सहिजन (Sahijan)
सहिजन का परिचय: (Introduction of Sahijan)
सहिजन क्या है? (What is Sahijan?)
हमारा भारत एक कृषि प्रदान देश है| जिसके पास बहुत सारी जड़ –बूटियां पाई जाती है| जिसका प्रयोग प्राचीन काल से ही करते आ रहे है| जिसमे से ही एक औषधि है सहिजन, जो रोगो के लिए एक रामबाण औषधि है| इसकी सब्जी का भारत में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है|
क्या आपको पता है जिसका उपयोग सालो से सब्जी के रूप में उपयोग करते आ रहे है, उसका प्रयोग रोगो के उपचार में भी किया जाता है| जी हाँ यह केवल सब्जी ही नही बल्कि यह एक महा औषधि है| जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है|
सहिजन की छाल और पत्तों का लेप जलन कम करने वाला, सूजन नाशक और फोड़ों को नष्ट करने वाला है| सहिजन के बीज का तेल दर्दनिवारण और सूजननाशक है| क्या आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है| इस सब्जी का प्रयोग करके आप रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते है| इसके फायदे यही पर ही समाप्त नही होते| इसके अन्य फायदे भी है| जिसके बारे में आज आपको विस्तार से परिचित करवाएंगे|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Sahijan ki akriti)
फूलों के रंग के भेद से शास्त्रकारों ने सहिजन के सफेद और लाल दो भेद किए हैं| सफेद जाति कड़ुआ और लाल जाति मीठी होती है| कड़ुआ सहिजन हर जगह मिल जाता है लेकिन मीठा सहिजन कम ही पाया जाता है| सहिजन के छोटे या मध्यम आकार के पेड़ होते हैं| छाल और तना कोमल होता है| जब पेड़ फलियों से लद जाते हैं तो डालियां अक्सर टूट जाती हैं|
यह 5 से 9 मीटर ऊँचा होता है| इसका तना चिकना, भूरे रंग का और दरारों से युक्त होता है| इसके पत्ते मूंगफली के समान होते है| इसके फूल सफेद रंग के खुशबु दार तथा गुच्छे में लगे होते है| इसकी फली हरे रंग की ऊँगली के समान, मोटी तथा लम्बी होते है| इसमे सफेद रंग के बीज होते है| इसका फूलकाल नवम्बर से मार्च तथा फलकाल फरवरी से जून तक होता है|
सहिजन के सामान्य नाम (Sahijan common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Moringa oleifera |
अंग्रेजी (English) | Drum stick tree |
हिंदी (Hindi) | सहजन, सहिजन, सहजना, सैजन, मुनगा |
संस्कृत (Sanskrit) | शोभाञ्जन, शिग्रु, तीक्ष्णगन्ध, अक्षीव, मोचक, सौभाञ्जन |
अन्य (Other) | मुनीया (उड़िया)मेइसिंग (कोंकणी)नुग्गी (कन्नड़)सेगते (गुजराती)मुनगा (तेलगु)मंरुगाई (तमिल)सजिना (बंगाली)सज्योन (नेपाली)सोंहजना (पंजाबी)शेवगी (मराठी) |
कुल (Family) | Moringaceae |
सहिजन के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Sahijan ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | विदाही, शोथहर, वेदनास्थापन, दीपन, पाचन |
सहिजन के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Sahijan ke fayde or upyog)
कामशक्ति बढ़ाने के लिए सहिजन
- पुरुष और महिला की कामशक्ति कमजोर होने के कारण वह वह अपना जीवन सही तरह से व्यतीत नही कर सकते है| इसलिए कामशक्ति बढ़ाने के लिए सहजन की फलियों की सब्जी बनाकर सेवन की जाती है|
एनीमिया को दूर करे (Sahijan for anemia)
- सहजन पत्ते के पाउडर में कम से कम 30 मिली ग्राम आयरन होता है जो अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में बहुत अधिक है इसलिए इससे एनीमिया के लक्षणों को कम करने में भी मदद मिलती है| इसके सेवन से खून की बढ़ोतरी भी होती है|
मोटापा कम करे (Sahijan for obesity)
- सहजन की पत्तियों में फाइबर की मात्रा बहुत होती है जो भोजन को पचाने और भूख को नियंत्रित करने में सहायक होती है जिससे आप लंबे समय तक बिना खाए रह सकते हैं| इस गुण के कारण यह हमारे वजन को कम करने में सहायक होती है|
