एरंड: गुणों का पिटारा है ये औषधि (Castor: benefits and doses)
एरंड का परिचय: (Introduction of Eranda)
एरंड क्या है? (Eranda kya hai?)
प्राचीन समय से ही उपयोग में लिया जाने वाला एरंड का पेड़ कई रोगों को खत्म करने की क्षमता रखता है| सामान्य लोग भी इसे अच्छी तरह से जानते और पहचानते है| इसके बीजों से निकलने वाले तेल से साबुन, सौन्दर्य उत्पाद जैसी और भी कई चीज़ें बनाई जाती है|
इसका वृक्ष बहुत ही गुणकारी होता है| आयुर्वेद में इसका प्रयोग एक औषधि के रूप में किया जाता है| इससे मिलने वाले फायदों से त्वचा रोग, बालों से जुडी समस्याएँ बड़ी ही आसानी से समाप्त की जा सकती है|
आइये आज आपको परिचित कराते है कि किस प्रकार एरंड का प्रयोग कर के रोगों का समापन किया जा सकता है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Eranda ki akriti)
यह एक पोला पेड़ होता है जो जल्दी टूट जाता है| इसका तना पतला होता है| इसके पत्तें हमारे हाथ के आकार के और चोडे होते है| इसका फल कोमल कांटो से युक्त होता है| कच्ची अवस्था में इसका फल रंग हरा और पकने के बाद केसरिया हो जाता है| इसपे फूल और फल सितम्बर से अप्रैल के बीच आते है|
एरंड के सामान्य नाम (Eranda common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Ricinus communsi |
अंग्रेजी (English) | Castor oil plant, Castor plant, Wonder tree |
हिंदी (Hindi) | अरंड, एरंड, एरंडी, रेंडी |
संस्कृत (Sanskrit) | एरंड, आमंड, चित्रः, वर्धमान, दिर्घदंड, वातारिः, चित्रबीजः |
अन्य (Other) | इरी (असमिया) हरलू (कन्नड़) आमुडामु (तेलुगु) अनेरू (पंजाबी) खिरवा (अरबी) |
कुल (Family) | Euphorbiaceae |
एरंड के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Eranda ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | मधुर (Sweet), कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | स्निग्ध (oily), तीक्ष (Strong), सूक्ष्म (minute) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (Sweet) |
अन्य (Others) | शोथहर, वेदनास्थापक, स्नेहन, आमशोधक |
एरंड के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Eranda ke fayde or upyog)
जोड़ों से जुडी समस्याओं का समाधान करे (Eranda for joints)
- किसी भी कारण से होने वाले जोड़ो के दर्द या सूजन में एरंडी के तेल की मालिश करने से दर्द और सूजन में जल्द ही आराम मिलता है| इसके अलावा तेल को उचित मात्रा में दूध के साथ लेने से भी जोड़ो के दर्द में लाभ मिलता है और साथ ही गठिया का समापन होता है|
- दूध में अरंडी के बीजों की गिरी की खीर बना कर खाने से गृध्रसी रोग का शमन होता है| इसके साथ ही कमर दर्द, आमवात जैसे रोगों में भी आप बराबर लाभ ले सकते है| बीजों का लेप बना कर लगाने से भी इनमे आराम मिलता है|
सिर दर्द में (Eranda for headache)
- एरंडी के पत्तों का काढ़ा पीने तथा दूध के साथ इसके तेल का सेवन आपके मस्तिष्क को आराम पहुंचाता है| इसी के कारण आपके सिर में होने वाले दर्द का भी शमन हो पाता है| इसके साथ ही यह आपके मस्तिष्क को आराम पहुंचा कर तनाव से भी मुक्त करता है|
त्वचा रोगों में लाभदायक एरंड (Eranda for skin disease)
- सभी प्रकार के त्वचा रोगों से यदि आप छुटकारा पाना चाहते है तो इस औषधि की जड़ का काढ़ा बना कर सेवन करें| इससे जल्द ही त्वचा रोगों का शमन होने लगता है|
- घाव पर पत्तों को तथा दाद होने पर जड़ को पीस कर लगाने से अच्छा लाभ मिलता है| यदि आप कोमल और नयी पत्तियों का प्रयोग करे तो अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे| इसके अलावा इसके तेल का प्रयोग सूरज की हानिकारक किरणों से रक्षा करता है|
- मुहांसे, काले दाग धब्बे, रुखी त्वचा, फटे और काले होंठ, गर्भावस्था के बाद पड़ने वाले निशान, आँखों के नीचे होने वाले काले घेरे आदि को दूर करने के लिए एरंड का तेल सबसे फायदेमंद होता है| त्वचा में नमी लाने के लिए एरंड के तेल की मालिश सबसे उत्तम होती है|
बालों के लिए लाभदायक (Eranda for hair)
- यदि आप भी बालों को काले, घने, चमकदार, लम्बे बनाना चाहते है तो इसके तेल की मालिश बालों में करनी चाहिए| इससे बालों में आने वाली सफेदी और रुसी का भी समापन होता है|
कब्ज़ को दूर करें एरंड का सेवन (Eranda for constipation)
- कब्ज़ का समापन करने के लिए इसके पत्तों से निर्मित काढ़े का सेवन काफी लाभदायक होता है| इसके पत्तें में विरेचक गुण पाए जाने के कारण ही यह कब्ज़ को दूर करती है|
