अमलतास (Amaltas)
अमलतास का परिचय: (Introduction of Amaltas)
अमलतास क्या है? (What is Amaltas)
पूरे भारत में पाया जाने वाला अमलतास का पेड़ कई गुणों से भरपूर होता है| यह आपको कई जगह देखने को मिल जायेगा| उदाहरण के लिए बाग़, बगीचों, आँगन में सजावट आदि के लिए| इन सबकी सुन्दरता बढ़ाने के अलावा भी इसके कई गुण होते है|
आयुर्वेद में इसे एक औषधि के रूप में काम में लिया जाता है| इस पेड़ में इतने रोगों को समाप्त करने की क्षमता है जिनके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी होती है| इस पेड़ का हर एक अंग किसी न किसी रोग के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है| इसके प्रयोग से त्वचा रोग, बुखार, पेट दर्द आदि जैसी समस्याओं को समाप्त किया जा सकता है|
इसमें रोगों को नष्ट करने की शक्ति होने के कारण आरग्वध, व्याधिघात, सुन्दर होने के कारण सुवर्णक, फल लम्बा होने के करण दीर्घफल आदि नामों से इसे जाना जाता है| आइये आपको परिचित कराते है इस पेड़ के औषधीय गुणों और उनसे होने वाले फायदों के बारे में|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Amaltas ki akriti)
सुन्दरता धारण किये हुए यह पेड़ लगभग 15 से 20 मीटर तक ऊँचा हो सकता है| यह बहुत घना और सुन्दर दिखाई देता है| इस पेड़ से एक लाल वर्ण का द्रव निकलता है जो सूखकर कुछ पलाश जैसा दिखाई पड़ता है| इसके पत्तों का आकार कुछ अंडाकार होता है| इसके पत्तों में तीव्र गंद आती है|
जब पतझड़ के समय इस पेड़ की पत्तियां जड़ जाती है तो यह वृक्ष अति सुन्दर दिखता है| मानो इसने माला पहन रखी हो| इसकी फली का आकार बेलन के आकार का होता है| कच्ची अवस्था में यह थोड़े हरे रंग की तथा पक जाने के बाद यह भूरे रंग की हो जाती है| इस वृक्ष पर फूल अप्रैल से अक्टूबर तथा फल दिसम्बर से अप्रैल के मध्य आने लगते है|
अमलतास के सामान्य नाम (Amaltas common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Cassia fistula |
अंग्रेजी (English) | Cassia, Golden shower, Purging cassia |
हिंदी (Hindi) | अमलतास, सोनहाली, सियरलाठी |
संस्कृत (Sanskrit) | आरग्वध, राजवृक्ष, शम्पाक, चतुरङ्गुल, आरेवत, व्याधिघात, कृतमाल, सुवर्णक |
अन्य (Other) | बाहवा (मराठी) अमलतास (नेपाली) सम्पकमु (तेलुगु) सुनारी (उड़िया) गर्मालो (गुजराती) |
कुल (Family) | Caesalpiniaceae |
अमलतास के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Amaltas ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | वातपित्तशामक (pacifies vata and pitta) |
रस (Taste) | मधुर (sweet) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), मृदु (soft), स्निग्ध (oily) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (sweet) |
अन्य (Others) | शोथहर, वेदनास्थापन, अनुलोमन, मृदुविरेचन |
आरग्वध/अमलतास के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Amaltas ke fayde or upyog)
कुष्ठ रोग का समापन करे (Amaltas for leprosy)
- इस रोग में पत्तों का चूर्ण बना कर, लेप में परिवर्तित कर के शरीर पर मलना चाहिए| इससे कुष्ठ में आराम मिलता है|
- कुटज की छाल और इस पेड़ की पत्तियों से बने हुए काढ़े से नहाने से इस रोग का शमन होता है|
- सुवर्णक की जड़ का चूर्ण बना कर कुष्ठ के कारण हुए घावों पर लगाने से लाभ मिलता है
बुखार में (Amaltas for fever)
- इस औषधि के फल के गूदे, पिप्पली की जड़, हरड, कुटकी तथा मोथा का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पीने से बुखार का शमन होता है|
ह्रदय रोग में (Amaltas for heart disease)
- यह औषधि मधुर और शीतल होती है| सीने में जलन या दर्द होने वाले रोगी को इसका सेवन जरुर करना चाहिए| इसके अलावा अमलतास का सेवन ह्रदय को बल प्रदान करने में भी काफी सहायता प्रदान करता है|
