बरगद (Bargad)
बरगद का परिचय: (Introduction of Bargad)
बरगद क्या है? (What is Bargad)
पीढ़ी दर पीढ़ी आती चली जाती है, पर बरगद का पेड़ हमेशा ऐसा का ऐसा ही होता है| यह बरगद का पेड़ आंधी हो या तूफान पर इसका कुछ बिगड़ता ही नही| यह अपनी घनी छाया के अंदर युगो का इतिहास समेट कर रखता है| यह पेड़ ऋषि- मुनियों की तरह अचल रहता है| हिन्दुओ की धर्मिक परम्परा में इस पेड़ का अभिन्न रिश्ता है| इसे सभी पहचानते है| लोगो के अंधविश्वास के कारण कहा जाता है की इस पेड़ के निचे भूतो का निवास होता है, इसलिए रात में इसके पास में इतना कोई भी नही ठहरता है|
आपने अपने घरों के आसपास या मंदिरों में बरगद का पेड़ देखा होगा| महिलाएं बट सावित्री की पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं| बरगद का पेड़ बहुत विशाल और बड़े – बड़े पत्तों वाला होता है| क्या आपको पता है की जिस पेड़ को भूतो का निवास माना जाता है इसके औषधि फायदे भी है| आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ एक उत्तम औषधि भी है और बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है|
केवल बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद के फल बरगद के बीज, बरगद का दूध भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है| बरगद के पेड़ से कफ, वात, पित्त दोष को ठीक किया जा सकता है| नाक, कान या बालों की समस्या में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं| आइए जानते हैं कि बरगद के पेड़ के और क्या-क्या लाभ हैं|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Bargad ki akriti)
बरगद का पेड़ विशाल शाखाओ वाला होता है| यह बहुत ही छायादार लम्बे समय तक जीवत रहने वाला पेड़ होता है| इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है की यह अकाल के समय भी जीवत रहता है| मनुष्य इसके पेड़ के फल खाते है तो जानवर इसके पत्ते खाते है|
यह 30 मीटर तक ऊँचा तथा शाखाओ में फैला हुआ होता है| इसका तना चिकना हल्का धूसर रंग का तथा मोटा, सफेद रंग का होता है| इसकी शाखाये हल्के भूरे रंग की होती है| इसकी पेड़ की शाखाये वायव्यमूल से निकलकर लटकती रहती है और बढकर जमीन पर लग जाती जाती है| इसके पत्ते सरल एकांतर, चौड़े, मोटे गोलाकार चमकीले होते है| इसके फल छोटे – छोटे होते है| जब यह कच्चे होते है तब यह हरे रंग के तथा पकने के बाद लाल रंग के होते है| इसका फल काल व फूलकाल जुलाई से मार्च तक होता है|
बरगद के सामान्य नाम (Bargad common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Ficus benghalensis |
अंग्रेजी (English) | Banyan tree |
हिंदी (Hindi) | बर, बरगट, बरगद, बट |
संस्कृत (Sanskrit) | वट वृक्ष, न्यग्रोध, वैश्रवणालय, बहुपाद, रक्तफल |
अन्य (Other) | बरो (उड़िया) बर्गोडा (उर्दू) वड (कोंकणी) अल (कन्नड़) वड (गुजराती) अला (तमिल) वट वृक्षी (तेलगु) बोट (बंगाली) बर (पंजाबी) अला (मलयालम) |
कुल (Family) | Moraceae |
बरगद के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Bargad ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | वेदनास्थापक, व्रणरोपण, रक्तरोधक, शोथहर |
बरगद के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Bargad ke fayde or upyog)
दांतों के विकार में बरगद (Bargad for teeth)
- यदि आप दांतों के किसी भी विकार से परेशान है तो इसे छुटकारा पाने के लिए आप बरगद का उपयोग कर सकते है| इसके लिए बड़ की छाल के साथ कत्था और काली मिर्च लें| इन तीनों को खूब महीन पीसकर चूर्ण बना लें| इसका मंजन करने से दांतों का हिलना, दांतों की गंदगी,मुंह से दुर्गंध आने जैसी परेशानी दूर होते हैं| दांत स्वच्छ एवं सफेद होते हैं|
- इसके अलावा यदि किसी दांत आ रहा हो तो उस स्थान पर बरगद का दूध लगा दें| इससे दांत आसानी से निकल आते हैं|