- दूध में अरंडी के तेल की कुछ बूंदे डाल कर पीने से आंतों में जमा मल काफी अच्छी तरह से साफ़ हो जाता है|
वजन को नियंत्रित करें (Eranda for weight loss)
- इस औषधि की जड़ से बने हुए काढ़े का सेवन करने से पेट के आस पास के हिस्से की चर्बी में कमी आती है| इसी कारण इसके सेवन से आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते है|
स्तनों के लिए लाभदायक अरंड
- स्त्री के स्तनों से दूध की कमी या दूध आना बंद हो जाए और गांठे बन जाए तो इस स्थिति में आपको एरंड के तेल की मालिश लाभ दे सकती है| इसके अलावा इसके पत्तों से बने हुए हल्के गर्म काढ़े को स्तनों पर डालना चाहिए| पत्तों को पीस कर स्तनों पर बाँधने से भी इस समस्या का समाधान होता है|
- स्तनों में सूजन आ जाने पर इसके बीजों की गिरी और सिरके का लेप बना कर लगाना चाहिए|
रक्त विकारों का शमन करें (Eranda for blood)
- रक्त में अलग अलग प्रकार के विषाक्त पदार्थ होने के कारण आप महीने में चार से पांच बार तक तो बीमार हो ही जाते है| इस बीमारी में भी सामान्य सर्दी, जुखाम और बुखार ही शामिल होते है| ऐसा आपके रक्त विकार के कारण हो सकता है| ऐसे में एरंड का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है|
मासिक धर्म के विकारों का समापन करें एरंड (Eranda for menstrual problem)
- मासिक धर्म से जुड़े सभी प्रकार के विकारों को खत्म करने के लिए इसके पत्तों को हल्का गर्म कर के उदर पे बांध देना चाहिए|
बवासीर के लिए फायदेमंद (Eranda for piles)
- अरंडी के तेल और ग्वारपाठे के रस को एक साथ मिला कर मस्सों पर लगाने से खुजली और जलन का समापन होता है|
- ग्वारपाठे के रस और अरंडी के पत्तों से बने काढ़े को मिलाकर पीने से भी अर्श में लाभ मिलता है|
कीड़ों को मारे एरंड (Eranda for stomach bugs)
- छोटे बच्चो के गुदा द्वार पर कीड़ें होने लगते है जिन्हें सामान्य भाषा में चुन्ने भी कहा जाता है| यदि इसके पत्तों का रस गुदाद्वार पर लगाया जाता है तो कीड़ें मरते है और बच्चे को आराम मिलता है|
बुखार में लाभदायक (Eranda for fever)
- यदि आप बार बार आने वाली बुखार से परेशान हो रहे है तो एरंड का सेवन आपके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगा| इसके सेवन से ज्वर जल्दी उतरेगा और तापमान भी सामान्य हो जायेगा|
नेत्र रोगों में एरंड (Eranda for eyes)
- आँखों में कचरा या धूल मिटटी, रेत आदि चली जाने पर एरंड के तेल की उचित मात्रा आँखों में डालनी चाहिए| इससे आँखों से पानी निकलेगा और उसके साथ ही सारा कचरा भी बाहर निकल जायेगा|
खांसी का शमन करे (Eranda for cough)
- इस पेड़ के पत्तों से निकलने वाले रस में यदि गुड़ मिलाकर खाया जाता है तो खांसी दूर होती है|
पेट दर्द को कम करें (Eranda for stomach ache)
- हल्के गर्म पानी में नीम्बू का रस और एरंड के तेल की कुछ बूंदे डाल कर रात में सोने से पहले पीने से दर्द कम होगा|
गुल्म रोग में एरंड
- यदि पित्त के कारण उत्पन्न हुए गुल्म रोग में यष्टिमधु के काढ़े में इस औषधि के बीजों से बने तेल को डालकर पिया जाता है तो गुल्म रोग का शमन होता है|
हैजा या पेचिश में
- इस समस्या के अन्दर यदि शुरुआत में ही अरंड के तेल का सेवन किया जाता है तो इसमें जल्दी राहत मिलती है|
पीलिया में (Eranda for jaundice)
- कामला या पीलिया में यदि इसकी जड के रस में दूध या जड़ के काढ़े में शहद मिलाकर सेवन किया जाता है तो इस रोग का जल्दी शमन होने लगता है|
- यदि इस औषधि से बने हुए तेल की कुछ बूंदों और दूध का एक साथ सेवन किया जाता है तो इससे ह्रदय, तंत्रिका तंत्र, दर्द, जोड़ो का दर्द, बुखार आदि में लाभ मिलता है|
जीव के विष का नाश करे एरंड
- सांप या बिच्छु के काट लेने पर पत्तों से बने रस का सेवन कराना चाहिए| इसके साथ ही वमन कराने से जहर बाहर निकल जाता है| जलन और दर्द भी इसका लेप करने से कम हो जाते है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Eranda)
- जड़
- पत्ती
- बीज– 2 से 3 दाने
- फूल
- तेल– 5 से 15 ml
सेवन मात्रा (Dosage of Eranda)
- जूस –
- चूर्ण –
- वटी –
- क्वाथ – 5 से 10 ml के बीच
सावधानियाँ (Precautions of Eranda)
लाल एरंड का ज्यादा मात्रा में सेवन नशा, उल्टी और बेहोशी की स्थिति पैदा कर सकती है|
एरंड से निर्मित औषधियां
- एरंडपाक
- एरंडमुलादि क्वाथ
- एरण्डसप्तक क्वाथ