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सारिवा (Sariva)

सारिवा का परिचय: (Introduction of Sariva)

Table of Contents

सारिवा क्या है? (What is Sariva)

आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी औषधियां है जिनका उपयोग रोगो के इलाज के लिए किया जाता है| जिस में से सारिवा भी एक औषधि है जो त्वचा के विकारो के लिए एक रामबाण औषधि है| इसका प्रयोग खून के विकार में भी बहुत ही फायदेमंद है|

इस औषधि के गुण दमा, खांसी, बुखार आदि रोगों में काम आते है| इसकी जड़ बल बढ़ाने वाली तथा कामोत्तेजक भी होती है| इसकी जड़ का उपयोग कमजोर पाचन, भूख न लगना, त्रिदोष ,सफेद पानी की समस्या तथा दस्त आदि के उपचार के लिए भी किया जाता है|

 कई स्थानों पर सारिवा (Hemidesmus indicus) के स्थान पर Lonicara japonica का प्रयोग भी किया जाता है| आइये इसके फायदों के बारे में विस्तार से जानते है, की इसका प्रयोग और किन – किन बीमारी या रोगो में किया जाता है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Sariva ki akriti)

Hemidesmus indicus(linn.)R,Br (सारिवा )

सारिवा की लताएं लम्बी और पतली होती हैं तथा ज्यादातर जमीन पर फैलती हैं| ये नीचे से ऊपर की ओर जाती है|यह लताये चिकनी और रसीली होती है| इसकी शाखाएँ लम्बी, चिकनी तथा पतली होती हैं| शाखाओं की संख्या अधिक होती है| लताओं का रंग छाया लिए हुए भूरे रंग का होता है| कभी इन लताओं पर स्पष्ट रोएँ होते हैं तो कभी नहीं भी होते हैं| इसकी जड़ लम्बी और मोटी होती हैं| जड़ गोलाकार, कठोर एवं चारों ओर सफ़ेद रंग की होती हैं| जड़ की त्वचा भूरे रंग की होती है जिसकी चौड़ाई में दरार देखने को मिलती है| जड़ की लम्बाई में धारियाँ बनी होती है| इसका फूलाकल और फलकाल जुलाई से अक्टूबर तक होता है|

Ichnocarpus frutescens (Linn.) R.Br.( कृष्ण सारिवा)

कृष्ण सारिवा को जड़ रूप से कुटज कुल की वनस्पति माना जाता है| इसकी पत्तियां छोटी और अंडाकार तथा लम्बाई में गोल होती हैं| इसकी जड़ में सुगंध नही होती|

 Cryptolepis buchananii Roem. & Schult.( जम्बू पत्र सारिवा)

यह अर्क कुल की वनस्पति है| इसकी पत्तियां जामुन की पत्तियों जैसी, चमकीले हरे रंग की होती हैं और तोड़ने पर दूध निकलता है|

तीनो प्रकार की सारिवा का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है| इस सारिवा का प्रयोग दक्षिण भारत में  सबसे अधिक किया जाता है|

 Decalepis hamiltonii Wight(शैलुपत्री सारिवा)

शैलपुत्री सारिवा की लताएं लम्बी, चिकनी और झाड़ीदार होती हैं| यह नीचे से ऊपर चढ़ती हैं| इसकी शाखाएं बहुत फैली हुई, पतली तथा कठोर होती है| इसके पत्ते अण्डाकार, चिकने, चमकीले तथा मोटी छाल वाले होते है| इसके फूल सफेद रंग के होते है| इसके फल भाला के आकार के, लम्बे, तथा पतले होते हैं| ये पत्ते आगे की और से नुकीले तथा आधार पर मोटे होते हैं|

सारिवा के सामान्य नाम (Sariva common names) Herbal Arcade
सारिवा के सामान्य नाम (Sariva common names) Herbal Arcade

सारिवा के सामान्य नाम (Sariva common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name) Hemidesmus indicus
अंग्रेजी (English) Indian sarsaparilla
हिंदी (Hindi)सारिवा, अनन्तमूल, कपूरी, सालसा
संस्कृत (Sanskrit)अनन्तमूल, सारिवा, अल्पशारिवा, श्वेतसारिवा, गोपकन्या, गोपी, चन्दना, अनन्ता 
अन्य (Other)ओशबाह (उर्दू)लुहामादो (उड़िया)करीबन्ध  (कन्नड़)अनन्तमूल (असमिया)उपलसरी (गुजराती)पालासुगन्धी  (तेलगु)सरीयाम  (तमिल)अनंतमूल  (मराठी)अन्नतोमूल (बंगाली)
कुल (Family) Asclepiadaceae

सारिवा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Sariva ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha) त्रिदोषशामक (pacifies tridosha)
रस (Taste)मधुर (sweet), तिक्त (bitter)
गुण (Qualities) गुरु (heavy), स्निग्ध (oily)
वीर्य (Potency) शीत (cold)
विपाक(Post Digestion Effect) मधुर (sweet)
अन्य (Others) रेचन, दीपन, पाचन, अनुलोमन, वृष्य
Ayurvedic properties of Sariva Herbal Arcade
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सारिवा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Sariva ke fayde or upyog)

