प्याज (Pyaj)
प्याज का परिचय: (Introduction of Pyaj)
प्याज क्या है? (What is Pyaj?)
सामान्य भाषा में कांदा या प्याज या पलाण्डु को तो सब ही जानते होंगे| प्याज एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसके बिना हर एक व्यंजन अधुरा है| जिसे हर कोई पसंद करता है| इसे आप सब्जियों में इस्तेमाल करते होंगे या फिर किसी सलाद ए रूप में या आप इसे कच्चा भी खाते होंगे, लेकिन क्या आप इसके फायदों के बारे में में जानते है?
पलाण्डु को गर्मियों के मौसम में अक्सर कच्चा खाना पसंद करते है, क्योकि यह आपको लू से ही नही बचाता बल्कि यह आपको और भी कई सारी बीमारियों से बचाता है| यह आपकी ह्रदय से जुडी बीमारी को नष्ट करता हो और ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रण करता है|
क्या आपको पता है की इसे आयुर्वेद में जड़ी – बूटी के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है| आपने अभी तक बहुत सारी औषधियों के बारे में सुना होगा पर आपने यह सुना है की प्याज भी एक औषधी है और कई सारी बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है| यह पाचन संबंधित रोग, आँख, मासिकविकार, बाल, सुजाक बवासीर आदि रोगो के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है| चलिए इसके अन्य फायदों के बारे में आपको आगे विस्तार से परिचित करवाते है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Pyaj ki akriti)
प्याज औषधीय गुणों वाला खाद्य पदार्थ है| इसकी दो प्रजातियाँ होती हैं| इसकी जड़ का प्रयोग सलाद या सब्जियों के पूरक के रूप में सबसे अधिक किया जाता है| प्याज के ऊपरी तने को भी खाया जाता है| इसकी जड़ और तने के रस का प्रयोग उपचारों के लिए किया जाता है|
रंगों एवं आकार के आधार पर प्याज की कई प्रजातियाँ होती हैं| रंगों में यह मुख्य दो प्रकार का होता है| एक लाल और एक सफ़ेद| औषधि के रूप में प्रयोग के लिए सफ़ेद रंग की प्याज को उत्तम माना गया है| प्याज को विटामिन ‘ए’ का अच्छा स्रोत भी माना जाता है|
इसका पौधा दो वर्ष तक चलने वाला तथा गोलकर लगभग सीधा व शल्ककन्द शाखीयतथा सुगन्धित पौधा होता है| इसके पत्ते सरल नली के आकार के सम्मान व हरे रंग तथा बेलनाकार, खोलने पर लचीले हो जाते है| इसके फुल सफेद तथा अनेक छात्रो में होते है| इसके फल छोटे तथा तने के आवरण में होता है| इसका फलकाल व फुलकाल जनवरी से मई तक होता है| इसकी जड़ के निचे जो शल्ककन्द होते है उसे ही प्याज कहते है|
प्याज की प्रजातियाँ (Pyaj ki prajatiya)
1.जंगली प्याज
2. प्याज
प्याज के पौषक तत्व (Pyaj ke poshak tatva)
- विटामिन ए,सी, ई
- पोटेशियम
- सोडियम
- कैल्शियम
- मैग्नीशियम
- फास्फोरस
- फोलेट
- फाइबर
- कार्बोहाइड्रेट
- सल्फर
- क्वेरसेटिन
- कैलोरी
- प्रोटीन
प्याज के सामान्य नाम (Pyaj common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Allium cepa |
अंग्रेजी (English) | Bulb onion |
हिंदी (Hindi) | पियाज, प्याज |
संस्कृत (Sanskrit) | पलाण्डु, यवनेष्ट, दुर्गन्ध, मुखदूषक, राजपलाण्डु, |
अन्य (Other) | प्याज (उर्दू) पियास (असमिया) कान्दो (कोंकणी) नीरूल्लि (कन्नड़) कांदो (गुजराती) वेंकायाम (तमिल) उल्लिपया (तेलगु) पेयाज (बंगाली) प्याज (नेपाली) कांदा (मराठी) गण्डा (पंजाबी) कुवन्नुल्ली (मलयालम) |