- बरगद पेड़ का दातोंन बनाकर मंजन करने से दांत दर्द और मुँह की बदबू का शमन होता है|
आँखों के विकार में (Bargad for eyes)
- यदि आप आँखों के किसी भी विकार से परेशान है तो बट के दूध में कपूर तथा मधु मिलाकर काजन की तरह लगाने से आँखों के विकारो का शमन होता है|
बालो के विकास के लिए (Bargad for hairs)
- बरगद के पेड़ के पत्ते लें| इसका भस्म बना लें| भस्म को अलसी के तेल में मिलाकर सिर में लगाएं| इससे बालों की समस्या दूर होती है|
- बड़ की जटा और जटामांसी का चूर्ण , तिल का तेल तथा गिलोय का रस लें| इन सभी को आपस में मिलाकर धूप में रखें| पानी सूख जाने पर तेल को छान लें| इस तेल से सिर पर मालिश करें| इससे गंजेपन की समस्या खत्म होती है, और सिर पर बाल आते हैं| इससे बाल झड़ना बंद हो जाता है| बाल सुंदर और सुनहरे हो जाते हैं|
चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए बरगद
- बरगद के पेड़ के पीले पके पत्तों के साथ, चमेली के पत्ते, लाल चन्दन, कूट, काला अगर और पठानी लोध्र लें| इनको पानी के साथ पीस लें| इसका लेप करने से मुहांसे तथा झाई की समस्या दूर हो जाती है|
- इसके पेड़ के कोमल पत्तो को या इसकी जटा को मसूर के साथ पीसकर लेप करने से झाइया दूर होती है|
- निर्गुण्डी बीज, बड़ के पीले पके पत्ते, प्रियंगु, मुलेठी, कमल का फूल, लोध्र, केशर, लाख तथा इंद्रायण चूर्ण को बराबर भाग में लें| इन्हें पानी के साथ पीसकर लेप तैयार करें| इसे चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ जाती है|
बादी बवासीर में (Bargad for piles)
- यदि आप बादी बवासीर से परेशान है तो इसे राहत पाने के लिए वट की छाल को पानी में पकाकर आधा पानी रहने पर इसे छानकर इसमें गाय का घी और खांड मिलाकर सेवन करने से बादी बवासीर में लाभ होता है|
मधुमेह में उपयोगी बरगद (Bargad for diabetes)
- आजकल के खानपान की वजह से लोग डायबिटीज का शिकार होते जा रहे है| यदि आप भी इस समस्या से ग्रस्त है तो छुटकारा पाने के लिए बरगद के फल के चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएं| जब इसका आठवां भाग बच जाए तो उतारकर ठंडा होने दें| ठंडा होने पर छानकर सेवन करें| ऐसा एक महीने तक सुबह और शाम सेवन करें| इससे डायबिटीज में बहुत लाभ होता है|
- बरगद जटा के चूर्ण को सुबह शाम ताजे पानी के साथ सेवन कराने से मधुमेह में लाभ होता है| इससे धातु का स्राव एवं स्वप्न दोष की शिकायत दूर होती है|
खूनी बवासीर में बरगद
- यदि आपको खुनी बवासीर की समस्या है तो बरगद के कोमल पत्तो को पानी में मिलाकर दिन में दो या तीन बार पिने से खून का बहाव बंद हो जाता है| बवासीर के मस्सो पर इसके पीले पत्तो की राख को सरसों के तेल में मिलाकर मस्सो पर लेप करने से जल्दी से राहत मिलती है|
- बकरी के दूध और इतना ही पानी लें| इसमें वट वृक्ष की कोपलों को मिला लें| इसे आग पर पकाएं| जब केवल दूध बच जाय तो छान कर सेवन करें| इससे खूनी पित्त,खूनी बवासीर, खूनी दस्त में लाभ होता है|
जुखाम में (Bargad for cold)
- मौसम बदला ही नही की जुखाम की समस्या हो जाती है इस समस्या छुटकारा पाने के लिए बरगद के कोमल लाल पत्तो को छाया सुखाकर पीसकर इसका चूर्ण बना ले| फिर इस चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाकर, इसमे शक्कर मिला ले| फिर इसको चाय की तरह पिने से जुखाम और नजला दूर होकर मष्तिष्क की कमजोरी दूर होती है|
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए (Bargad for immune system)
- यदि किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, और वह बार – बार बीमार पड़ जाता है| तो प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए बरगद का उपयोग किया जाता है| इसकी पत्तियों में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जो प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनता है|