रक्तपित्त में (Amaltas for blood bile)
- अमलतास के फल के गूदे का सेवन करने से रक्तपित्त की समस्या से निजात मिलती है| इस औषधि के शीतल होने के कारण ही यह रक्तपित्त का शमन कर पाने में समर्थ हो पाती है|
- सुवर्णक के फल के अन्दर वाले रसीले पदार्थ में शहद और शक्कर मिलाकर भी दिया जा सकता है| इससे भी रक्तपित्त में लाभ मिलता है|
उदावर्त के लिए
- सूखे अंगूर के साथ यदि इसके फल के गूदे का सेवन किया जाता है तो उदावर्त की समस्या में लाभ होता है| यह प्रयोग सिर्फ 4 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए अच्छा माना जाता है|
दर्द में अमलतास का प्रयोग (Amaltas for pain)
- इस औषधि के फल के गूदे, पिप्पली की जड़, हरड, कुटकी तथा मोथा का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पीने से सभी प्रकार का दर्द समाप्त होता है|
कब्ज़ में (Amaltas for constipation)
- कब्ज़ को दूर करने के लिए इसके फूलों से निर्मित गुलकंद का सेवन काफी लाभदायक होता है|
- इसकी फल मज्जा को सूखे हुए अंगूर के साथ लेने से कब्ज़ का शमन होता है|
- सुवर्णक के कच्चे फलों का चूर्ण बना लें| इस चूर्ण में सैंधा नमक और नीम्बू का रस डाल कर अच्छे से मिलाकर लेने से कब्ज़ दूर होती है|
गठिया और आमवात में (Amaltas for gout)
- जोड़ो में साधारण दर्द या गठिया और आमवात की समस्या होने पर सुवर्णक की मूल को दूध में पका कर लेना चाहिए| इससे गठिया की समस्या का शमन होता है|
- यदि आप सरसों के तेल में इस पेड़ के पत्तों को पका कर लेते है तो आमवात की समस्या दूर होती है|
- जोड़ों में दर्द या सूजन होने पर फल की मज्जा का लेप करना चाहिए| इसके अलावा आप इसके पत्तों का चूर्ण बना कर भी लेप कर सकते है|
त्वचा सम्बन्धी समस्याओं में (Amaltas for skin disease)
- बच्चों को होने वाले छालों और फुंसियों का शमन करने के लिए इस पेड़ के पत्तों को गाय के दूध के साथ पीसकर या चूर्ण बना कर शरीर पर मलना चाहिए|
- इसके पत्तों से निर्मित पेस्ट को यदि त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है तो सफलतम परिणाम मिलते है|
- अमलतास के पीसे हुए पत्तों को घी और मिश्री में मिलाकर लगाने से विसर्प रोग दूर होता है|
- इसका प्रयोग कर के शरीर में होने वाली खुजली का भी शमन किया जा सकता जा सकता है|
- पीसी हुई छाल और पत्तों को फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता है|
टी.बी. में (Amaltas for T.B.)
- टी.बी. के मरीज को इस पेड़ की जड़ का काढ़ा बना कर सेवन करना चाहिए| इससे जल्द ही इस रोग में आराम मिलना शुरू होता है|
घेंघा रोग को दूर करे अमलतास का सेवन (Amaltas for goiter)
- चावल के यूष के साथ इस पेड़ की मूल को पीसकर लगाने और नस्य लेने से घेंघा रोग का शमन होता है| इसी के साथ सूजन का भी समापन होने लगता है|
प्रमेह में
- यह पेड़ प्रमेह रोग में एक अहम् भूमिका निभाता है| सुवर्णक के पत्तों का काढ़ा बना कर पीने से प्रमेह रोग बहुत जल्दी समाप्त हो जाता है|
उल्टी होने पर (Amaltas for wound)
- वमन या उल्टियां यदि लगातार होती रहे तो इसके कारण शरीर मे पानी की कमी होने लगती है| ऐसे में यदि इस औषधि का सेवन किया जाता है तो वमन पर रोक लगती है|
घाव को जल्दी भरने के लिए (Amaltas for wound)
- अधिक गहरा घाव या मधुमेह के रोगियों के घाव भरने में अधिक समय लगता है| ऐसे में सुवर्णक, जैसमीन और करंज के पत्रों का चूर्ण बना कर उसे अच्छे से गोमूत्र में घोट ले| इसका लेप घाव पर करने से घाव जल्दी भरता है|
गुल्म का शमन करे
- गुल्म रोग में इस पेड़ के पत्तों का चूर्ण का लेप बना कर नाभि के आसपास लगाने से लाभ मिलता है|
