कर्चूर (Kachur) (White Termeric) : अदरक सा रंग, हल्दी के गुणों का संगम है ये औषधि (White Termeric: Benefits, Usages)
कर्चूर का परिचय (Introduction of Kachur)
कर्चूर क्या है? (Kachur kya hai?)
हल्दी के समान ही एक पौधा कर्चूर होता हैं जिसकी पत्तियों का आकार भी लगभग हल्दी की पत्तियों से मिलता हैं| जिस प्रकार हल्दी के कई सारे फायदे हैं उसी प्रकार कर्चूर के भी ढेर सारे फायदें हैं|
इसे काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता हैं| सामान्यतः लोगो को इस औषधि के बारे में जानकारी नही होती| परन्तु जिन्हें इस बारे में पूर्ण जानकारी होती हैं वो लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए इसका प्रयोग जरुर करते हैं|
यह श्री लंका, चीन और म्यान्मार आदि देशों में पाया जाता हैं| भारत में यह हिमालयी क्षेत्रो में बहुतायत के साथ पाई जाती हैं| आइये आज इस औषधि के बारें में विस्तार से चर्चा करते हैं और जानते हैं इसके दिव्य गुणों के बारें में|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Kachur ki akriti)
- इसकी ऊंचाई 70 से 110 cm के मध्य होती हैं| इसके पत्तें हल्दी के पत्तों के आकार में होते हैं| पत्तों के बीच का भाग हल्का बैंगनी होता हैं| इसके फूल पीले या हल्के गुलाबी रंग के होते हैं| यह अप्रैल से जुलाई के बीच आते हैं|
कर्चूर के सामान्य नाम (Kachur common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Curcuma zedoaria |
अंग्रेजी (English) | Zedoary root, White turmeric, Setwall |
हिंदी (Hindi) | कचूर, काली हल्दी |
संस्कृत (Sanskrit) | कर्चूरः, द्राविड, काल्पिकः |
अन्य (Other) | कचूरा(उर्दू) कचूरी (गुजराती) कचोरम (तेलुगु) कचुर (नेपाली) कचोरा (मराठी) काच्छोलम (मलयालम) |
कुल (Family) | Zingiberaceae |
कर्चूर के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Kachur ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | वातकफशामक (pacifies vaat and cough) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | दीपक, रुचिकारक, ग्राही |
कर्चूर के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Kachur ke fayde or upyog)
जुखाम दूर करने में उपयोगी कर्चूर (Kachur for cold)
- जुखाम एक सामान्य स्थिति हैं परन्तु अधिक समय तक इसे नजरंदाज नही करना चाहिए| जुखाम को दूर करने के लिए कर्चूर, पिप्पली और दालचीनी का काढ़ा बना लें| अब उस काढ़े में मधु मिला कर लेने से जुखाम कुछ ही दिनों में पूरी तरह ठीक हो जायेगा|
खांसी में (Kachur for cough)
- कर्चूर के टुकड़े कर उचित मात्रा में चूसने पर खांसी में लाभ होता है|
सांस सम्बन्धी समस्याओं में (Kachur for breathing problem)
- सभी प्रकार के श्वास रोग को दूर करने के लिए कचूर-प्रकन्द का काढ़ा बना कर उसमे मरीच और मुलेठी चूर्ण तथा मिश्री मिला कर सेवन करने से सांस सम्बन्धी रोगों का नाश होता हैं|
कंठ से जुड़े रोगों में (Kachur for throat pain)
- यदि आप किसी भी कारण कंठ रोग से परेशान हैं तो कर्चूर- प्रकन्द का लेप बना कर लेप करना चाहिए| इससे आपको कंठ से जुडी समस्या में जल्द आराम मिलेगा|
मुंह की दुर्गन्ध में लाभदायक कर्चूर (Kachur for bad breath)
- मुख से दुर्गन्ध आने के कई कारण हो सकते हैं यदि आप भी इस दुर्गन्ध से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कचूर-प्रकन्द के काढ़े से गरारें करने चाहिए|
दांत दर्द में (Kachur for teeth)
- कर्चूर की गांठो के टुकड़े कर के उन्हें दान्ठो के मध्य दबा कर रखने से दांत दर्द में आराम मिलता हैं तथा आप किसी भी खाद्य पदार्थ को आसानी से खा सकते हैं|
फेफड़ों में सूजन आने पर (Kachur for swelling of lungs)
