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लाल चन्दन (Lal chandan)

लाल चन्दन का परिचय: (Introduction of Lal chandan)

Table of Contents

लाल चन्दन क्या है? (What is Lal chandan)

चन्दन को तो सभी लोग जानते और अच्छे से पहचानते भी है| यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है लाल या रक्त चन्दन, सफ़ेद या श्वेत चन्दन और पीला चन्दन| लाल चन्दन का प्रयोग मंदिरों में, पूजा पाठ आदि में प्रधानता के साथ किया जाता है|

आज हम रक्त चन्दन के बारे में विस्तार से जानेंगे| महिलाओं और युवतियों को तो इसके विषय में जरुर जानकारी होती है| ऐसा इसलिए क्योंकि चन्दन को पूजा पाठ में तो प्रयोग किया जाता ही है इसके अलावा इसे त्वचा की सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी काम मे लिया जाता है|

इसे आयुर्वेद में एक औषधि का स्थान प्राप्त है| यह एक शीतल औषधि है जो गर्मी और जलन से सम्बन्धी सभी समस्याओं को बहुत जल्द दूर कर देती है| आइये आपको परिचित कराते है रक्त चन्दन और इसके दिव्य गुणों से|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Lal chandan ki akriti)

इसका पेड़ लगभग 10 मीटर तक ऊँचा हो सकता है| इसकी छाल मोटी होती है जिसका रंग कुछ काला, भूरा दिखाई देता है| इसके तने की आंतरिक परत लाल रंग की होती है| पत्तों का आकार गोल या अंडाकार होता है|इसके फूल आकार में थोड़े छोटे होते है| इसकी फली के अन्दर बीज उपस्थित रहते है| इसके फूल और फल जनवरी से मई के मध्य आते है|

लाल चन्दन के सामान्य नाम Herbal Arcade
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लाल चन्दन के सामान्य नाम (Lal chandan common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Pterocarpus santalinus
अंग्रेजी (English)Red Sandal Wood, Ruby wood
हिंदी (Hindi)लाल चंदन, रक्तचंदन
संस्कृत (Sanskrit)रक्तचंदन,  तिलपर्ण, रक्तसार, प्रवालफल, लोहित चंदन, मलयज
अन्य (Other)रक्तशंदन (कन्नड़) तिलपर्णी (मलयालम) अट्टी (तमिल) रतांजली (गुजराती) रक्तचंदन (उड़िया)
कुल (Family)Fabaceae 

लाल चन्दन के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Lal chandan ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha) कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta)
रस (Taste) तिक्त (bitter), मधुर (sweet)
गुण (Qualities) लघु (light), रुक्ष (dry)
वीर्य (Potency) शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)दुर्गन्धहर, दाहप्रशमन, त्वगदोषहर
Ayurvedic properties of lal chandan Herbal Arcade
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रक्तचंदन/लाल चन्दन के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Lal chandan ke fayde or upyog)

नकसीर या रक्तपित्त में (Lal chandan for blood bile)

  • खस, लोध्र, कालीयक, फूल प्रियंगु, शंख भस्म, लाल चन्दन और पद्मकाष्ठ को उचित मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को चावल के पानी में घोल लें| अब इसमें शक्कर मिला कर सेवन करे| ऐसा करने रक्तपित्त में तो लाभ होता ही है इसके अलावा अस्थमा का भी शमन होता है|

बुखार में (Lal chandan for fever)

  • रक्त चन्दन के पत्तों और त्वक से निर्मित क्वाथ का सेवन यदि ज्वर या बुखार में किया जाता है तो लाभ मिलता है|
  • घिसे हुए रक्त चन्दन को जल में मिश्रित कर के सेवन करने से तापमान सामान्य हो जाता है| इसके साथ ही जलन और गर्मी का भी शमन होता है|
  • दाख, वासा, गिलोय, नागरमोथा, और रक्त चन्दन का काढ़ा बना कर लेने से बुखार उतरता है|

त्वचा रोगों में (Lal chandan for skin disease)

  • यदि आप उम्र के साथ होने वाली झुर्रियों का शमन करना चाहते है तो रक्त चन्दन, मसूर की दाल, मंजिष्ठ, लोध्र और प्रियंगु का लेप बना कर चेहरे पर लगायें| इससे चेहरा चमकदार बनेगा और झुर्रियां भी मिट जाएगी|
  • घाव होने पर रक्त चन्दन की लकड़ी का चूर्ण बना कर घाव पर लगाना चाहिए| इससे जलन और दर्द मिटता है और घाव जल्दी भरता है|
  • पीसी हुई लाल चन्दन को हल्का गर्म कर के लेप करने से सभी प्रकार के त्वचा रोगों में लाभ मिलता है|
  • रक्त चन्दन और नील कमल से निर्मित क्वाथ का सेवन करने से त्वचा सम्बन्धी रोग विसर्प में लाभ मिलता है|
  • पेट में घाव हो जाने पर रक्त चन्दन और श्वेत चन्दन का चूर्ण कर के दूध में अच्छे से मिलाकर लेप करना चाहिए| इससे रोगी को आराम मिलता है|
  • चन्दन में नीम्बू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से तैलीय त्वचा से छुटकारा मिलता है और त्वचा चमकदार बनती है|
  • रक्त चन्दन को दूध के साथ पीस कर लगाने से मुहांसे मिटते है| इसके साथ ही प्रदुषण के कारण खोये हुए निखार को भी वापस पाया जा सकता है|
  • शरीर पर किसी प्रकार की खुजली, लालपन, जलन और गर्मी होने पर भी इसका सेवन किया जा सकता है| चन्दन से बनी हुई औषधि चन्दनासव का उपयोग भी काफी लाभदायक होता है|

