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वनप्सा (Vanapsa)

वनप्सा का परिचय: (Introduction of Vanapsa)

Table of Contents

वनप्सा क्या है? (What is Vanapsa)

आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी औषधियां है जिसका उपयोग रोगो के उपचार के लिए जाता है| इन औषधियों में से वनप्सा भी एक औषधि से जिसके उपयोग प्राचीन काल से ही किया आता आ रहा है| इस जड़ी बूटी का प्राचीनकाल से ही ऋषि मुनि इस औषधि का उपयोग करते आ रहे है|

यह आयुर्वेद के अनुसार यह रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है| जो रोगो को नष्ट करने काम करती है| यह रोगो के लिए बहुत ही फायदेमंद है| वनप्सा औषधी का उपयोग आँखों के विकार,कफ के विकार, मूत्र संबंधित रोगो में, बवासीर आदि रोगो से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है|

यह फायदेमंद होने के साथ – साथ यह गुणकारी औषधि भी है| इसके उपयोग से डिप्रेशन, गले की सूजन, खुनी बवासीर में, त्वचा के रोग आदि से राहत पाई जा सकती है| आइये इसके अन्य फायदों के बारे में विस्तार से जानते है, की इस औषधि का उपयोग किन किन बीमारी में किया जाता है|

बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Vanapsa ki akriti)

यह भारत में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रो में पाया जाता है| यह औषधि वन में पाई जाती है इसलिए इसे वनप्सा कहते है| इसके औषधि प्रयोग में इसे फूल का प्रयोग किया जाता है| इसका पौधा छोटे आकार का होता है| यह जमीन पर फैलने वाला पौधा होता है| इसका तना अत्यधिक छोटा होता है| इसकी शाखाये छोटे, पतली तथा कमजोर होती है|

इसके पत्ते लम्बे ब्राह्मी के पत्ते जैसे ह्रदयकार, कटे हुए तथा हरे रंग के होते है| इसके फूल पीले, सफेद, बैंगनी तथा गुलाबी रंग के होते है| इसके फल गोलाकार तथा तीन कपाट युक्त होते है| इसके बीज बहुत छोटे और चिकने होते है| इसकी जड़ मोटी, गाठेदार, पीली तथा गिलाबी रंग की होती है| इसकी जड़ स्वाद में कषाय तथा चरपरी होती है| इसका फूलकाल जुलाई से नवम्बर तक होता है|  

वनप्सा के सामान्य नाम Herbal Arcade
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वनप्सा के सामान्य नाम (Vanapsa common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Viola odorata
अंग्रेजी (English)Wild violet
हिंदी (Hindi)वनफ्शा, बाग बनोसा, बनफ्सा;
संस्कृत (Sanskrit)वनप्सा, सूक्ष्मपत्रा, नीलपुष्पा, ज्वरापहा;
अन्य (Other)बनफ्शाह (उर्दू) बनफ्सा (गुजराती) बथिलट्ट (तमिल) घट्टेघांस  (नेपाली) बनोषा  (बंगाली) वायीलेट्टु  (मराठी) बनफ साग (अरबी) वनफ्शाह (फारसी)
कुल (Family)Vialaceae

वनप्सा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Vanapsa ke Ayurvedic gun)

दोष (Dosha) त्रिदोषशामक (pacifies tridosha)
रस (Taste) कटु (pungent), तिक्त (bitter)
गुण (Qualities) लघु (light), स्निग्ध (oily)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)जंतुघ्न, पीड़ाशामक,शोथहर,विरेचन
Ayurvedic properties of vanapsa Herbal Arcade
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वनप्सा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Vanapsa ke fayde or upyog)

खांसी में (Vanapsa for cough)

  • खांसी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए वनफ्सा के फूल के चूर्ण करके लेने से खांसी, स्वर का बढ़ना, तथा बाल रोग में लाभ होता है|

जुखाम में

  • मौसम बदलने के कारण यदि आपको जुखाम की समस्या रहती है तो गुनगुने दूध में वनफ्सा का चूर्ण, काली मिर्च मिलाकर रात के समय पिने से जुखाम में लाभ होता है|

गले की सूजन से राहत पाने के लिए वनप्सा

  • वनफ्सा के फूल को पानी में भिगोकर मसलकर, छानकर पिने से गले की सूजन तथा आमाशय जलन मिटती है| 

सांस की नली की सूजन जी समस्या में

  •  वनफ्सा पुष्प चूर्ण को समभाग अदरख के रस तथा मधु मिलाकर खाने से साधारण जुकाम वक्षीय विकार,  सांस की नली की सूजन एवं दमा में लाभ होता है|

अस्थमा में (Vanapsa for asthma)

  • यदि आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो यह अस्थमा की बीमारी हो सकती है| अगर आप इस बीमारी से छुटकारा पाना चाहते है तो वनप्सा का प्रयोग करके बहुत जल्दी लाभ ले सकते है|

