सागवान (Sagwan )
सागवान का परिचय: (Introduction of Sagwan )
सागवान क्या है? (What is Sagwan)
इसका उपयोग सबसे अधिक खिड़की दरवाजे बनाने में किया जाता है| क्या अपने कभी यह सोचा है की सागवान का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जा सकता है| यह सागवान नाम की औषधि कोई मामूली औषधि नही है| यह रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है|
क्या आप परेशान है, गले में जमे कफ से, क्या परेशान है, बवासीर से, क्या परेशान है पांडू रोग, प्रमेह रोग से? इन रोगो के लिए यह रामबाण औषधि है| इस सागवान को प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में रोगो के उपचार के लिए प्रयोग किया आता आ रहा है|
इस औषधि के बहुत सारे फायदे पाए जाते है| आंखो के विकार, माइग्रेन का दर्द, सफेद पानी, पेचिश की समस्या, पथरी, मूत्र विकार आदि ऐसे रोग है जिससे राहत पाने के लिए सागवान औषधि का प्रयोग किया जाता है| आइये जानते है की इस औषधि को और किन –किन रोग के उपचार के प्रयोग में ले सकते है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Sagwan ki akriti)
इस की खेती लगभग पुरे भारत में की जाती है| इसकी लकड़ी से दरवाजे, खिड़कियाँ बनाई जाती है| इसके पत्ते बढ़े होते है| इसके पत्तो से निकलने वाला रस खून की तरह लाल होता है| इसका पौधा लम्बा, ऊँचा, बेलनाकार तथा पत्तो दार होता है| इसका तना पतला, हल्के भूरे रंग का तथा धूसर रंग का होता है| इसके फूल बहुत छोटे, सफेद रंग के सुंगधित होते है| इसका फल गोलाकार अंडाकार तथा हल्के भूरे रंग का होता है| इसका फूलकाल जून से सितम्बर तक तथा फलकाल नवम्बर से जनवरी तक होता है|
सागवान के सामान्य नाम (Sagwan common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Tectona grandis |
अंग्रेजी (English) | Indian teak tree |
हिंदी (Hindi) | सागौन, सागवन, सागु; |
संस्कृत (Sanskrit) | भूमिसह, क्रकच पत्र, गृहद्रुम, अतिपत्रक, भूमिरुह, द्वारदारु, वरदारु, खरच्छद, |
अन्य (Other) | सगुन (उर्दू)सगौउन (उड़िया)चिंगजागु (असमिया)साइलो (कोंकणी)तड़ी (कन्नड़)सागा (गुजराती)सेगून (बंगाली)सगून (पंजाबी)साग (मराठी) |
कुल (Family) | Verbenaceae |
सागवान के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Sagwan ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्त शामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | रक्तपित शामक, मूत्र रोग शामक, स्तम्भन, कृमिघ्न |
सागौन/सागवान के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Sagwan ke fayde or upyog)
माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाए
- किसी बीमारी या किसी तनाव के कारण व्यक्ति अक्सर माइग्रेन के दर्द से काफी परेशान रहते है| यदि आप भी इस दर्द से पीड़ित है तो इसे राहत पाने के लिए सागवान का उपयोग कर सकते है| इसके लिए सागवान की छाल का बारीक़ चूर्ण बनाकर इसमे घी मिलाकर, इसे छानकर नाक के रास्ते से लेने से माइग्रेन यानि आधासीसी में लाभ होता है|
पेचिश में सागवान
- अगर आप पेचिश से परेशान है तो सागवान की छाल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से पेचिश तथा पेट के कीड़ो का शमन होता है|
गर्भावस्था के समय स्राव की समस्या में
- यदि गर्भधारण के पहले महीने में ही रक्तस्राव की आशंका हो रही है| तो बराबर मात्रा में मुलेठी, सागवान के बीज क्षीरकाकोली तथा देवदारु के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करना चहिए|
सफेद पानी में सागवान
- यह महिला की योनि से निकलने वाला गाढ़ा चिपचिपा पदार्थ है| जिससे महिलाए बहुत ही परेशान रहती है| इससे निदान पाने के लिए सागवान की छाल का चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन करने से सफेद पानी में लाभ होता है|
खुजली का शमन करे (Sagwan for itching)
- सागवान के बीजो के तैल की मालिश करने से खुजली का शमन होता है|
नकसीर में (Sagwan for blood bile)
- मौसम बदलने के कारण या किसी अन्य कारण से आपके नाक – नाक कान से खून आ रहा है तो इस परेशान से जल्दी से राहत पाने के लिए सागवान के पत्तो का काढ़ा बनाकर पिने से नक्सीर में जल्दी से लाभ होता है|
खून के बहाव को रोके सागवान
- अगर आपको चोट लग गई है और खून नही रुक रहा है तो सागौन के पत्तो को पीसकर लेप करने से खून का बहाव रुक जाता है और घाव भी जल्दी से ठीक हो जाता है|
सूजन में (Sagwan for swelling)
- यदि आपके शरीर पर किसी भी प्रकार की सूजन हो तो सागवान के पत्तो के रस का सेवन करने से सूजन तथा रक्त विकारो में लाभ होता है|
- सागवान की जड़ को पानी के साथ घिसकर प्रभावित स्थान पर लेप करने से सूजन का शमन होता है|
पित्तज विकार में सागवान
- यदि आप पित्तज विकारो से परेशान है तो सागौन की छाल के चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से पित्तज विकारों का शमन होता है|
स्तनों की सूजन में
- यदि की किसी महिला के स्तनों पर सूजन है तो सागवान का काढ़ा बनाकर पिने से स्तनों की सूजन में आराम होता है|
सांस नली की सूजन से राहत पाए
- यदि आपको सांस से संबंधित परेशानी है, या सांस की नली में सूजन है तो सागवान की छाल को पीसकर इस चूर्ण को गुनगुना करके गले पर लेप करने से सांस की नली की सूजन में लाभ होता है|
दस्त से राहत पाए (Sagwan for diarrhea)
- कुछ गलत खान पान की गडबडी के कारण आपको बार – बार दस्त की समस्या हो जाती है तो इसे निदान पाने के लिए सगवान की छाल में शहद मिलाकर सेवन करने से दस्त में लाभ होता है|
मूत्र विकार में सागवान (Sagwan for urinary disease)
- यदि आपको पेशाब करते समय जलन, दर्द,या रुक रुक के पेशाब आ रहा है तो इसे राहत पाने के लिए सागवान के जड़ के चूर्ण में शक्कर तथा बकरी के दूध में मिलाकर सेवन करने से मूत्र विकारो का शमन होता है|
आँखों के विकार (Sagwan for eyes)
- यदि किसी को भी आँखों के विकार की समस्या है तो सागवान के बीजो का काढ़ा बनाकर आँखों को धोने से आँखों के विकारो का शमन होता है|
कुष्ठ रोग में (Sagwan for leprosy)
- कुष्ठ रोग से परेशान होने वाले लोगों के लिए यह औषधि एक रामबाण औषधि है| इस रोग का शमन करने के लिए सागवान का काढ़ा बनाकर कुछ दिनों तक पीना चहिए|
प्रमेह में
- प्रमेह में लाभ पाने के लिए इसकी छाल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रमेह रोग से छुटकारा होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Sagwan)
- जड़
- पत्ते
- छाल
- बीज
सेवन मात्रा (Dosages of Sagwan)
- चूर्ण – 1 से 3 ग्राम
- काढ़ा – 15 से 30 ग्राम