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए (Sahijan for immunity)
- प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण व्यक्ति बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है| सहजन के पत्तों में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन होते हैं जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं की कार्य क्षमता को बढ़ाने और वायरस या बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं|
मधुमेह में (Sahijan for diabetes)
- यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त है तो इसे राहत पाने के लिए सहजन का काढ़ा बनाकर सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है|
हड्डियों के लिए (Sahijan for bones)
- बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की देखभाल और उन्हें स्वस्थ रखना भी जरूरी है| आप अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए सहिजन का सेवन कर सकते हैं| सहजन को कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत माना गया है, जो हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्व हैं|
लीवर के स्वास्थ्य के लिए (Sahijan for liver)
- गलत खान-पान और जीवनशैली का लिवर पर काफी गलत प्रभाव पड़ सकता है| ऐसे में जरूरी है वक्त रहते अपने खान,पान को सुधार लें और न सिर्फ सही वक्त पर खाना,बल्कि सही आहार को अपने भोजन में शामिल करें| लीवर स्वस्थ्य को बनाये रखने के लिए सहजन की सब्जी का सेवन करना चहिए|
ह्रदय के लिए (Sahijan for heart)
- हृदय शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है| ऐसे में हृदय को स्वस्थ रखना और उसका ध्यान रखना जरूरी है| अगर आप अपने हृदय को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो अपने आहार में सहिजन की पत्तियों को शामिल करें| सहजन की पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं|
कैंसर को रोके (Sahijan for cancer)
- लिवर से जुडी कैंसर की बीमारी के लिए सहजन की छाल का काढ़ा बना लें| इसे आरोग्यवर्धिनी वटी के साथ दिन में तीन बार सेवन करे| इससे लिवर कैंसर जैसी समस्या में लाभ होता है|
आँखों के रोगो में (Sahijan for eyes)
- कफ के कारण आँख से पानी बहने की समस्या में सहिजन के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर आंखों पर बांधने से लाभ होता है|
- इसके अलावा सहिजन के पत्ते के रस में शहद मिला लें| इसे आँखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के धुंधलेपन जैसी सभी प्रकार के आंखों की बीमारी लाभ होता है|
- सहिजन के पत्तों के रस में समान मात्र में मधु मिला ले| इसे एक दो बूंद आंख में डालने से आँखों का दर्द कम होता है तथा लाभ होता है|
सांस संबंधित परेशानी में (Sahijan for breathing problems)
- सहिजन और अदरक के रस को बराबर मात्रा में मिला लें| इसे रोज सुबह और शाम पिने से सांसों के रोग में लाभ होता है|
दिमागी बुखार में सहिजन
- यदि आपको सिर की बुखार की समस्या है तो सहिजन की छाल को पानी में घिस लें| इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से दिमागी बुखार या टॉयफाइड में लाभ होता है|
सिर दर्द से राहत पाए (Sahijan for headache)
- सिर दर्द से राहत पाने के लिए सहिजन की जड़ के रस में गुड़ मिलाकर छानकर एक – एक बूंद नाक में डालने से सिर दर्द का शमन होता है|
पेट दर्द में (Sahijan for stomach pain)
- खान – पान की गडबडी के कारण आपको पेट दर्द की समस्या हो गई है तो सहिजन की जड़ की छाल में हींग और सोंठ मिला लें| इसे जल के साथ पीसकर गोलियां बना लें| इनमें से एक – एक गोली दिन में दो तीन बार खाने से पेट दर्द में लाभ होता है|
पेट में पानी भरने की समस्या में सहिजन