कफज विकार में वनप्सा

  • अगर आपक कफज के विकारो के से परेशान है तो वनफ्सा के फूलो के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से कफज विकारो में जल्दी से लाभ होता है|

अवसाद में वनप्सा

  • यदि किसी टेंशन या तनाव के कारण आप डिप्रेशन या अवसाद के शिकार होते जा रहे है तो इस डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए वनप्सा का उपयोग कर सकते है, क्योकि यह दिमाग के लिए बहुत ही अच्छी होती है|

मूत्र संबंधित रोगो में (Vanapsa for urinary disease)

  • यदि आपको मूत्र संबंधित कोई सा भी रोग है जैसे – रुक रुक के पेशाब आता है, पेशाब करते समय जलन या दर्द आदि समस्या है तो छुटकारा पाने के लिए वनप्सा के पत्तो का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए|

जोड़ो के दर्द में (Vanapsa for joints pain)

  • यह जोड़ो के दर्द के लिए भी बहुत लाभकारी है| यदि किसी व्यक्ति को जोड़ो के दर्द की समस्या है तो वनप्सा का काढ़ा बनाकर सेवन करने से जोड़ो के दर्द में राहत मिलती है|

कब्ज में (Vanapsa for constipation)

  • पाचन की गडबडी के कारण आपको कब्ज की समस्या है और आपका पेट सही तरह से साफ नही होता है तो इस कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए वनप्सा का उपयोग कर सकते है  
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बुखार में (Vanapsa for fever)

  • मौसम बदलने की वजह या किसी अन्य कारण से आप बार – बार बुखार आने की समस्या रहती है तो वनप्सा का उपयोग करके बुखार तथा शीत ज्वर में राहत पा सकते है| इसके लिए बराबर मात्रा में मिश्री, सौफ, द्राक्षा तथा वनप्सा का काढ़ा बनाकर सेवन करने से बुखार में होता है|

मिरगी रोग में (Vanapsa for epilepsy)

  • अगर कोई भी व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त है तो इसे छुटकारा पाने के लिए वनफ्सा का क्वाथ बनाकर में पीने से अपस्मार में लाभ होता है|

त्वचा के रोग में (Vanapsa for skin disease)

  • यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई सा भी रोग है जैसे – खुजली, फोड़े- फुंसी, दाद तथा कुष्ठ आदि रोग हो तो इसे छुटकारा पाने के लिए वनफ्सा का काढ़ा बनाकर प्रभावित स्थान को धोना चाहिए||

खूनी बवासीर में (Vanapsa for piles)

  • खुनी बवासीर से राहत पाने के लिए वनफ्सा के पांचग का काढ़ा बनाकर द्राक्षासव मिलाकर सेवन करने से बवासीर से निकलने वाला खून बंद हो जाता है|

सिर दर्द में उपयोग (Vanapsa for headache)

  • किसी बीमारी या किसी अन्य कारण से आपका सिर दर्द कर रहा है तो बनफ्सा के फूल के रस को पिलाने से सिर दर्द का शमन होता है|

पेट दर्द से राहत पाने के लिए (Vanapsa for stomach)

  • अगर आपके खान पान के कारण या अशुद्ध भोजन करने के कारण आपका पेट दर्द कर रहा है तो वनफ्सा के तैल का उपयोग करके पेट दर्द से छुटकारा पा सकते है|

सिर के रोग में (Vanapsa for head)

  • यदि आपको सिर से संबंधित रोग है तो वनफ्सा के फूलों को जल के साथ पीसकर शुद्ध तिल तैल में मिलाकर पका ले| इस तैल को बालों पर लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है तथा छाती पर इस तैल की मालिश करने से सांस व खांसी में लाभ होता है|

आँखों के विकार में वनप्सा (Vanapsa for eyes)

  • आँखों के विकार यानि आँख आना, आँख का लाल होना, आँख में दर्द आदि से राहत पाने के लिए वनफ्सा के फूल को पीसकर सिर पर लगाने से गर्मी के कारण होने वाले आँखों के विकारो में लाभ होता है|

आधासीसी में वनप्सा

  • वनफ्सा के फूल का घोंल बनाकर सेवन करने से कुकुर खाँसी, सांस एवं आधासीसी में लाभ होता है|

सावधानी (Precautions)

  • वनफ्सा का अधिक सेवन करने से बेचनी तथा उल्टी की समस्या हो सकती है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Vanapsa)

  • फूल  
  • पत्ती

सेवन मात्रा (Dosages of Vanapsa)

  • क्वाथ -10 से 20 मिली
  • घोल – 15 से  20 मिली 

वनप्सा से निर्मित औषधियां

  • वनप्सादि क्वाथ