मुंह में छालें हो जाने पर (Amaltas for mouth ulcers)
- थोड़े से धनिये और कत्थे को पीस कर फल के रसीले भाग के अन्दर रख कर चूसने से छालों का शमन होता है|
खांसी का शमन करे
- सुवर्णक के फल के गूदे को जल में अच्छे से घोट कर शक्कर डाल दें| अब इसकी चाशनी बना कर खाने से खांसी दूर होती है|
अस्थमा में (Amaltas for asthma)
- इसके फल के रसीले भाग का क्वाथ बना कर लेने से दमा या अस्थमा का शमन होता है|
बालकों के पेट दर्द में
- बारीक किये हुए फल के गूदे को यदि नाभि के आस पास के हिस्सों में लगाया जाता है तो इससे बच्चों में पेट दर्द का शमन होता है|
पित्त विकारों का शमन करे अमलतास
- यदि आप पित्त से जुड़े विकार को दूर करना करना चाहते है तो इसके फल के रसीले भाग का क्वाथ बना कर पीना चाहिए|
- सुवर्णक के फल के गूदे का पेस्ट बना कर उसे लाल निशोथ के काढ़े के साथ लेना चाहिए|
- इसके अलावा आप इसके कल्क को बेल के काढ़े में मिला कर, उसमे नमक और शहद डाल कर नही सेवन कर सकते है|
पीलिया होने पर (Amaltas for jaundice)
- पीलिया रोग का शमन करने के लिए इसके फल की मज्जा को गन्ने के रस या आमलकी रस के साथ लेना चाहिए| इसे आप सुबह और शाम के समय ले सकते है|
अंडकोष की वृद्धि होने पर अमलतास
- इस वृद्धि को रोकने और सूजन का शमन करने के लिए इसके फल के गूदे का काढ़ा बना कर उसमे घी मिलाकर सेवन करना चाहिए|
लकवे में (Amaltas for paralysis)
- अमलतास के पत्तों को हल्का गर्म कर के प्रभावित स्थान पर बांधने से सुन्नता खुलती है जिससे लकवे की समस्या का समाधान होता है|
- इसके पत्तों से निकाले गए रस को मलने से भी लकवे में लाभ मिलता है| इसके साथ ही इस रस का सेवन भी किया जा सकता है|
- सुवर्णक के पत्रों की सब्जी बना कर खाना भी लकवे में लाभ पहुंचा सकता है|
जलन होने पर अमलतास
- यदि आपको शरीर में जलन महसूस होती है या अधिक गर्मी लगती है तो ऐसे में इस पेड़ की जड़ या जड़ की छाल को दूध में पका कर और घोट कर लगाने से गर्मी और जलन से राहत मिलती है|
बवासीर में (Amaltas for piles)
- अमलतास, जैसमीन और करंज के पत्रों का चूर्ण बना कर उसे अच्छे से गोमूत्र में घोट ले| बवासीर के मस्सों पर यह लेप करने से लाभ मिलता है|
सर्दियों के मौसम में एडियों का रखे खयाल अमलतास
- सर्दी के मौसम में एडियों का फटना एक आम बात होती है| इसके लिए यदि इस पेड़ की जड़ के चूर्ण का लेप फटी एडियों पर लगाया जाता है तो लाभ पहुँचता है|
मधुमेह को दूर करें (Amaltas for diabetes)
- मधुमेह में यदि रोगी पथ्य का ध्यान रखते हुए इसके पत्तों का काढ़ा बना कर सेवन करता है तो इससे मधुमेह में लाभ मिलता है| कुछ ही समय मधुमेह को नियंत्रित करने में यह आपकी सहायता करता है|
रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाएं (Amaltas for immunity)
- कई गुणों से भरपूर इस पेड़ के हर अंग में हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने का गुण होता है| इसी कारण यदि हम इसका सेवन किसी रोग में भी करते है तो रोग से तो निजात मिलता ही है इसके साथ ही दूसरे रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढती है|
कैंसर के लिए अमलतास का सेवन (Amaltas for cancer)
- अमलतास में पाए जाने वाले गुण कैंसर के प्रति प्रतिकूलता प्रदर्शित करते है| जिसके कारण कैंसर के प्रभाव को कम होते देखा जा सकता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Amaltas)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- फूल
- फल का गूदा
- तने की छाल
- पंचांग
सेवन मात्रा (Dosage of Amaltas)
- जूस – 5 से 10 ml
- चूर्ण – 1 से 2 ग्राम
- फल का गूदा – 10 से 15 ग्राम के बीच
- क्वाथ -15 से 30 ml तक
अमलतास से निर्मित औषधियां
- आरग्वधादि तेल, लेह
- आरग्वधारिष्ट