- सहिजन की जड़ को पानी में मिला लें| इसकी चटनी बनाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सेवन करने से पेट में पानी भर जाने की समस्या में लाभ होता है|
पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए (Sahijan for digestion)
- सहिजन के काढ़े में सोंठ डालकर सुबह, शाम सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है|
- इसके अलावा सहिजन की ताजी जड़,सरसों और अदरक को समान मात्रा में लें| इसे पीसकर गोली बना लें| इस दो गोली का सुबह और शाम सेवन करने से जठराग्नि सक्रिय हो जाती है जिससे मन्दाग्नि दूर होती है|
पेट के कीड़ो को मारे (Sahijan for stomach bugs)
- अगर आपके पेट में कीड़े हो गये है और दर्द हो रहा है तो सहिजन की फलियों की सब्जी बनाकर खाने से पेट के कीड़ो का शमन होता है|
पुरुष शक्ति बढ़ाने के लिए सहिजन
- यदि किसी पुरुष की शारीरिक शक्ति कमजोर है तो सहिजन के फूलों को दूध में उबाल लें| इसे सुबह,शाम पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और पौरुष शक्ति में बढ़ोतरी होती है|
कीडनी की पथरी में (Sahijan for calculus of kidney)
- यदि आप कीडनी की पथरी से बहुत ही परेशान हो रहे हो तो सहिजन की जड़ की छाल के काढ़ा को दिन में तीन बार पिने से गुर्दे की पथरी चूर-चूर होकर निकल जाती है|
मूत्र रोग में (Sahijan for urinary disease)
- यदि आपको पेशाब करते समय जलन, दर्द, और रुक – रुक के पेशाब आता है, तो इसके निदान के लिए सहिजन के गोंद को रोज सात दिन तक दही के साथ खाने से पेशाब की समस्या में लाभ होता है|
दाद से निदान पाए
- दाद से छुटकारा पाने के लिए सहिजन का उपयोग किया जाता है| इसके उपयोग से जल्दी से राहत मिलती है| इसके लिए सहिजन की छाल को पानी के साथ घिसकर लेप करने से दाद का शमन होता है|
चेचक में सहिजन
- सहिजन के पत्तो के रस को पिसे हुए सर्जरस में मिलाकर पूरे शरीर पर लगाने से चेचक में लाभ होता है|
कुष्ठ रोग में (Sahijan for leprosy)
- कुष्ठ रोग से जल्दी से लाभ पाने के लिए, कुष्ठ रोगी को सहिजन तथा आम की गुठली का तेल लगाने से लाभ होता है|
खुजली में सहिजन
- खुजली में यदि आपका खुजली के हाल – बेहाल है तो सहिजन की जड़ के पेस्ट को सरसों के तैल में पकाकर प्रभावित स्थान पर मलने से खुजली का शमन होता है|
फोड़ो में सहिजन
- सहिजन की जड़ की छाल और वत्सनाभ को पीसकर लेप करने से फोड़े ठीक होते हैं| इससे फोड़ा फट जाता है और पीव बह जाता है|
घाव में (Sahijan for wound)
- सहिजन के पत्ते और तिल को समान मात्रा में मिला लें, इसे पीस लें| इसमें थोड़ा घी मिलाकर लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है|
सूजन में (Sahijan for swelling)
- यदि आपके किसी अंग पर सूजन है तो सहिजन की छाल को जल में घिसकर सेवन करें| इससे सूजन कम होती है|
जोड़ो के दर्द में (Sahijan for joints pain)
- सहिजन के पत्तों को तेल के साथ महीन पीस लें| इसे गुनगुना कर लेप करने से घुटनों की पुराना दर्द ठीक होता है|
- इसके अलावा इस औषधि के बीज के तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभ होता है|
कान दर्द में (Sahijan for ears)
- सहिजन की जड़ के रस में एक चम्मच मधु और तेल को मिला लें| इसे गर्म कर, छानकर, कान में एक या दो बूंद टपकाने से कान का दर्द कम होता है|
- इसके अलावा सहिजन की गोंद को तिल के तेल में गर्म कर छान लें| इसे कान में 2 या 3 बूंद टपकाने से कान दर्द में लाभ होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Sahijan)
- पत्ते
- बीज
- फूल
- फल
- गोंद
- तैल
- जड़
- छाल
सेवन मात्रा (Dosages of Sahijan)
- काढ़ा – 60 से 100 मिली
- चूर्ण – 2 से 4 ग्राम या चिकित्सक के अनुसार
सहिजन से निर्मित औषधियां
- शोभाज्जानादि लेप
- श्यामादि चूर्ण