जोड़ो के दर्द में (Bargad for joints pain)
- यदि आप बढती उम्र के साथ आप जोड़ो के दर्द से परेशान है तो बरगद की छाल का चूर्ण बनाकर जोड़ो के दर्द वाले स्थान पर लगाने से जोड़ो के दर्द में आराम में मिलता है|
कोलेस्ट्रोल को नियन्त्रण करने के लिए
- कोलेस्ट्रोल बढने के कारण आपको तरह – तरह की समस्या झेलनी पड़ सकती है तो इसे कम करने के लिए बरगद का उपयोग करना चहिए|
कान की फुंसी में
- कान में यदि फुंसी हो तो वट पेड़ के दूध की कुछ बूंदों में सरसों के तेल मिलाकर काने में डालें| इससे कान की फुंसी ठीक हो जाती है|
- वट के पेड़ की तीन बूंद दूध तथा बकरी के कच्चे दूध में मिलाकर कान में डालें| इससे कान की फुंसी खत्म हो जाती है|
रक्तिपित्त में (Bargad for blood bile)
- यदि गर्मी या किसी अन्य कारण से आपके कान – नाक से खून आते है तो बरगद की जड़ की छाल लें| इसे लस्सी के साथ पिएं| इससे नाक, कान से खून आने की समस्या में लाभ होता है|
- वट के कोमल पत्तो को पीस लें| इसमें शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी पित्त में लाभ होता है|
अधिक प्यास लगने की समस्या को दूर करने के लिए बरगद
- अगर आपको किसी बीमारी या किसी अन्य कारण से आपको अधिक प्यास लगती है तो बराबर भाग में बरगद के कोमल पत्ते, दूब, लोध्र, अनार और मुलेठी लें, इसे पीस लें| इसमें शहद मिलाकर चावलों के धुले हुए पानी के साथ सेवन करें| इससे उल्टी और बार बार प्यास लगने की समस्या दूर हो जाती है|
कफ को दूर करने के लिए
- यदि आप अपने छाती में जमे कफ से परेशान है तो बरगद की छोटी – छोटी कोमल शाखाओं को रात भर के लिए ठंडे पानी में रख दे और सुबह इसे तैयार कर ले| फिर इसका सेवन करने से कफ के विकारो का शमन होता है|
खून की उल्टी में
- वट के पेड़ की नर्म शाखाओं की टहनियों में चीनी या बतासा मिलाकर सेवन करें| इससे खून की उल्टी पर रोक लगती है|
- वट वृक्ष की जटा के अंकुर लें| इसे जल में घोटकर छान लें| इसे पिलाने से खून की उल्टी बन्द हो जाती है|
दस्त की समस्या को दूर करने के लिए (Bargad for diarrhea)
- यदि किसी को भी दस्त की समस्या है तो छाए में सुखाए गए बरगद की छाल से का चूर्ण तैयार करें| दिन में तीन बार चावलों के धुले हुए पानी के साथ या ताजे पानी के साथ इसे पिने से दस्ते में तुरंत लाभ होता है|
खुजली को दूर करे
- बरगद के पेड़ के आधा किलो पत्तों को कूट लें| पानी में रात के समय भिगोकर रख दें| इसे सुबह पकाएं| जब एक लीटर पानी बच जाए तो इसमें आधा लीटर सरसों का तेल डालकर फिर से पकाएं| जब केवल तेल रह जाए तो छानकर रख लें| इस तेल की मालिश से गीली और सूखी दोनों प्रकार की खुजली दूर होती है|
कुष्ठ रोग में (Bargad for leprosy)
- यदि आप कुष्ठ रोग से पीड़ित है तो रात के समय बड़ पेड़ के दूध का लेप करें| इसके अलावा वट पेड़ की छाल का पेस्ट बांध दें| इससे कुष्ठ रोग एवं घाव में लाभ होता है|
आग से जलने पर बरगद
- आग से जले हुए स्थान पर बरगद के कोमल पत्ते लें| इसे गाय के दही में पीसकर लगाने से लाभ होता है|
गांठो में उपयोगी
- गांठ की समस्या है तो कूठ व सेंधा नमक को बड़ के दूध में मिलाकर लेप करें| इसके ऊपर छाल का पतला टुकड़ा बांध दें| सात दिन तक दो बार उपचार करने से बढ़ी हुई गांठ की समस्या में लाभ होता है|
- यदि आपके शरीर पर कही पर गांठ हो गई है तो यदि गांठ पकने वाली नहीं है तो बड़ का दूध लगाने से बैठ जाती है| यदि फूटने वाली है तो शीघ्र पककर फूट जाती है|
पुराने घावो में उपयोगी बरगद
- यदि आपको चोट लगे बहुत दिनों के बाद घाव की समस्या हो गई है तो बरगद के पेड़ के कोमल पत्तो को पानी के साथ पीसकर इसमे तिली का तैल मिलाकर इसे पका ले| फिर इस तैल को दो तीन दिन तक घाव पर लगाने से घाव जल्दी ही भर जाता है| इसके साथ ही यह तैल भगन्दर में भी लाभदायक है|