कुल (Family) | Liliaceae |
प्याज के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Pyaj ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | वातशामक (pacifies vata), कफवर्धक (increase cough) |
रस (Taste) | मधुर (sweet), कटु (pungent) |
गुण (Qualities) | गुरु (heavy), स्निग्ध (oily), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | अनुष्ण |
विपाक(Post Digestion Effect) | मधुर (sweet) |
अन्य (Others) | केश्य, लूशामक, निद्राजनक, रक्तपित्तशामक |
प्याज के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Pyaj ke fayde or upyog)
दर्द में
- चूँकि प्याज में वेदनास्थापन के गुण पाए जाते है इसीलिए यह का शमन करने के लिए काफी उपयोगी माना जाता है|
गठिया में (Pyaj for gout)
- इस रोग से इस रोग से छुटकारा पाने के लिए प्याज के रस और राई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है|
आँखों के रोग में प्याज के फायदे (Pyaj for eyes)
- प्याज में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो आँखों के लिए बहुत ही अच्छा होता है| प्याज के शल्ककन्द के रस में सेंधा नमक मिलाकर आँख में डालने से रतौंधी रोग से छुटकारा मिलता है साथ ही आँखों की रोशनी को भी बढाता है|
हड्डियों के लिए (Pyaj for bones)
- पलाण्डु में कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है जो आपके हड्डियों के लिए बहुत ही अच्छा होता है| यदि आपको जोडो के दर्द की समस्या है तो आपको पलाण्डु की सब्जी बनाकर कुछ दिनों तक सेवन करनी चहिए|
जुखाम में (Pyaj for cold)
- यदि आपको जुखामे में है तो पलाण्डु के रस में एक चम्मच मधु मिलाकर चाटने से जुखाम से छुटकारा मिलता है|
नक्सीर में (Pyaj for blood bile)
- यदि आपके नाक से खून आते है तो पलाण्डु के पत्ते के रस को एक या दो बूंद नाक में डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है|
पाचन तत्र में (Pyaj for digestion)
- पलाण्डु अपने औषधीय गुण से पाचन तंत्र को बेहतर करता है| पके हुए पलाण्डु में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे कब्ज व गैस जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं| और आपका पाचन तन्त्र स्वस्थ रहता है| इसलिए आपको पलाण्डु का उपयोग करना चहिए|
एनीमिया (Pyaj for anemia)
- यदि शरीर में खून की कमी है और आपको कमजोरी हो रही है तो आपको नियमित रूप से पलाण्डु का सेवन करना चहिए|
ह्रदय के लिए (Pyaj for heart)
- पलाण्डु में पाया जाने वाला क्वेरसेटिन गुण ह्रदय के लिए भी अच्छा है| जो ह्रदय को स्वस्थ रखता है और हार्ट अटैक की आशंका कम रहती है|
मधुमेह में (Pyaj for diabetes)
- यदि कोई व्यक्ति मधुमेह रोग से ग्रस्त है तो पलाण्डु का प्रयोग कर सकते है, क्योकि पलाण्डु का रस ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकता है| पलाण्डु में क्रोमियम होता है, जिस कारण यह मधुमेह के मरीजों के लिए फायदेमंद है| साथ ही इसमें सल्फर, क्वेरसेटिन व एंटीडायबिटिक गुण भी होते हैं| जो मधुमेह रोग से छुटकारा दिलाता है, इसलिए पलाण्डु को अपने आहार में जरुर शामिल करना चहिए|
कैंसर में (Pyaj for cancer)