लम्बे बालो के लिए (Sariva for long hair)

  • जिसके बाल झड़ते ही जा रहे है, और बालो को लम्बा करने के लिए सारिवा एक रामबाण औषधि है| इसका चूर्ण बनाकर सेवन करने से बालों की समस्या दूर होती है|

गंजेपन में

  • गंजापन की समस्या को कम करने या रोकने में अनंतमूल का प्रयोग लाभकारी होता है क्योंकि एक  अनंतमूल में पाए जाने वाले तत्व बालों को बाहय और आतंरिक रूप से पोषण देते है| जो गंजेपन से रोकते है|

पेचिश में लाभ पाए

  • अनंतमूल पंचांग के चूर्ण का सेवन करने से पेचिश की समस्या में आराम लगता है| इसके अलावा इसकी जड़ के चूर्ण को दही या छाछ के साथ लेने से बवासीर में भी लाभ होता है|

मुंह और गले के छालो में (Sariva for ulcers)

  • यदि आपके मुंह और गले में छाले  हो गये है तो इनसे राहत पाने के लिए सारिवा का उपयोग किया जा सकता है|

कमजोरी दूर करे (Sariva for weakness)

  • यदि आप किसी बीमारी के कारण या शरीर कमजोर होने के कारण आप कमजोरी महसूस करते हो तो यह औषधि आपके लिए बहुत ही लाभकारी है| यह आपके शरीर को एक स्वस्थ्य बनाने वाली औषधि है| इसके प्रयोग से आप निरोगी हो सकते है|

आँखों के रोग में (Sariva for eyes)

  • सारिवा के ताजे मुलायम पत्तों को तोड़ने से दूध जैसा द्रव्य निकलता है| इस दूध में शहद मिला लें| इस मिश्रण को भी आंखों में लगाने से आँखों की बीमारी में बहुत जल्द लाभ होता है और फूली कट जाती है|
  • इसके अलावा सारिवा के काढ़ा से आंखों को धोने से या काढ़ा में मधु मिलाकर लगाने से आँखों के विभिन्न रोगों में लाभ होता है|

सिर के रोगो को दूर करे सारिवा

  • यदि आप सिर के किसी भी रोग से परेशान है तो राहत पाने के लिए मंडूर, कमल, सारिवा, भृंगराज तथा त्रिफला इन सब को तैल में पकाकर सिर पर मालिश करने से सिर के रोगो का जल्दी से शमन होता है|

दांतों के विकार में सारिवा

  • दांतों में दर्द हो या दांतों में कीड़े लगते हों तो सारिवा के पत्तों को पीसकर दांतों के नीचे दबा लें| ऐसा करने से दांतों की परेशानियां खत्म होती हैं|

कुष्ठ रोग में (Sariva for leprosy)

  • बृहती, खस, परवल तथा सारिवा आदि द्रव्यों का काढ़ा बना लें| इससे नहाने पर और इसे पिने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है|

घाव में (Sariva for wound)

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  • सारिवा, कमल केसर, खस, नीलकमल, मंजिष्ठा, चन्दन, पठानीलोध्र तथा हरीतकी को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें| इसका लेप करने से भी दाद-खाज तथा घाव आदि में लाभ होता है|
  • सारिवा की जड़ को पीसकर लेप करने से सभी प्रकार के घाव साफ़ होते हैं|

त्वचा के विकार (Sariva for skin disease)

  • सारिवा की जड़ को जौ के साथ कूट कर पानी में भिगो ले| इस काढ़े को दो घण्टे बाद मलकर छान लें| इस काढ़े को दिन में तीन – चार बार पिने से खून और त्वचा के विकारों का नाश होता है|
  • इसके अलावा सारिवा की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से त्वचा के विकारो का शमन होता है|

फोड़े फुंसी में

  • पीपल की छाल और सारिवा की जड़ को मिलाकर चाय के समान पेस्ट बनाकर सेवन करें| इससे खुजली, फोड़े,फुन्सी तथा गर्मी आदि समस्याओं में लाभ होता है|

उपदंश में सारिवा

  • यदि आप उपदंश के रोग से बहुत ही परेशान है तो इस औषधि का काढ़ा बनाकर पिने से उपदंश में लाभ होता है |

सांस संबंधित बीमारी में (Sariva for breathing problem)

  • दमा और वात के कारण हुई अन्य बीमारियों के उपचार के लिए सारिवा एक उत्तम औषधि है| दमा के इलाज के लिए सारिवा की जड़ और अडूसा के पत्ते के चूर्ण को मिला लें| इस मिश्रण में दूध मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से सभी प्रकार की सांस की समस्या में लाभ होता है|

पेट दर्द से राहत पाए (Sariva for stomach pain)

  • यदि आप पेट दर्द से परेशान है तो सारिवा की जड़ को पीसकर पानी में मिलाकर पिने से पेट दर्द का शमन होता है|

पाचन शक्ति मजबूत करने के लिए (Sariva for strong digestion system)