- बारिश के समय में पानी में अधिक रहने से अगुंलियों के बीच में जख्म से हो जाते हैं| ऐसे जगह पर बड़ का दूध लगाने से जल्द ही बीमारी ठीक हो जाती है|
- घाव में यदि कीड़े हो गए हों या घाव से बदबू आती हो तो बरगद की छाल का काढ़ा बना लें| इससे हर दिन धोएं| इससे फायदा होता है|
- वट के पत्तों को जला लें| इसकी भस्म में मोम और घी मिलाकर मलहम तैयार करें| इसे घावों में लगाने से शीघ्र लाभ होता है|
मासिकधर्म में उपयोगी
- बरगद की जटा के अंकुर को गाय के दूध में पीस लें| इसे छानकर दिन में तीन बार पिलाने से मासिक धर्म विकार या रक्त प्रदर में लाभ होता है|
सफेद पानी से राहत पाने के लिए
- यदि आपकी योनि से सफेद पानी ज्यादा हो रहा हो तो बरगद की छाल के काढ़ा में मुलायम कपड़े को भिगोएं, इसे योनि पर रखें| यह प्रयोग योनी से सफेद पानी आने की शिकायत में लाभदायक होते हैं|
फोड़े फुंसी में
- यदि आपके शरीर पर कही पर फोड़े फुंसी हो गये है, और आपको बहुत ही समस्या आ रही है तो फोड़े और फुन्सियों पर वट के पत्तों को गर्म कर बांधने से वे जल्द ही पक कर फूट जाते हैं|
याददाश्त बढ़ाने के लिए (Bargad for memory)
- छाया में सुखाए गए वट पेड़ की छाल का महीन चूर्ण बना लें| इसमें दोगुनी मात्रा में खांड या मिश्री मिला लें| इस चूर्ण को सुबह और शाम गाय के गर्म दूध के साथ सेवन करें| इससे याददाश्त बढ़ती है| इस दौरान खट्टे पदार्थों से सेवन न करे|
सुजाक रोग दूर करने के लिए
- यदि आप सुजाक रोग से ग्रस्त है तो छाए में सूखाए हुए बरगद की जड़ और छाल का चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को सुबह शाम शर्बत या साधारण ताजे पानी के साथ लें| इससे सूजाक में लाभ होता है|
अधिक नींद आने की समस्या में बरगद
- यदि आपको अधिक नींद आती है तो बरगद के कड़े हरे पत्ते को छाया में सूखाकर इसके दरदरे चूर्ण को पानी में पकाएं| जब पानी एक चौथाई रह जाए तो नमक मिला लें| इसे में सुबह शाम सेवन करने से अधिक नींद आने की समस्या दूर होती है|
मूत्र रोग में (Bargad for urinary disease)
- बरगद के फलों के बीज को महीन पीस लें| इसे एक या दो ग्राम की मात्रा में,सुबह के समय गाय के दूध के साथ सेवन करें| इससे बार बार पेशाब आने की समस्या दूर हो जाती है|
- बरगद की जटा का महीन चूर्ण बना लें| अब इस चूर्ण, कलमी शोरा, सफेद जीरा, छोटी इलायची के बीज लें| सभी का महीन चूर्ण बना लें| अब मिलाकर वटी बना लें| सुबह के समय गाय के गर्म दूध के साथ सेवन करें| इससे पेशाब के रुक रुक कर आने की समस्या ठीक होती है| इससे सूजाक में लाभ होता है|
उपदंश में बरगद
- पानी में बरगद की जटा के साथ बराबर भाग में अर्जुन की छाल हरड़, लोध्र और हल्दी को पीस लें| इसका लेप लगाने से उपदंश के घाव ठीक होते हैं।
गर्भ धारण करने के लिए
- बरगद के कोपलों को पीसकर बेर जैसी गोलियां बना लें| 3 गोली घी के साथ सेवन करें| ऐसा करने से महिला अवश्य गर्भ धारण करती है|
कमर दर्द में बरगद
- बरगद के दूध को लगाने से कमर दर्द ठीक होता है| अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श ले|
योनि के ढीले पन में उपयोग
- बरगद के पेड़ के कोपलों के रस में रुई भिगों कर योनि में रोजाना एक बार लगभग 15 दिनों तक रखें| इससे योनि का ढीलापन दूर होती है|
पेचिश में बरगद
- दस्त के साथ खून आता हो तो बरगद की कोपलों को पीस लें| इसे रात में पानी में भिगोकर सुबह छान लें| छने हुए पानी में घी मिलाकर पकाएं| इसमें केवल घी बच जाने पर उतार लें| इस घी में शहद और चीनी मिलाकर सेवन करें| इससे खूनी दस्त या पेचिश में लाभ होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Bargad)
- पंचांग
सेवन मात्रा (Dosages of Bargad)
- चूर्ण – 3 से 6 ग्राम
- क्वाथ – 50 से 100 मिली
- बरगद का दूध – 5 से 10 बूंद
बरगद से निर्मित औषधियां
- न्यग्रोधादि चूर्ण
- न्यग्रोधाद्य घृत