- पलाण्डु में क्वेरसेटिन व एंथोसायनिन की मात्रा अधिक होती है। क्वेरसेटिन एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है जो कैंसर के लक्षणों को रोकता है इसलिए पलाण्डु सेवन करने से कैंसर का शमन करने में मदद मिलती है|
पीलिया में (Pyaj for jaundice)
- पीलिया होने की स्थिति में पलाण्डु या पलाण्डु के रस का सेवन करने से आपको बहुत लाभ होता है| इनका सेवन प्लीहा या तिल्ली की वृद्धि में भी लाभ पहुंचाता है|
कफ को दूर करने के लिए
- छोटे बच्चों में कफ से होने वाले रोगों में पलाण्डु के रस में चीनी मिलाकर पिलाना चाहिए| ऐसा करने से कफ का प्रभाव दूर होता है| छोटे बच्चे की माताओं को कफ से होने वाले रोगों की हालत में पलाण्डु को पानी में उबालें और इसका सेवन करने से कफ की समस्या दूर होती है|
लू लगने पर
- यदि आपको गर्मियों में लू लग गई है तो ताजे पलाण्डु के रस को शरीर पर लगाने से लू का प्रभाव कम होता है|
बालो झड़ने पर (Pyaj for hair fall)
- यदि आप बालो के जड़ने से बहुत परेशान है और यदि आप जूं और बालों के झड़ने से छुटकारा पाना चाहते है तो इसके लिए बालों की जड़ों में पलाण्डु का रस लगाना चाहिए|
बुखार में (Pyaj for fever)
- यदि आपको बार – बार बुखार आता है तो पलाण्डु को काटकर काली मीर्च मिलाकर दिन में दो बार खाने से वात के कारण आने वाले बुखार का नाश होता है|
पेट साफ करने में
- पलाण्डु खाने से गैस्ट्रिक सिंड्रोम और कब्ज में फायदा होता है| पलाण्डु में मौजूद फाइबर पेट साफ करने का काम करते हैं|
कीड़ो मकोड़े काटने पर
- यदि आपको किसी किड़े ने काट लिया है तो प्रभावित स्थान पर पलाण्डु के रस को लगाने से दर्द और सूजन से राहत मिलती है|
नींद नही आने की परेशानी में (Pyaj for insomnia)
- यदि आपको तनाव व टेंशन के कारण नींद नही आती है तो प्याज के बीजो का सेवन करने से नींद अच्छी तरह से आती है|
बेहोशी में प्याज
- अगर कोई व्यक्ति बेहोश हो गया है तो उसे प्याज को कूटकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है
कान के रोगो में (Pyaj for ear)
- कान में सूजन होने की स्थिति में अलसी को प्याज के रस में पकाकर छान लें| इस रस को गुनगुना कर कान में इसकी बूँद डालें| इससे कान में दर्द, सूजन और अन्य प्रकार की समस्याएँ दूर होती हैं|
दांत के रोग में (Pyaj for teeth)
- प्याज खाने के फायदे ये हैं कि आप दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बना सकते हैं| दांतों में दर्द होने या मसूड़ों के फूलने की स्थिति में प्याज और कलौंजी को बराबर मात्रा में लेकर चिलम में रख दें| धीरे धीरे उसके धुएं का सेवन करें| ऐसा करने से मसूड़ों की सूजन दूर होती है और दांतों का दर्द से छुटकारा मिलता है|
गले के रोग में उपयोगी प्याज
- प्याज को सिरका के साथ पीसकर तरल तैयार कर लें| इसका नियमित सेवन करने से कंठ के रोग दूर होते है| आपके स्वर का फटना और गले के दर्द में भी आराम मिलता है|
हिचकी में (Pyaj for hiccup)
- यदि आपको बार बार पीड़ादायक हिचकी आने की समस्या है तो प्लान्डू की जड़ के रस को नाक के रास्ते से लेने से हिचकी व सांस संबंधित बीमारियों का नाश होता है |
रक्तस्त्राव में (Pyaj for bleeding)
- यदि आपको दस्त के साथ खून आने की समस्या है तो सफेद प्याज के रस का दिन में दो, तीन बार सेवन से दस्त में खून आना बंद हो जाता है| यदि आप सफेद प्याज को छाछ के साथ सेवन करते है तो बहुत जल्दी से छुटकारा मिलता है |