दुर्गन्धयुक्त पसीना अधिक आने पर

  • यदि आप भी बार बार दुर्गन्धयुक्त पसीने की अधिकता होने पर आप चन्दनासव का सेवन दिन में दो बार पानी के साथ कर सकते है|
  • इसके अलावा रक्त चन्दन को घिस कर शरीर पर लगाने से भी लाभ मिलता है|

प्रदर में लाभ दें लाल चन्दन

  • लाल चन्दन से बने पुष्यानुग चूर्ण को खाने से सभी प्रकार के प्रदर, गर्भाशय शोथ आदि रोग दूर होते है|

बवासीर में (Lal chandan for piles)

  • रक्त चन्दन के पत्तों से बने क्वाथ का सेवन दिन में एक से दो बार करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है| पत्तों की जगह छाल का प्रयोग भी किया जा सकता है|

पेचिश में लाल चन्दन का प्रयोग

  • इस औषधि से बने काढ़े का सेवन पेचिश में काफी लाभ देता है| यदि आप भी इसका सेवन करते है तो निश्चित रूप से अच्छे परिणाम मिलेंगे|

दस्त पर रोक लगायें (Lal chandan for diarrhea)

  • दस्त के साथ यदि खून भी आ रहे है तो ऐसे में इस औषधि के काढ़े में शहद डालकर सेवन करना चाहिए| इससे जल्द ही लाभ मिलेंगे|
  • पित्त प्रकुपित होने के कारण यदि दस्त की समस्या हो रही है तो रक्त चन्दन, धमासे का चूर्ण, नगमोथा, भुनिम्ब और सुगंधबाला को उचित मात्रा में सही विधि द्वारा लेना चाहिय| यह उपाय इस रोग में फायदेमंद माना जाता है|

पेट के कीड़ों का शमन करे (Lal chandan for stoamch bugs)

  • पेट में कीड़ें पड जाने पर चन्दनासव का उपयोग भी अच्छा रहता है| इसके अलावा लाल चन्दन के चूर्ण या काढ़े का सेवन भी कृमियों या कीड़ों का शमन कर पाने में सहायक होता है|

वमन को रोके (Lal chandan for vomit)

  • रक्त चन्दन की लकड़ी को शहद में घिस लें| अब इसे खाने से उल्टियां या वमन पर रोक लगेगी|

सूजन मिटायें (Lal chandan for swelling)

  • सूजन होने पर चन्दन की लकड़ी को घिस कर प्रभावित स्थान पर लेप करना चाहिए| चन्दन में एंटी इंफ्लेमेट्री  या सूजन रोधी गुण पाए जाने के कारण ही सूजन का शमन हो पाता है|

हड्डियों से जुड़े रोगों में

  • हड्डी के टूट जाने पर यदि शाली चावल, रक्त चन्दन, मुलेठी और मंजिष्ठ का चूर्ण बना कर घी में मिलाकरव टूटी हड्डी पर लगाने से हड्डी जुड़ने में सहायता मिलती है|
  • यदि आपके जोड़ो में दर्द रहता है तो आप लाल चन्दन का लेप बना कर लगा सकते है|

 पीड़ादायक हिचकी आने पर (Lal chandan for hiccup)

  • रक्तचंदन और दूध को मिलाकर, घिसकर नाक में डालने से हिचकी में लाभ मिलता है|

दांत दर्द का शमन करे लाल चन्दन (Lal chandan for teeth)

  • रक्तचंदन के चूर्ण या पाउडर को दांतों पर मलने से दांत दर्द कम होता है| इसके साथ ही दांतों को मजबूती भी मिलती है|

आँखों से जुड़े रोगों में (Lal chandan for eyes)

  • घिसे हुए लाल चन्दन को आँखों में काजल की तरह लगाने से मोतियाबिंद रोग का शमन होता है| यदि आँखों में सूजन भी आ रही है तो इस लेप को आँखों के चारों ओर लगाना चाहिए|

साधारण सिर दर्द में (Lal chandan for headache)

  • रक्तचंदन के साथ लवण और सोंठ मिलाकर घिस लें| अब इसका लेप बना कर माथे या ललाट पर लगाने से ठंडक मिलती है और सिर दर्द का शमन होता है|

आधासीसी में

  • लाल चन्दन का चूर्ण बना कर माथे पर लगाने से इस रोग में लाभ मिलता है| इसके साथ ही तनाव से और अनिद्रा की समस्या से भी छुटकारा मिलता है|     

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Lal chandan)

  • छाल
  • पत्ती
  • बीज
  • फल
  • लकड़ी

सेवन मात्रा (Dosage of Lal chandan)

  • चूर्ण -3-6 gram
  • तेल -5-20 ml

लाल चन्दन से निर्मित औषधियां

  • चन्दनादि चूर्ण, वटी
  • चन्दनासव