैं| वर्तमान में आई मशीनों के कारण व्यक्ति को बैठे बैठे काम करना पड़ता हैं तब भी वह पैरों के दर्द से परेशान रहता हैं और यदि किसी प्रकार का शारीरिक परिश्रम किया जाये तो भी व्यक्ति को पैर दर्द और जांघो के दर्द की शिकायत तो रहती ही हैं| इस परेशानी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को विडंगारिष्ट औषधि का सेवन करना चाहिए| यह औषधि शारीरिक दर्द को मुख्य रूप से पैरों और जांघो के दर्द से राहत दिलाती हैं|
पथरी से मुक्ति दिलाएं
पथरी होने का वैसे तो कोई निश्चित कारण नही होता परन्तु जब किडनी के फ़िल्टर करने वाले हिस्से में खराबी आ जाती हैं तो यूरिन के साथ कुछ रसायन अधिक हो जाते हैं जो धीरे धीरे जम कर पथरी का निर्माण कर देते हैं| इस स्थिति में विडंगारिष्ट औषधि का सेवन करने से यह शरीर में जमी हुई पथरी को बाहर निकलने में सहायता देते हैं|
पेट दर्द खत्म करें
पेट में संक्रमण, अपच, गैस, कब्ज, अधिक भारी खाने के कारण किसी भी प्रकार के पेट दर्द में यह औषधि कारगर हैं| यदि व्यक्ति को किसी भी प्रकार का पेट दर्द जो नियमित रूप से होता हैं या कभी कभी होता रहता हैं, इन दोनों ही स्थितियों में यह औषधि फायदेमंद हैं|
गुल्म रोग में सहायक
यह पेट का एक रोग होता हैं जिसमे उसके भीतर एक गोला सा बंध जाता हैं| यह गोला अनियमित आहार विहार तथा वायु और पित्त के दूषित होने के कारण होता हैं| यह रोग नाभि के ऊपर होता हैं जिससे उस जगह एक उभार जैसा बन जाता हैं| यह रोंग नाभि के अतिरिक्त दोनों पसलियों के भीतर, ह्रदय में और वस्ति में भी हो सकता हैं| इस रोग से छुटकारा पाने के लिए विडंगारिष्ट औषधि सहायक होती हैं |
मूत्र रोग को खत्म करें
विडंगारिष्ट औषधि मूत्र से जुड़े हुए सारे रोगों का निदान करने में सहायक होती हैं| यह औषधि मूत्र पथ के संक्रमण को भी दूर में सहायता करती हैं| मूत्र करते समय जलन, मूत्र का रुक रुक कर आना या बार बार आना जैसी समस्याओं में भी यह औषधि काम में ली जाती हैं|
भगंदर रोग में लाभदायक
भगंदर बहुत पीड़ादायक रोग होता हैं| इस रोग में मरीज के गुदा के अन्दर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता हैं| इसके फूटने पर रक्त बहने लगता हैं| ऐसी स्तिथि में विडंगारिष्ट औषधि के उपयोग से यह रोगी को राहत देती हैं|
त्वचा के लिए फायदेमंद
यह औषधि त्वचा के लिए बहुत अलग अलग रूप में फायदे करती हैं| त्वचा पर किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन इस औषधि के सेवन से दूर हो सकता हैं| इसके उपयोग से त्वचा चमकदार भी बनती हैं|
गण्डमाला रोग को जड़ से खत्म करें
इस रोग मनुष्य में शरीर की लसीका ग्रंथियों मुख्य रूप से ग्रीवा की लसिका ग्रंथियों में दोष उत्पन्न हो जाता हैं| इस रोग को समाप्त करने के लिए विडंगारिष्ट औषधि सहायता करती हैं | इस स्थिति में गले गले के सामने एक सूजन हो जाती हैं जिसके कारण व्यक्ति को परेशानी होती हैं|
प्रमेह रोग को खत्म करें
यह रोग एक यौन संचारित जीवाणु का संक्रमण होता हैं| इसका उपचार नही होने पर यह बांझपन का कारण भी बन सकता हैं| इस रोग के लक्षणों में मूत्र त्याग करते समय दर्द का अनुभव हो सकता हैं| इस रोग को समाप्त करने के लिए विडंगारिष्ट औषधि का उपयोग किया जा सकता हैं| यह औषधि इस रोग को खत्म करने में मददगार होती हैं|
विडंगारिष्ट औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Vidangarishta ki sevan vidhi)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार ले | दिन में दो बार सुबह शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ ले | गुनगुने जल के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
विडंगारिष्ट औषधि का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (vidangarishta ke sevan ki savdhaniyan)
- गर्भवती महिला और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए|
- इसका सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए|
- इस औषधि को नमी से दूर रखना चाहिए|
- मधुमेह के रोगी इस औषधि का सेवन करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह जरुर लें|
विडंगारिष्ट औषधि की उपलब्धता (Vidangarishta ki uplabdhta)
- सांडू विडंगारिष्ट (SANDU VIDANGARISHTA)
- धूतपापेशवर विडंगारिष्ट (DHOOTPAPESHWAR VIDANGARISHTA)
- बैधनाथ विडंगारिष्ट (BAIDYANATH VIDANGARISHTA)
- डाबर विडंगारिष्ट (DABUR VIDANGARISHTA)
- बेसिक आयुर्वेदा विडंगारिष्ट (BASIC AYURVEDA VIDANGARISHTA)
- दीप आयुर्वेदा विडंगारिष्ट (DEEP AYURVEDA VIDANGARISHTA)
- सुश्रुत विडंगारिष्ट (SUSHURT VIDANGARISHTA)
- वी.अच.सी.ए. विडंगारिष्ट (VHCA VIDANGARISHTA)
- स्वास्थ्य वर्धक विडंगारिष्ट (SWASTHYA VARDHAK VIDANGARISHTA)
- भारद्वाज विडंगारिष्ट (BHARDWAJ VIDANGARISHTA)
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