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जायफल (Jayfal)

जायफल का परिचय: (Introduction of Jayfal)

Table of Contents

जायफल क्या है? (Jayfal kya hai?)

पुरुषो को जायफल के बारे में शायद ही जानकारी हो लेकिन महिलाओ को तो जरुर पता रहता ही है क्योकि की जायफल को अनेक प्रकार  से उपयोग में लिया जाता है कभी मसाले के रूप में तो, कभी छोटे बच्चो के मालिश करने के लिए| जायफर के तेल का उपयोग साबुन बनाने में भी किया जाता है|

क्या आप जानते है की हर घर में  रसोई में पाया जाने वाला मसाला  है| यह मसालों राजा होता है और आपको पता है की यह मसाला  होने के साथ ही बहुत सारे औषधीय गुणों का भंडार भी है| यही नही बल्कि यह आपके शरीर को बल एवं शक्ति प्रदान करता है|

यह जायफल आपके बेरंग जीवन को हरा भरा करने वाला होता है| आयुर्वेद  के अनुसार कोई भी रोगी जायफर का इस्तेमाल कर अपनी बीमारी को रोक सकता है | इसके अलवा बच्चो के लिए भी बहुत ही फायदेमंद माना गया है|  आइए जायफर से होने  वाले अनेक प्रकार के फायदों के बारे में जानते है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Jayfal ki akriti)

जायफल का वृक्ष हमेशा हरा रहने वाला और सुगन्धित होता है| वृक्ष के तने हल्के काले रंग के होते हैं, जिसमें बाहर छिद्र होता है| अन्दर से  लाल रंग का   होते हैं| इसके पत्ते लम्बे और भालाकार होते हैं| इसके फूल  छोटे-छोटे सुगंधित और पीले-सफेद रंग के होते हैं| यह गोलाकार, अण्डाकार लाल और पीला रंग का होता है| फल पकने पर दो भागों में फट जाता है जिसमें से जायफर निकलता है|

इसको चारों ओर से घेरे हुए लाल रंग का कड़ा मांसल कवच होता है जिसे जावित्री कहते हैं| यह सूखने पर अलग हो जाता है| इसी जावित्री के अन्दर जायफर होता है| यह अण्डाकार, गोल और बाहर से हल्का काला  रंग का सिकुड़ा हुए और तीव्र गन्धयुक्त होता है| इसका पुष्पकाल एवं फलकाल दिसम्बर से मई तक होता  है|  

जायफल की प्रजातियाँ (Jayfal ki prajatiya)

  1. जायफल
  2. जंगली जायफल

जायफल के सामान्य नाम (Jayfal common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Myristica fragrans
अंग्रेजी (English)Nutmeg
हिंदी (Hindi)जायफल, जायफर
संस्कृत (Sanskrit)जतिफलं , मालतीफलं
अन्य (Other)जायफोला (उड़िया) जाजीकाय (कन्नड़ , तेलगु  ) जायफल (गुजराती ) अडीपलम (तमिल ) जाइफल ( नेपाली ) जयफल (पंजाबी ) बांडा जायफल (मराठी )  
कुल (Family)Myristicacear
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जायफल के आयुर्वेदिक गुणधर्म (Jayfal ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha) कफवातशामक (pacifies cough and vaat)
रस (Taste) तिक्त (bitter), कटु (pungent)
गुण (Qualities) लघु (light)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)दीपन, पाचन, ग्राही, तृष्णाहर
जायफल के आयुर्वेदिक गुणधर्म Herbal Arcade
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जायफल  के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Jayfal ke fayde or upyog)

अतिसार में जायफल (Jayfal for diarrhea)

