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अर्जुन (Arjun): आपके दिल का सबसे ज्यादा ख्याल रखती है (Benefits and Usage)

अर्जुन का परिचय: (Introduction of Arjun)

Table of Contents

अर्जुन क्या है? (What is Arjun)

यह एक औषधीय पेड़ हैं जो पहाड़ी इलाको में अधिक पाया जाता हैं| साधारण से दिखने वाले इस अर्जुन के पेड़ के इतने चमत्कारिक फायदे हैं जिनसे हम हमेशा से ही अनजान रहे हैं| सदैव हरा भरा यह पेड़ हमारे जीवन की बहुत सारी बिमारियों को समाप्त कर देता हैं|

नदी नालो के किनारे अधिक मिलने से इसे नदीसर्जःऔर इसका कांड दृढ होने से इसे वीरवृक्षः आदि भी कई नामो से पुकारा जाता है| कई सारे रोगों का समापन कर पाने के कारण इसे भिन्न भिन्न नमो से जाना जाता है|

यही कारण हैं कि इसका उपयोग कई वैद्य अभी भी करते हैं| छोटे या बड़े किसी भी प्रकार के ह्रदय रोग से यदि आप परेशान हैं तो आपको इसका सेवन जरुर करना चाहिए| ह्रदय के रोगों को समाप्त करने के अलावा भी यह कई रोगों में काम में लिया जाता हैं| किस रोग में किस प्रकार इसका सेवन करना चाहिए, सारी जानकारी इस लेख में दि गयी हैं|

अर्जुन में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व (Arjun ke poshak tatva)

  • कैल्शियम
  • एल्युमिनियम
  • मैग्नेशियम
  • अर्जुनीन
  • सिरासिडिन
  • सिटोस्टेरोल
  • फ्राईडेलिन
  • मेथाइलओलिएनोलेट
  • गैलिक अम्ल
  • इलेजिक अम्ल
  • अर्जुनोलिक अम्ल
  • ग्लूकोसाइड आदि|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Arjun ki akriti)

अर्जुन एक सदाहरित वृक्ष होता हैं जो कि 25 मीटर तक ऊँचा हो सकता हैं| इस पेड़ की छाल गुलाबी और हरा रंग लिए चिकनी और बहुत मोटी होती हैं| इसके पत्तो की आकृति अमरुद के पेड़ के पत्तो की आकृति के समान होते हैं| इसके फूल वसंत ऋतु में आते हैं| यह पेड़ पहाड़ी इलाको में बहुलता के साथ पाया जाता हैं|

अर्जुन के सामान्य नाम Herbal Arcade
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अर्जुन के सामान्य नाम (Arjun common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Terminalia arjuna
अंग्रेजी (English)Arjuna myrobalan, White murdah
हिंदी (Hindi)अर्जुन, काहू, कोह, अर्जां, अंजनी, मट्टी
संस्कृत (Sanskrit)अर्जुनः, नदीसर्जः, वीरवृक्षः, वीरः, धनंजयः, पार्थः
अन्य (Other)ओर्जुनो (उड़िया), अर्जन (उर्दू), मड्डी (कन्नड़), अर्जुन (गुजराती), अंजन (मराठी), अरजन (पंजाबी), काहू (नेपाली), अर्जुन गाछ (बंगाली)
कुल (Family)Combretaceae

अर्जुन के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Arjun ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha)कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta)
रस (Taste)कषाय (astringent)
गुण (Qualities) लघु (light), रुक्ष (dry)
वीर्य (Potency)शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)रक्तस्तम्भन, कफ्घ्न, मूत्रसंग्रहनीय
Ayurvedic properties of Arjun Herbal Arcade
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अर्जुन के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Arjun ke fayde or upyog)

ह्रदय रोगों में अर्जुन (Arjun for heart)

  • एक चम्मच अर्जुन की छाल को एक गिलास टमाटर के रस में नियमित रूप से लेने से उच्च रक्तचाप की समस्या जल्दी समाप्त होती हैं|
  • इसके सेवन से खून भी पतला होता हैं जिससे ह्रदयघात जैसे रोगों से बचा जा सकता हैं| इसके साथ ही कोलेस्ट्रोल स्तर भी संतुलित रहता हैं|
  • दिन में दो बार दूध के साथ यदि अर्जुन के पेड़ की छाल के चूर्ण का सेवन किया जाता हैं तो इससे ह्रदय को मजबूती मिलती हैं|
  • ह्रदय को लाभ पहुँचाने के लिए अर्जुन के पेड़ की छाल के चूर्ण में दूध, मिश्री, शहद मिलाकर चाटना चाहिए|
  • पार्थः की छाल के क्वाथ में घी, अर्जुन की छाल का कल्क मिला कर इसे धीमी आंच पर पका लें| जब घी रह जाए तो तब ठंडा कर के छान लें| इस घी का सेवन सुबह शाम गाय के दूध के साथ करने से ह्रदय रोगों में लाभ होता हैं|

पेट के रोगों में (Arjun for stomach)

  • पार्थः की छाल के काढ़े का रोज सेवन करने से उदर रोगों में लाभ पहुँचता हैं|

कान के रोग में (Arjun for ears)

  • यदि आपके कान में दर्द हैं तो पार्थः के पत्तो के स्वरस को कान में डालने से आराम मिलता हैं|

मुख के छालो में (Arjun for mouth ulcers)

  • पार्थः के पेड़ की जड़ के चूर्ण को मीठे तेल के साथ मिला लें और कुछ देर में गुनगुने पानी से कुल्ला करने पर छालों में राहत मिलती हैं|

