गोरक्ष: फायदे, सेवन (Goraksha: benefits, usages)
गोरक्ष का परिचय (Introduction of Goraksha)
गोरक्ष क्या है? (Goraksha kya hai?)
यह अधिकतर घाटियों और पहाड़ियों के छायादार हिस्से में पाया जाता है| गोरक्ष का प्रयोग आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में किया जाता है| इसका मुख्य कार्य कुपित कफ और वात का शमन करना होता है|
आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में होने वाला किसी भी प्रकार का दर्द वात के कारण होता है| ऐसे में यह औषधि बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि यह वात रोगों का शमन करती है| इसके अलावा भी यह कई रोगों को समाप्त करने में सहायता करती है|आइये इसके दिव्य गुणों और उनसे मिलने वाले फायदों के बारे में विस्तार से जाने|
गोरक्ष में पाए जाने वाले तत्व (Goraksha ke poshak tatv)
- टैनिन
- ग्लूकोसाइड
- बैप्टिजेनिन
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Goraksha ki akriti)
यह लगभग 10 मीटर से ऊँचा होता है| इस वृक्ष के पत्तें जल्दी गिर जाते है| इस पेड़ पर फली लगती है| इसका रंग थोडा बैंगनी होता है और उसी के साथ यह थोड़ी लचीली भी होती है| इसके फूल अप्रैल से मई तथा फल अक्टूबर से जनवरी के बीच होते है|
गोरक्ष के सामान्य नाम (Goraksha common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Dalbergia lanceolaria |
अंग्रेजी (English) | Taloki shisham |
हिंदी (Hindi) | गोरखी, तकोली, तिकोली, बिठुका |
संस्कृत (Sanskrit) | गोरक्ष (जिससे इन्द्रियों की रक्षा हो), कपोतवडक्का |
अन्य (Other) | डोडिलो ( उड़िया ) बेलग ( कन्नड़ ) तन्तोशी ( गुजराती ) कौरची, डंडूस ( मराठी ) एरिगई,एरिगड़ ( तमिल ) पुलारी, मनविट्टी ( मलयालम ) पार्वती ( राजस्थानी ) मेदा – लुआ ( असमिया ) |
कुल (Family) | Fabaceae |
गोरक्ष के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Goraksha ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vaat) |
रस (Taste) | कषाय (astringent),कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | आमपाचक,वेदनास्थापक, शोथहर |
गोरक्ष के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Goraksha ke fayde)
सूजन में गोरक्ष का प्रयोग (Goraksha for swelling)
व्यक्ति के शरीर में सूजन आने का मुख्य कारण वात से जुडी कोई समस्या होती है| यह औषधि वात रोगों को समाप्त करने वाली होती है| इस औषधि के बीजों से निकलने वाले तेल या इसकी पत्तियों को यदि प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है तो सूजन में बहुत जल्द लाभ मिलता है|
आमदोष का निवारण करे (Goraksha for toxins)
आमदोष का मुख्य कारण कब्ज़ होता है और कब्ज़ का कारण मंद पाचक अग्नि| हमारे शरीर में जब पाचक अग्नि मंद होगी तो वह ग्रहण किये गए भोजन को नही पचा पायेगी| उसके परिणामस्वरूप यह पड़ा पड़ा सड़ने लगेगा|
उसके बाद यह वायु की मदद से पूरे शरीर में फ़ैल जायेगा| जिसके कारण अलग अलग तरह की बीमारियाँ होना शुरू हो जाएगी| इस आमदोष को शरीर से बाहर निकालने के लिए इस औषधि के तने की छाल का काढ़ा बना कर दिन में एक से दो बार तक लेना चाहिए|
इससे मंद पड़ी पाचक अग्नि भी तीव्र होगी तथा आमदोष का भी समापन होगा|
आमवात और गठिया के लक्षणों में (Goraksha for gout)
शरीर में आमविष के चलते आमवात और गठिया रोग और उनके लक्षण दिखाई देने लगते है| जिनमे जोड़ो में भयंकर दर्द, लालिमा, सूजन और साथ ही चुभन का अहसास भी होता रहता है| इससे राहत पाने के लिए इस औषधि के बीजों से निकलने वाले तेल की जोड़ो पर हल्के हाथों से मालिश करनी चाहिए|
इसके अलावा इस पेड़ के पत्तों को हल्का गर्म कर के प्रभावित जोड़े पर बांधना चाहिए| इससे भी जोड़ो की सूजन समाप्त होती है|
पथरी में (Goraksha for stone)
इस पेड़ की जड़ को किसी अम्ल प्रकृति वाले तत्व के साथ पीसकर लेने से पथरी के दौरान होने वाले दर्द का शमन होता है|
मूत्र रोगों का समापन करे गोरक्ष (Goraksha for urinary disease)
कई लोगो को मूत्र त्याग करते समय कठिनाई, दर्द, जलन महसूस होती है| इसके कारण ठीक से मूत्र त्याग नही हो पाता| ऐसी समस्या आने पर इस औषधि का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है| मूत्र से जुडी किसी भी समस्या में छाछ का सेवन अच्छा रहता है|
दुर्बलता मिटाये (Goraksha for weakness)
इस औषधि में एक ऐसा गुण पाया जाता है जो दुर्बलता का शमन करता है| इसके साथ ही यह व्यक्ति को हष्ट पुष्ट भी बनाता है| दुर्बलता को मिटाने के लिए आप इसके पञ्चांग का काढ़ा बना कर उसका सेवन कर सकते है|
घाव पर आने वाली सूजन में
यदि किसी दुर्घटना वश आपको चोट लग गयी है और घाव नही भर रहा और इसके साथ ही घाव और उसके आस पास के हिस्से में सूजन भी आ गयी है| तो इसके इस पेड़ के पत्तों को पीस कर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए|
बुखार में (Goraksha for fever)
यदि आप बुखार से पीड़ित है और काफी समय से यह आपका पीछा नही छोड़ रही है तो ऐसे में इस पेड़ तथा विकंकत की छाल से निर्मित क्वाथ को पानी में मिला कर नहाना चाहिए| इससे बुखार तो दूर होती ही है इसके साथ उससे होने वाले संक्रमण में भी लाभ मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Goraksha for important parts)
- जड़
- पत्ती
- बीज
- पंचांग
- तेल
सेवन मात्रा- (Dosages of Goraksha)
- क्वाथ – 5 से 15 ml तक
गोरक्ष से निर्मित औषधियां
- गोरक्ष अवलेह