- विभिन्न कारणों से फेफड़ों में आई सूजन को खत्म करने के लिए कचूर-प्रकन्द का लेप छाती पर करना चाहिए|
भूख बढ़ाये (Kachur for increase hunger)
- कचूर के प्रकन्द का चूर्ण बना कर दिन में दो बार सेवन करने से भूख बढती हैं और व्यक्ति सही मात्रा में भोजन का सेवन करता हैं|
जलशोफ़ में
- यदि आप या आपके आस पास कोई जलशोफ़ की समस्या से परेशान हैं तो कचूर के पत्तों का रस निकाल कर पिलाने से इस समस्या का शमन होता हैं|
पेट दर्द में (Kachur for stomach ache)
- कचूर प्रकन्द का चूर्ण बना कर पेट दर्द में लेने से इस समस्या से निजात मिलता हैं|
बवासीर में (Kachur for piles)
- मस्सों से परेशान व्यक्ति यदि कर्चूर के प्रकन्द को पीस कर मस्सों पर लगाता हैं तो मस्सों की समस्या बहुत जल्द समाप्त हो जाती हैं|
तिल्ली की वृद्धि होने पर (Kachur for spleen enlargement)
- कर्चूर के प्रकन्द का चूर्ण बना कर लेने से तिल्ली में हो रही वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता हैं|
उपदंश को समाप्त करने में सहयोगी कर्चूर
- उपदंश से पीड़ित रोगी को कर्चूर के प्रकन्द का काढ़ा बना कर पीना चाहिए| इससे जल्द ही अच्छे परिणाम आते हैं| इसका सेवन आप दिन में एक से दो बार तक कर सकते हैं|
अंडकोष की सूजन दूर करें कर्चूर
- पीसे हुए कचूर-प्रकन्द को हल्का गर्म कर के प्रभावित स्थान पर लगाने से सूजन में कमी आती हैं और साथ ही दर्द से भी राहत मिलती हैं|
जोड़ो के दर्द में (Kachur for joints pain)
- कचूर के प्रकन्द का लेप बना कर उसमे फिटकरी डाल कर यदि पीड़ित जोड़ो पर लगाया जाता हैं तो दर्द में कमी आती हैं|
- इसी प्रकार इसका सेवन करने से आमवात और गठिया रोगों के लक्षणों का शमन होता है|
विसर्प में कर्चूर
- सिंदूर के कल्क में सरसों के तेल को पका कर या कचूर के प्रकन्द के रस को यदि प्रभावित स्थान पर लगाया जाता हैं, तो नाडीव्रण, दुष्टव्रण और विसर्प जैसे रोगों में लाभ मिलता हैं|
घाव को जल्दी भरने में (Kachur for wound)
- जो लोग घाव को जल्दी भरना चाहते हैं या जिनके घाव जल्दी नही भर पाते हैं, उन्हें कर्चूर के प्रकन्द को पीस कर लगाना चाहिए| घाव के साथ ही यह सफ़ेद कुष्ठ की समस्या में भी लाभ पहुंचता हैं|
हैजा में कर्चूर
- हैजा या विसूचिका से परेशान लोग यदि कर्चूर के प्रकन्द का काढ़ा बना कर सेवन करते हैं तो इस रोग में जल्द लाभ होता हैं|
मुहांसों को दूर करें कर्चूर
- कर्चूर के प्रकन्द को पीस कर यदि मुहांसों पर लगाया जाता हैं तो मुहांसों की समस्या जल्द ही समाप्त हो जाती हैं|
मिर्गी रोग में (Kachur for epilepsy)
- यदि आप भी मिर्गी या अपस्मार से परेशान हैं तो कर्चूर के प्रकन्द से निर्मित चूर्ण में मधु मिला कर लेने से रोग का शमन होता हैं|
टी.बी. रोग में (Kachur for T.B.)
- टी.बी. से पीड़ित व्यक्ति को होने वाली जलन या गर्मी में यदि कर्चूर के प्रकन्द को पीस कर लेप किया जाता हैं तो जलन और गर्मी का नाश होता हैं|
मोच में कर्चूर
- मोच वाले स्थान पर कर्चूर की गांठो को पीस कर लेप करना चाहिए|
संक्रमण से बचाव करे (Kachur for infection)
- यदि आप बार बार विभिन्न तरह के संक्रमण से ग्रसित हो जाते है तो ऐसे में इस औषधि का सेवन आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है|
पैरों की जलन को समाप्त करे
- कई लोगो को पित्त के प्रकुपित होने तथा अन्य कारणों से पैरों में जलन होती हैं| इसका समाधान करने के लिए इस औषधि का लेप पैरों के तलवों पर करना चाहिए|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Kachur)
- कन्द
सेवन मात्रा (Dosages of Kachur)
- चूर्ण -3-6 ग्राम
- क्वाथ – 10-20 ml
कर्चूर से निर्मित औषधियां
- कर्चूरतेल