कफ में खून आने पर अर्जुन

  • यदि आपके साथ भी यह समस्या हैं तो पार्थः की छाल के चूर्ण में वासा के पत्रों की साथ बार भावना देकर, उचित मात्रा में उसे लेकर, मिश्री, मधु या फिर गाय के घी के साथ चाटने से इसमें लाभ मिलता हैं|
Fruits of Arjun Herbal Arcade
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पित्तज प्रमेह में

  • इसका सेवन करने से पित्तज प्रमेह में मुख्य रूप से लाभ होता हैं| इसे बनाने की विधि निम्न प्रकार से हैं-
  • अर्जुन, नीम, आमलकी इन तीनो की छाल, हल्दी और नीलकमल का चूर्ण इन सब को उचित मात्रा में पानी में पका लें| तैयार क्वाथ में शहद मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से इसका नाश होता हैं|

मूत्राघात में अर्जुन

  • इस रोग में पार्थः की छाल के काढ़े का सेवन उचित रहता हैं|

रक्त प्रदर में

  • रक्त प्रदर की समस्या को समाप्त करने के लिए 5 ग्राम अर्जुन के पेड़ की छाल के चूर्ण को बराबर मात्रा में दूध के साथ पका लें| आधा भाग बच जाने पर इसमें मिश्री मिलाकर सुबह, शाम और दोपहर या तीन समय सेवन करें|

हड्डी टूटने पर अर्जुन

  • दिन में तीन बार अर्जुन की छाल के चूर्ण को एक कप दूध के साथ लगभग 7 दिनों तक तक लेना चाहिए| इससे हड्डी जुड़ने में आसानी रहती हैं और हड्डी जल्दी जुड़ जाती हैं|
  • अर्जुन की छाल से बनी हुई क्षीरपाक में घी मिला कर पीने से फायदा मिलता हैं|
  • शहद और अर्जुन की छाल का सेवन एक साथ करने से इसमें लाभ पहुँचता हैं|

सूजन में (Arjun for swelling)

  • सूजन आने पर अर्जुन की छाल के काढ़े का सेवन सबसे उचित रहता हैं|

रक्तपित्त में (Arjun for blood bile)

  • रात में अर्जुन की छाल को गला कर सुबह जल्दी उठ कर उसे अच्छे से मसल कर काढ़ा बना कर पीने से लाभ मिलता हैं|

बुखार में (Arjun for fever)

  • बुखार आने पर अर्जुन के छाल के क्वाथ का सेवन करना बहुत उपयोगी माना जाता हैं|

कैंसर से बचाव करे (Arjun for cancer)

  • अर्जुन के पेड़ में उपस्थित पोषक तत्वों में कैंसर को रोकने के गुण पाए जाते है| यदि आप भी कैंसर से पीड़ित है तो इसका सेवन करने से उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है|

खूनी दस्त पर रोक लगाये अर्जुन का सेवन

  • इस औषधि की छाल का चूर्ण बना कर उसे पानी और दूध के साथ उचित मात्रा में मिला कर काढ़ा बना लें| जब काढ़ा अच्छी तरह से तैयार हो जाये तो कुछ देर बाद उसमे मिश्री मिला दें| इस पेय का रोज़ सुबह सेवन करने से खूनी दस्त का समापन होता है| इसके साथ ही यह ह्रदय से जुड़े रोगों से भी रक्षा करता है|

शुक्रमेह में

  • इस औषधि के त्वक से बने हुए काढ़े का सेवन करने से यह रोग जल्द ही समाप्त होता है|

कुष्ठ रोग में (Arjun for leprosy)

  • अर्जुन की छाल का लेप त्वचा पर करने से कुष्ठ रोगों का समापन होता है|
  • नहाते समय यदि इसके काढ़े का उपयोग किया जाता है तो कुष्ठ रोग में लाभ मिलता है|

कील मुंहासों में

  • यदि अर्जुन की छाल का चूर्ण बना कर उसमे शहद मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से कील मुंहासों की समस्या समाप्त होती है|
  • ऐसा करने से झुर्रियां भी मिटती है और चहरा चमकदार बना रहता है|

दर्द और सूजन में

  • अर्जुन और गंगरेन की जड़ का चूर्ण बना कर उसे दिन में दो बार सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के दर्द और सूजन का शमन होता है|

मधुमेह में कारगर अर्जुन का प्रयोग (Arjun for diabetes)

  • मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति यदि अर्जुन के छाल से बने काढ़े का सेवन दिन में दो बार उचित अवधि तक करता है तो इससे मधुमेह में लाभ मिलता है|

टी.बी. या राजयक्ष्मा में (Arjun for T.B.)

  • अर्जुन की छाल, नागबला और केवाँच के बीज के चूर्ण में शहद, घृत और मिश्री मिला कर दूध के साथ पीना चाहिए| इसका सेवन करने से यह रोग बहुत जल्द दूर होता है|

मोटापा कम करें (Arjun for obesity)

  • इस औषधि की छाल से निर्मित काढ़े का सेवन मोटापा घटाने में बहुत मददगार होता है|

स्तन कैंसर से बचाव करे अर्जुन का सेवन

  • अर्जुन में पाए जाने वाले पोषक तत्व स्तन कैंसर से बचाव करते है| यदि आप भी स्तन कैंसर से परेशान है या इसके लक्षण दिखना शुरू हो गए है तो ऐसे में इसका सेवन तुरंत शुरू कर देना चाहिए|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Arjun)

  • पत्ती
  • जड़
  • फल
  • छाल
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सेवन मात्रा (Dosages of Arjun)

  • चूर्ण – 5 से 7 ग्राम
  • क्वाथ – 25 से 35 ml
  • स्वरस – 10 से 15 ml

अर्जुन से निर्मित औषधियां (Medicine made by Arjun)

content reference:-

  • द्र.गु.वि.
  • भा.प्र.नि.
  • ज.बू.र.

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  • Team Herbal Arcade