  •  यदि आपको बार – बार दस्त  की समस्या है तो  बराबर-बराबर भाग में जायफल और सोंठ 500 मिग्रा  लें| इसे जल में घिसकर सेवन करने से दस्त ठीक हो जाता है| इस दौरान स्वस्थ भोजन करना जरूरी है|
  • दस्त को ठीक करने के लिए जायफल लौंग, सफेद जीरा और सुहागा के 1 ग्राम चूर्ण में मधु और मिश्री मिलाकर सेवन करें| इससे दस्त की गंभीर बीमारी ठीक हो जाती है|
  • इसी तरह 1-2  जातीफलादि वटी को सुबह और शाम छाछ के साथ सेवन करने से सभी तरह के दस्त ठीक हो जाते हैं| 500 मिग्रा जायफ चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से पेट की गैस और दस्त की समस्या से आराम मिलता है|
  • दस्त पर रोक लगाने के लिए जायफल को घिसकर नाभि में लेप करें इससे दस्त की गंभीर बीमारी भी तुरंत ठीक हो जाती है
  • आपको जी मचलने की बीमारी है  तो जायफल को पानी में घिसकर पिने से जी मचलने की समस्या ख़त्म हो जाती है |
  • यदि पेट दर्द से बहुत परेशान है  तो  1-2 बूंद जायफल तैल को बताशे में डालकर खाने से पेट दर्द में लाभ मिलता है|

जठराग्नि में जायफल

  • बराबर-बराबर भाग में जायफल जौ, नागरमोथा और बेल के चूर्ण 1-3 ग्राम को छाछ के साथ सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है, और ग्रहणी रोग में लाभ होता है|

आधासीसी में (Jayfal for migraine)

  •  यदि किसी कारण आपका आधा सिर दर्द करता है तो उसमे भी यह बहुत ही लाभकारी होता है| इस दर्द से छुटकारा पाने  के लिए जायफर के छिलके को वनफ्सा के तेल में पीसकर 1-2 बूंद नाक में डालने से आधासीस से लाभ मिलता है|

सामान्य सिर दर्द में (Jayfal for normal headache)

  • जायफल सिर दर्द के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है | जायफर को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से भी सिर के दर्द में आराम मिलता है|

कान दर्द में (Jayfal for ear)

  • यदि किसी कान में दर्द हो रहा है तो जायफर को पीसकर कान के पीछे लेप करने से कान का दर्द और सूजन ठीक होता है|
  • जायफल को किसी भी प्रकार के  तैल में उबालकर छान लें| इसे 1-2 बूंद की मात्रा में कान में डालने से कान की बीमारी ठीक होती है|

मुँह से बदबू आने पर (Jayfal for bad breath)

  • कमल, जावित्री और जायफर के चूर्ण लेकर  इसकी 500 मिग्रा की गोली बनाकर चूसें| इससे मुंह से दुर्गंध आने की परेशानी ठीक हो जाती है|
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दांत दर्द में (Jayfal for teeth)

  • किसी भी प्रकार का दांत दर्द हो तो जायफल के तेल में भिगोयी हुई रूई के फाहे को दांतों में रखें| आपको दांत में दबाकर रखना है। इससे दांत के दर्द से आराम मिलता है|

मुँह के छाले में (Jayfal for mouth ulcers)

  • यदि आपके मुँह में छाले हो रहे हो तो  ताजे जायफर के रस को पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मुँह के छाले  मिटते है|
  • यदि आपके चेहरे पैर  दाग, धब्बे हो रहे है तो जायफर को पीसकर उसमे शहद मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग धब्बे धीरे धीरे मिटने लगते है|   

खांसी  में (Jayfal for cough)

  • खासी के इलाज करने के लिए 500 मिग्रा जातिफलादि चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करें| इससे खांसी, सांस का फूलन, भूख ना लगना, टीबी की बीमारी और वात-कफ विकार के कारण होने वाली सर्दी-जुकाम में फायदा होता है|

उल्टी में (Jayfal for vomit)

  • उल्टी और दस्त की बीमारी में 500 मिग्रा जायफल के चूर्ण में घी और खांड मिलाकर चाटने से लाभ होता है|

जी मचलने में जायफल

  • भाग में बराबर  देवदारू, दालचीनी, सेंधा नमक, बेल, मरिच, जायफल, जीरक-द्वय और जावित्री लें। इनका बारीक चूर्ण  कर लें| इसमें मातुलुंग नींबू का रस मिलाकर 250 मिग्रा की गोलियाँ बना लें| इसका सेवन करने से अरुचि, भूख का बढ़ना और दस्त की परेशानी ठीक होती है| जायफल को पानी में घिसकर पिलाने से जी मचलाना ठीक होता है|
  • 500 मिग्रा जायफल के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है|