  • यदि आपकी पाचन शक्ति कमजोर है, और  आपको भूख नही लगती है तो  पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए इस औषधि के चूर्ण को दूध में मिलाकर  सुबह शाम को सेवन करे| इससे आपके पाचन से संबंधित परेशानी का समापन होता है|

स्तन में दूध को बढ़ाने के लिए सारिवा

  • सारिवा की जड़ का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से स्तन शुद्ध होते हैं| इसके सेवन से स्तन में दूध की मात्रा बढ़ती है| जिन महिलाओं के छोटे बच्चे बीमार और कमजोर हों, उन्हें सारिवा की जड़ का सेवन करना चाहिए|

गर्भपात को रोके सारिवा

  • गर्भवती महिला को यदि गर्भपात का डर है तो सारिवा की जड़ का सेवन फायदेमंद होता है| इसके लिए सारिवा की जड़ के पेस्ट में दूध और मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण के सेवन से गर्भपात की आशंका दूर हो जाती है| 
  • इसका अलावा गर्भधारण से पहले ही इसका यह पेस्ट  पीना शुरू कर देना चाहिए| गर्भधारण हो जाने के बाद से प्रसव के समय तक यह पिलाने से बच्चा निरोग और गौरवर्ण का उत्पन्न होता है|

जलन से राहत पाए

  • अगर आपके शरीर  पर जलन हो रही है तो इस औषधि के चूर्ण को घी के साथ पकाकर और इसमे शक्कर मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से शरीर की जलन का शमन होता है|

मूत्र विकार में (Sariva for urinary disease)

  •   यदि आपके आपको पेशाब करते समय दर्द या जलन होते है तो इस औषधि का कुछ इस प्रकार उपयोग करना चहिए- सारिवा की जड़ को केले के पत्ते में लपेटकर गरम राख या रेत आदि में रख दें| जब पत्ता जल जाय तो जड़ को निकाल कर भुने हुए जीरे और शक्कर के साथ पीस लें| इस मिश्रण में गाय का घी मिलाकर सुबह, शाम सेवन करने से मूत्र और वीर्य संबंधी विकार दूर हो जाते हैं|

जोड़ो के दर्द में (Sariva for joints pain)

  • जोड़ो के दर्द या गठिया होने से हड्डियों के बीच जोड़ों में दर्द रहता है| सारिवा की जड़ के  चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करें| इससे गठिया में लाभ होता है|

कीडनी की पथरी को निकालने के लिए  (Sariva for calculus)

  • यदि आपके कीडनी में पथरी हो गई  है तो  इसे निकालने के लिए  इस औषधि की जड़  के चूर्ण में दूध मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से कीडनी की पथरी टूट – टूट के पेशाब के रास्ते से बाहर निकल जाती जाती है|

आंतो के विकार में सारिवा

  • सारिवा के जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से आंतो के विकारो का शमन होता है|

सफेद पानी की समस्या में सारिवा

  • इस समस्या से अधिकतर महिलाए बहुत ही परेशान रहती है| इससे राहत पाने के लिए सारिवा की जड़ का चूर्ण लेकर इसे काढ़ा के रूप में  सेवन करने से सफेद पानी या ल्यूकोरिया में लाभ होता है|

पीलिया में (Sariva for jaundice)

  • सारिवा की जड़ की छाल के चूर्ण और काली मिर्च को पानी के साथ पीस लें| इस मिश्रण को सात दिन तक लगातार पिलाने से आँखों एवं शरीर का पीलापन दूर  हो जाता है| इससे पीलिया के कारण भूख न लगने और बुखार आने की समस्या भी दूर हो जाती है|

बुखार को दूर करे (Sariva for fever)

  • मौसम बदला के नही अक्सर बुखार की समस्या हो जाती है| इससे राहत  पाने के लिए इस औषधि का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है|
  • यदि आपको किसी भी प्रकार की बुखार की स्थिति है तो सारिवा की जड़, खस, सोंठ, कुटकी व नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं| इस काढ़े का कुछ भाग शेष रहने तक पकाए| इस तरह तैयार काढ़ा को पिने से सब प्रकार के बुखार दूर होते हैं|

टाइफाइड में (Sariva for typhoid)

  • परवल के पत्ते, सारिवा,  नागरमोथा, पाठा तथा कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें| इस को  सेवन करने से टायफाइड ठीक हो जाता है|

रक्तपित में (Sariva for blood bile)

  • रक्तपित्त से पीड़ित व्यक्ति सारिवा,लालकमल तथा नीलकमल को अलग,अलग दूध के साथ पीस लें| इन तीनों को एक साथ मिला कर नाक में बूँद, बूँद कर देने से नाक,कान से खून बहना जल्द ही बंद जो जाता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Sariva)

  • जड़
  • पत्ती
  • तना

सेवन मात्रा (Dosages of Sariva)

  • पेस्ट –  3 से 5 ग्राम
  • जड़ का चूर्ण – 1 से 4 ग्राम
  • क्वाथ -15 से 35 मिली

सारिवा से निर्मित औषधियां

  • सरिवाद्यासव
  • सारिवादी वटी
  • सारिवादीक्वाथ
  • सरिवाद्यावलेह

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