पेट दर्द में (Pyaj for stomach)
- यदि आपको पेट दर्द की समस्या है तो नींबू के रस तथा नमक व प्याज रस मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द से जल्दी से छुटकारा मिलता है|
बवासीर में (Pyaj for piles)
- अक्सर कब्ज से पीड़ित लोग बवासीर का शिकार हो जाते हैं| बवासीर से खून आने की स्थिति में सफेद प्याज के रस का सेवन करना अच्छा होता है| दिन में दो-तीन बार सेवन करने से खून आना बंद हो जाता है|
- प्याज के रस में मिश्री मिलाकर पिने से खूनी बवासीर में लाभ होता है| और इसके अलावा प्याज की सब्जी पकाकर छाछ के साथ सेवन करने से भी खूनी बवासीर में लाभ होता है|
कीडनी की पथरी में (Pyaj for calculus)
- यदि कीडनी में पथरी है तो घबराने की बात नही है क्योकि प्याज का कुछ इस तरह उपयोग कर आप पथरी से छुटकारा पा सकते है इसके लिए प्याज के ताजा रस को दिन में तीन बार पीने से कीडनी की पथरी चूर चूर हो जाती है और पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है|
मूत्र रोग में (Pyaj for urinary disease)
- यदि आपको पेशाब संबंधित कोई भी समस्या है जैसे पेशाब का रुक रुक के आना, पेशाब में जलन आदि से छुटकारा पाने के लिए प्याज का काढ़ा बनाकर सेवन करने से मूत्र रोग में लाभ मिलता है|
सुजाक में प्याज
- हस्तमैथुन के कारण आयी नपुंसकता, सूजाक तथा प्रमेह जैसे रोगों में प्याज काफी फायदा देता है| इसके लिए रस में गाय का घी और मधु मिलाकर, इसे सुबह और शाम चाटने से तथा रात को दूध पीने से बहुत लाभ होता है|
मासिकधर्म में प्याज
- आजकल के व्यस्त जीवन के कारण अक्सर महिलाओं को मासिक चक्र की समस्या होती है,जैसे मासिकधर्म समय पर नही आना या रक्तस्त्राव अधिक होना आदि| इन समस्या को दूर करने के लिए कच्चे प्याज का नियमित सेवन करने से मासिक चक्र भी नियमित रूप से होता है|
कामशक्ति बढ़ाने में प्याज
- प्याज की तीस गाँठों को लेकर बर्तन में रखकर उन पर ताजा दूध इतना डालें कि दूध अंगुल ऊपर रहे| इसे आंच पर इतना पकाएं कि प्याज गल जाय| पकने पर आग से नीचे उतार लें| अब प्याज के बराबर गाय का घी और बराबर मात्रा में मधु मिला लें| इसे फिर से थोड़ी देर पकाए और अंत में कुंजन डालें|| इस औषधि को 2 चम्मच की मात्रा में रोज सेवन करें| इसे आपकी कामशक्ति बढती है|
- इसके अलावा प्याज को किसी बर्तन में भर लें| इस बर्तन का मुँह इस प्रकार बंद कर देना चाहिए कि उसमें हवा न जाने पाए| इस बर्तन को जहाँ गाय बाँधी जाती हो उस जमीन में गाड़ देना चाहिए| चार महीने बाद निकालकर एक प्याज रोज खाने से काम शक्ति बढ़ती है।
कील – मुहांसों में प्याज
- यदि आपको किसी भी प्रकार का चर्म रोग है जैसे दाद, खुजली, जलन या फिर कील – मुहांसे इन से छुटकारा पाने के लिए पलाण्डु को घी में तलकर लगाने से इस रोगो से छुटकारा मिलता है|
घाव की सूजन में प्याज
- अगर चोट के कारण सूजन या घाव हो गया है तो पलाण्डु के घोल को बाँधने से आपको बहुत जल्दी से लाभ मिलता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Pyaj)
- शल्ककन्द
- पत्ती
- बीज
- वाष्पशील तैल
सेवन मात्रा (Dosages of Pyaj)
- शल्ककन्द रस – 10 से 30 मिली
- बीज चूर्ण -1 से 3 ग्राम या चिकित्सा के अनुसार