जोड़ो के दर्द में  (Jayfal for joints pain)

  • यदि आपको जोड़ो के दर्द की समस्या है तो जायफल के तेल को सरसों के तैल में मिलाकर जहा- जहा दर्द हो रहा है वहा लगाने से दर्द में आराम मिलता है और आपको मोच तथा पुराने जोड़ो के दर्द में भी बहुत लाभ मिलता है|

त्वचा में (Jayfal for skin)

  • यदि आपको किसी  प्रकार के त्वचा से संबंधित रोग हो तो जवित्री तथा जायफल के चूर्ण को जल में घोलकर लेप करना चाहिए| इससे  झाईया भी समाप्त होती है|
  • जायफल के तैल की मालिश करने से त्वचा  का सुन्न होना कम हो जाता है|
  • सर्दी के मौसम के कारण हाथ और पैर की त्वचा फट जाया करती है| इसमें जायफल को जल में घिसकर पैरों में लेप करें तो इससे बिवाइयां ठीक हो जाती है|

भूख बढ़ाने में (Jayfal for increase hunger)

  • आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा|

प्रसव में जायफल

  • प्रसव के बाद अगर कमर दर्द खत्म नहीं हो रहा है तो जायफर पानी में घिसकर कमर पर सुबह-शाम लगाएं एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा|

ह्रदय में (Jayfal for heart)

  • जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत होता है| पेट भी ठीक रहता है|

पुराने घाव में (Jayfal for wound)

  • कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं| जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें| जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे| जायफर से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती, फुर्ती भी बनी रहेगी|

लकवा मे (Jayfal for paralysis)

  • लकवा का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर जायफल को पानी में घिसकर रोज लेप करना चाहिए, दो या तीन महीनों  तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने की संभावना देखी जा सकती है|

आँखे के दर्द में (Jayfal for eyes)

  • आँखों की किसी भी समस्या के लिए आप जायफल उपयोग कर सकते है जैसे- आँखों की रोशनी के लिए, आँखों के नीच काले घेरे आदि |  

वीर्य विकारों में (Jayfal for semen disorder)

  •   अकरकरा, जायफल, जावित्री, इलायची, कस्तुरी तथा केसर को दूध में पका कर दूध में मिश्री  मिलाकर  पिने से पुरुषत्व में वृद्धि  होती है|

बाल रोग में उपयोगी जायफल

  • जायफल और माया फल को बराबर मात्रा में चूर्ण  कर  इसमें बारह भाग मिश्री मिला ले| इसे1-2  ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह दूध के साथ बच्चों को सेवन करने से बच्चों के बल की वृद्धि होती है| बच्चों के रोगों ठीक होते है और छोटे छोटे बच्चो की पाचन शक्ति भी बढती है|  यह 0 से लेकर 15 साल के बच्चो के लिए बहुत ही लाभदायक होती है|
  • अक्सर देखा जाता है कि माताएं जब छोटे बच्चों को दूध पीना छुड़ाना चाहती हैं तो बच्चे आसानी से दूध नहीं छोड़ते हैं| ऐसी स्थिति में जायफल आपके काम आ सकता है| बच्चों को दूध पीना छुड़ाने के  लिए जायफल का प्रयोग करना चाहिए |

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Jayfal)

  • बीज
  • तैल
  • बीजचोल (मेस)

सेवन मात्रा (Dosage of Jayfal)

  • चूर्ण -0.5 -1 ग्राम
  • तैल 1-3 बूंद  या चिकित्सक  के अनुसार 

सावधानियां (Precautions of Jayfal)

  • जायफल के बीज का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से शरीर के  लिए नुकसान कर सकता है|गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नही करना चाहिए | अतः वैद्यकीय चिकित्सा परामर्श अनुसार हि प्रयोग करे|